Chapter 130
सुन मेरे हमसफ़र 123
Chapter
123
कुछ देर तो काया को होश ही नहीं रहा कि उसके साथ हुआ क्या! घबराहट में उसका दिमाग पूरी तरह ब्लैंक हो चुका था। होश तब आया जब उस इंसान की आवाज काया के कानों में पड़ी "आप ठीक हो?"
काया चौंक गई। उसे आप कहने वाला इस घर में कोई नहीं था तो फिर यह कौन इंसान था? काया ने नजर उठा कर देखा तो उसकी हेल्प करने वाला और कोई नहीं बल्कि कार्तिक सिंघानिया था। काया तो उसे थैंक्यू बोलना चाहती थी लेकिन ऋषभ सिंघानिया को वो कभी थैंक यू नहीं बोल सकती थी। यह उसकी शान के खिलाफ था। उसने घबराते हुए दो कदम पीछे लिए और बोली "तुमने जानबूझकर किया ना यह सब? देखो ऋषभ! अपनी हरकतों से बाज आओ। तुम्हारी हरकतें बेकाबू हो रही है। इस तरह मेरे पीछे पीछे घर तक चले आए? देखो मानती हूं तुम यहां इनवाइटेड हो, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि तुम्हें लाइसेंस मिल जाता है मेरा पीछा करने का। मुझसे दूर रहो वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।"
काया उसे लगातार डांटे जा रही थी। कार्तिक का फोन बजा। उसने कॉल रिसीव किया और दूसरी तरफ से कुछ सुनने के बाद फोन को काया की तरफ बढ़ाते हुए बोला "आपका कॉल है।"
काया को समझ नहीं आया, उसने हैरानी से कार्तिक को सवालिया नजरों से देखा तो कार्तिक ने फोन उसके हाथ में पकड़ा दिया और वहां से चला गया। काया हैरानी से कार्तिक को देखने लगी। फिर फोन स्क्रीन पर ऋषभ का नाम देखकर वह चौक गई। 'अब ये कौन दूसरा है?' सोचते हुए उसने फोन कान से लगाया और कांपती आवाज़ में कहा "हेलो......!"
दूसरी तरफ से ऋषभ की आवाज आई "क्यों उस बेचारे को डांट रही हो? वह बेचारा हमेशा मेरी वजह से मुसीबत में फंस जाता है। बड़ा प्यारा है वो।"
अब काया को यकीन नहीं हुआ। उसके सामने जो इंसान जा रहा था वह वाकई ऋषभ नहीं था? या फिर ये भी ऋषभ का ही कोई प्लान था?
*****
अव्यांश और निशी दोनों साथ में बैठे वहां के नजारे देख रहे थे और बातें कर रहे थे। अव्यांश ने जब निशी को बीयर ऑफर किया तो निशी ने कहा "पिछली बार पापा की मार खाने से बच गए थे, इस बार सच में खाओगे।"
अव्यांश रोमांटिक अंदाज में बोला "हुजूर आपके लिए तो हम डैड की मार तो क्या, मॉम के जूते भी खाने को तैयार है हम। हालांकि मॉम मेरी जूते नहीं पहनती है, मेरे पापा जानते हैं। और वो मेरे जूते भी यूज कर सकती है। हमारे घर में सब चलता है।"
निशी को हंसी आ गई। हंसते हुए उसने अव्यांश के कंधे पर सर रखा और अपनी आंखें बंद कर ली। अव्यांश कुछ और कहता, उससे पहले निशी बोली "एक बात बताऊं? पता नही क्यों लेकिन मुझे हमेशा लगता है, जैसे हम पहले भी कभी मिले हैं। कहां, ये मुझे याद नहीं आ रहा। लेकिन हर बार ऐसा लगता है जैसे हम एक दूसरे को पहले से जानते है। तुमने भी तो ऐसा ही कुछ कहा था ना शायद? शादी से पहले वाली बात!"
अव्यांश को समझ नहीं आया कि वह कैसे बताएं। इन दोनों की पहली मुलाकात कुछ अलग ही थी। उस पहली मुलाकात में ही अव्यांश अपना दिल हार गया था, यह बात वह निशी को कैसे समझाता! अव्यांश ने बात बदलने की कोशिश की और बोला "दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं जिनका चेहरा आपस में मिलता है, लेकिन वह दोनों एक दूसरे को नहीं जानते। हो सकता है हम कभी मिले हो। अगर तुम्हें याद आ जाएगा तो तुम खुद समझ जाओगी। वैसे एक बात कहूं?"
निशी आंखें मूंदे ही बोली "हम्मम......।"
अव्यांश ने शरारत से निशी की तरफ देखा और कहा "तुम शॉर्ट ड्रेस में काफी सेक्सी लगती हो।"
अव्यांश निशी की तरफ ही देख रहा था। उसे पूरा यकीन था कि यह लाइन सुनकर निशी उसका गला दबा देगी। लेकिन उसे हैरानी तब हुई जब निशी ने कोई रिएक्शन नहीं दिया। अव्यांश को यह बात बहुत अजीब लगी। उसने निशी के गाल पर हल्की सी थपकी दी और आवाज लगाई "निशी......! निशी.......!!"
निशी ने अव्यांश का हाथ झटक दिया और उसकी बांह को कस कर पकड़ लिया। अव्यांश हैरान रह गया। इस वक्त उसे हल्की नींद आ रही थी लेकिन निशी बातें करते हुए इतनी जल्दी जायेगी, इस बात का अंदाजा उसे बिल्कुल नहीं था। अव्यांश ने घड़ी में टाइम देखा और निशी को जगाते हुए बोला "निशी! घर चलते हैं, रात बहुत हो गई है।"
निशी उठना नहीं चाहती थी और ना ही अव्यांश उसे जगाना चाहता था, लेकिन इस वक्त उस जगह पर हल्की ठंड महसूस हो रही थी और उन दोनो ने ही गर्म कपड़े नहीं पहने थे, ना ही शॉल लिया था। अव्यांश का भी ऐसा कोई प्लान नहीं था, जिसके लिए वह कोई तैयारी करता। टेंट वगैरा हमेशा उसकी गाड़ी में डिक्की में मौजूद होते थे इसलिए वो बेफ़िक्र होकर यहां चला आया था। लेकिन अब घर लौटना ज्यादा जरूरी था वरना निशी बीमार पड़ जाती।
निशी को अलसाते देख अव्यांश ने उसे गोद में उठा लिया और गाड़ी तक ले गया। निशी ने भी बिना किसी हिचक के अव्यांश के गले में बाहें डाल दी और उसे कसकर पकड़ लिया। दोनों के बीच कंफर्ट लेवल अच्छा खासा बढ़ चुका था। इससे दोनों को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। ये नजदीकियां अंशु को गुदगुदा रही थी।
अव्यांश ने निशि को गाड़ी के अंदर डाला और एसी टेंपरेचर सेट कर वहां से निकल गया। रास्ते में सारांश का कॉल आया। उन्होंने पूछा "तुम लोगों का आज रात का क्या प्लान है? तुम्हारी दादी पूछ रही थी। सॉरी अगर मैंने डिस्टर्ब किया हो तो!" सारांश की आवाज में शरारत साफ नजर आ रही थी।
अव्यांश ने हल्की नाराजगी जताते हुए कहा "डिस्टर्ब करने के बाद पूछ रहे हैं कि डिस्टर्ब तो नहीं किया? कैसे कर लेते हो आप डैड, सीरियसली!!"
निशी ने अव्यांश के कंधे पर मुक्का मारा और उसे चुप रहने का इशारा किया। अव्यांश हंसते हुए बोला "आज रात का कोई प्लान नहीं है डैड! निशी को नींद आ रही थी और मुझे भी। इसलिए हम लोग वापस आ रहे हैं।"
सारांश ने भी आपने घड़ी में टाइम देखा और कहा "इतनी आपको तुम दोनों वापस क्यों आ रहे हो? यहां आकर क्या ही कर लोगे! वहीं आसपास किसी होटल में रुक जाते तो कुछ प्रोडक्टिव हो जाता। यही प्रॉब्लम है आज के जेनरेशन की। कोई भी काम टाइम से करते ही नही है। जहां टाइम देना होता है वहां जल्दी करते हो। और जहां आराम से, आहिस्ते से, समय देना होता है वहां जल्दी मचाते हो। सिचुएशन को समझना आता ही नहीं है तुम लोगों को।"
अव्यांश ने निशी की तरफ देखा जो नजरे चुरा रही थी। उसने फोन गाड़ी के ब्लूटूथ से कनेक्ट कर रखा था जिससे आवाज पूरी गाड़ी में गूंज रही थी। निशी को बहुत अजीब फील हो रहा था। अव्यांश ने सिचुएशन संभालते हुए कहा, "डैड! बस करो आप!"
सारांश ने मासूम बनते हुए कहा, "अरे! मैं क्या गलत कह रहा हूं? अगर ट्रैफिक पुलिस ने पकड़ लिया तो ड्रिंक एंड ड्राइव के केस में अंदर जाओगे। मैं नहीं आने वाला तुम्हे बचाने।"
निशी समझ गई कि सारांश उन दोनों के ड्रिंक करने के बारे में सब जानते है। अव्यांश ने निशी की तरफ देखा और बोला "पापा! डॉन्ट वरी। कोई रूल ब्रेक नहीं कर रहे हैं। मैं ड्राइव कर रहा हूं और पूरे होशो हवास में हूं। आप की कसम मैंने बीयर को हाथ भी नहीं लगाया।"
सारांश उसे झिड़कते हुए बोले "फिट्टे मुंह तेरा! मेरी कसम क्यों खा रहा है? खाना है तो अपनी कसम खा, मुझे अभी बहुत लंबा जीना है। मरने से पहले तेरे बच्चों को गोद में खिलाना है, उनके बच्चों को भी देखना है। जल्दी कर।"
अव्यांश हंस दिया और बोला "जल्दी ही कर रहा हूं डैड! बस थोड़ी देर में घर पहुंच जाऊंगा।"
सारांश ने सर पर हाथ मारा और बोले "अबे बेवकूफ! मैं घर जल्दी आने की बात नहीं कर रहा।"
यह सुनकर निशी ने खिड़की के बाहर देखना शुरू कर दिया। अव्यांश की आंखों में भी शरारत उतर आई थी। कहना तो बहुत कुछ चाहता था लेकिन अभी निशी के सामने वो खुलकर चैट नहीं कर सकता था। इसलिए उसने कहा "डैड! मैं अभी ड्राइव कर रहा हूं और आपके साथ बात करके मैं ऑलरेडी एक ट्रैफिक रूल तोड़ रहा हूं। घर पहुंच कर बात करते है, बाय!"
अव्यांश ने फोन काट दिया और एक नजर निशी की तरफ देखा जो अभी भी बाहर देखे जा रही थी।