Chapter 171

Chapter 171

YHAGK 170

Chapter

 170 






रेहान को समझ आ गया कि जिस राज को उसने इतने सालों तक छुपा कर रखा, वो राज अब लावण्या के सामने खुल चुका है। उसने लावण्या के दोनों हाथ पकड़े और घुटने के बल बैठ गया। अपनी आंखों में आंसू भर कर उसने लावण्या से कहा, "लावण्या.......! प्लीज मुझे छोड़कर मत जाओ। हो गई गलती मुझसे, एक गलती की इतनी बड़ी सजा तो मत दो। एक गलती मुझसे हुई तो एक गलती तुमसे भी तो हुई। अगर मेरी गलती से इशिता प्रेग्नेंट हुई तो तुम भी तो किसी और के साथ............!"


      इससे पहले कि रेहान अपनी बात पूरी करता, लावण्या ने एक झटके से अपना हाथ छुड़ाया और चिल्लाते हुए बोली, "तुम्हारी जितनी घटिया नहीं हूं मैं रेहान! मेरी तुलना कभी अपने आप से मत करना। मैं सपने में भी तुम्हें धोखा देने का सोच नहीं सकती लेकिन तुम...........! तुम यह काम बखूबी कर सकते हो। मैं तुम्हारी जितनी घटिया नहीं। तुम्हारे साथ अपने रिश्ते को मैंने पूरी ईमानदारी से निभाया है। तुम्हारी तरह धोखा नहीं दिया। अपने दिल में कोई राज छुपा कर नहीं रखा। ना हीं किसी और को अपने करीब आने दिया। मैं तुम्हारी तरह नहीं हूँ मैं रेहान, जिसे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उसके सामने कौन है! तुम्हें अच्छे से पता था कि तुमने क्या गलती की है, इसके बावजूद तुमने मुझे बताना जरूरी नहीं समझा। शादी से पहले भी तुम यह बात मुझे बता सकते थे। लेकिन नहीं! तुम्हें सबसे आसान रास्ता नजर आया और तुमने इशिता को अबॉर्शन के लिए कह दिया।"


     रेहान उठकर खड़ा हुआ और बोला, "अगर तुम्हें बता देता तो तुम हमारी शादी से इंकार कर देती।"


      लावण्या गुस्से में बोली, "वो तो मैं अभी भी कर रही हूं रेहान! लेकिन उस वक्त इतनी तकलीफ नहीं होती जितनी अब हो रही है। तुम्हारी एक गलती, तुम्हारा एक गुनाह, तुम्हें एहसास भी है कितनों की जिंदगियां तबाह कर गया? शरण्या ने अपनी जिंदगी के 8 साल खो दिए। रूद्र बरसों तक अपने शरण्या से दूर होकर तड़पता रहा। इशिता अपने घर परिवार से दूर हो गई। नेहा ईशान के हाथों की कठपुतली बन गई। उसकी जिंदगी नर्क बन गई। रूद्र ने आते ही सब कुछ ठीक कर दिया वरना ना जाने कब तक ये सब चलता रहता! इन सब की क्या गलती थी? बताओ रेहान! इसमें इन लोगों की क्या गलती थी? इशिता तुम्हें जानती तक नहीं थी। वह तो सिर्फ रूद्र को पहचानती थी। तुमने उसके साथ भी धोखा किया। बस बहुत हो गया रेहान! अब मैं तुम्हारे साथ एक पल भी रह सकती हुँ।"


       रेहान से कुछ कहा नहीं गया तो उसने राहुल का नाम लेते हुए कहा, "मेरे बारे में ना सही, कम से कम हमारे बेटे के लिए तो रुक जाओ। माना मेरी गलती है लेकिन इस सब में उसकी क्या गलती? उसके बारे में तो सोचो। इस सब से उस पर क्या असर पड़ेगा, एक बार उसके बारे में तो सोचो तुम। अचानक चली जाओगी तो मैं उसे क्या जवाब दूंगा? क्या कहूँगा उससे कि आखिर उसकी मां इस तरह क्यों चली गई? तुम खुद क्या कहोगी उससे?"


      लावण्या बिना किसी भाव के बोली, "उसे सच बताना रेहान! कम से कम अपने बेटे से झूठ मत बोलना। उसे अच्छे से एहसास दिलाना कि रिश्ते में ईमानदारी कितनी जरूरी होती है। दो लोगों के बीच चाहे कितना भी प्यार क्यों ना हो लेकिन अगर इमानदारी ना हो तो वो रिश्ता खोखला होता है जिस का टूट जाना बेहतर होता है। उसे सिखाना, अपना एग्जांपल देना ताकि आगे वो उस गलती को ना दोहराए जो तुमने की।" कहते हुए लावण्या की आंखों में दर्द साफ नजर आ रहा था। लेकिन उसके होठों पर एक कड़वी मुस्कुराहट थी। 


      रेहान उसे रोकना चाह रहा था लेकिन जो बातें लावण्या ने कही और जिस तरह से कहीं उससे उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी। जिस बात को उसने अब तक दबाकर रखा था और पूरी कोशिश की थी कि वह लावण्या के सामने ना आए वह बात और राज इस तरह से लावण्या सबके बीच ला कर रख देगी इस बात का उसे अहसास तक नहीं था। अपना सामान लेने लावण्या कमरे में चली गयी। 


      शिखा जी अपना सर पकड़े वही बैठ गई। अनन्या जी को समझ नहीं आ रहा था कि वह इस सब में किस तरह रिएक्ट करें। इस एहसास से वो गुजर चुकी थी। ये दर्द उनका जाना पहचाना था। उनके दामाद ने भी वही किया जो उनके पति ने किया था। इतिहास फिर से खुद को दोहरा रहा था लेकिन इस सब में लावण्या की क्या गलती थी? अनन्या जी का घाव एक बार फिर हरा हो गया।


      मिस्टर रॉय जो इतनी देर से लावण्या और रेहान के बीच की बातें सुन रहे थे, उनका धैर्य जवाब दे गया और उन्होंने गुस्से में रेहान का कॉलर पकड़ा और बोले, "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी बेटी को धोखा देने की! कितना प्यार करती है वह तुमसे इसके बावजूद तुमने उसके प्यार का यह सिला दिया? एक बार भी नहीं सोचा कि उसका क्या होगा?"


      रेहान को मिस्टर रॉय से ऐसे सवालों की उम्मीद नहीं थी। उसने अपने ससुर का हाथ अपने गिरेबान से हटाते हुए कहा, "कमसे कम यह सवाल आप तो मत कीजिएगा पापा! मुझे लगा आप मेरी हालत समझ सकते हैं। इंसान अगर गलती करता है तो वो अनजाने में करता है। मुझसे भी हो गई एक गलती, जैसे आप ने की थी। और अपने गलती की सजा मुझे जिंदगी भर नहीं भूगतनी थी इसलिए मुझे जो सही लगा मैंने वो किया। मैं लावण्या से बहुत प्यार करता हूं। जो भी हुआ वही गलती थी। मैं बस लावण्या को खोना नहीं चाहता। कभी आपने भी यह गलती की थी और आप भी बहुत अच्छे से मेरी हालत समझ सकते हैं।"


     मिस्टर रॉय रेहान की बात सुन हैरान रह गए। उनकी नजरे झुक गयी। उनके किए की सजा आज उनकी बेटी भुगत रही थी। जैसा उन्होंने अपनी पत्नी के साथ किया वो आज उनकी बेटी के साथ हो रहा था। ये सोच कर ही उनकी आँखें नम हो गई। धनराज जी भी खामोशी से वहां बैठे हुए थे और अपने बेटे की हरकत पर बुरी तरह से शर्मिंदा थे। 


     लावण्या ने सारी तैयारी पहले से ही कर रखी थी। उसे अपना सामान उठाते देर नहीं लगी और अपना बैग लेकर फोन नीचे हॉल में चली आई। उसने अपनी मां से कहा, "मां मैं आपके साथ चल रही हूं। अगर कभी आपको लगे कि मैं आप पर बोझ हूं तो कह देना, मैं खुद घर छोड़ कर चली जाऊंगी।"


     अनन्या जी उसे गाल पर हल्के से मारते हुए बोली, "तु बेटी है मेरी। उस घर पर तेरा पूरा हक है। लेकिन बेटा, और किसी के बारे में ना सही एक बार अपने बच्चे के बारे में सोच ले। एक बच्चे के लिए मां-बाप दोनों जरूरी होते हैं। किसी एक की कमी बहुत बुरी तरह से उस बच्चे पर असर करती है। इतनी छोटी सी उम्र में उसके मन पर इस बात का क्या असर होगा इस बारे में तो सोच लो।"


     लावण्या ने पहले ही सब कुछ सोच लिया था। उसने अपनी मां को समझाते हुए कहा, "मैंने बचपन से आपकी और डैड के रिश्ते को देखा है। आपकी हिम्मत की मैं दाददेती हूं माँ लेकिन मैं आपकी तरह नहीं बन सकती। क्या इतने सालों में भी आप डैड के इस धोखे को बुला पाई है? क्या सब कुछ भूल कर आप उन्हें अपना पाई? क्या आप दोनों का रिश्ता पहले जैसा रहा? नहीं! बिल्कुल भी नहीं! बचपन से मैं जब भी आप दोनों को देखती, मैंने कभी आप दोनों के बीच प्यार नहीं देखा। आपकी आंखों में गुस्सा और पापा की आंखों में पछतावा देखा है मैंने। मैं मानती हूं एक बच्चे के लिए मां-बाप दोनों जरूरी होते हैं लेकिन ऐसे रिश्ते में बध कर रहना जिसमें प्यार ही ना हो, क्या यह सही है? इससे बेहतर है मां कि वह रिश्ता तोड़ दिया जाए। आपने लाख कोशिश की लेकिन शरण्या को नहीं अपना पाई जब तक उसके साथ इतना बड़ा हादसा नहीं हो गया। यह बात आप भी बहुत अच्छे से जानती है मां के इस सब में शरण्या कि कहीं कोई गलती नहीं थी। जो भी गलती थी वह डैड और उसकी मां की थी। वही सब हुआ मौली के साथ। मौली बिल्कुल शरण्या की तरह है। किस्मत देखो उन दोनों का जन्म भी उन्हीं हालातों में हुआ। रूद्र नहीं चाहता था की एक और शरण्या इस दुनिया में आए। उसने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की, मौली को अकेले संभाला। मां-बाप दोनों का प्यार दिया जबकि वह उसकी अपनी औलाद नहीं थी। राहुल तो फिर भी मेरा सगा बेटा है माँ। क्या मैं उसे एक अच्छी परवरिश नहीं दे सकती? मां-बाप दोनों का प्यार नहीं दे सकती? मैं यह तो नहीं कह रही मां की मैं राहुल को यहां से छीन कर ले जा रही हूं। रेहान राहुल का पिता है और हमेशा रहेगा। मैं उससे वह हक नहीं छीन रही लेकिन अब ये राहुल को तय करना है कि उसे अपनी मां के साथ रहना है या अपने पापा के साथ। मां! मौली इतनी प्यारी है कि मैं उसे खुशी खुशी अपना लूं लेकिन मैं चाह कर भी उस धोखे को कभी नहीं भूल पाओगी और ना ही आप की जितनी हिम्मत जुटा पाऊंगी।"


    शिखा जी उठी और लावण्या का हाथ पकड़ते हुए बोली, "ऐसा मत करो लावण्या! रूद्र की कुर्बानी को जाया मत होने दो। उसने तुम्हारे लिए इतना कुछ किया है। तुम दोनों के रिश्ते को बचाने के लिए उसने............"


      लावण्या उन्हें बीच में रोकते हुए बोली, "मैं जानती हूं माँ! रूद्र ने मेरे लिए बहुत कुछ किया है। इस बात के लिए मैं जिंदगी भर उसकी एहसानमंद रहूँगी। मैं तो बहुत पहले ही यह सब कुछ खत्म कर देना चाहती थी लेकिन मैं जानती थी अगर मैंने ऐसा कुछ भी किया तो इससे रूद्र और शरण्या के रिश्ते में दूरियां आ जाएगी। दोनों एक बार फिर अलग हो जाएंगे। इसलिए मुझे इंतजार था उस दिन था जब रूद्र और शरण्या एक हो जाए। उन दोनों की शादी भले ही धूमधाम से ना हो लेकिन घरवालों की मर्जी से हो। दोनों इस रिश्ते में वंध जाए। मेरी बेचैनी का अंदाजा इसी बात से लगा सकती हैं आप मां कि शादी होते ही मैंने उन दोनों को इस घर से दूर भेज दिया क्योंकि इस इंसान के साथ एक छत के नीचे रहना मेरे लिए नामुमकिन है। उन दोनों के सामने मैं ये सब नहीं कर सकती थी।"


     फिर वह रेहान की तरह पलटते हुए बोली, "चाहे कुछ भी हो जाए तुम कभी अपनी गलती नहीं मानोगे रेहान! हर बात के लिए तुमने रूद्र को ब्लेम करना जरूरी है। अगर तुमने कभी भी मुझसे प्यार किया है, जरा सा भी प्यार किया है तो तुम इस बारे में रूद्र से कुछ नहीं कहोगे। अपने दिमाग से ये बात निकाल दो रेहान कि रूद्र तुम्हारे साथ कुछ बुरा कर सकता है। वो कभी जताता नहीं है लेकिन सबसे ज्यादा प्यार वह तुमसे करता है। तुमने उसे धमकी दी थी ना कि अगर उसने मुझे कुछ भी कहा तो तुम अपनी जान दे दोगे? रेहान बहुत आसान होता है गलती करना लेकिन उस गलती की भरपाई करना बहुत मुश्किल। कभी-कभी नामुमकिन होता है। बड़ी मुश्किल से उन दोनों की जिंदगी में खुशियां आई है। उन खुशियों पर गलती से भी कोई आंच ना आने पाए वरना मैं यहां से इतनी दूर चली जाऊंगी कि लौट कर आना मुश्किल होगा। सच को छुपाया नहीं जा सकता रेहान! रूद्र ने पूरी कोशिश की क्योंकि उसे लगा इससे वह सब कुछ ठीक कर सकता है। मेरा यकीन मानो रेहान! तुम्हारे और इशिता के बीच जो कुछ हुआ अगर वह एक गलती होती तो मैं इस रिश्ते को एक मौका और देती, जरूर देती। लेकिन तुम दोनों के बीच जो कुछ भी हुआ वह कोई गलती नहीं बल्कि गुनाह था, पूरे होशो हवास में किया गया गुनाह! और गुनाह की माफी नहीं सजा होती है। उम्मीद करती हूं तुम अब अपनी लाइफ में अपनी जिम्मेदारियों को समझोगे। खुद को बदलोगे और एक अच्छा इंसान बनाने की कोशिश करोगे। मौली तुमसे नफरत करती है। अब ऐसा कुछ मत करना रेहान कि राहुल भी तुमसे नफरत करें। कहना तो तुमसे बहुत कुछ चाहती हूं। मन में गुब्बर भरा पड़ा है लेकिन मेरी समझ नहीं आ रहा मैं कहां से शुरू करूं। अगर कुछ कहा तो हमारे बीच के जो भी एहसास है, हर वह कड़ी जिसने हम दोनों को जोड़ रखा है वो सब टूट जाएगी। इसलिए बेहतर है रेहान कि हम दोनों एक अच्छे नोट पर एक दूसरे से अलग हो जाए। आने वाली जिंदगी तुम्हारे लिए खुशियां लेकर आए इसकी उम्मीद करती हूं। गुड बाय!!!" कहकर लावण्या ने अपना बैग लिया और बाहर की तरफ निकल गयी।


     मिस्टर रॉय और अनन्या जी भी उसके पीछे पीछे चुपचाप चल दिए। शिखा जी बस अपनी बहू को जाते हुए देखती रही। पुरोहित जी की बातें बार-बार उनके जेहन में घूम रही थी जब उन्होंने कहा था, एक भाई की जिंदगी में खुशियां आएंगी तो दूसरे की जिंदगी से चली जाएगी। उनकी यह बात हर कदम पर साबित हुई थी और आज भी हो रही थी।