Chapter 90
YHAGK 89
Chapter
89
रूद्र अपनी कुछ जरूरी पेंटिंग लेकर आर्ट गैलरी पहुंचा। वहां विहान का फोन ऑफ था तो उसने खुद से उसका फोन चार्ज के लिए लगाया तो विहान बोला, "पता नहीं यार.......! मैंने तो सुबह चार्ज किया था, पता नहीं ये चार्ज क्यों नहीं हुआ? आई होप के मानसी ने मुझे कॉल ना किया हो।"
रूद्र बोला, "आई अल्सो होप कि उसे कोई प्रॉब्लम ना हुई हो अगर ऐसा कुछ हुआ भी होता तो उसके पास शरण्या का नंबर तो है ही, उसे भी तो कॉल कर सकती है लेकिन शरण्या से बात हुई मेरी, मानसी ने उसे भी फोन नहीं किया। फिर भी एक बार तु फोन करके देख लेना।" कहकर रूद्र ने अपनी और सारी पेंटिंग्स अपने असिस्टेंट को पकड़ा दी और जाने लगा।
अचानक से उसे विहान की मम्मी के कहे शब्द याद आ गए और वह पलटते हुए बोला, "अबे सुन साले! मानसी को लेकर घर चला जा। तेरे पापा गब्बर बने हुए हैं लेकिन तेरी मां निरूपा रॉय टाइप है। थोड़ी नाराज होती है लेकिन मान जाती है। उन्होंने तुझे और मानसी को घर बुलाया है। तेरा सामान लेने गया था उन्होंने लाने नहीं दिया। बोली अगर तुझे घर आना है तो अपनी बीवी को लेकर चले आना वरना सामान लेकर हमेशा के लिए चला जा। अब फैसला तेरे हाथ में है। तू क्या चाहता है सोच लेना क्योंकि मानसी अकेली नहीं है उसके साथ होने वाले बच्चे की तेरी जिम्मेदारी है।" कहकर रूद्र वहां से चला गया।
विहान सोच में पड़ गया। अचानक से उसे याद आया कि उसे मानसी को फोन करना है। उसका फोन तब तक चार्ज हो चुका था। उसने जैसे ही फोन ऑन किया, फोन की घंटी बज उठी। विहान ने देखा तो नेहा का कॉल आ रहा था। अपने फोन में नेहा का नंबर फ़्लैश होता देख विहान पूरी तरह से चौंक पड़ा। इतना कुछ होने के बाद जहां नेहा उसकी शक्ल तक देखना पसंद नहीं करती वह उसे कॉल कर रही है, लेकिन क्यों? कहीं कोई इमरजेंसी तो नहीं! यह सोचकर उसने जल्दी से फोन उठा लिया।
विहान के फोन उठाते ही दूसरी तरफ से नेहा की नफरत भरी आवाज सुनाई दी, "विहान......! मैंने तुम्हें एक अच्छा इंसान समझा था लेकिन तुम इतने गिरे हुए निकलोगे, मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। किसी और का हाथ थामना तुम्हारी मर्जी थी और तुम्हारे हर फैसले का मैं सम्मान करती हूं। मेरी किस्मत में तुम्हारा प्यार नहीं था ना हि तुम्हारा साथ लिखा था लेकिन जिसका हाथ तुमने थामा है उसकी हर खुशी का ख्याल रखना तुम्हारी जिम्मेदारी है। लेकिन तुम उसे इस तरह मजबूर करोगे ये मैंने नहीं सोचा था। तुम मेरे अमित भैया से इतनी नफरत करते हो कि उनकी आखिरी निशानी को भी हम सब से छीन लेना चाहते हो? तुम्हें सिर्फ अपनी मानसी से मतलब है ना तो तुम्हें कोई भी उनसे अलग नहीं करेगा लेकिन कम से कम उस बच्चे को तो जीने का हक दो जो अभी इस दुनिया में आया भी नहीं है! उसे क्यों मारना चाहते हो तुम?"
विहान को कुछ समझ नहीं आया कि नेहा कहना क्या चाहती है! आखिर वो किस बारे में बात कर रही है? विहान बोला, "नेहा.......! ये तुम कैसी बात कर रही हो? जिस बच्चे की तुम बात कर रही हो वो सिर्फ मानसी का ही नहीं है, वह मेरा भी है। मुझे खुशी होगी अगर वह इस दुनिया में आए और तुम्हारी जानकारी के लिए बता दु, मुझे तुम्हारे भाई से कोई लेना देना नहीं है। वह बच्चा सबसे पहले मानसी का है और अब वह मेरा है। तुम्हें जो भी कहना है तुम साफ साफ कह सकतती हो।".
नेहा ताना मारते हुए बोली, "बहुत महान हो तुम विहान रॉय जो दूसरे से बच्चे को इतनी आसानी से अपना कह रहे हो। अगर तुम कितने अच्छे हो तो फिर भाभी इस वक्त हॉस्पिटल में क्या कर रही है?"
"क्या.......? मानसी हॉस्पिटल में है.....? लेकिन क्यों? वह ठीक तो है और बेबी? वो तो ठीक है ना?" विहान घबराते हुए बोला।
नेहा बोली, "बहुत अच्छे एक्टर हो तुम विहान! फिलहाल तो वह दोनों ठीक है लेकिन तुमने जो भाभी पर अबॉर्शन का दबाव डाला है उसके लिए मैं तुम्हें कोर्ट में घसीट सकती हूं।"
अबॉर्शन का नाम सुनकर ही विहान बुरी तरह से चौक गया। उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि मानसी ऐसा कोई फैसला कर सकती है, वह भी बिना उसे कुछ भी बताएं! अब उसे समझ आ रहा था कि उसका फोन सुबह चार्ज क्यों नहीं हो पाया। विहान जल्दी से बोला, "तुम्हें जरूर कोई गलतफहमी हुई है नेहा! हो सकता है मानसी वहां अपने ट्रीटमेंट के लिए गई हो। अबॉर्शन जैसी कोई बात हुई ही नहीं थी हमारे बीच में!"
"तो क्या ऐसे ही वह अपना अबॉर्शन कराने हॉस्पिटल चली आई है? तुम्हें यकीन नहीं हो रहा है, है ना? ठीक है, मैं अभी उनका फॉर्म तुम्हें भेजती हूं। अब तुम खुद डिसाइड करो!" कहकर नेहा ने फोन रख दिया। अगले ही पल विहान का फोन फिर बजा। उसके फोन पर नेहा ने वह अबॉर्शन फॉर्म भेजा था जिसे खुद मानसी ने भरा था। विहान के होश उड़ गए और वह उसी वक्त हॉस्पिटल के लिए भागा।
हर गुजरते वक्त के साथ विहान के दिल में गुस्सा और घबराहट बढ़ती जा रही थी। उसने जल्दबाजी में सड़क किनारे गाड़ी खड़ी की और भागते हुए हॉस्पिटल पहुंचा जहां उसे दरवाजे पर ही नेहा मिल गई। नेहा उसे लेकर वहां गई जहां मानसी अभी भी डॉक्टर के इंतजार में बैठी थी। वह जैसे ही डॉक्टर के रूम में जाने को हुई, विहान ने उसे आवाज लगाई, "मानसी!!!"
मानसी ने जब विहान की आवाज सुनी तो वह सन्न रह गई। उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि विहान उसे यहां मिल जाएगा या विहान को उसके इरादों का पता चल जाएगा। बड़ी हिम्मत करके उसने विहान की तरफ पलट कर देखा। उसकी आंखों में जो दर्द था उसे देख मानसी की हिम्मत जवाब दे गई और वह उसके सीने से लग कर फफक पड़ी। विहान उसे कॉरीडोर के दूसरी तरफ ले गया जहां कोई नहीं था। वहां एक केबिन खाली था। वहां विहान ने मानसी को आराम से बैठाया और पूछा, "तुम यहां क्या कर रही हो? और क्यों आई हो? अगर तुम्हें डॉक्टर से मिलना ही था तो मुझे कह दिया होता! सारे काम छोड़ कर चला था मैं। लेकिन इस तरह चोरी छुपे बिना मुझे बताए, बिना मुझसे बात कीए तुम खुद फैसला कैसे ले सकती हो? मानसी मैंने कभी तुम पर कोई दबाव नहीं डाला! ना ही मैंने कभी तुम्हारे साथ कोई जबर्दस्ती की है। बस एक कि मैंने तुम्हारी मांग भरी थी। लेकिन अगर मैं मजबूर ना होता तो बारात सीधे तुम्हारे घर ले आता। फिर चाहे तुम मानो या ना मानो तुम सबके सामने अपनी दुल्हन बना कर ले जाता। तुम्हारे अलावा मैंने कभी किसी को नहीं चाहा और यह तुम्हारे लिए मेरी चाहत ही है कि मैंने कभी इस बच्चे को गैर नहीं समझा। पहले यह तुम्हारा था अब यह हम दोनों का है। तुम सिर्फ इसलिए इस बच्चे को मारना चाहती हो क्योंकि अमित का है?"
मानसी रोते हुए बोली, "मुझे यह बच्चा नहीं चाहिए विहान! मुझे यह बच्चा नहीं चाहिए! मैं कभी इससे वह प्यार नहीं कर पाऊंगी जो एक मां अपने बच्चे से करती है। यह बच्चा उस धोखे की निशानी है जो अमित ने मुझे दी। मैं जब भी इस बच्चे को देखूंगी मुझे अपना अतीत नजर आएगा। वह काला अतीत जो अमित ने मेरी किस्मत में लिखा था। उस इंसान से जुड़ा कोई भी चीज में अपने पास नहीं रखना चाहती। निकाल कर फेंक देना चाहती हूं उससे जुड़ी हर निशानी को अपनी जिंदगी से। उस अतीत को भी काट कर फेंक देना चाहती हूं जो मुझे उस आदमी के साथ जोड़ कर रखता है। काश........! काश कि मैं अपने हाथों से उसकी जान ले पाती। मेरे लिए यह फैसला करना इतना आसान नहीं था विहान! पिछले काफी वक्त से मैं इसी उलझन में थी। जब उन लोगों को मुझ से कोई रिश्ता नहीं रखना है तो फिर मैं क्यों अपने अतीत को ढोती फिरू? मैं बस आजाद होना चाहती हूं। मैं नहीं चाहती थी यह सब में मैं तुम्हें शामिल करूं क्योंकि मैं तुम पर किसी तरह का कोई लांछन नहीं लगने देना चाहती इसलिए तुम्हें बिना बताए मैं यहां आ गई। लेकिन तुम्हें कैसे पता चला कि मैं यहां..........!"
विहान उसके आंसू पोंछते हुए बोला, "इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मुझे किसने कहा! फर्क सिर्फ इस बात का पड़ता है कि यह बच्चा मेरी जिम्मेदारी है। जिस बच्चे पर अमित की परछाई तक नहीं पड़ी वह अमित का कैसे हो गया? यह हम दोनों का है और इसे हम दोनों मिलकर बड़ा करेंगे। जो भी होगा जैसा भी होगा कम से कम अमित की तरह नहीं होगा। हम उसे उसकी तरह बनने ही नहीं देंगे। इतना यकीन हो तुम मुझ पर कर ही सकती हो। हम दोनों मिलकर उसकी परवरिश करेंगे। मानसी ये तुम्हारा अंश है, तुम उसे अपने खून से सिंच रही हो तुम उसका खून कैसे कर सकती हो? और रही बात अमित की तो वह तुम्हारी जिंदगी से बहुत दूर जा चुका है। उसके साथ जो वक्त तुमने गुजारा है उसने जो तुम्हारे साथ किया है उसे भूलना नामुमकिन है लेकिन फिर भी मैं पूरी कोशिश करूंगा, तुम्हें इतना प्यार दूं कि तुम्हें वह सब कुछ याद ही ना रहे। और अगर उन लोगों को इस बच्चे से कोई मतलब नहीं है तो फिर मुझे है। तुमसे जुड़ा हर इंसान मेरे लिए मायने रखता है। इसलिए तुम कभी इस तरह का ख्याल अपने मन में नहीं लाओगी, समझ गई? तुम वादा करो मुझसे!" कहते हुए विहान ने अपना दाहिना हाथ आगे कर दिया।
मानसी ने भी कांपते हाथों से उसका हाथ पकड़ लिया और हां में सर हिला दिया। विहान बोला, "घर चलो! मां ने हम दोनों को वापस घर बुलाया है। आज अगर घर नहीं गया तो फिर हमेशा के लिए घर छोड़ना पड़ जाएगा। वैसे मैं तुम पर दबाव नहीं डालूंगा, अगर तुम चाहो तो हम लोग अलग रह सकते हैं!"
मानसी ने जब सुना तो उसे यकीन नहीं हुआ। वह हड़बड़ाते हुए बोली, "कैसी बात कर रहे हो तुम विहान! अगर तुम्हारी मां ने हम दोनों को घर वापस बुलाया है तो इससे बड़ी बात और कोई हो ही नहीं सकती! तुमने जो किया उसके बाद कोई भी मां बाप का अपने बच्चे से नाराज होना जायज है। तुम उनके इकलौते बेटे हो, उन्होंने तुम्हारी शादी को लेकर ना जाने कितने सपने देखे होंगे। तुमने वो सारे तोड़ दिए। मेरे पीछे तुम अपनी जिंदगी पर बात करने चले हो। अमित ने मुझे बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। लेकिन तुम्हारे सामने तुम्हारी पूरी जिंदगी है!
विहान मानसी के मुंह पर अपना हाथ रखते हुए बोला, "तुम ने फिर अपनी बकवास शुरू कर दी? मैंने कहा था ना इस बारे में हम कोई बात नहीं करेंगे! मैंने तुमसे प्यार किया है मानसी! कोई एहसान नहीं किया है। आप जल्दी से घर चलो वरना मां सच में मुझे घर से बाहर निकाल देंगी।" विहान ने मानसी का हाथ पकड़ा और उसे लेकर बाहर चला गया।
नेहा जो बाहर खड़ी उन दोनों की बातें सुन रही थी। विहान और मानसी को देख दूसरी तरफ छुप गई और उन दोनों को ही पीछे से जाते हुए देखती रही। उसकी आंखों में आंसू थे लेकिन अभी भी वह सारी बातें समझ नहीं पाई थी। अमित और मानसी को उसने बड़े ही प्यार से एक दूसरे के साथ रहते देखा है तो फिर ऐसा क्या हो गया जो मानसी अमित की निशानी भी अपने पास नहीं रखना चाहती। विहान मानसी से कितना प्यार करता है यह बात उसे समझ आ गई थी।