Chapter 7

Chapter 7

सौभाग्यशाली 7

Chapter 7    नंदिनी और उत्कर्ष धीरे-धीरे बड़े हो रहे थे। स्कूल से दोनों ही अव्वल दर्जे के साथ पास होकर निकले। इसी खुशी में नीलांजना और आदर्श ने उन दोनों के लिए दिन में पूजा और रात में पार्टी रखी जिसमें उन दोनों के सारे दोस्त घर आए। नीलांजना और आदर्श सभी बच्चों के साथ खुलकर मिले और उनके उम्र के बीच के फासले को भूलकर सबसे दोस्ताना व्यवहार बनाने की पूरी कोशिश की।     नंदनी को जहाँ साइंस में दिलचस्पी थी, वही उत्कर्ष को अकाउंट में। दोनों ही अलग-अलग दिशाओं में थे। जब भी उन दोनों का झगड़ा होता तो वह दोनों ही कहते, "एक साइंस है और एक कॉमर्स, तो हम दोनों की बनेगी कैसे? इसलिए तो हम दोनों में बिल्कुल नहीं बनती!" और दोनों लड़ने लग जाते। पूरे घर का माहौल खुशनुमा बना रहता था। दोनों बच्चों की शरारतों से पूरा घर गूंज उठता था।     उत्कर्ष ने अलग दाखिला लिया और नंदिनी ने अलग। इस तरह दोनों भाई बहन अकेले पड़ गए। नंदनी कुछ दिनों तक तो कॉलेज गई लेकिन उसके बाद उसने कॉलेज जाने में आनाकानी करनी शुरू कर दी। नीलांजना को समझ नहीं आया कि जिस कॉलेज में जाने के लिए नंदनी उतावली थी, अब वह उसी कॉलेज में क्यों नहीं जाना चाहती? आगे पढ़ने का और डॉक्टर बनने का उसका जो सपना था, उसे वह ऐसे ही बीच में कैसे छोड़ देगी?     नंदनी की दादी वैसे ही उसकी आगे की पढ़ाई के खिलाफ थी। ऐसे में उनका खुश होना तो जाहिर सी बात थी। उन्होंने कहा, "क्या करेगी बेटी को ज्यादा पढ़ा-लिखा कर! बाद में तो फिर चूल्हा चौका ही देखना है, बच्चे ही तो संभालने हैं। कितनी भी बड़ी अफसर बन जाए फिर भी घर आकर उसे वही सब करना है जो तू करती है। कुछ नहीं बदलेगा इससे! बेहतर है कि बेटी को घर के कामकाज सिखा। ससुराल जाएगी तो काम आएगा वरना उसकी सास उसे ताने देगी और साथ में तुझे भी भला बुरा सुनाएगी।"    लेकिन ये सब नीलांजना को मंजूर नहीं था। नीलांजना के बार बार पूछने पर नंदिनी ने उसे बताया, "मोहल्ले के ही कुछ लड़के मुझे आते जाते छोड़ते हैं मां! जब तक उत्कर्ष मेरे साथ था किसी की हिम्मत नहीं थी कि मेरी तरफ नजर उठाकर भी देखें। सब डरते हैं उसके गुस्से से। लेकिन सबको पता है कि उत्कर्ष ने किसी और कॉलेज में एडमिशन लिया है और इस तरफ मैं अकेली हूं। जिस तरह वह लोग बातें करते हैं, मेरा बिल्कुल भी मन नहीं करता उस रास्ते से गुजरने को और कॉलेज जाने के लिए वही एक रास्ता है।"      नीलांजना को सारी बातें समझते देर नहीं लगी। वह अपनी बेटी को इस तरह परेशान होते हुए नहीं देख सकती थी और ना ही उन लड़कों को छोड़ सकती थी। उन लड़कों को सबक सिखाना जरूरी था। नीलांजना उन सभी लड़कों को जानती थी। नंदिनी के घर से निकलने से कुछ देर पहले नीलांजना घर से निकल पड़ी और अपने साथ कुछ औरतों को बहाने से इकट्ठा कर लिया।      नंदनी तैयार होकर कॉलेज के लिए निकली तो मोहल्ले के बाहर वही लड़के, जो हमेशा नंदनी को छेड़ा करते थे, उन्होंने फिर से नंदनी को परेशान करना शुरू कर दिया। नंदनी से जब बर्दाश्त नहीं हुआ तो वह मुड़ी और वापस आकर एक लड़के के गाल पर खिंच कर तमाचा मारा। वह लड़का गुस्से में नंदिनी पर हाथ उठाने के लिए खड़ा हुआ तो उसके दोस्तों ने उसे रोक लिया। नंदिनी ने उस लड़के को घूर कर देखा और वहां से निकल गई। लेकिन उसी वक्त नीलांजना ने उनमें से एक लड़के का कॉलर पकड़ा और अपनी तरफ खींच लिया।     नीलांजना उस वक्त अकेली नहीं थी। उसकी पूरी पलटन वहां थी जिन्होंने नंदिनी और उन लड़कों के बीच हुई सारी बातें सुनी भी और सारा तमाशा देखा भी। उन सारे लड़कों की नजर जब अपने पीछे खड़ी नीलांजना और उनके साथ खड़ी औरतों पर गई तो उन सब की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई। वहां खड़ी सारी औरतें उन सभी लड़कों की मम्मियाँ थी।      अपनी अपनी मां को वहां देख उन सब ने नज़रे झुका ली तो उनमें से एक की मां ने कहा, "यहां खड़े होकर तुम लोग यह करते हो? अपने ही मोहल्ले की बहन बेटियों की इस तरह इज्जत उछालते हो? अरे नंदिनी बहन लगेगी तुम्हारी! अपनी ही बहन के साथ इस तरह कोई छेड़खानी करता है? अरे अपनी बहन तो क्या, किसी भी लड़की के साथ छेड़खानी की जाती है? कल को तुम्हारी बहन को कोई छेड़ेगा तो तुम्हें कैसा लगेगा?"    नीलांजना अपने दोनों हाथ फोल्ड करते हुए बोली, "तुम लोगों की वजह से नंदिनी कॉलेज नहीं जाना चाहती। तुम्हें एहसास भी है कि तुम लोगों की वजह से किसी पर क्या गुजरती होगी! यहां बात सिर्फ नंदनी की नहीं है। यहां बात हर एक लड़की के सम्मान की है। क्या तुम कभी अपनी बहन को पलट कर देखते हो? नहीं ना! तो फिर दूसरों की बहन को दूसरों की बेटियों को इस तरह परेशान करना भद्दी भद्दी बातें करना क्या तुम्हें अच्छा लगता है? यही आदत रही तो किसी दिन अपनी बहन और दूसरों की बहन में फर्क भूल जाओगे! जैसी तुम्हारी बहन वैसी ही दूसरों की भी बहन। औरतों का सम्मान करना सीखो। क्योंकि ये औरतें ही है जो तुम्हारी जिंदगी को नया आयाम देती है। जो समाज को नई दिशा देती है। तुम सब भी किसी औरत की कोख से ही जन्म लेकर आए हो। और किसी की नहीं तो कम से कम अपनी मां की इज्जत के खातिर ही सही, ऐसी हरकतें करना बंद कर दो जिसकी वजह से तुम्हारी मां का सर शर्म से झुक जाए।"     उन लड़कों ने कान पकड़ लिए और कहा, "सॉरी आंटी! हमें माफ कर दीजिए। आइंदा हम ऐसा कभी कुछ नहीं करेंगे। हम जानते हैं हम ने जो किया वह बहुत गलत था और हम खुद नंदिनी से माफी मांगेंगे।"     एक लड़के की मां बोली, "वह सब बाद में! पहले घर जाओ तुम लोग! हमारी नाक कटा कर रख दी तुम लोगों ने!"   सारे लड़के वहां से अपने अपने घर को चले गए। एक औरत ने हाथ जोड़कर नीलांजना से कहा, "नीलांजना बहन! हमारे बच्चों के तरफ से हम तुमसे माफी मांगते हैं। नंदनी के साथ जो कुछ भी हुआ और जो कुछ भी उसने सहा उस सब के लिए हम पूरे दिल से शर्मिंदा है। हम पूरी कोशिश करेंगे कि आइंदा उसके साथ ऐसा कुछ ना हो।"    नीलांजना ने उनके हाथ पकड़ लिए और सब को घर जाने के लिए कह दिया। नंदिनी की ये वाली परेशानी तो दूर हो गई लेकिन आने वाली मुसीबत को नंदिनी का पता मिल चुका था।