Chapter 60
humsafar 60
Chapter
60
काव्या के सवाल से कार्तिक एक पल को घबरा सा गया। उसे समझ नही आया की उस सवाल का क्या जवाब दे। ये एक ऐसा सवाल था जिससे कार्तिक बचने की कोशिश करता था। उन दोनो ने ही एक दूसरे को जानकर, समझकर और आपसी सहमति से ये रिश्ता जोड़ा था और उन्हे यकीन था की उनके बीच हर वो फीलिंग्स है जो रिश्ते निभाने के लिए जरूरी होता है। लेकिन ऐन मौके पर तरुण का वापस आना और चित्रा का बहाने से कार्तिक के करीब आना, उन दोनों की हर सोच हर समझ को गलत साबित कर दिया।
कार्तिक की आँखे झुकी हुई थी और काव्या खुद भी इस सवाल को भूलना चाहती थी लेकिन कार्तिक के व्यवहार मे आये बदलाव उसे मजबूर कर रहे थे ये सवाल करने से। काव्या ने सोच लिया था की अगर कार्तिक के दिल मे कोई और है तो वह उसे इस रिश्ते से आज़ाद कर देगी फिर चाहें तरुण उसे अपनाये या ना अपनाये, फिर चाहें उसके माँ पापा कैसे भी रिएक्ट करे। वो आज के जमाने की खुदके पैरों पर खड़ी एक आज़ाद ख्यालों वाली लड़की है जो अपने बारे मे भी सोचना जानती है।
काफी देर कार्तिक से जवाब ना मिलने पर काव्या ने कहा, "कार्तिक......! आई थिंक हमें इस बारे मे बात करनी चाहिए। हमने अब तक हर विषय पर खुल कर बात की है, तो इस बारे मे बात करना तो सबसे ज्यादा जरूरी है। शायद इस मामले मे हम दोनों के विचार एक जैसे हो। तुम सोच कर बताना, कोई जल्दी नही है।" और वह गाड़ी से उतर गयी। कार्तिक कुछ देर वहीं बैठा सोचता रहा, फिर एक लम्बी साँस भरकर ऑफिस के लिए निकल गया।
अवनि बारिश के बूँदों से खेलती हुई एनजीओ पहुँची जहाँ सभी ने उसका पूरे दिल से स्वागत किया। जब अवनि ने उन्हें बताया की अबसे वह रोज यहाँ आयेगी तो सभी खुश हो गए। उन सभी के लिए अवनि भी सारांश की तरह ही थी। उसका साथ आना ही सबसे बड़ी बात थी। अवनि सबसे पहले सारांश के ऑफिस मे गयी और खुद ही वहाँ की सारी सफाई की, किसी को भी अंदर आने नही दिया।
इस कमरे मे कदम रखते ही अवनि को ये एहसास हो चला था की ये सिर्फ एक कमरा नही बल्कि सारांश की दुनिया है। वो सारांश जो असल मे है, उसकी सारी खुशियाँ, सारी चाहत यही तक सिमट कर रह गयी हो। पूरी दुनिया के लिए भले ही सारांश एक बिजनेस मैन हो लेकिन यहाँ एक अलग ही सारांश था जिसे शायद ही कोई जानता था। अवनि भी तो उसकी दुनिया का हिस्सा थी इसीलिए उसने भी सारांश का मान रखते हुए किसी को भी ऊपर आने नही दिया, ये हक सिर्फ अवनि का था।
कुछ देर बाद अवनि का फोन बजा, देखा तो सारांश का मैसेज था। उसने भी अवनि की ही तरह पानी के बूँदों को हथेली मे संभाले एक तस्वीर भेजी थी और उसी गाने की आगे की लाइन लिखी जो अवनि ने लिखा था....
कभी तुझमे उतरु, जो साँसों से गुजरू,
तो आये दिल को राहत
मै हू बेठिकाना, पनाह मुझ को पाना है
है तुझमे, दे इज़ाज़त
अवनि के चेहरे पर खुशी खिल उठी। सारांश का ये मैसेज अब तक का सबसे ज्यादा रोमांटिक था। वह उसकी बात मतलब भी समझ गयी की वो क्या कहना चाहता है। अवनि मुस्कुरा उठी और बार बार उस मैसेज को पढ़कर उन्हे चूम लिया। ये दुरिया सच मे ये एहसास दिलाती है की कोई हमारे दिल के कितना करीब है। दो दिन ही हुए थे सारांश को गए और अवनि को ये दो दिन ही भारी पड़े। जन्माष्टमी की लगभग सारी तैयारियां हो चुकी थी लेकिन सारांश के आने की उम्मीद नज़र नही आ रही थी। ये उन दोनों का साथ मे पहला त्योहार था और अवनि अकेली थी। अवनि ने मन ही मन ईश्वर से सारांश के जल्दी वापस लौट आने की प्रार्थना की। उसने भी सारांश के स्टाइल मे एक शायरी लिखी और उसे भेज दी।
याद है वो पहली बारिश, भीगना तेरे सँग मे
सावन से भीगता तेरा तन, तेरे प्यार से भीगता मेरा मन
बस अब यही है चाहत मेरी, रंग जाऊ तेरे रंग मे
अवनि जब कान्हा जी की मूर्ति को तैयार कर रही थी तभी उसकी नज़र दरवाजे पर खड़ी चित्रा पर गयी। वह उसे देख मुस्कुराइ लेकिन चित्रा के चेहरे के भाव गंभीर बने रहे। अवनि समझ गयी की चित्रा उससे कार्तिक के लिए अपनी फीलिंग्स के बारे मे बात करने आई है। उसने इशारे से चित्रा को बुलाया और उसे लेकर एक शांत जगह पर चली गयी। अवनि खुद भी उससे इस बारे मे बात करना चाहती थी। आज चित्रा खुद उसके पास आई थी इसका मतलब जरूर कुछ खास ही होगा।
इससे पहले की अवनि उसे बैठने को कहती चित्रा ने सवाल किया, "क्या जानती हो तुम मेरे बारे मे?"
अवनि ने पहले तो थोड़ा अजीब नज़रों से उसे देखा फिर मुस्कुरा कर बोली, "मै तुम्हारे बारे मे क्या जानती हु!! तुम खुद सोचो की ऐसा क्या है जो तुम नही चाहती किसी को पता चले!!! देखो चित्रा.......! मै तुम्हें इसलिए नही कह रही क्योकि वो मेरे जीजू है, बल्कि इसलिए कह रही हु क्योंकि तुम भी मेरी दोस्त हो और शादी कोई खेल नही है। सच तो ये है चित्रा की जिसे तुम प्यार करती हो उसकी शादी हो चुकी है। ऐसे मे किसी घर के टूटने का इंतज़ार करना गलत होगा।"
"तुम्हें लगता है की मै कार्तिक को तुम्हारी बहन से छिनने की कोशिश कर रही हु? अगर मुझे ऐसा करना होता तो कभी उसकी शादी कार्तिक से होने ही नही देती। कार्तिक के लिए मेरी फीलिंग्स कोई आज या कल की नही है, बरसो पुरानी है और अगर कोई बीच मे आया है तो वो तुम्हारी बहन है। एक बात सच सच बताओ, ये सब तुम्हें किसने बताया श्रेया ने?" चित्रा ने बेरुखी से कहा।
"मैंने कहा था न, प्यार छुपाये नही छुपता। किसी को कुछ भी बताने की जरूरत ही नही है। ददेखा है मैंने जब भी तुम जीजू का नाम लेती थी एक अलग ही चमक होती थी तुम्हारी आँखों मे। शक तो मुझे पहले ही हो चला था लेकिन मुझे पूरी तरह से यकीन नही था इसीलिए मैंने कुछ नही कहा। फिर ये बात सारांश ने भी कन्फर्म कर दी। चित्रा मैं ये नही कहती की तुम्हारा उन्हें प्यार करना गलत है लेकिन अपने प्यार को आसानी से जाने देना ये कहाँ की समझदारी है? अगर शादी से पहले तुमने अपने प्यार को पाने की कोशिश की होती तो शायद मैंने भी तुम्हारा साथ दिया होता लेकिन अब.......! अब बहुत देर हो चुकी है और तुम्हारी बारी है आगे बढ़ने की।" अवनि ने समझाते हुए कहा।
"सारांश को कब पता चला ये सब?" चित्रा ने पूछा।
"हमारी शादी के अगले दिन, जब रात को पी कर टल्ली हो गयी थी तुम दोनो। श्रेया ने ही नशे की हालत मे सब उगल दिया था। ये मत सोचना की कोई तुमसे नाराज है, बस हम यही चाहते है की तुम भी खुश रहो। प्यार और आकर्षण मे फर्क होता है जो हमें समझ नही आता। ये बात मुझे सारांश से शादी के बाद समझ आई। हो सकता तुम्हारी लाइफ मे भी कोई ऐसा आये जो तुम्हें सच्चे प्यार के मायने बता दे। और अगर तुम्हारा प्यार सच्चा है तो उम्मीद करती हू वो तुम्हें जल्दी मिले, वरना बेवकूफी करने मे कोई कसर नही छोड़ी है तुम ने।" अवनि ने कहा।
चित्रा हैरान हो कर अवनि को देख रही थी। आखिर वो अपने ही बहन के ऐसा कुछ कैसे सोच सकती थी लेकिन उसकी बात सुन चित्रा की सारी नाराज़गी दूर हो गयी। वह जाकर अवनि के गले लगकर बोली, "मै पूरी कोशिश करूँगी अवनि की अपनी लाइफ मे आगे बढ़ सकूँ लेकिन मेरे लिए ये सब आसान नही होगा। बस तुम सब मेरा साथ देना।" अवनि ने भी हाँ मे अपनी पलकें झपका दी और दोनो मिलकर कान्हा जी को तैयार करने लगे।
शाम को दोनो ही साथ मे घर वापस लौटे। सिया ने श्रेया को भी कुछ दिनों के लिए वही रहने को बुला लिया ताकि वो दोनो मिलकर अवनि को उलझाए रख सके और उसे सारांश की ज्यादा याद न आये। उन तीनो को साथ मे बाते करता देख और अवनि के चेहरे की रौनक को देख सिया को सुकून मिला। सबने ही साथ मे खाना खाया और सोने चले गए। चित्रा और श्रेया तो पहले की तरह ही एक ही कमरे मे रुके और अवनि अपने कमरे मे चली आई। बेड पर आते ही सारांश का कॉल भी आगया। आज अवनि ने मुस्कुरा कर सारांश का कॉल रिसीव किया। आज उन दोनो के बीच बहुत कुछ था कहने को।
क्रमश: