Chapter 84
सुन मेरे हमसफ़र 77
Chapter
77
कुणाल बहाने से शिवि को देखने उसके पीछे किचन में तो आ गया लेकिन उससे बात क्या करेगा यही उसकी समझ में नहीं आया। और उसने जब कोशिश की थी तो शिवि ने ऐसी बात कह दी जिसे सुनकर ही उसे हजार वोल्ट का झटका लगा। नेत्रा का बॉयफ्रेंड!!!???
सबसे पहली बात तो कुणाल को नेत्रा का असली नाम पता ही नहीं था, वो उसे निकी ही बुलाता था। दूसरी बात, ना ही उसने कभी अपना असली नाम निकी को बताया था। उन दोनों के बीच इसी बात को लेकर डील हुई थी और दोनों रिलेशनशिप में आए थे जो कि एक बहुत ही कैजुअल रिलेशनशिप था। दोनों में से कोई भी इस रिलेशनशिप को लेकर सीरियस नहीं था। यह बात कुणाल और नेत्रा दोनों जानते थे कि कुछ टाइम के बाद वह दोनों हमेशा के लिए अलग हो जाएंगे। लेकिन रिश्ते के बारे में निर्वाण को भनक लग गई थी और उसने गुस्से में कुणाल के ऊपर गाड़ी चढ़ा दी। लेकिन शिवि तक यह बात कैसे पहुंची? उसके बारे में तो निर्वाण को भी नहीं पता था। वह नहीं जानता था कि कुहू की सगाई उसके साथ हुई है तो फिर शिवि इतने कॉन्फिडेंस से कैसे कह सकती थी कि वो ही नेत्रा का बॉयफ्रेंड है?
कुणाल को चुप देख शिवि ने पूछा "क्या हुआ? कहां खो गए? मैं कुछ गलत कह रही हूं? क्या तुम और नेत्रा रिलेशनशिप में नहीं थे? और अगर मैं सही हूं तो फिर तुम कुहू दी के साथ क्या कर रहे हो? तुम्हें पता भी है अगर यह बात बाहर आ गई तो क्या होगा?"
कुणाल हकलाते हुए बोला "न.. नहीं। ऐ.... ऐसा कुछ नहीं है। तुम...... तुम्हें जरूर कोई गलतफहमी हो रही है। मैं तो किसी नेत्रा को नहीं जानता। तुम किसकी बात कर रही हो, मुझे नहीं पता।"
शिवि ने तुरंत एक हाथ अपने पॉकेट में डाला और उसमें से अपना फोन निकाला। कुणाल को लग रहा था कि अब कोई बहुत बड़ा बम फूटने वाला है वह भी उसके सर पर जो उसकी लवस्टोरी शुरू होने से पहले ही हमेशा हमेशा के लिए बर्बाद कर देगा। जिस लड़की की एक झलक पाने के लिए वह पूरे एक साल से उसे ढूंढ रहा था, वह लड़की अपने चेहरे पर नाराजगी और आंखों में नफरत लिए उसे देख रही थी। कुणाल को अपनी ही किस्मत पर हंसी आ गई।
शिविका ने अपने फोन की गैलरी ओपन की और कुणाल को दिखा कर बोली "क्या ये तुम्हारी गर्लफ्रेंड नहीं है? क्या तुम इसके साथ रिलेशनशिप में नहीं थे? अब ये मत कहना कि तुम इसे जानते भी नहीं।"
कुणाल ने देखा, वाकई वह नेत्रा ही थी। वह शिवि के आगे झूठ नहीं बोल पाया और अपनी नज़रें नीची कर ली। शिवि को बहुत तेज गुस्सा आ रहा था। उसने अपना फोन वापस अपने पेंट के पॉकेट में डाला और बोली "यह सब तुमने जानबूझकर किया है, है ना? क्योंकि अनजाने में इतनी बड़ी गलती नहीं हो सकती। क्या तुम जानते हो नेत्रा और कुहू, इन दोनों के बीच बिल्कुल नहीं बनती। इन दोनों के बीच की एक कड़ी है, चित्रा बुआ! और वो ही इन दोनों के बीच की दूरियों की वजह भी है, और अब तुम दूसरे होगे। हम इतने सालों से कोशिश कर रहे हैं इन दोनों बहनों के बीच सबकुछ सेटल हो जाए लेकिन एक तुम्हारे आने से सब बर्बाद हो जाएगा। नेत्रा शायद नहीं जानती कि कुहू की सगाई तुम्हारे साथ हुई है। जब उसे पता चलेगा तब पता नहीं वो क्या करेगी! उन दोनों के बीच के रिश्ते में मिठास नहीं है, लेकिन थोड़ी खटास और घुल जाएगी। मिस्टर कुणाल रायचंद, ये सब होगा तुम्हारी वजह से, सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी वजह से।"
शिवि को देर करते देख सुहानी ने आवाज लगाई "शिवि दी! जल्दी करो देर हो रही है।"
शिवि ने मोमोस का प्लेट हाथ में लिया और जाने से पहले बोली "देखो मिस्टर कुणाल रायचंद! मुझे नहीं पता तुम्हारे दिमाग में क्या चल रहा है, लेकिन मैं सिर्फ इतना जानती हूं कि तुम्हारे जो भी सीक्रेट्स है, उसके बारे में कुहू दी को पता होना चाहिए। जानती हूं कॉलेज टाइम में तुम दोनों साथ थे और वह तुम्हारे बारे में बहुत कुछ जानती भी है। लेकिन उसके बाद के तीन चार साल वह तुम्हारे टच में नहीं थी। उन्हें नहीं पता कि इन बीते कुछ सालों में तुमने क्या किया है। और कुछ नहीं तो कम से कम नेत्रा वाली बात जानने का उसे पूरा हक है, क्योंकि नेत्रा उसकी बहन है, सगी ना सही लेकिन रिश्ता तो है और इससे कैसे डील करना है यह कुहू दी और नेत्रा के हाथ में होगा। बस मैं मेरी किसी भी बहन का दिल टूटता नहीं देख सकती। और यह बात भले ही मैं कह रही हूं, लेकिन जब यह बात बाकियों को पता चलेगी तब वो भी यही कहेंगे। बेहतर होगा संभल जाओ।" शिवि तेज कदमों से किचन से बाहर निकल गई।
कुणाल चुपचाप सर झुका है वहां खड़ा शिवि की बात सुनता रहा। उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी जब वो उसे मिलेगी तब उससे इस तरह बर्ताव करेगी। लेकिन अभी तक उसे समझ नहीं आया कि इस बारे में शिवि को कैसे पता चला?
बाहर आकर शिवि के चेहरे पर जो भाव थे वो एकदम से चेंज हो गए। अपने होंठो पर बड़ी सी स्माइल लेकर डाइनिंग टेबल पर आई और प्लेट लगा दिया। जिन्हें मोमोज नहीं खाना था, वह तो अपना हाथ साफ कर वहां से निकल गए। लेकिन जिन्हें खाना था वह तो प्लेट लेकर टूट पड़े।
अवनी ने छुरी कांटा साइड किया और हाथ से ही उठाकर ने मिर्ची की चटनी में लपेट लपेट कर खाने लगी। अवनी को उंगली चाटते देख सुहानी बोली "मॉम! हाथ से क्यों खा रहे हो आप? फोर्क है ना!" लेकिन अवनी कभी भी उंगलियां चाट रही थी।
"अपने हाथों से उंगलिया चाटकर खाने में जो मजा है वह किसी छुरी काटे में नहीं है" अंशु ने अपनी मम्मी का साइड लिया। निशी को भी ऐसे ही हाथ से खाना अच्छा लगता था और ये बात मिश्रा जी ने एक बार अंशु को बताई थी। उसकी बात सुनकर निशी जो सबको कांटे चम्मच से खाते देख हिचक रही थी, वो भी अपनी सासू मां की तरह शुरू हो गई।
कुहू ने एकदम से शिवि से पूछा "शिवि! कुणाल कहां है?"
शिवि ने भी बेढंग से जवाब दिया "मुझे
क्या पता?" और खाने में लग गई।