Chapter 89
YHAGK 88
Chapter
88
मानसी और शरण्या ने सबके लिए नाश्ता लगा दिया तो सभी ने अपनी अपनी सीट पकड़ ली और पेट पूजा करने लगे। अचानक से विहान बोला, "कुछ ज्यादा ही हिरोपंती कर आया मैं। अब तो शाम हो गई है, कल से जॉब की तलाश शुरू करनी होगी। जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी मुझे जॉब ढूंढने होगी वरना सबके सामने मेरी बैंड बज जाएगी, खासकर मानसी के सामने मेरी सारी बनी बनाई इमेज मिट्टी में मिल जाएगी।"
रूद्र चाय पीते हुए शांत लहजे में बोला, "तुझे जॉब चाहिए ना! एक काम कर, मेरी आर्ट गैलरी ज्वाइन कर ले। तेरे लिए यह परफेक्ट होगा।"
विहान बोला, "नहीं यार.......! तूने रहने के लिए छत दे दी अब इससे ज्यादा मैं तुझसे नहीं ले सकता। इससे आगे मुझे अपने दम पर करना है। अगर हर बात पर मैं तेरे कंधे का सहारा लूंगा तो फिर मैं खुद कैसे चल पाऊंगा! मानसी की जिम्मेदारी मैंने उठाई है तूने नहीं।"
रूद्र अपना कप नीचे रखते हुए बोला, "लेकिन तेरी जिम्मेदारी तो मेरी है ना। हम दोस्त हैं यार और इसी नाते मैंने तुझे यह घर रहने को दिया। रही बात जॉब की तो मैं तुझ पर कोई एहसान नहीं कर रहा। मुझे एक असिस्टेंट की जरूरत है ही, किसी और पर भरोसा करने से बेहतर है कि मैं तुझे इस काम पर ना रख लु! जब तक तुझे नहीं नौकरी नहीं मिल जाती तब तक तू मेरी आर्ट गैलरी में हाथ बटा सकता है। उसके बाद तुझे जो करना हो करते रहना, मैं नहीं रोकूंगा। किसी और पर भरोसा करने में मुझे एक लंबा वक्त लग जाएगा, अगर तू साथ देता है तो मैं तेरे भरोसे कहीं भी जा सकता हूं। सोच ले, तेरा भी फायदा है और मेरा भी। और तुझे तो पता भी है, मैं कोई काम बिना फायदे कि नहीं करता।"
शरण्या को भी ये बात अच्छी लगी वह बोली, "आईडिया बुरा नहीं है विहान! हां कह दे, वैसे भी इस बार रूद्र को तुम्हारी जरूरत है। यह अच्छा तरीका है इसका एहसान उतारने का। बदले में तुम मुंह मांगी सैलरी मांग सकते हो इससे, यह ना नहीं कर पाएगा और अगर ना माने ना तो इसके दो चार पेंटिंग्स बेच देना। इसमें कौन सी बड़ी बात है।"
रूद्र ने सुना तो उसका दिल बैठ गया। विहान ठहाका मार कर हंस पड़ा। मानसी के भी अधरों पर मुस्कान खिल गइ। वह बोली, "एक पेंटर के लिए उसकी पेंटिंग उसकी गर्लफ्रेंड होती है और उसकी गर्लफ्रेंड पर कोई हाथ साफ करें कि वह कभी बर्दाश्त नहीं कर सकता, फिर चाहे वह कोई भी हो। है ना रूद्र?"
"बिल्कुल", रूद्र बोला, "मेरा किसी पेंटिंग्स को हाथ लगा कर तो दिखा दे, फिर देखना मैं क्या करता हूं। फिलहाल हमें निकलना होगा। विहान......! उस कमरे में मेरे कुछ कपड़े हैं तेरे काम आ जाएंगे। एक दो दिनो मे तेरा सामान यहां ला दूंगा, ठीक है?" रूद्र उठा तो शरण्या ने भी अपनी चाय जल्दी से खत्म की और रूद्र के साथ ही बाहर निकल गई।
उन दोनों के जाने के बाद मानसी बोली, "मैंने कहा था ना, तुम बहुत किस्मत वाले इंसान हो जो तुम्हें ऐसा दोस्त मिला है। रूद्र जो भी करता है बहुत ही सोच समझकर करता है। वह अपने आप में ही खास हैं। जो विहान रूद्र की तारीफ सुनकर खुश होता था आज मानसी के मुंह से उसकी तारीफ सुनकर चिढ़ गया और बोला, "अब समझ में आता है रेहान क्यों इतना चिढ़ जाता है रूद्र से। उसने तुम्हें भी इंप्रेस कर ही दिया। पता नहीं उसमे ऐसी क्या बात है जो कोई भी लड़की इम्प्रैश हुए बिना नहीं रह सकती, चाहे घर हो या बाहर। अब तो शरण्या भी उसी लाइन में है।कल तक वह भी रूद्र से चिढ़ि रहती थी, अब तो वह भी उसकी तरफदारी करने लगी है। क्या लगता है तुम्हें? इन दोनों के बीच कुछ चल रहा है क्या?............इंपॉसिबल!!!"
मानसी ने सुना तो मन ही मन बोली, "इन दोनों के बीच का रिश्ता फिलहाल किसी को नहीं पता। बस मुट्ठी भर ऐसे लोग हैं जो इन दोनों के बीच के रिश्ते की सच्चाई जानते हैं। ये दोनों एक दूसरे से कितना प्यार करते हैं ये इस घर को देख कर ही समझ आता है। जिस दिन सबको पता चलेगा, उस दिन ना जाने क्या होगा।"
रास्ते में शरण्या ने रूद्र से पूछा, "तुझे क्या सच में असिस्टेंट की जरूरत है जो तू ने विहान को यह जॉब ऑफर की या फिर कुछ और बात है?"
रूद्र जो गाड़ी ड्राइव कर रहा था उसने अपने दोनों होंठ आपस में भीच लिए, फिर गाड़ी को दूसरी तरफ घूमाते हुए बोला, "तुझे जो समझना है तु समझ सकती है। फिलहाल मुझे असिस्टेंट की जरूरत नहीं है लेकिन कुछ दिनों बाद ही मुझे इसकी जरूरत पड़ने वाली है। अब ऐसे में किसी और को ढूंढने से बेहतर है अगर विहान मेरा काम संभाल लेता है तो इसे अच्छी बात क्या हो सकती है! मेरा दोस्त है और उसे अच्छे से जानता हूं। माना उसे आर्ट की ज्यादा कुछ समझ नहीं है लेकिन मेरा काम तो संभाल ही सकता है। फिलहाल उसने जो कदम उठाया है उसमें मैंने अब तक उसे सपोर्ट किया है अगर अब मैं उसका साथ नहीं देता तो मुश्किल हो सकती थी। देखा तूने कैसे उसे लगा जैसे मैं उसे एहसान कर रहा हूं। दोस्ती में एहसान नहीं होता है यार, दोस्ती में हक जताया जाता है और वैसे भी.......... सारी खुदाई एक तरफ, जोरु का भाई एक तरफ। आखिर है तो मेरा साला ही। कुछ ना कुछ करके उसके लिए जुगाड़ तो करना ही था। अगर वह मेरी आर्ट गैलरी को संभाल सकता है तो मैं कहीं और कुछ भी कर सकता हूं। यह हमारे फ्यूचर के लिए ही होगा। देखा.........! है ना फायदे का सौदा!".
शरण्या मुस्कुरा उठी और उसके कंधे पर सर रख दिया। दो दिन बाद ही रूद्र विहान के घर गया और उसकी कुछ चीजें समेटते हुए विहान की मम्मी से बोला, "आंटी........! मैंने जो आपसे कहा उसके बारे में आप सोचिएगा जरूर। आखिर है तो वह आपका बेटा ही। आप जो कहेंगे जैसे कहेंगे वह करेगा लेकिन आप खुद सोचिए, मानसी से अलग होकर क्या वह कभी खुश रह पाएगा? आप लोग नेहा को अपनी बहू बनाना चाहते थे लेकिन अगर उन दोनों की शादी हो भी जाए तो क्या वह दोनों ही खुश रह पाएंगे? मानसी ने तो मान लिया था कि उसकी लाइफ अब खत्म हो चुकी है। उसे शायद कोई फर्क ना पड़े। उसके लिए जीना क्या मरना क्या लेकिन विहान और नेहा........ इन दोनों की ही लाइफ बर्बाद हो जाएगी। आप एक मां है और एक औरत थी। एक बार इस बारे में सोचिएगा जरूर।" कहकर रूद्र वहां से विहान का सामान लेकर निकल गया।
विहान की मम्मी पर रूद्र की बातों का असर काफी हद तक हो चुका था। आज उसने जो भी कहा वह भी कुछ गलत तो नहीं था। मानसी की लाइफ में अब तक जो कुछ हुआ उसके बाद अगर विहान से भी उसका रिश्ता टूट गया तब वह बेचारी कहां जाएगी! नेहा को एक से बढ़कर एक रिश्ते मिल जाएंगे लेकिन मानसी का हाथ थामने वाला कोई नहीं होगा। बहुत ही कम लोग होते हैं इस दुनिया में जिसमें इतनी हिम्मत हो होती है कि पूरे समाज के सामने एक विधवा का हाथ थाम सके। सही कहा था रूद्र ने, अगर एक औरत बनकर सोचो तो उस मां पर गर्व होगा जिस मां ने विहान को संस्कार दिए हैं।
विहान की मम्मी मन ही मन मुस्कुरा उठी। उन्होंने जाते हुए रूद्र को आवाज लगाई, "रूद्र.........! रुकना जरा!" रूद्र ने सुना उसके कदम वहीं ठहर गए। वह उनकी तरफ पलटा तो विमान की मम्मी बोली, "तुम्हारा दोस्त अपने आप को बहुत महान समझता है, है ना? तो उससे कहना अगर उसे अपना सामान चाहिए तो खुद आकर ले जाए। तुम्हारा कहना भी गलत नहीं है रूद्र लेकिन एक मां होने के नाते मेरे भी कुछ अरमान थे। अपने बच्चे की शादी हर मां बाप के लिए एक सपना होता है चाहे वह लड़का हो या लड़की। हमारे लिए तो सिर्फ एक विहान ही है। उसने हमारे सपने तोड़े हैं। इतनी आसानी से उसे माफ नहीं कर सकती। अपने पापा के पैर छूकर चला गया एक बार भी मुझसे आशीर्वाद लेना उसने जरूरी नहीं समझा। मैं बड़ी हूं उससे अब क्या मैं उसे मना कर लेकर आऊ? उसके पापा ने एक बार कह दिया तो क्या वह पत्थर की लकीर हो गई? उसको बोलो अपनी बीवी को लेकर यहां आए वरना हर रिश्ते को भूल जाए!"
रूद्र ने सुना तो मुस्कुरा दिया। उसे खुशी हुई कि उसकी बातों का उन पर इतना सही असर हुआ है लेकिन अब बस विहान के पापा की बारी थी। उन्हें मनाना विहान की मम्मी का काम था लेकिन क्या यह सब इतना आसान होने वाला था? आखिरकार उनके एकलौते बेटे ने इस तरह बिना उनकी मर्जी के, बिना उनसे पूछे शादी जो कर ली थी।
रुद्र बोला, "आंटी......! अभी तक उन दोनों की शादी नहीं हुई है। उन दोनों को आप दोनों की इजाजत की, आप दोनों के आशीर्वाद की जरूरत है और इसीलिए वह दोनों ही अलग कमरे में रहते है। जब तक आप दोनों खुद उनका गठबंधन नहीं करते तब तक वह दोनों कभी अपनी नई जिंदगी की शुरुआत नहीं करेंगे। अगर आप अपने बेटे को जरा सा भी जानती हैं तो ये बात आप अच्छे से समझ सकती होगी कि आपका बेटा आप दोनों से कितना प्यार करता है और आप दोनों से ही कितना डरता है, खासकर अपने पापा से।"
विहान की मम्मी ने कुछ नहीं कहा, बस वहां से चली गई। रूद्र जल्दी से बाहर आया और उसने विहान को फोन लगाया लेकिन विहान का फोन बंद आ रहा था। "इस साले को ऐसी क्या जरूरत आन पड़ी जो उसने फोन बंद कर रखा है! कहां जाएगा होगा तो वह आर्ट गैलरी में ही। क्या करूं अभी जाऊं या बाद में? अभी फिलहाल मुझे कुछ और काम है पहले वह कर लेता हूं उसके बाद जाऊंगा! तब तक आंटी भी अंकल को मना लेगी और विहान को ज्यादा डांट नहीं पड़ेगी। यह सोचते हुए रूद्र घर के लिए निकल गया।
रूद्र जब घर पहुंचा वहां रेहान फोन पर किसी से बात कर रहा था। रूद्र ने देखा, रेहान के माथे पर पसीने की बूंदें छलक आई थी। गर्मी का मौसम था ऐसे में पसीना होना कोई अजीब बात नहीं थी लेकिन एसी वाले कमरे में बैठा रेहान माथे पर चिंता और घबराहट की लकीरें साफ नजर आ रही थी। रूद्र को समझते देर न लगी की रेहान किसी प्रॉब्लम में है। रूद्र ने आवाज लगाई, "रेहान......!"
रेहान ने जैसे ही रूद्र की आवाज सुनी, उसने हड़बड़ी में फोन रख दिया और आपनी परेशानी छुपाते हुए बोला, "क्या हुआ रूद्र? तु आज अपने आर्ट गैलरी नहीं गया? तेरी भी आज छुट्टी है क्या? मुझे तो लगा था वीकेंड में तेरा ऑफिस का काम बढ़ जाता होगा!"
रुद्र बोला, "हां काम तो बढ़ जाता है लेकिन फिलहाल विहान है सब संभालने के लिए तो मैं घर चला आया। कुछ पेंटिंग वगैरह थी उन्हें लेना था। मेरी छोड़ तू बता तू क्यों इतना परेशान लग रहा है? किससे बात कर रहा था?"
रेहान जल्दी से अपना फोन पॉकेट में डालते हुए बोला, "किसी से भी तो नहीं! किसी से भी नहीं!! वह बस ऐसे ही रॉन्ग नंबर था। बेवजह परेशान कर रहा था। तुझे तो पता ही है मुझे ज्यादा किसी से बात करना अच्छा नहीं लगता। बस इसीलिए थोड़ी खिज हो गई।" रूद्र को जाने क्यों बार-बार रेहान पर शक होता, जैसे कोई बहुत बड़ी बात छुपा रहा है। लेकिन कभी कुछ बोलता नहीं। उसके बार बार पूछने पर भी रेहान ने कुछ नहीं कहा और वहां से चला गया। रूद्र ने भी अपनी जरूरत की पेंटिंग उठाई और घर से निकल गया।
आर्ट गैलरी पहुंचने पर उसने देखा विहान अगले एग्जिबिशन की तैयारी करवा रहा था जो कि कल ही होना था। रूद्र जैसे ही वहां पहुंचा उसने सबसे पहले विहान को फोन के लिए टोका। बैटरी खत्म होने की वजह से विहान का फोन बंद था और काम में बिजी होने की वजह से उसे यह ध्यान ही नहीं रहा। फोन के ऑन होने के कुछ ही देर बाद उसका फोन बजने लगा। विहान देखा तो नेहा का नंबर उसे दिखाई दिया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसे फोन उठाना चाहिए या नहीं। जो कुछ हुआ उसके बाद नेहा उसका चेहरा भी देखना पसंद नहीं करती फिर वो से फोन क्यों कर रही है?