Chapter 9
सौभाग्यशाली 9
Chapter 9 नंदनी अपने पूरे परिवार के साथ घर तो वापस आ गई लेकिन उसके पीछे कितनी बड़ी मुसीबत पड़ चुकी थी, इस बात का उसे एहसास भी नहीं था। सबके साथ बैठकर खाना खाते हुए कॉलेज में हुए पूरे फंक्शन की बातें चल रही थी। अचानक ही नंदनी को अनुकल्प का खयाल आया जिसने उसके साथ बदतमीजी की थी। उसी वक्त उत्कर्ष अनुकल्प के बारे में बताने लगा। उसने कहा, "मां पापा! आपको पता है, हमारे कॉलेज में एक लड़का है, अनुकल्प ढिल्लो! अमीर बाप का बिगड़ा हुआ बेटा। सब पर ऐसे धौंस जमाता है जैसे पूरा शहर उसका हो। उसके पापा कॉलेज के ट्रस्टी है इसलिए कोई कुछ नहीं कहता उसे। और यही वजह है कि उसकी बदतमीजियाँ बहुत ज्यादा बढ़ गई है। पढ़ने में तो अच्छा है लेकिन हरकतें उसकी ऐसी है कि हर कोई उससे दूर भागता है। दोस्त नहीं चमचे बना रखे है उसने।" आदर्श ने पूछा, "यह अनुकल्प कौन है?" उत्कर्ष बोला, "हमारे शहर के जो जाने-माने कपड़ा व्यापारी है, हरजीत सिंह ढिल्लों! उन्हीं का इकलौता बेटा है। वैसे अजीब बात तो यह है कि मेरा और उसका जन्मदिन एक ही दिन पड़ता है। हम दोनों एक ही दिन पैदा हुए थे। लेकिन हम दोनों में कुछ भी एक जैसा नहीं है।" उत्कर्ष की बात सुनकर नीलांजना को अपने दूसरे बेटे की याद आ गई, जिसे सुप्रिया अपने साथ ले गई थी। आदर्श उसके चेहरे के भाव देखकर उसके मन की बात समझ गया। उसने धीरे से नीलांजना के हाथ पर अपना हाथ रख दिया। नीलांजना ने कुछ कहा नहीं बस बच्चों को खाना खिला कर वहां से उठ गई। बच्चे भी खाना खाकर अपनी पढ़ाई में लग गए। दोनों ही अपने जीवन का लक्ष्य हासिल करने में जी-जान से जुटे हुए थे। घर में खुशियों का अंबार था लेकिन खुशियों को नजर लगते देर नहीं लगती। यही हुआ नंदनी के साथ। अगले ही दिन नंदनी जब कॉलेज पहुंची तो कॉलेज गेट पर किसी ने उसका दुपट्टा पकड़ लिया। नंदनी गिरते गिरते बची। उसनें जब घबराकर पीछे की तरफ देखा तो अनुकल्प बेशर्मी से मुस्कुरा रहा था और नंदिनी का दुपट्टा उसकी बाइक के पहिए के नीचे दबा रखा था। नंदनी गुस्से में चिल्लाई, "मेरा दुपट्टा छोड़ो लड़के!!!" अनुकल्प हंसते हुए बोला, "मैंने कहाँ तुम्हारा दुपट्टा पकड़ रखा है? मैं तो बस यहाँ अपनी बाइक पर बैठा हूं! तुम्हें किसने रोक रखा है, जाओ यहां से! या फिर तुम मुझसे बात करने का बहाना ढूंढ रही हो? कहीं ऐसा तो नहीं, कल की बदतमीजी के लिए मुझसे माफी मांगने वाली हो? देखो अगर ऐसा है तो मैं पहले ही बता दूं कि मुझ से माफी मांगना इतना आसान नहीं है। मेरी माफी चाहिए तो फिर तुम्हें वो सब करना होगा जब मैं चाहता हूं।" नंदिनी ने गुस्से में उसे घूर कर देखा और फिर अपना दुपट्टा जोर से खींचा, जिससे उसका दुपट्टा थोड़ा फट भी गया। नंदनी झटके से मुड़ी और हवा की तेजी से वहां से निकल गई। अनुकल्प ने भी हँसते हुए अपनी बाइक वहां से घुमा ली। नंदनी को परेशान करके अनुकल्प को अच्छा लग रहा था। अब तो वह हर रोज ही नंदनी को नए-नए तरीकों से परेशान करने लगा। वह बिना आईडी कार्ड के नंदनी के कॉलेज में घुस नहीं सकता था, इसलिए आते जाते वो नंदिनी के कॉलेज के बाहर ही खड़ा रहता। उत्कर्ष इस सब से अनजान था। वैसे ही उसकी और अनुकल्प की नहीं बनती थी। नंदिनी ने इस सब के बारे में घर में किसी से नहीं कहा। उत्कर्ष की बातों से ही उसे समझ आ गया था कि वह अनुकल्प को बिल्कुल भी पसंद नहीं करता था। वो था भी वैसा ही। अगर उत्कर्ष को अनुकल्प की हरकतों का पता चल जाता तो बहुत बड़ा बखेड़ा हो जाता और यही नंदिनी नहीं चाहती थी। अब तो हालत ऐसी हो गई थी कि कॉलेज जाते हुए नंदनी को डर लगने लगा था। उस पर से भी अनुकल्प नंदनी का नंबर निकलवाने में कामयाब रहा। दिन में कभी भी मैसेज करना या फोन करना उसकी आदत बन गयी जिससे नंदिनी और भी ज्यादा परेशान रहने लगी। नंदनी एक बार फिर कॉलेज जाने से कतराने लगी थी। जब लगातार दो दिनों तक बीमारी का झूठा बहाना बनाकर नंदिनी कॉलेज नहीं गई तभी नीलांजना को उस पर थोड़ा शक हुआ। नंदनी अपने कमरे में बैठी हुई थी। उसी वक्त उसका फोन बजा। देखा तो कोई अनजान नंबर था। पहले तो नंदिनी ने घबराकर फोन नहीं उठाया लेकिन जब दोबारा से फोन बजा तो उसे उठाना ही पड़ा। उसने धीरे से फोन उठाकर कांपती हुई आवाज़ में कहा, "हेलो.....!" उधर से अनुकल्प की आवाज सुनाई दी, "कैसी हो जानेमन! दो दिनों से तुम्हें देखा नहीं तो सोचा तुम्हारे घर चला आउँ तुम्हें देखने के लिए! वैसे तुम्हारे घर के बाहर ही खड़ा हूं। कहो तो मैं अंदर आ जाऊं!" नंदनी घबरा गई लेकिन फिर भी उसने खुद को मजबूत किया और बोली, "तुम्हारे अंदर अगर इतनी हिम्मत है तो अंदर आ कर दिखाओ! तुम्हारे साथ जो भी होगा उस सब के जिम्मेदार तुम खुद होगे!" अनुकल्प बोला, "मेरी हिम्मत अभी तुमने देखी कहां है मेरी जान! कहो तो दिखाऊ? चलो दिखा ही देते हैं!" नंदनी घबराकर चिल्लाई, "तुम आखिर चाहते क्या हो? मेरा पीछा क्यों नहीं छोड़ देते हो तुम? आखिर मैंने तुम्हारा बिगाड़ा क्या है जो इस तरह शनि बनकर मेरे सर पर मंडरा रहे हो?" अनुकल्प बोला, "तुम ने जो मुझे थप्पड़ मारा था ना! बस उसका हिसाब बराबर कर दो। फिर मैं तुम्हें कभी कुछ नहीं कहूंगा। तुम्हें पता है ना उस थप्पड़ के लिए सॉरी कैसे कहना है? वैसे मेरे पापा के होटल में मेरे लिए एक कमरा हमेशा बुक रहता है। तुम जब कहोगी मैं तुम्हें माफी देने को तैयार हूं।" नंदिनी ने दाँत पिसते हुए कहा, "अपनी बकवास बंद करो! ना मैंने कोई गलती की है, ना मैं कोई माफी मांगुंगी! तुमने जो किया उसके लिए तुम्हें शुक्र मनाना चाहिए कि मैंने तुम्हें सिर्फ एक थप्पड़ मारा! वरना कुछ और भी कर सकती थी!" अनुकल्प हंसते हुए बोला, "तो फिर ठीक है! मेरे पास तुम्हारा एक वीडियो है। पहले तुम देख लो फिर उसके बाद मैं सब को दिखा दूंगा। इतनी हिम्मत तो है ही मेरे अंदर। उसके बाद मैं तो क्या हर कोई तुम्हारे घर आएगा।" कहकर उसने फोन काट दिया। नंदिनी का फोन उसके हाथ में ही था तभी उसे एक मैसेज मिला। नंदिनी खोलकर देखा तो वाकई में एक वीडियो था। उस वीडियो को देखते ही नंदिनी के पसीने छूट गए। उसे समझ नहीं आया कि आखिर अनुकल्प ने यह वीडियो कहां से बनाई और कब? नंदिनी बिस्तर पर गिर पड़ी!