Chapter 87

Chapter 87

YHAGK 86

Chapter

86






    विहान और मानसी के रिश्ते को बचाव करते हुए अनन्या का दर्द ललित के सामने एक बार फिर छलक उठा। अनन्या अपने पति से इतना ज्यादा प्यार करती थी कि उन्होंने अपने पति की बेवफाई को भी अपनाया और उस बेवफाई की निशानी को भी। वह चाहकर भी ललित को छोड़ कर जा नहीं सकती थी। उन्हें खुशी थी कि मानसी के साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ और ना ही ऐसा कुछ होगा, जो उनके साथ हुआ। रूद्र का इस तरह खुलकर विहान का साथ देना उन्हें अच्छा लगा। भले ही उनके और रूद्र के बीच हालात चाहे जो भी हो लेकिन इस मामले में उन्होंने रूद्र की तारीफ की। जिस तरह से रूद्र ने सारी बातों को संभाला था और विहान का साइड रखा था उससे यह साफ जाहिर था कि रुद्र कितना समझदार और सुलझा हुआ इंसान है। 


      अब तक तो रूद्र की इमेज सिर्फ एक मनचले और बेपरवाह लड़के की ही थी लेकिन उसके पीछे जो असली रूद्र का चेहरा था वह शायद ही किसी ने देखा था। रूद्र का केयरिंग नेचर शरण्या अच्छे से जानती थी और अब तो वह उसे लगभग पूरी तरह से समझ भी चुकी थी। उसके साथ रहते हुए शरण्या अच्छे से जानती थी कि चाहे कुछ भी हो जाए वह विहान का साथ नहीं छोड़ेगा लेकिन इतनी बड़ी बात रूद्र ने शरण्या से छुपाई वह भी खुद उसके भाई के बारे में, इस बात से शरण्या काफी नाराज थी और साथ ही अपने और रूद्र के रिश्ते को लेकर थोड़ी डरी हुई भी थी। 


      सब के जाने के बाद मंदिर में सिर्फ वह दोनों ही बच गए। दोपहर हो चुकी थी इसीलिए पंडित जी ने मंदिर के कपाट बंद कर दिए और वह भी घर चले गए। रूद्र वहीं सीढ़ियों पर बैठा काफी देर तक अपने ही ख्यालों में गुम था और शरण्या भी बस वहां बैठ हुए उसे देखे जा रही थी। जब उससे रहा नहीं गया तो वह खुद रूद्र के पास आई और उसे मारते हुए बोली, "तूने मुझसे और क्या क्या छुपाया है? मैं अब तक यही सोचती रही कि विहान नेहा को पसंद करता है लेकिन आज अचानक एकदम से मुझे पता चलता है कि मेरा भाई मेरी सहेली को नहीं बल्कि मेरी सहेली की भाभी को पसंद करता है!!! यह कैसी बात हुई? वैसे सच कहूं तो जब मैंने मानसी भाभी को पहली बार देखा था और जब मैंने उनका नाम सुना था मुझे उस वक्त वह नाम जाना पहचाना लगा था। शायद मैंने विहान के मुंह से मानसी का नाम सुना था और हां.....! एक बार उसकी डायरी में मैंने मानसी का नाम पढ़ा था लेकिन मैंने अपने दिमाग पर ज्यादा जोर नहीं दिया और सब कुछ रफा-दफा कर दिया। मुझे नहीं पता था कि बात इतनी बढ़ जाएगी। और तू मुझे इस बारे में बता नहीं सकता था? मुझे लगा कि हम दोनों एक दूसरे से हर बात शेयर करते हैं!"


     रूद्र बोला, "तुझे बता तो देता लेकिन क्या बताता मैं? तुझसे कभी कोई बात नहीं छुपाई है। मैंने अपने बारे में तुझे हर चीज बताइ है, कोई भी ऐसी बात जो मेरे दिल में हो और तुझ तक ना पहुंची हो ऐसा कभी नहीं हुआ और ना ही कभी होगा। रही बात विहान की तो क्या बताता तुझे? विहान की असलियत बता कर मैं मानसी की लाइफ में प्रॉब्लम क्रिएट नहीं करना चाहता था। विहान लड़का है उसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन देखा तुमने, इन लोगों ने किस तरह मानसी के कैरेक्टर पर भी उंगली उठाई! अगर अमित के रहते यह सब कुछ होता तब यह लोग और क्या-क्या बातें बनाते! विहान के दिल की बात तो खुद मानसी को भी पता नहीं थी तो मैं तुझे क्या बताता! मान लों, अमित के साथ जो हुआ वह अगर नहीं हुआ होता, मानसी अभी भी अमित की वाइफ होती और तब यह बात कि विहान मानसी को पसंद करता है सबके सामने आ जाती तो क्या अमित और मानसी के रिश्ते पर असर नहीं पड़ता? अपने एक तरफा प्यार को लेकर विहान किस हद तक दर्द में रहा है ये मैं जानता हूं। हमेशा से मुझे यह बात पता नहीं थी, मुझे भी कुछ वक्त पहले ही पता चला था। वैसे भी वो तेरा भाई है, तुझे उसकी हर बात जानने का पूरा हक है लेकिन जो उसकी बातें हैं वह जानने का, यह बताने का हक सिर्फ उसका है। जैसे हमारे बीच की बातें हमारे बीच जो रिश्ता है जो प्यार है इसके बारे में खुद भी विहान को भी नहीं पता। तू खुद सोच, जिस दिन उसे पता चलेगा कि हम दोनों ने शादी कर लि है, तब उसे कैसा लगेगा? कितना बड़ा शौक लगेगा उसे और बाकी घर वालों को? जो दो लोग एक दूसरे की शक्ल भी देखना पसंद नहीं करते थे, उन दोनों ने सात जन्मों का रिश्ता जोड़ लिया! कैसे?"


     शरण्या कुछ सोचते हुए बोली, "लेकिन इस तरह खुलकर सबके सामने तुझे विहान का साथ नहीं देना चाहिए था। मुझे डर है कहीं मॉम डैड इसका उल्टा मतलब ना निकाल ले। अभी तक तो डैड मान गए थे और मॉम नाराज थी। अब कहीं दोनों ही नाराज ना हो जाए।" रूद्र चिढ़ते हुए बोला, "तो अब मुझे मेरी दोस्ती निभाने के लिए तुझ से पूछना पड़ेगा? तेरा दिमाग तो ठिकाने पर है? विहान मेरा दोस्त है तो तेरा भी भाई है। मुझसे पहले तुझे उसके लिए स्टैड लेना चाहिए था। तुझे उसकी साइड लेनी चाहिए थी लेकिन तू तो बस एक साइड पकड़ कर खड़ी हो गई। एक बहन होने के नाते तेरा क्या फर्ज है यह तू सोच, मैं तुझे कभी नहीं रोकूंगा लेकिन एक दोस्त होने के नाते तो मेरा फर्ज है वह मैं करूंगा और तू मुझे नहीं रोक सकती समझी!!!"


    रूद्र को गुस्सा होते देख शरण्या को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसके कंधे पर सर रखते हुए बोली, "सॉरी ना! मैं सेल्फीस गई थी। मैं बस अपने बारे में सोच रही थी। मानसी भाभी के बारे में तो मैंने एक बार भी नहीं सोचा। मुझे उनका साथ देना चाहिए था। हो गई गलती....... यह सब छोड़, और सब पहले यह बता तूने उन दोनों को कहां भेजा है?"


     रूद्र बोला, "मैंने तुझ से बिना पूछे उन दोनों को हमारे घर भेज दिया। विहान ने सब कुछ छोड़ दिया सिर्फ मानसी के लिए, ऐसे में वह कहां जाता? उसके पास दूसरा कोई ठिकाना भी तो नहीं था। मेरे पास मेरा खुद का वह एक फ्लैट था उसको मैंने उसे दे दिया। मुझे माफ कर देना, वह घर मैंने सिर्फ तेरे लिए लिया था और इस तरह से..........!"


     शरण्या ने जब सुना तो मुस्कुराते हुए बोली, "अभी तो सबके सामने बड़ी-बड़ी बातें कर रहा था अब क्यों सॉरी बोल रहा है! तूने जो किया बिल्कुल सही किया। माना वह घर हमारा है लेकिन इस वक्त सबसे ज्यादा जरूरत उन्हें है। अपने दोस्त को जरूरत के वक्त जी जान लगाकर हेल्प करना यही तो सच्ची दोस्ती है। तु सच में बहुत अच्छा इंसान है। मैं दिल से चाहूंगी कि हमारे बच्चे बिल्कुल तेरी तरह हो लेकिन तू कोशिश ही नहीं करता........."


     शरण्या की बातें सुन रूद्र के चेहरे पर जो हल्की हल्की मुस्कुराहट आ रही थी वह एकदम से गायब हो गई और उसने घुरकर शरण्या को देखा जो शरारत से उसे ही देख रही थी। रुद्र ने अपना सिर पीट लिया और उठते हुए बोला, "चल मार्केट चलते हैं। जिन्हें घर दिया है उनकी जरूरतों को भी तो पूरा करना होगा ताकि उनका घर बस सके। तुझे पता है ना वहां घर पर क्या-क्या जरूरी चीजें हैं और क्या कुछ चाहिए होगा? मुझे पता है, ना विहान और ना ही मानसी हमें किसी तरह का कोई लिस्ट देंगे, इसलिए हमें खुद ही जाना होगा। तो चलें.....! यहाँ मंदिर में रुकने का कोई फायदा नहीं है। भगवान की सोने चले गए हैं और पंडित जी भी। मैं पहले थोड़ा आर्ट गैलरी जाऊंगा उसके बाद हम दोनों मार्केट चलेंगे, ठीक है?" कहते हुए रूद्र ने अपना हाथ शरण्या की तरफ बढ़ा दिया। 


     शरण्या ने रुद्र का हाथ पकड़ा और उठते हुए बोली, "ठीक है, मैं भी तेरे आर्ट गैलरी चलती हूं। पता नहीं इस वक्त घर का माहौल कैसा होगा? देर रात घर जाऊंगी तो किसी से सामना भी नहीं होगा। वैसे भी जब से लावी दी वहां से गई है उस घर में मन नहीं लगता। कोई है ही नहीं अपना जिसके साथ थोड़ा मुस्कुरा सकूं, थोड़ी बातें कर सकूं। तू ले चल ना मुझे अपने घर, अपने साथ....!"


    "बस थोड़ा सा इंतजार और कर ले! मेरा काम बस अब सेटल होने ही वाला है। उसके बाद पूरे हक से सर उठा कर तेरे उस खडूस बाप से तेरा हाथ मांग लूंगा लेकिन उससे पहले मुझे मां को हमारे बारे में बताना होगा। दादी भी यही बात कह रही थी।" रूद्र ने कहा और वह दोनों मंदिर की सीढ़ियों से नीचे उतर गाड़ी में आ बैठे। रूद्र शरण्या को अपने साथ अपनी आर्ट गैलरी ले आया। वहां कुछ काम देखते हुए रुद्र का ध्यान जब शरण्या पर गया उस वक्त शरण्या रुद्र की ही बनाई कुछ आधी अधूरी पेंटिंग्स को देख रही थी। शरण्या से रहा नहीं गया तो वह पूछ बैठी, "रूद्र....! यह सारे पेंटिंग अधूरी क्यों है, इन्हें पूरा क्यों नहीं करता?"


     रूद्र बोला, "इतना वक्त ही नहीं मिला इन्हे पूरा करने का। यह सारी तस्वीरें जो तु देख रही है वो अधूरी इसलिए है क्योंकि मेरी समझ में ही नहीं आया इन्हें पूरा कैसे करु?उसके बाद मेरे जहन में सिर्फ एक तेरा चेहरा उभर कर आया। कुछ को जब पूरा किया तब जाकर एहसास हुआ कि मैं तो हमेशा से तुझे ही अपने कैनवास पर उतारने की कोशिश करता रहा था। देखना तु........! इन्हें भी जब पूरा करूंगा तो यह सारी तेरी ही तस्वीर होगी।"


     शरण्या ने रूद्र की तरफ मुस्कुराते हुए देखा और बोली, "तेरा काम हो गया हो तो चले! हमें मार्केट भी जाना है।"




      विहान और मानसी रूद्र के नए फ्लैट पर पहुंचे तो वहां का माहौल देखकर विहान बुरी तरह से चौक गया। उसे इतना तो पता था कि रूद्र ने अपने सारे इन्वेस्टमेंट बेच दि है लेकिन उसे बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि उसने वह सारी इन्वेस्टमेंट इस फ्लैट को खरीदने में लगाया है। विहान हमेशा से ही रुद्र के दिमाग का मुरीद रहा है। रूद्र चाहे जितना भी लापरवाह और बेपरवाह खुद को दिखाएं लेकिन फैसला लेने और किसी भी तरह की स्ट्रेटजी बनाने में वह माहिर था। उसके साथ बस एक ही दिक्कत थी कि वह एक जगह टिकता नहीं था वरना इस वक्त वो एक बहुत बड़ा बिजनेसमैन होता लेकिन बिजनेस उसे कभी पसंद नहीं आया। ना कभी उसे किसी और की गुलामी अच्छी लगी। उसे हमेशा से अपना खुद का कुछ करना था और आखिर में उसने अपना एक आर्ट गैलरी खोल लिया। 


    विहान वहाँ एक नज़र पूरे फ्लैट को देखते हुए बोला, "रूद्र ने काफी मेहनत की है इस फ्लैट के लिए। यहां मौजूद हर एक चीज में उसकी मेहनत साफ नजर आती है। लेकिन मेरी समझ नहीं आ रहा, उसने फ्लैट लिया क्यों? माना उसने इन्वेस्टमेंट के तौर पर यह फ्लैट लिया लेकिन इतनी मेहनत करने की क्या जरूरत थी इस पर? ऐसा लग रहा है जैसे उसने यहां घर बसाने का सोचा हो।"


     मानसी ने जब सुना तो उसके होठों पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गई। उसे रूद्र और शरण्या के बीच के रिश्ते की सच्चाई अच्छे से पता थी। इस घर को देखकर उसे यह समझते थे ना लगी कि यह फ्लैट रूद्र ने शरण्या के लिए खरीदा है। एक इन्वेस्टमेंट ही सही है लेकिन यहां रूद्र ने शरण्या के साथ कुछ सपने देखे हैं। यह कोई मकान नहीं बल्कि एक घर है। वह बोली, "तुम्हारा दोस्त अपने आप में खास है। वह जो भी करता है बहुत सोच समझकर करता है। भले ही दुनिया की नजरों में वह चाहे जो भी हो लेकिन वह बहुत आगे की सोचता है। यह घर शायद उसने कुछ वक्त पहले ही लिया है। इस घर की हालत देख कर ही लगता है। तुम सच में बहुत किस्मत वाले हो विहान जो तुम्हें इतना अच्छा दोस्त मिला है। जैसा कि तुमने बताया यह घर उसका इन्वेस्टमेंट है तो इतना तो सोचो कि तुम्हारे उस दोस्त ने अपनी पूरी जमा पूँजी तुम्हारे हवाले कर दी है। हमें इस घर का खास खयाल रखना होगा। मैं देखती हूं किचन में कुछ हो तो" कहकर मानसी किचन की तरफ चली गई।