Chapter 12
सौभाग्यशाली 12
Chapter 12 डॉक्टर बाहर निकली तो उत्कर्ष ने उनसे सवाल किया, "डॉक्टर! मेरी बहन कैसी है? क्या हुआ है उसके साथ?" डॉक्टर ने आदर्श और नीलांजना की तरफ देखा और उनके करीब आकर बोली, "फ्रस्ट्रेशन........! जिसने भी किया है उसने अपना पूरा फ्रस्ट्रेशन आपकी बेटी पर निकाला है। रेप नहीं हुआ, वरना फिजिकली असॉल्ट किया गया है उसे। ये उस इंसान की दिमागी हालत बयान करता है। इस तरह की हरकत वही लोग करते हैं जो अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाते। अपना सारा गुस्सा, सारा फ्रस्ट्रेशन तब तक उस लड़की पर निकालते हैं जब तक उस लड़की में जरा सी भी जान बाकी हो। नंदनी किस्मत वाली है जो वह बच गई। लेकिन उसे कम से कम एक हफ्ता और हॉस्पिटल में रहना होगा। एक्सटर्नल इंजरी है, इंटरनल इंजरी हम अभी चेक कर रहे हैं। शरीर के घाव भरने में ज्यादा टाइम नहीं लगेगा लेकिन आप लोगों को उसके मन पर लगे घावों को भरने की कोशिश करनी होगी, जो इतना आसान नहीं होगा!" कहते हुए डॉक्टर ने नीलांजना के कंधे पर हाथ रखा और वहां से चली गई। उत्कर्ष नीलांजना से बोला, "आप अभी भी सोच रही है माँ! पेपर पर साइन कीजिए, हम उस लड़के को सजा दिलवाकर रहेंगे। मेरी बहन के साथ ऐसी हरकत करने की उसने सोची भी कैसे? छोडूंगा नहीं मैं उसे!" नीलांजना के हाथ अभी भी कांप रहे थे। आदर्श उसके कंधे पर हाथ रख कर बोला, "कोई भी इंसान कितना भी अपना क्यों ना हो! कितना भी बड़ा क्यों ना हो, एक औरत के सम्मान से बड़ा कभी नहीं हो सकता। साइन कर दो नीलू! हम उस लड़के को नहीं छोड़ेंगे।" नीलांजना को सोचता देख उत्कर्ष बोला, "पापा! आप साइन कर दीजिए।" आदर्श बोला, "नहीं! यह काम नीलांजना ही करेगी।" नीलांजना ने कांपते हाथों से पेपर पर साइन कर दिए। पुलिस ने नंदिनी के बयान लिए और नंदिनी ने भी अनुकल्प का ही नाम लिया। नीलांजना के लिए यह उसके ममता की सबसे बड़ी परीक्षा थी। एक तरफ वह बेटा जिसे उसने जन्म दिया और दूसरी तरफ वह बेटी जिसे उसने अपने सीने से लगाकर पाला। आखिर बेटियों को कितने इम्तेहान से गुजरना होता है? यह सोच कर नीलांजना रो पड़ी। ढिल्लों परिवार के इकलौते बेटे के खिलाफ केस बनते ही हंगामा हो गया। ढिल्लों साहब ने नीलांजना और उसके पूरे परिवार पर केस वापस लेने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया तो नीलांजना ने महिला आयोग का दरवाजा खटखटाया। क्योंकि इस वक्त उसके सपोर्ट में कोई भी खड़ा होने की हिम्मत नहीं कर रहा था। महिला आयोग का साथ मिलते ही खबर मीडिया में पहुंच गई। मीडिया वालों ने ढिल्लों साहब के खिलाफ नंदनी का साथ तो दिया लेकिन इस सबसे नंदनी की मुश्किलें और बढ़ गई। मीडिया वाले घर के बाहर खड़े रहते और नंदिनी का घर से निकलना मुश्किल हो गया था। एक तो वैसे ही नंदिनी दिमागी तौर पर परेशान थी, रही सही कसर मीडिया वालों ने भी परेशान करके पूरी कर दी। ढिल्लों साहब के वकील ने उन्हें सुझाव दिया,,"ढिल्लों साहब! इससे पहले कि चार्जशीट दाखिल हो, इस बात को यहीं खत्म करना होगा। एक बार चार्जशीट कोर्ट में दायर हो गए तो फिर यह केस यहीं पर खत्म करना नामुमकिन हो जाएगा। कोर्ट के बाहर सेटल करने का एक तरीका है।" ढिल्लों साहब ने आगे बोलने का इशारा किया तो वकील साहब बोले, "अगर अनुकल्प और उस लड़की की सगाई करवा दी जाए............ फिलहाल के लिए! और पढ़ाई वगैरह के बहाने इस रिश्ते को टाल दिया जाए, दो तीन सालों तक.........! उसके बाद शादी करने की कोई जरूरत नहीं, हम ये रिश्ता तोड़ देंगे। मामला तब तक आराम से ठंडा हो चुका होगा और किसी का भी इस तरफ ध्यान भी नहीं जाएगा। सारी बातें आपस में निपट जाएगी और कोर्ट कचहरी के झंझट से निजात भी मिल जाएगी। आपके पास वक्त नहीं है!" ढिल्लों साहब इस बात के लिए कभी राजी नहीं थे। लेकिन जिस तरह से उनपर दबाव पड़ रहा था, उनके कारोबार पर भी असर हो रहा था। उन्हें अपने वकील साहब का सुझाव सही लगी। सिर्फ सगाई ही तो करनी थी, उसके बाद रिश्ता तोड़ दिया जाता। उसी दिन शाम को ढिल्लों साहब आदर्श के घर पहुंचे। उन्हें देखते ही नीलांजना को गुस्सा आया और नंदिनी भाग कर अपने कमरे में छुप गयी। घर आए मेहमान का स्वागत करना नीलांजना की मजबूरी थी। इसलिए उसने खुद को संयत किया और ढिल्लों साहब से बैठने को कहा। ढिल्लों साहब सीधे मुद्दे पर आ गए और नीलांजना के सामने अनुकल्प और नंदिनी के रिश्ते की बात रख दी। उत्कर्ष ने जब सुना तो वह बुरी तरह से भड़क गया और बोला, "आपकी हिम्मत कैसे हुई ऐसी घटिया बात सोचने की? आपको वाकई में लगा कि आप कुछ भी बकवास करेंगे और हम बस सुन लेंगे? आपने यह सोचा भी कैसे कि हम हमारी बहन का रिश्ता आप जैसे घटिया फैमिली में करेंगे? मेरी बहन कोई बोझ नहीं है हम पर! जितनी घटिया आपके बेटे की सोच है, उतनी ही घटिया आपकी भी सोच है। उसे आपके घर में भेजने से पहले अपनी बहन को मैं गोली मार दु! ऐसी पैंतरेबाजी आप किसी और के सामने कीजिएगा! आपके बेटे ने जो किया है उसकी फेहरिस्त लंबी है। मेरी बहन कोई पहली शिकार नहीं है उसकी, और क्या भरोसा है कि आपके घर में जाने के बाद मेरी बहन के साथ कुछ गलत नहीं होगा?" ढिल्लों साहब गुस्से में उठ खड़े हुए और बोले, "इतना कुछ होने के बाद तुम्हारी बहन का हाथ कौन थामेगा? अरे हम तो शराफत से रिश्ता लेकर आए थे।" नीलांजना कुछ कहती उससे पहले उत्कर्ष बोला, "मेरी बहन चाहे जिंदगी भर कुंवारी बैठी रहे, लेकिन आप के बेटे जैसे घटिया इंसान के हाथों में उसका हाथ कभी नहीं दूंगा। उसका जीवनसाथी ऐसा होगा जो औरतों का सम्मान करता जानता हो और यह संस्कार आपके घर में नहीं है। हमारे घर के ऐसे संस्कार नहीं कि आने वाले मेहमान की बेइज्जती करें। अगर आप अपनी इंसल्ट नहीं करवाना चाहते तो अभी इसी वक्त यहां से निकल जाइए..........। और आइंदा इस घर की चौखट पर आने से पहले थोड़ा संस्कार साथ लेते आइएगा, क्योंकि उसके बिना हम इस घर में किसी को आने नहीं देते। साथ ही उम्मीद करता हु कि आपसे कभी इस घर में मुलाकात नहीं होगी।" ढिल्लों साहब वहाँ से निकल गए। उनके जाने के बाद आदर्श ने नीला से कहा, "ये है हमारा बेटा! जो औरतों की इज्जत करना और अपनी बहन के लिए लड़ना जानता है।"क्रमशः