Chapter 137
YHAGK 136
Chapter
136
सभी लोग खाना खा रहे थे लेकिन रेहान की नजर दरवाजे पर टिकी थी। रात के 9:00 बज गए थे लेकिन अभी तक लावण्या का कोई अता पता नहीं था। अभी तक वह घर नहीं लौटी थी और ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। वह जहां भी जाती थी कम से कम रेहान को उसकी खबर जरूर होती थी। लेकिन आज उसने एक बार भी रेहान का फोन नहीं उठाया।
रूद्र ने जब उसे परेशान देखा तो बोला, "क्यों उसके पीछे पड़ा है तु? लावण्या उनमें से नहीं हैं जो लापरवाही करते हैं और बेवजह घर से बाहर रहते हैं। वह जतिन के साथ थी और जतिन ने खुद कहा था कि वह उसे घर छोड़ देगा। अब इतने टाइम बाद स्कूल का कोई दोस्त मिला है तो जाहिर सी बात है लावण्या भूल गई होगी। लेकिन वह उनमें से भी नहीं है। हो सकता है वह बाहर डिनर करके आए! वैसे उसने कहा तो था कि उसे घर लौटने में देर हो जाएगी लेकिन कितनी देर होगी यह नहीं बताया था। तू बेवजह टेंशन ले रहा है, सब कुछ ठीक है।"
रेहान बोला, "उस जतिन के साथ मेरी बीवी को छोड़ने का क्या मतलब है? तू उसे अपने साथ शॉपिंग के लिए लेकर गया था तो तुझे उसे वापस लेकर आना चाहिए था ना! इस तरह तु उसे किसी अजनबी के साथ अकेला कैसे छोड़ सकता है?"
रूद्र ने भौंहे टेढ़ी की और बोला, "वह तेरी बीवी है! जीता जागता इंसान है जिसकी अपनी समझ है। तू जिस तरह से बात कर रहा है ना, किसी को भी वहम हो जाएगा कि तू अपनी गाड़ी की बात कर रहा है। लावण्या की अपनी भी कोई लाइफ है, उसकी अपनी भी ज़िंदगी है। इतने सालों से वह ऑफिस की परेशानियों में उलझी हुई थी। अब जाकर जब वह फ्री है तो थोड़ा सा इंजॉय उसे भी करने दे। हमेशा अपनी नजरों के सामने रखेगा तू तो उसका दम घुटने लगेगा। जिस तरह तू कर रहा है अगर लावण्या तेरे साथ वही सब करें तो तुझसे बर्दाश्त नहीं होगा। इसलिए बेहतर है तु चुपचाप अपना खाना खत्म कर और अपने कमरे में जा। लावण्या उन लोगों में से नहीं है जो देर रात बाहर रहकर पार्टियों करते हैं। ना वह पहले ऐसी थी ना ही अब वो ऐसी है। कुछ काम में अटक गई होगी वरना अब तक आ चुकी होती। तेरी तरह नहीं है वह!"
रूद्र के इस आखिरी लाइन में रेहान का मुंह बंद करा दिया। उसके पास चुपचाप बैठ कर खाना खाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था। इस वक्त सभी लावण्या की तरफदारी कर रहे थे।
शरण्या का और खाने का मन नहीं था। उसने प्लेट को सरका दिया। रूद्र ने देखा तो जबरदस्ती एक और पराठा उसके प्लेट में डालते हुए बोला, "चुपचाप खा लो! आज खिला रहा हूं आखरी बार! कल से तुम्हें दौड़ना है। वजन बहुत बढ़ गया तुम्हारा। एहसास भी है पिछले कुछ दिनों में कितना फैल गई हो तुम!!!"
शरण्या ने उसे घूर कर देखा और बोली, "तुम्हें किसने कहा मुझे गोद में उठाने को? और यह एक्स्ट्रा पराठे तुम मुझे खिला रहे हो मैं नहीं खा रही! अगर मैं इतनी फैल रही हूं तो फिर यह प्लेट में और रखने की क्या जरूरत थी? वैसे भी मेरे पास जूते नहीं है जो मैं सुबह सुबह तेरे साथ वॉक पर जाऊंगी!"
रूद्र मुस्कुरा कर बोला, "मुझे पता था तुम्हारे बहाने! इसीलिए तुम्हारे जूते लेकर आया हूं मैं। सुबह की सारी तैयारी कर रखी है मैंने। आज भर खा ले, कल से सारा मोटापा बाहर!"
शरण्या ने पढ़ाने का एक टुकड़ा मुंह में डाला और एकदम से बोल पड़ी, "तुझे कैसे पता मेरे जूते का साइज? कहीं अगर छोटा बड़ा हो गया तो? तुझे मुझे साथ में लेकर जाना चाहिए था।"
रूद्र बोला, "तेरे जूते का साइज मुझे पता नहीं होगा तो फिर किसे पता होगा? तेरे इतने जूते खाए हैं मैंने कि मुझे भुलाए नहीं भूलता। यकीन ना हो तो जाकर कमरे में देख लेना। कल तो मैं तुझे सुबह लेकर जाऊंगा तू चाहे जो कर ले।"
शरण्या का मुंह बन गया। खाना खाकर शरण्या सीधे अपने कमरे में गई। वहां वाकई में रूद्र ने उसके लिए जूते रखे थे लेकिन उसे पहनना नहीं था। सुबह सुबह उठना उसे मुश्किल लग रहा था जिससे वह बचना चाहती थी। उसने वह जूते अपने हाथ में लिए और कुछ खुराफात करने की सोची लेकिन उसी वक्त रूद्र ने आकर उसके हाथ से जूते छीन लिए और बोला, "मुझे अच्छे से पता था कुछ करने वाली है तू! देख, मेरे से ज्यादा चालाकी मत करना क्योंकि कभी जीत नहीं पाएगी मेरे से। इसलिए बेहतर है जो कह रहा हूं वह कर।" कहते हुए रूद्र ने उसे बिस्तर पर बैठाया और फिर खुद जूते लेकर उसके पैर में पहनाने लगा।
शरण्या बस उसका प्यार महसूस कर रही थी। वह अभी भी यकीन करने की कोशिश कर रही थी की रूद्र अब उसका पति है जो उससे बहुत प्यार करता है। उसे सिंड्रेला की कहानी याद आ गई जब प्रिंस ने खुद प्रिंसेस को जूते पहनाए थे। इस वक्त रुद्र भी बिल्कुल उसी प्रिंस की तरह लग रहा था।
शरण्या को अपनी तरफ देखता पाकर रूद्र बोला, "क्या हुआ? ऐसे क्या देख रही है? पहले कभी देखा नहीं क्या मुझे?"
शरण्या बोली, "तुम बदल गए हो! तुम बहुत ज्यादा बदल गए हो।"
रूद्र उसे घूरते हुए बोला, "तू से सीधे तुम पर आ गई! बदल तो तू गई है। मेरे लिए कुछ नहीं बदला, वही मैं हूं, वही तू है और वही हमारा प्यार है। हम कल भी ऐसे ही थे हम आज भी वैसे ही हैं और हमेशा इसी तरह रहेंगे। हमारा प्यार कभी कम नहीं होगा। तू अगर मुझे छोड़कर जाना चाहती है तो तू बेशक जा सकती है लेकिन तुझे प्यार करने का हक सिर्फ मुझे और यह हक मैं किसी को नहीं दे सकता और ना तू मुझसे छीन सकती है।"
रूद्र उठा और उसके माथे को चूम लिया। उसने जूते साइड में रखें और शरण्या को बिस्तर पर लिटा दिया। उसे अच्छे से कंबल ओड़ा कर एसी का टेंपरेचर सेट करके वह कमरे से जाने लगा तो शरण्या ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोली, "तु मुझसे बहुत प्यार करता है ना!"
रूद्र वही बिस्तर पर बैठते हुए बोला, "बहुत ज्यादा खुद से ज्यादा!"
शरण्या ने फिर पूछा, "हमारी शादी हो चुकी है ना?"
रूद्र ने फिर हाँ में जवाब दिया तो शरण्या उठ कर उसके कांधे पर अपना सर रख कर बोली, "अगर हम दोनों पति पत्नी हैं और हमारे बीच बहुत सारा प्यार है तो फिर यह दूरी क्यों? तेरा कमरा अलग क्यों? अगर तू इस कमरे में इस बिस्तर पर मेरे साथ होता है तब भी तु मेरे साथ नहीं होता, ऐसा क्यों?"
रूद्र मुस्कुरा दिया और उसकी पीठ सहलाते हुए बोला, "पहले तु पूरी तरह से ठीक हो जा। इस वक्त अगर मैं तुझसे दूर हूं तो उसकी कोई वजह है। पहले तुझे सब कुछ याद आ जाए। मैं नहीं चाहता कल को मैं या तू इस बात के लिए अफसोस जताए। वैसे भी हमारी शादी मंदिर में हुई थी। सबके सामने तुझे अपनी दुल्हन बना के ले आऊंगा उसके बाद! अभी फिलहाल यह दूरियां रहने दे।"
रूद्र शरण्या को सुला कर उठकर वहां से जाने को हुआ तो शरण्या ने पूछा, "अगर ऐसी बात है तो फिर मौली कैसे आई?"
रूद्र के कदम वहीं रुक गए। अब इस बात का वो क्या जवाब देता? उसे खुद समझ नहीं आ रहा था। उसने खुद को नार्मल रखा और अपने चेहरे पर किस तरह के कोई भाव नहीं आने दी। उसने कहा, "यह सवाल तु इसलिए कर रही है क्योंकि तुझे कुछ याद नहीं है। अगर तुझे सब कुछ याद आ जाएगा तो तू गलती से भी यह सवाल नहीं करेगी। तुझे एहसास भी है तूने क्या किया था? तुझे क्या लगता है शादी के इतने सालों में तू अभी भी वर्जिन है! शाकाल! तेरी वजह से हमारी शादी हुई और तेरी वजह से हमारी.........! अब अगर और ज्यादा कुछ बकवास किया तूने तो मैं अभी तुझे या तो दौड़ाने लेकर जाऊंगा या फिर नेहा को कॉल कर तेरे लिए नींद की अच्छी खासी गोलियां मंगवा लूंगा!"
शरण्या ने मासूम सी शक्ल बना ली। उसका चेहरा देखकर रूद्र फिर पिघल गया और बोला, "ठीक है! मैं यहीं हूं तेरे पास! नहीं जा रहा किसी और कमरे में लेकिन तू किसी तरह का कोई जिद नहीं करेगी और ना ही ऐसी वैसी कोई हरकत करेगी जैसा तुम्हें उस बार किया था। नेहा ने साफ-साफ कहा था इसलिए अभी तुझे आराम की जरूरत है। ज्यादा सोच मत, हम दोनों के बीच ना कोई आया है ना कोई आएगा। मैं हमेशा तुझसे प्यार करता रहूंगा। तु मेरा पहला प्यार है। खुद को खो चुका हूं तुझमें इसलिए इस बारे में हम कोई बात नहीं करेंगे।"
रूद्र ने शरण्या का हाथ पकड़ा और उसके बगल में लेट गया। हौले हौले उसने शरण्या के बाल सहलाए तो शरण्या गहरी नींद में सो गई।
रेहान अपने कमरे में बेचैनी से टहल रहा था। रात के 11:00 बज चुके थे लेकिन लावण्या अभी तक घर नहीं लौटी थी। उसने बार-बार लावण्या को फोन लगाया लेकिन लावण्या ने उसका फोन रिसीव नहीं किया। उसी वक्त दरवाजे पर उसे किसी गाड़ी के रुकने की आवाज सुनाई दी। उसने खिड़की से झांककर देखा तो लावण्या किसी के साथ थी। वह लड़का पहले खुद गाड़ी से उतरा और फिर लावण्या के साइड का दरवाजा खोल अपने हाथ देकर उसे घर से बाहर निकाला। लावण्या काफी खुश नजर आ रही थी और वह उससे काफी खुलकर और हंस कर बात कर रही थी।
रेहान को समझते देर न लगी कि वह लड़का जतिन है जिसका जिक्र रूद्र ने किया था। रेहान इतनी देर से जतिन का नाम याद करने की कोशिश कर रहा था। उसे यह नाम जाना पहचाना लग तो रहा था लेकिन वह कौन था यह उसे याद नहीं आ रहा था लेकिन जैसे ही उसने जतिन को देखा उसे समझते देर न लगी।
रेहान उसे काफी अच्छे से जानता था और उसे यह भी पता था कि जतिन लावण्या को कितना पसंद करता था। स्कूल से लेकर कॉलेज तक उसने लावण्या का पीछा किया था और उसे इंप्रेस करने की हर मुमकिन कोशिश की थी। लेकिन रेहान ने हर बार उसके प्लान पर पानी फेर दिया था और लावण्या को कभी भनक तक नहीं लगने दी कि कोई और भी है जो उसे पसंद करता है।
इस वक्त लावण्या जितनी खुश लग रही थी, आज पहली बार ऐसा था जब रेहान को बुरा लग रहा था और यह देख कर उसे और भी ज्यादा बुरा लग रहा था कि जतिन उस के बहुत करीब खड़ा था और लावण्या को इस सब से कोई एतराज नहीं था। लावण्या ने बड़े प्यार से उसे बाय किया और घर के अंदर चली आई।
कमरे में आते ही रेहान उस पर बरस पड़ा, "यह कोई टाइम है घर आने का? वक्त का जरा सा भी होश है तुम्हें? इतनी ठंड भरी की रात में इतने देर रात घर आने का क्या मतलब है? लावण्या तुम इतनी गैर जिम्मेदार कभी नहीं थी तो फिर आज कैसे हो गया?"
लावण्या रेहान के सवालों के जवाब देने के मूड में बिल्कुल भी नहीं थी। उसे अच्छा लग रहा था रेहान का जो चिढ़ना, यू जेलेस फिल करना। वह यही तो चाहती थी और रेहान ने बिल्कुल उसी तरह रिएक्ट किया। उसने बेफिक्र सा जवाब दिया, "कम ऑन रेहान! हर बार थोड़ी ना होता है ऐसा कि पुराना कॉलेज फ्रेंड मिल जाए बातों ही बातों में वक्त का ख्याल ही ना रहे। होता है कभी-कभी! अब हम लोग जब कॉलेज में थे, मुझे तो ज्यादा कुछ पता भी नहीं था उसके बारे में! आज एकदम से मिल गया तो सोचा थोड़ी बातें हो जाए, कॉलेज के पुराने दिन याद कर लेंगे। तुम इतना क्यों बरस रहे हो?"
रेहान थोड़ा नरम होते हुए बोला, "गुस्सा ना करूं तो क्या करूं? आज खाने की टेबल पर तुम नहीं थी खाना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था मुझे। और फिर तुम्हें मैंने इतनी बार फोन किया लेकिन एक बार भी तुमने मेरा फोन नहीं उठाया, एक बार मुझे कॉल कर देती या फिर मुझे मैसेज ही कर देती कि तुम्हें आने में देर हो जाएगी तो मैं कभी इतना परेशान नहीं होता। तुम्हें बता देना चाहिए था जान और देख रहा हूं मैं! मुझसे ज्यादा तुम उस रूद्र को अहमियत दे रही हो। कुछ वक्त पहले तक तो तुम्हें उससे नफरत थी। जली कटी सुनाने में तुम पीछे नहीं रहती थी और अब एकदम से तुम्हारा बिहेवियर बदल गया है, मेरी तरफ भी और रुद्र की तरफ भी।"
लावण्या बिना उसकी तरफ देखे बोली, "रूद्र ने जो किया उसके लिए मैं उसे कभी माफ नहीं कर सकती लेकिन उसकी वजह से मेरी बहन वापस मिली है मुझे। और कम से कम उसके सामने तो मैं रूद्र से अच्छे से भी बात कर ही सकती हूं जब तक उसे सब कुछ याद नहीं आ जाता। मुझ पर शक कर रहे हो तो तुम्हें बता दु! जितने ईमानदार तुम हो हमारे रिश्ते में उतनी ही ईमानदारी मैं भी निभाऊँगी। तुम चिंता मत करो।"
कहते हुए लावण्या बाथरूम में चली गई। रेहान खुद में शर्मिंदा हो गया।