Chapter 74
सुन मेरे हमसफ़र 67
Chapter
67
अवनी जानबूझकर रात को अपने सर पर पानी डाल लेती थी ताकि सारांश ऐसे ही हर रोज उसके बाल सूखाएं। सारांश अपने काम में लगा हुआ था। उसने बिना अवनी की तरफ देखे कहा, "ज्यादा मुस्कुराने की जरूरत नहीं है। सब जानता हूं मैं तुम्हारे इरादे।"
अवनी उठी और बालों को इस तरह से झटका दिया जिससे उसके बाद सीधे सारांश के चेहरे से टकराए। सारांश मुस्कुरा दिया। अवनी उसके पास आई और उसके गले में बाहें डाल कर बोली "अच्छा! जरा तो मैं भी तो जानू, क्या है मेरे इरादे?"
अवनी की ये रोमांटिक आवाज सुनकर सारांश ने उसको कमर से थाम लिया और अपने और करीब खींच कर बोला "यह जो तुम रोज-रोज मुझे तुम्हारे बाल सुखाने पड़ते हैं, यह बिल्कुल मत समझना कि तुम्हारी चलाकी मैं समझता नहीं हूं।"
अवनी शिकायत भरे लहजे में बोली "आप आजकल इतने ज्यादा बिजी रहने लगे हो कि मुझे ऐसे ऐसे बहाने ढूंढने पड़ते हैं आपको अपने पास बुलाने का। आप मुझ पर ध्यान देना शुरू करिए तो मैं ऐसी कोई हरकत नहीं करूंगी।"
सारांश उसे उसी की चाल में फंसाते हुए बोला "तुम भी कहां मेरी सुनती हो! कब से कह रहा था। और बच्चों की भी यही फरमाइश है, लेकिन तुम तो ऐसे जिद पर अड़ गई हो कि.....!"
अवनी सारांश को हल्के से धक्का दिया और खुदसे दूर करने लगी। लेकिन सारांश ने अवनी पर से अपनी पकड़ छूटने नहीं थी। उसने एक हाथ से अवनी के पेट को छुआ और कहा, "उस वक्त को बहुत मिस करता हूं। सच में बहुत खूबसूरत दिन थे वह, जब तुम मुझे परेशान करती थी और चैन से सोने नहीं देती थी।"
अवनी ने अपने पेट पर से सारांश का हाथ हटाया और बोली "दादा बनने की उम्र हो गई है आपकी। इस उम्र में यह सब? थोड़ा तो शर्म कीजिए!"
सारांश इस पर थोड़ा रोमांटिक होकर बोला "उम्र चाहे जो भी हो, चाहे जितनी भी प्रमोशन हो जाए, लेकिन रहेंगे तो हम आपके पति और जब बीवी साथ में हो तो इंसान को रोमांस का कीड़ा ना काटे, ऐसा तो हो ही नहीं सकता। सबसे पहले अपनी बीवी को खुश करना मेरा काम है। हां! अंशु ने अगर हमें दादा-दादी बना दिया तो फिर सोने पर सुहागा।"
अवनी शरमा गई। सारांश ने उसे आईने के सामने बैठाया और धीरे-धीरे उसके बाल सुखाने लगा। अवनी के जेहन में समर्थ और चौहान घूम रहे थे। उससे रहा नहीं गया और बोल पड़ी "मिस्टर एंड मिसेज चौहान आज भी वैसे ही है बहुत ही हंबल। समर्थ को सबसे ज्यादा प्यार करते हैं। लेकिन समर्थ है कि उनके प्यार को समझना ही नहीं चाहता। सगे नानू है वह। इस उम्र में उन्हें उसकी जरूरत है, लेकिन........!"
सारांश अवनी के बाल सूखाते हुए बोला "समर्थ समझदार है। लेकिन बात जहां अपनों की आती है, तो हमारी सारी समझदारी धरी की धरी रह जाती है। वो अपने नानू नानी से इस तरह बिहेव नहीं करना चाहता। वह भी उनसे उतना ही प्यार करता है, लेकिन सबसे ज्यादा प्यार वो अपने डैड से करता है। जो भी नाराजगी है, सिर्फ और सिर्फ भैया की वजह से है। एक बात उसके दिल में जो बचपन में ही चुभ गई सो अब तक निकल नहीं पाई है। समर्थ ने अपनी आंखों से अपने डैड को गोली लगते देखा था, उन्हें खून से लथपथ देखा था। कैसे भूल जाए वह? हमने उस वक्त इतना ध्यान नहीं दिया। अगर दिया होता तो ऐसी नौबत ना आती।"
अवनी सारांश की बात सुन भी रही थी और समझ भी रही थी। सारांश ने उसके बाल पूरी तरह सूखा दिया और उन्हें जुड़े में बांध दिया। अवनी एकाएक बोली "निहारिका ने शादी नहीं की। वो अपने करियर में लगी रही। उसका तो समझ में आता है लेकिन विविध! वहां क्यों नहीं आता? उसके मां पापा को उसकी जरूरत है, यह बात उसे समझनी चाहिए।"
विविध का नाम सुनकर सारांश के हाथ रुक गए। इस बारे में वह कोई बात नहीं करना चाहता था और विविध का नाम तो सुनना भी नहीं चाहता था, खासकर अवनी के मुंह से। "रात बहुत ज्यादा हो गई अवनी! चल कर सो जाओ। दूसरों के बारे में सोच कर अपनी नींद खराब करोगी तो तबीयत बिगड़ जाएगी। फिर वह लोग देखने नहीं आएंगे जिनको लेकर तुम परेशान हो रही हो। हमें बाहर वालों से कोई मतलब नहीं होना चाहिए। जल्दी आओ।"
सारांश बिना मुड़े अवनी को वहीं छोड़ बेड पर चला गया।
*****
अव्यांश ने तो कंपटीशन लगाने का सोचा था लेकिन निशी उससे ज्यादा तेज निकली। उसने अव्यांश को पीने से मना कर दिया यह कहकर कि उसे ड्राइव करना पड़ेगा और ऐसे में किसी ने उसे धर दबोचा तो घरवाले बेवजह पुलिस स्टेशन पहुंच जाएंगे। फिर भी अव्यांश ने जब तक दो तीन कैन खत्म की, तब तक निशी उससे काफी पहले ही खाली कैन का पहाड़ बना चुकी थी।
अव्यांश जिसका दिमाग कुछ देर पहले कहीं और उलझा हुआ था निशी की इस हरकत से हैरान हुए बिना ना रह पाया। "तुम्हारी कैपेसिटी तो बहुत ज्यादा है!"
इतनी देर में निशि को वह बीयर चढ़ चुकी थी। उसने हंसते हुए कहा "इतने से मेरा कुछ नहीं होने वाला। वह तो बस मां पापा की वजह से मैं शो ऑफ नहीं कर पाती हूं, वरना मेरी कैपेसिटी इससे भी ज्यादा है। बेचारे अव्यांश मित्तल! यही सोच रहे हो ना कि कैसी पियक्कड़ बीवी मिली है तुम्हे।"
निशी हंसते हंसते थोड़ी उदास सी हो गई और कहा "मैंने नहीं कहा था तुमसे शादी करने को। जिससे हो रही थी उसे मेरे बारे में सब कुछ पता था, लेकिन जिस से हुई मुझे नाम भी नहीं पता था। मैं भी कितने बड़ी वाली हूं ना? उस हालत में मुझे कुछ समझ नहीं आया। पापा ने मुझे जो कहा मैंने बस कर दिया। मुझे सिर्फ अपने पापा की रेपुटेशन का ख्याल आ रहा था। मेरी इज्जत तो वैसे ही था तार तार हो चुकी थी। सबके सामने उस उस आदमी ने जो किया............"
अव्यांश उसे इमोशनल होता देख उसे रोकने के लिए कंधे से पकड़ लिया और खींचकर अपनी बाहों में भर लिया। "उस बारे में सोचने की जरूरत नहीं है। जो बीत गया सो बीत गया। अब हमें अपने आने वाले कल के बारे में सोचना है, समझ गई?"
लेकिन निशी को तो किसी बात का होश नहीं था। उसने खुद को अंशु की पकड़ से छुड़ाने की कोशिश की लेकिन वह अव्यांश को 1 इंच भी खुद से दूर ना कर पाई तो खुद को उसकी बाहों में ढीला छोड़ दिया और बोली "पता है अव्यांश! उस आदमी ने जो किया मुझे उस बात का उतना बुरा नहीं लगा जितना मुझे तब लगा जब वो इंसान जिसे मैंने प्यार किया वो इंसान जिसके साथ में अपनी आने वाली लाइफ के सपने देख रही थी, सबसे ज्यादा भरोसा किया, उसने मेरा साथ छोड़ दिया। मुझे अपने लिए दुख नहीं हो रहा था। एक ऐसा इंसान जो समाज के सामने मेरे लिए स्टैंड ना ले पाए ऐसे इंसान से कोई उम्मीद करना ही बेकार है। अच्छा हुआ जो वक्त रहते मैंने उसका असली चेहरा देख लिया। लेकिन इस सब में पापा को तकलीफ में नहीं देख सकती थी। उन्हें मेरी वजह से बहुत कुछ सहना पड़ा। जब उन्होंने मुझे कहा उनके बॉस ने उनसे अपने बेटे के लिए मेरा हाथ मांगा है, उस वक्त मेरे दिमाग में कुछ नहीं चल रहा था।
तुम यकीन नहीं करोगे, मैंने एक बार भी पापा से तुम्हारा नाम नहीं पूछा।