Chapter 64
humsafar 64
Chapter
64
मानव और श्रेया पूरे रास्ते चुप बैठे रहे। ये शायद पहली बार था जब दोनो एक दूसरे के साथ इतनी खामोशी से बैठे हो वरना दोनो ही लड़ने का कोई मौका नही छोड़ते थे। इस वक़्त ये चुप्पी काफी अजीब थी। दोनो ही बात करना चाहते थे लेकिन कुछ था जो उन्हे रोके हुए था, लेकिन क्या?
श्रेया का गुस्सा बहुत खराब था। जब वो गुस्सा होती थी तो सामने उसके कौन खड़ा है ये नही देखती थी। और इस वक़्त तो उसका गुस्सा मानव से था जो इस वक़्त उसके साथ ही था। वह जोर से चिल्लाई, " गाड़ी रोको.......! मैंने कहा गाड़ी रोको......!"
वो दोनो इस वक़्त सुनसान इलाके से गुजर रहे थे इसीलिए मानव ने बाइक रोकना सही नही समझा। श्रेया गुस्से मे चिल्लाये जा रही थी। जब उसने देखा की मानव पर उसके किसी भी बात का कोई असर नही हो रहा तो उसने मानव का बैलेंस बिगाड़ने की कोशिश की फी चाहें वो खुद भी उसके साथ ही गिरती। मानव ने जब देखा की वह बाइक को अब नही संभाल सकता तो उसने साइड मे बाइक रोक दी।
श्रेया झटके से उतरी और बिना कुछ कहे वहाँ से पैदल ही निकल पड़ी। हाई हिल और साडी की वजह से उसे चलने मे दिक्कत हो रही थी लेकिन फिर भी अपने धुन मे आगे बढ़ते रही। मानव भी बाइक से उतर कर उसके पीछे चल दिया। उसे अपने पीछे आता देख श्रेया ने गुस्से मे कहा, "क्यों, अब क्यों आ रहे हो मेरे पीछे? चले जाओ मुह फेर कर जैसे हर जगह करते हो। अब क्या हो गया जो मेरे पीछे आने लगे? मुझे अकेला ही रहना है, किसी की जरूरत नही है मुझे और तेरी तो बिलकुल भी नही। दुसरो से हँस कर बाते करता है और मेरे लिए तो जबान ही जली हुई है तेरी! "
श्रेया अपने हर सवाल के साथ मानव को धक्का मार रही थी। मानव भी पीछे की ओर खिसकता जा रहा था लेकिन श्रेया का गुस्सा कम होने का नाम नही ले रहा था। जब मानव की बर्दास्त से बाहर हो गया तो उसने श्रेया का दोनो हाथ पकड़ा और मोड़ कर उसकी पीठ के पीछे लगा दिया। श्रेया ने खुद को छुड़ाने की कोशिश की लेकिन मानव की पकड़ कुछ ज्यादा ही मजबूत थी।
"तुझे लगता है तु कुछ भी कर सकती है और कोई कुछ भी नही कह सकता!!! तेरा जो दिल मे आयेगा तु करेगी और कोई नाराज भी ना हो!!!" मानव ने गुस्से मे उसकी आँखों मे आँखे डाल कर कहा।
"क्या किया है मैंने? ऐसा क्या कर दिया मैंने जो तु इतना नाराज हो गया मुझसे? बता मुझे....... मुझे जानना है अभी!!!" श्रेया ने कहा।
"तुझे अभी जानना है की तूने क्या किया था?" मानव ने पूछा तो श्रेया ने भी हाँ मे सिर हिला दिया। मानव ने भी बिना एक बार भी सोचे श्रेया को किस कर लिया। श्रेया की आँखे हैरानी से फैल गयी। उसने मानव से इस बात की उम्मीद बिलकुल भी नही की थी। लेकिन कुछ देर मे ही वो ढीली पद गयी। उसका सारा गुस्सा ना जाने कहाँ चला गया और अब तक मानव की पकड़ से छुट्ने की कोशिश कर रही श्रेया की आँखे खुद ही बन्द हो गयी।
मानव जब उससे अलग हुआ तब श्रेया को एहसास हुआ की अभी अभी उन दोनो के बीच क्या हुआ। "ये किया था तूने! नशे मे कुछ भी कर जाती है तु, इसीलिए बार बार मना किया था वाइन पीने से लेकिन तु माने तब न! तुझे जरा सा भी एहसास है, उस दिन के बाद से मुझ पर क्या गुजरी है? उस दिन मुझे पता चला की मेरे दिल मे तेरे लिए फीलिंग्स है। उस दिन मुझे समझ आया की तुझसे लड़ते झगड़ते कब ये दिल तुझे चाहने लगा पता भी नही चला। लेकिन मै जानता हु की मै तेरे टाइप का नही हु इसीलिए तुझे अवॉइड कर रहा था।"
श्रेया को अभी तक उसके कहे किसी भी बात पर यकीन नही हो रहा था लेकिन मानव की आँखे उसकी हर बात को सच साबित कर रहे थे। श्रेया को मानव की आँखों मे अपने लिए बेपनाह प्यार नज़र आया। मानव ने एक झटके से उसे छोड़ दिया तो श्रेया होश मे आई लेकिन कहे क्या कुछ समझ नही आया। मानव ने कहा, "अब चलो मै तुम्हें छोड़ दु।"
मानव की छोड़ने वाली बात श्रेया को अंदर तक खटकी। मानव जैसे ही जाने को मुडा श्रेया ने उसका हाथ। पकड़ लिया और बोली, "मानव....!" मानव ने हैरानी से उसे देखा क्योंकि आज से पहले कभी श्रेया ने उसका असल नाम लेकर नही बुलाया था। "हम उसी से लड़ते है जिससे प्यार करते है। अगर किसी से नाराज होते है तो ये बात जानते है की हमारी नाराजगी से उसे फर्क पड़ता है और वो हमें आकर मना लेगा। गैरों से रूठना मानना नही होता। तूने ये कैसे सोच लिया की तु मेरी टाइप का नही है। ठीक है तु मेरी टाइप का है भी नही लेकिन......... लेकिन मै तो तेरे टाइप की हु न, तो क्या फर्क पड़ता है। देख यार, मुझे सिर्फ इतना पता है की हम जिससे जितना ज्यादा लड़ते है उससे उन ही ज्यादा प्यार भी करते है और मैंने तुझ से ज्यादा लडाई किसी से नही की। अगर तुझे मेरी बात पर भरोसा नही तो चला जा मुझे यहीं छोड़ कर।" श्रेया ने नर्म आवाज़ मे कहा।
मानव ने कुछ देर उसे घूरा और मुड़ कर बाइक की ओर चल दिया। श्रेया उम्मीद भरी नज़रों से उसे देख रही लेकिन वो नही पलटा। मानव ने बाइक स्टार्ट की और उसके पास आकर रुका। "जल्दी बैठ वरना किसी और को बैठा लूँगा हमेशा के लिए।" मानव ने भाव खाते हुए कहा तो श्रेया झट से बाइक पर बैठने लगी लेकिन उसकी साडी ने फिर धोखा दिया। श्रेया को गुस्सा आया और उसने अपनी साडी वही उतार फेंकी। मानव चिल्लाया, "अबे ये क्या कर रही है?"
"चुप कर आदिमानव के बच्चे!" श्रेया ने अपनी साडी उसके मुह पर मारा। मानव ने देखा श्रेया ने साडी के नीचे जींस पहना था। उसने अपना सिर पिट लिया। श्रेया अब सहज होकर उसके पीछे बैठ गयी और उसकी कमर को कस कर पकड़ लिया। "मुझे घर नही जाना, कहीं और ले चल, जहाँ भी तेरा दिल करे बस तु और मै।" श्रेया ने कहा तो मानव ने भी अपनी बाइक को हाई वे की ओर मोड दिया। श्रेया ने अपने हाथ फैलाये और हवाओं को पूरी तरह से महसूस करने लगी। आज की रात बहुत खूबसूरत थी।
कोरे से पन्ने जैसे ये दिल ने कोई गज़ल पायी
पहली बारिश इस ज़मी पे इश्क ने बरसाई
हर नज़र में ढूँढी जो थी तुझ में पाई वफ़ा
जान मेरी बन गया तू जान मैंने लिया
तू ही मेरा मीत है जी तू ही मेरी प्रीत है जी
जो लबों से हो सके ना जुदा ऐसा मेरा गीत है जी
श्रेया ने अपने दोनो हाथों से मानव के कमर को पीछे से पकड़ा और जोर से चिल्लाई, "आई लव यू गधे!!!" मानव ने सुना और मुस्कुरा दिया। अब उसकी किसी बात का उसे बुरा नही लग रहा था।
अवनि अपनी पीठ सारांश के सीने से लगाए गार्डेन की दरवाजे के चौखट पर बैठे थे। अवनि सारांश की उँगलियों से खेल रही थी और सारांश अपना नाक से अवनि के गर्दन के पीछे लिखे अपने नाम को सहला रहा था। सारांश को अवनि का यू टैटू बनवाना अच्छा तो लगा लेकिन उससे होने वाले दर्द की कल्पना कर उसको तकलीफ हो रही थी। "तुम्हें ये नही करना चाहिए था। मै तो सोच भी नही सकता की कितना दर्द हुआ होगा तुम्हें। अगर मै वहाँ होता तो कभी भी करने देता।"
अवनि मुड़ी और उसके चेहरे को अपने हाथ मे लेकर कहा, "आप से जुड़ा कोई भी एहसास मुझे कभी कोई दर्द नही दे सकता। अगर देता भी है तो वो भी मुझे दुनिया मे सबसे ज्यादा प्यारा है क्योंकि वो आप का है, मेरे सारांश का। आप मुझे बोल रहे है! तो इसका क्या?" अवनि ने सारांश के दाहिने हाथ के अंगूठे की ओर इशारा किया जिसपर हार्ट बिट का टैटू बना था।
"हाँ तो.... अब दिल का डॉक्टर हु तो बनवा लिया।" सारांश ने थोड़ा हिचकते हुए कहा तो अवनि ने पेन लेकर उस हार्ट बिट के टैटू पर कुछ अक्षर उकेर दिया। सारांश ने जब देखा तो मानो उसकी चोरी पकड़ी गयी हो। उससे कुछ कहते नही बना। वो टैटू कोई हार्टबिट का नही था बल्कि अवनि का नाम था। "आप दिल के डॉक्टर नही दिल के मरीज है मिस्टर हसबैंड" कहकर अवनि हँसने लगी। सारांश उसकी हँसी मे खो सा गया।
ओ.. खोलूँ जो आँखें सुबह को मैं चेहरा तेरा ही पाऊँ
ये तेरी नर्म सी धुप में अब से जहाँ ये मेरा सजाऊँ
ज़रा सी बात पे जब हंसती है तू हंसती है मेरी ज़िन्दगी
तू ही मेरा मीत है जी तू ही मेरी प्रीत है जी
जो लबों से हो सके ना जुदा ऐसा मेरा गीत है जी
सारांश ने उसके चेहरे पर आये बालों को कान के पीछे किया और उसे गोद मे उठाकर बेड पर ले गया। आज सही मायने मे दोनो ने अपने नई जिंदगी की शुरुआत की थी। आज अवनि सच मे सारांश की पत्नी बनी थी। आज की रात सच मे बहुत खूबसूरत थी।
मानव ने श्रेया को उसके घर के बाहर छोड़ा। श्रेया उतरी और जाने लगी। मानव कुछ उम्मीद लगाए बैठा था लेकिन श्रेया झल्ली को कुछ मतलब ही नही था। श्रेया जब दरवाजे तक पहुँची मानव का चेहरा उतर गया। लेकिन तभी श्रेया दौड़ कर वापस आई और मानव के गाल पर एक किस कर दिया और अंदर भाग गयी। मानव ने मुस्कुरा कर बाइक स्टार्ट की और अपने घर के लिए निकल गया। श्रेया शर्म से लाल हुई कमरे मे आई जैसे ही घर की लाइट ऑन करने वाली थी की किसी ने उसकी गर्दन को पकड़ कर दीवार से लगा दिया।
श्रेया डर गयी और खुद को उसकी पकड़ से छुड़ाने की कोशिश करने लगी लेकिन उस शख्स की पकड़ श्रेया की गर्दन पर और कस गयी। श्रेया ने हाथ पाव इधर उधर चलाये जिससे उसका हाथ स्विच बोर्ड पर लगा और लाइट ऑन हो गयी। सामने खड़े शख्स का चेहरा देख श्रेया की जान सूख गयी। "ल...ल...... लक्ष्य..!!!" श्रेया का चेहरा सफेद पड़ गया।
क्रमश: