Chapter 156
YHAGK 155
Chapter
155
घर में शादी का माहौल था और सभी खुश थे। घर का माहौल देखकर रूद्र भी अब अपनी शादी के लिए बेचैन होने लगा था। लेकिन शरण्या के मन में इशिता की दूसरी बेटी को लेकर उलझन थी। रूद्र ने उसे इशिता के यहां आने की वजह तो बता दी थी लेकिन अपने और इशिता के बारे में उसने कुछ भी नहीं कहा था, ना ही उस बच्ची के बारे में कुछ बताया था।
वही लावण्या की हालत खराब थी। सारा माहौल देखकर उसे अपनी शादी याद आ रही थी। वह शादी जिसे याद कर वह हमेशा मुस्कुरा उठती थी लेकिन अब वही किसी नासूर की तरह उसके सीने में चुभ रहा था। उसने खुद को कमरे में बंद कर लिया और काफी देर तक वहीं बैठी रोती रही। हल्दी की रस्में शुरू हुई।
सभी इतने खोए हुए थे कि किसी को भी लावण्या के ना होने का अहसास ही नहीं हुआ। यहां तक कि रेहान को भी नहीं। रेहान का व्यवहार भी लावण्या के प्रति काफी बदल गया था। जहां वो लावण्या को खोने से डरता था, अब वही वह लावण्या के पास जाने से डरने लगा था। लावण्या के करीब होने पर उसे जतिन के होने का एहसास होता और वह यह बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था। इसलिए जितना हो सके उतना वह लावण्या को अवॉइड करने की कोशिश करता।
रजत की तरफ से कोई नहीं था। इसलिए रूद्र और उसका परिवार ही उसकी तरफ से रस्में निभा रहे थे। दोनों को ही एक साथ बैठाया गया और हल्दी लगानी शुरू हुई। रूद्र ने भी अपनी बारी आने पर रजत और नेहा दोनों को हल्दी लगाई और फिर उसे एक शरारत सूझी। उसने अपने हाथ में हल्दी उठाए और चुपचाप शरण्या के पीछे खड़ा हो गया। सर्दियों का मौसम था और शरण्या ने गर्म कपड़े नहीं पहन रखे थे। इस वक्त वह सिर्फ एक साड़ी में थी। उसे जरा भी एहसास नहीं हुआ कि रूद्र क्या करने वाला है।
रूद्र ने भी अपने हल्दी वाले हाथ लेकर शरण्या की कमर पर फिरा दिया। सर्दियों में यूं ठंडी हल्दी........... शरण्या के रोंगटे खड़े हो गए। उसने मुड़कर देखा तो पीछे रूद्र खड़ा था। उसने गुस्से से रूद्र को देखा तो रूद्र वहां से भाग गया। शरण्या ने साड़ी का पल्लू अपनी कमर में डाला और उसके पीछे पीछे भागी।
रूद्र को और कोई जगह नहीं मिली तो वो सीधे अपने कमरे में घुस गया। शरण्या भी उसके पीछे कमरे में गई लेकिन उसे रूद्र कहीं नजर नहीं आया। वो उसे चारों ओर ढूंढने लगी। तभी रूद्र ने पीछे से आकर दरवाजा बंद कर दिया। शरण्या घबराकर पलट गई तो देखा रूद्र दरवाजा बंद किए खड़ा उसी को देख रहा था। शरण्या गुस्से में उसकी तरफ बढ़ी लेकिन इससे पहले कि वह कुछ कहती, रूद्र ने उसे अपनी तरफ खींच लिया और हल्दी उसके गर्दन पर लगा दी। रूद्र बोला, "याद है हमारी पिछ्ली हल्दी कितने प्यार से हमने मनाई थी!"
शरण्या ने अपनी आंखें मूंद ली। रूद्र ने उसे गोद में उठाया और बाथरूम में ले गया। आज एक बार फिर वह दोनों इस हल्दी की होली में डूब जाना चाहते थे।
लावण्या बाथरूम में बैठी सिसक रही थी। उसे अपनी शादी याद आ रही थी। अपनी हल्दी में एक इतनी ज्यादा खुश थी! रेहान को पाने की खुशी वह संभाले नहीं संभाल पा रही थी। उसे जरा सा भी एहसास नहीं था कि रेहान उसे कितना बड़ा धोखा दे रहा था। सारा सच जानते हुए भी उसने शादी से इनकार नहीं किया और ना ही शादी से पहले उसने कुछ भी बताने की कोशिश की। भले ही लावण्या खुद को बाहर से कितना भी मजबूत दिखाने की कोशिश करें लेकिन अंदर ही अंदर वह टूटती जा रही थी। रेहान के लिए उसका प्यार अब नफरत में बदल गया था। वह हर तरह से रेहान से बदला लेने का एक भी मौका नहीं छोड़ती थी।
लावण्या कोशिश कर रही थी कि वह अपने आंसुओं को रोक सके लेकिन हर बार वह नाकाम ही हो रही थी। तभी दरवाजे पर दस्तक हुई और रेहान की आवाज आई लावण्या.....! तुम अंदर हो?"
लावण्या ने जब रेहान की आवाज सुनी तो उसका मन कसैला हो गया। रेहान की दोबारा आवाज आई, "लावण्या! नीचे सब तुम्हें बुला रहे हैं। सब ढूंढ रहे है तुम्हें!"
लावण्या ने बेसिन का नल चालू कर अपने आंसू पोंछे और बोली, "बस 5 मिनट में आ रही हूं!" रेहान वहां से चला गया। लावण्या ने अपना चेहरा धोया और किसी तरह खुद को शांत कर बाथरूम से बाहर निकली।
नेहा और रजत की हल्दी हो चुकी थी और नेहा को नहलाने के लिए लेकर जाना था। शरण्या और रूद्र दोनों ही गायब थे तो शिखा जी ने उन दोनों को ढूंढने के बजाय लावण्या को ढूंढना ज्यादा बेहतर समझा। लावण्या जब नीचे पहुंची तो शिखा जी नेहा को लावण्या के हवाले करते हुए बोली, "लावण्या बेटा! नेहा को लेकर जाओ और उसके लिए कपड़े मैंने तैयार रखे हैं। तुम उसे तैयार करके लेकर आना।"
लावण्या ने मुस्कुराकर नेहा का हाथ थाम लिया और वहां से जाने को हुई तो रजत ने नेहा को रोक दिया। सबको लगा शायद रजत नेहा से कुछ कहना चाहता है लेकिन रजत ने कुछ कहने की बजाए झुककर वहां गिरी हल्दी जो नेहा के पैरों के पास थी, उसे साफ कर दिया और बोला, "तुम्हें थोड़ा ध्यान रखना चाहिए। अभी हल्दी पर पैर पड़ता और फिसल जाती।"
नेहा ने कुछ नहीं कहा बस वो मुस्कुरा उठी। लावण्या उसे लेकर अपने कमरे में जाने को हुई तो चलते-चलते लावण्या ने नेहा से कहा, "तुम्हारे होने वाला पति तुमसे बहुत प्यार करते है। वाकई में तुम बहुत किस्मत वाली हो जो तुम्हें रजत जैसा जीवनसाथी मिल रहा है। तुम दोनों के रिश्ते में सबसे बड़ी मंजूरी रूद्र की है और मैं यह जानती हूं, अगर रजत में जरा सी भी बुराई होती ना, तो रूद्र कभी तुम्हारे लिए उसे नहीं चुनता।"
नेहा बोली, "कितनी अजीब बात है ना! जो रूद्र हमेशा लापरवाह हुआ करता था, आज वही सबसे ज्यादा समझदार और जिम्मेदार इंसान है। लेकिन वो है कहां?"
लावण्या मुस्कुरा कर बोली, "शरण्या भी गायब है!" और दोनों ही शरारत से मुस्कुरा दी।
रूद्र और शरण्या दोनों अपने कमरे में थे। शरण्या इस वक्त रूद्र के सीने से लगी उसकी धड़कनें सुन रही थी। उसने धीरे से कहा, "आज पहली बार तु मेरे इतने करीब आया है। वरना हर बार मैं तुझे अपनी तरफ खींचती थी और तू हमेशा मुझसे दूर जाने की कोशिश में लगा रहता था।"
रूद्र उसकी बालों में उंगलियां घुमाते हुए बोला, "हम दोनों के बीच अब कोई दूरियां नहीं। जितनी भी मुश्किले और रुकावटें थी, अब सब खत्म हो चुकी है। अब सिर्फ हमें एक हो जाना था और हम एक हो गए। कल रेहान और लावण्या की शादी की सालगिरह है, और परसों नेहा और रजत की शादी, उसके बाद हमारी!"
शरण्या शादी की बात सुनकर थोड़ी असहज हो गई। उसे सबसे पहले इशिता के बारे में जानना था उससे बात करनी थी। लेकिन किसी और से कुछ कहने के बजाय उसे रूद्र से ही बात करनी थी। उससे भी पहले दादी की अंतिम इच्छा पूरी करनी थी तो उसने कहा, "रूद्र!! शादी से पहले क्या हम लोग नैनीताल चल सकते हैं? दादी ने कहा था ना, उनकी अंतिम इच्छा! मैं चाहती हूं पहले उनकी अंतिम इच्छा पूरी करू उसके बाद ही हमारी शादी हो!"
रूद्र को यह बात सुनकर थोड़ी हैरानी हुई। उसने कहा, "अगर हम शादी के बाद जाएंगे तो शायद दादी को ज्यादा अच्छा लगे! वैसे अगर तुम पहले जाना चाहती हो तो कोई बात नहीं! रजत और नेहा की शादी के बाद उन दोनों को हनीमून पर भेजना है, उसके बाद हम दोनों चलेंगे। मौली इस वक्त रजत के साथ ही होगी। ऐसी हालत में उसे हम अपने साथ नहीं ले जा सकते। वरना उसे नैनीताल बहुत पसंद आया था। वह तो दोबारा जाना चाहती थी। लेकिन कोई बात नहीं! इस बार नहीं तो अगली बार सही।कौन सा हम लोग कहीं और जा रहे है! अब तो यहीं अपना बसेरा है, जहाँ तुम हो!"
रूद्र शरण्या की तरफ झुका और उन दोनों के होंठों के बीच की दूरी खत्म कर दी। शरण्या खुद भी रूद्र से अलग नहीं होना चाहती थी। वो जैसे ही वहाँ से उठने को हुई रूद्र ने वापस से उसे अपने पास खींच लिया।
कुछ देर बाद जब रूद्र ने उसे छोड़ा तो शरण्या उठी और अपने कपड़े ठीक कर कमरे से निकल गई। उसके दिमाग में अभी भी बस इशिता ही घूम रही थी। रूद्र के साथ प्यार के जितने भी पल मिल जाए उन्हें वह जल्दी से जल्दी समेट लेना चाहती थी ताकि वह रूद्र से हमेशा के लिए दूर जा सके। लेकिन रूद्र से दूर जाने का सोचकर ही शरण्या कांप जाती। एक बार पहले भी वो इस दर्द से गुजर चुकी थी लेकिन इस बार शायद वो खुद को ना संभाल पाए। सोचते हुए शरण्या की आंखों में आंसू आ गए। इस सब से अनजान रूद्र अपनी आने वाली जिंदगी के सपने देख रहा था।
नेहा नहा कर फ्रेश हुई और कपड़े बदल कर नीचे सबके बीच चली आई। लावण्या पूरे वक्त उसके साथ रही और खुद उसे तैयार किया, जिस तरह शिखा जी ने उसे हिदायत दी थी। रजत भी तैयार होकर चला आया था। उसने एक सफेद रंग का कुर्ता और नीले रंग की जींस पहन रखी थी जिसमें वह काफी स्मार्ट लग रहा था। नेहा की नजरें उस पर ठहर सी गई थी। बगल में खड़ी लावण्या ने खाँसने का नाटक किया तब जा कर नेहा ने अपनी नजरें रजत पर से हटाई।
शिखा जी तब तक सबके लिए खाना लगवा चुकी थी। हल्दी में आए सारे मेहमान घर वापस जा चुके थे। अब इस वक्त सिर्फ घर वाले ही मौजूद थे। रूद्र भी चला आया। शरण्या पहले से ही वहां मौजूद थी। उसने शिखा जी के साथ मिलकर सबके लिए खाना लगवाया और सब को बैठने के लिए कहा।
विहान से रहा नहीं गया तो उसने पूछ लिया, "रूद्र, शरण्या! तुम दोनों की शादी का प्लान कब बन रहा है?"
रूद्र ने एक निवाला अपने मुंह में डाला और मुस्कुराते हुए बोला, "कभी भी करू! तब भी तू लड़की वालों की ही तरफ से होगा!"
बेचारा विहान! उसका मुंह बन गया। उसने गुस्से से घूर कर रूद्र को देखा और फिर शरण्या को। लेकिन फिर मुस्कुरा दिया और बोला, "अगर तू मेरी बहन से इतना ही प्यार करता है और हमेशा करता रहेगा ना, तो फिर मुझे कोई एतराज नहीं है तेरी खातिरदारी करने में। मैं तो चाहता हूं जल्द से जल्द एक गधे को घोड़े पर बैठा देखु। बाकी की बातें तो बात भी होती रहेगी। क्यों, सही कह रहा हूं ना मैं लावण्या!"
लावण्या भी उसे हाई-फाई देते हुए बोली, "बिल्कुल! यह मौका हर किसी को थोड़ी मिलता है, पहले मंदिर में शादी कर लो उसके बाद पूरे समाज के सामने धूमधाम से! दो दो शादी वो भी एक ही इंसान से! वैसे हम लोग तो कब से परेशान हैं तुम दोनों की शादी देखने को। लेकिन रूद्र! यह गलत बात है। जहां तुम दोनों ने पहले ही इतना इंतजार किया है वहां और इंतज़ार नहीं! अब ऐसी कौन सी प्रॉब्लम है जो तुम दोनों को एक दूसरे से दूर रखे हुआ है? मैं तो बहुत ज्यादा बेचैन हूं शरण्या इस घर में बहू बनकर वापस आ जाए तो मैं शरण्या को सारी जिम्मेदारी सौंप दु और फ्री हो जाऊ।"
रूद्र को लावण्या की यह बात खटकी। उसने पूछा, "शरण्या को कौन सी जिम्मेदारी देकर फ्री होना चाहती हो लावण्या? तुम्हारे प्लान क्या है? क्या तुम हमें इस बारे में कुछ बता सकती हो?"
लवण्या थोड़ी घबरा गई और मन में सोचा, "कहीं रूद्र को मेरे प्लान के बारे में पता तो नहीं चल गया? लेकिन ऐसे कैसे हो सकता है? इस बारे में सिर्फ मैं जानती हूं और कोई नहीं!" फिर उसने मुस्कुरा कर कहा, "इस घर की बड़ी बहू होने की जिम्मेदारी रूद्र! उस घर में शरण्या मुझसे छोटी थी और इस घर नें वो मेरी जेठानी कहलाएगी। लेकिन वो हमेशा मेरी बहन बनकर रहेगी, जेठानी नहीं। क्यों शरण्या?"
शरण्या भी मुस्कुराकर लावण्या से लिपटते हुए बोली, "बिलकुल दी! हम दोनों बहने है और हमेशा रहेगी। फिर चाहे हमारा रिश्ता कितना भी बदल जाए, हमारा प्यार नहीं बदल सकता।" सारे घरवाले बस उन दो बहनों का प्यार देख मुस्कराए बिना ना रह सके।