Chapter 94
humsafar 94
Chapter
94
अवनी ने शुभ को पूरे दिन इग्नोर करने की हर मुमकिन कोशिश की लेकिन फिर भी उस से सामना हो ही जाता। वह पूरे दिन किसी न किसी के साथ होती जिस वजह से शुभ झुन्झला गया और उसने अवनी को सबक सिखाने की सोची। " लोग तब तक नहीं मानते जब तक उन्हें करके ना दिखाया जाए तो अवनि भाभी जी!!! अब मैं तुम्हें करके ही दिखाऊंगा"
शाम का वक्त था और अंधेरा छाने लगा था। काव्या कमरे में बैठे-बैठे बोर हो रही थी। उस वक्त कार्तिक सिया के साथ हॉल में बैठा काम को लेकर कुछ डिस्कशन कर रहा था। जानकी भी वही थी और काव्या वही हॉल में सीढ़ियों के पास टहल रही थी। अवनि रज्जो के साथ किचन में थी और वही से उसकी नजर काव्या पर थी और साथ ही शुभ की नजर भी।
सबसे नजरें बचाकर शुभ ने दो तीन मेटल की बॉल सीढ़ियो से नीचे लुढ़का दी। टहलते हुए काव्या उस वक्त अपने फोन पर किसी से बात कर रही थी जिस कारण उसका बिल्कुल भी ध्यान नहीं गया और वह बॉल काव्या के पैर के नीचे आ गया। काव्या लडखडा गयी । उसकी चीख निकल गई और फोन हाथ से छूट के नीचे जमीन पर जा गिरा लेकिन इससे पहले कि वहां गिरती कार्तिक ने झट से आकर उसे संभाल लिया और उठाकर उसे सोफे पर बैठाया। इस वक्त काव्या की डर से बुरी हालत हो रखी थी और बाकी सारे घर वालों की भी। अवनी भाग कर काव्या के पास पहुंची और रज्जो उसके लिए पानी लेकर आई।
अभी तक किसी का भी ध्यान ही नहीं गया था कि आखिर काव्या फिसली कैसे। लेकिन अवनि को शक हुआ कि कहीं इन सब के पीछे शुभ का हाथ तो नहीं। उसने जमीन पर चारों ओर नजर दौड़ाई तो उसे वहां फर्श पर बिखरे मेटल के 2 बॉल नजर आए। अवनी ने चुपके से उन्हें उठाया और ऊपर खड़े शुभ पर उसकी नजर गई जो वहां खड़ा मुस्कुरा रहा था। अवनि पर उसकी नजर पड़ते ही शुभ वहां से अपने कमरे की ओर चला गया।
अवनी गुस्से में अपनी मुट्ठियाँ भींचती हुई सीढ़ियों से होकर ऊपर उसके कमरे में गई लेकिन शुभ अपने कमरे में नहीं था। वह कॉरिडोर से होते हुए सामने की बालकनी की ओर गयी जहां शुभ पहले से ही उसका इंतजार कर रहा था। उसे देखकर अवनी से अपना गुस्सा नहीं संभला और उसने जाकर एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर रसीद कर दिया। उस चाटे से वो बौखलाने की बजाय शुभ और बेशर्मी से मुस्कुराते हुए बोला," क्या हुआ!!! डर गई लेकिन तुम तो मेरी धमकी से डरने वाली नहीं थी। मैं तो बस यूं ही बकवास कर रहा था है ना? इतना जान लो अवनी कि मैं कभी कोरी धमकी नहीं देता हूं। जो कहता हूं वह करता भी हूं फिर चाहे उसके लिए मुझे कुछ भी क्यों ना करना पड़े। मैं चाहे लाख झूठ बोलूं लेकिन झूठी धमकी कभी नहीं देता।"
" चाहते क्या हो तुम और यह सब करके तुम साबित क्या करना चाहते हो?" अवनि गुस्से मे पागल हुई जा रही थी।
"मुझे जो चाहिए वह मैं तुम्हें पहले ही बता चुका हूं। बाकी तो तुमने देख ही लिया मैं क्या कर सकता हूं और क्या नहीं तो अब चुपचाप अच्छे बच्चे की तरह मुझे उस स्टडी रूम का दरवाजा खोलने में मेरी हेल्प करो। बस इतना सा ही तो काम है। तुम्हें कौन सा पहाड़ तोड़ने को कह दिया है मैंने! सिर्फ पासकोड ही तो मांगा है कौन सा तुम्हारा मंगलसूत्र मांग लिया मैंने! अगर नहीं देना तो मत दो लेकिन आज जो हुआ वो तो सिर्फ एक ट्रेलर था। इससे भी बड़ा कोई हादसा हो सकता है। आज तो वह सब के रहते बच गई लेकिन जब वह घर में अकेली होगी तब उसे कौन बचाएगा!" शुभ ने कहा।
"तुम......! तुम निहायती घटिया इंसान हो। मॉम सही कहती है, नीली आंखों वाले शैतान ही होते हैं और तुम सच में इंसान के रूप में एक शैतान ही हो। तुम्हें जो चाहिए वो तुम्हें मिल जाएगा लेकिन इसके बदले अगर मेरी दी को खरोच भी आई तो....... मैं तुम्हें जान से मार दूंगी", अवनि ने कहा।
"यह तुम कुछ अपने पति की तरह नहीं होती जा रही हो!!! इस तरह की धमकी देने का काम बस वही करता है लेकिन मैं धमकी देता भी हूं और करता भी हूं इसीलिए चुपचाप वह नंबर मेरे हवाले कर दो", शुभ ने ऐसे कहा मानो उसे अवनि के गुस्से से कोई फर्क ही नही पड़ता हो।
अवनि ने कुछ देर अपनी आंखें बंद कर दातों को कसकर दबा दिया ताकि वह अपने गुस्से को कंट्रोल कर सके। एक लंबी और गहरी सांस छोड़ने के बाद उसने एक पेन लिया और शुभ के हाथ पर सारांश के स्टडी रूम का पासकोड लिख दिया जो सिर्फ सारांश और अवनी के पास ही था। " लेकिन मुझे इस सब से दूर रखना होगा तुम्हें क्योंकि इसका सीधा-सीधा शक मुझ पर ही जाएगा", अवनी ने उसे चेतावनी दी और अपने कमरे में आकर दरवाजा बंद कर लिया। वह गुस्से से हाफ रही थी और खुद को शांत करने की कोशिश कर रही थी।
सारांश इस वक्त किसी अर्जेंट काम से बाहर गया हुआ था। अवनि ने उसे फोन करना चाहा लेकिन एक रिंग जाते ही उसने फोन काट दिया। शायद वह बिजी हो यह सोचकर उसने फोन साइड में रख दिया लेकिन तभी उसका फोन बजा। सारांश को जैसे ही अवनी का मिस कॉल मिला, वह समझ गया कि जरूर कुछ गड़बड़ है। उसने उसी वक्त अवनी को कॉल बैक किया लेकिन उसका फोन किसी दूसरी कॉल पर बिजी आ रहा था।
अवनी को लगा शायद सारांश ने कॉल बैक किया है इसलिए उसने बिना नंबर देखे फोन उठा लिया लेकिन दूसरी तरफ से उसे श्रेया की आवाज सुनाई दी । श्रेया को जब से शुभ के लक्ष्य होने की बात पता चली थी तब से उसने अवनि के घर आना जाना बंद कर दिया था। लेकिन रोज उसे फोन कर उसकी खबर लेते रहती। श्रेया के साथ शुभ ने जो किया था उसके बाद से वह बुरी तरह से डरी हुई थी और उसके सामने आने से अब तक बचती रही लेकिन अवनि को लेकर वह पूरी तरह से निश्चिंत थी कि पूरा मित्तल परिवार अवनी के साथ खड़ा होगा और खासकर सारांश, जिसके रहते शुभ कभी उसे चोट पहुंचाने की सोच भी नहीं सकता।
आज जब श्रेया ने फोन किया तो उसकी आवाज में एक झिझक थी जिसे अवनि ने साफ महसूस किया।"तुझे जो कहना है तु कह सकती है श्रेया! तुझे मुझसे बात करने के लिए इतना सोचने की जरूरत कब से पड़ने लगी!!!" अवनि ने कहा।
"अवनि बात मेरी नहीं मेरी वह कजिन सिस्टर की है। जिसकी शादी हम दोनों ने अटेंड की थी, तुझे याद है मेरी श्यामा दी! वह जो लंबी सी है और सांवली सी भी। जो कि स्कूल में एक टीचर की जॉब करती है। यार वह अभी बहुत प्रॉब्लम में है। उनके ससुराल वालों ने उन्हें बहुत परेशान किया, खासकर जीजू ने। उनके मां न बन पाने के कारण आए दिन घर में उन्हें परेशान किया जाता रहा है। श्यामा दि से जब तक बर्दाश्त हुआ उन्होंने किया लेकिन जब पानी सिर से ऊपर चला गया तब उन्होंने जीजू से अलग होने का डिसाइड किया। बस कल परसों में उनका डिवोर्स फाइनल हो जाएगा। मैं बस यह चाहती थी कि दी अब उस शहर में ना रहे। मै बस उन्हें उस माहौल से ने बाहर निकालना चाहती थी। क्या तेरे नज़र मे उनके लिए कोई जॉब है?" श्रेया ने कहा।
"हां मैं जानती हूं उन्हें और सही कहू तो अच्छा ही है अगर वह यहां आती है तो! एनजीओ का काम ज्यादा है। अगर वो आती है तो मुझे भी थोड़ी हेल्प मिल जाएगी और वैसे भी मैं सोच रही थी कि कुछ टाइम के लिए दिदु के साथ ही रहूं। इस शुभ पर मुझे बिलकुल भी भरोसा नहीं है। जाने कब उसका दिमाग फिर जाए और उसकी वजह से दीदु को नुकसान पहुंच। उन्हें जितनी जल्दी हो सके बुला लो" अवनि ने कहा और फोन रख दिया।
अवनि अच्छे से जानती थी श्रेया के कजिन सिस्टर के बारे में। वह काफी काबिल थी और भरोसेमंद भी लेकिन कोई भी डिसीजन लेने से पहले उसने एक बार सारांश से बात करने का सोचा और उसे फोन लगा दिया।
सारांश ने भी उसे किसी बात के लिए मना नहीं किया। अगर अवनि उस पर आंखें बंद कर भरोसा कर सकती है तो वह भी अवनि के भरोसे पर भरोसा करने के लिए तैयार था। अवनि ने उसे शुभ के बारे में भी बताया जो कुछ भी उसने किया काव्या के साथ जिसे सुनकर सारांश को भी गुस्सा आ गया।
जैसा कि सारांश ने सोचा था शुभ ने रात को चुपके से सारांश के स्टडी रूम का पासकोड डाल कर दरवाजा खोला। अंदर उसे ढेर सारी फाइल में नजर आई लेकिन कोटेशन की फाइल जो उसे चाहिए थी वह उसे कहीं नहीं दिखा। एक-एक कर सारी फाइलें चेक करने के बाद कोटेशन की फाइल उसे एक साइड में अंदर की तरफ मिला जिसे काफी सावधानी से छुपाया गया था।
शुभ ने उस फाइल से कुछ पेपर्स निकाले। उनकी तस्वीर ली और फाइल को बिल्कुल वैसे ही उसी जगह पर लगा दिया मानो उसे किसी ने छुआ ही ना हो। जैसा कि सारांश ने सोचा था शुभ ने बिल्कुल वैसा ही किया। जब टेंडर खुला तब कॉन्ट्रैक्ट मित्तल की बजाय उस कंपनी को मिला जिसे सारांश ने अवनी के नाम पर खोला था लेकिन शुभ के लिए इतना काफी नहीं था। एक हफ्ते के बाद ही एक और टेंडर मित्तलस् के हाथ से निकल गया और वह भी जरा सा के मार्जिन से।
ऑफिस में हो रही गड़बड़ी के कारण सिया सारांश पर बुरी तरह से भड़क गई थी। बोर्ड मेंबर्स भी थोड़े नाराज से लग रहे थे। ऐसा यह पहली बार था जब सारांश के होते हुए कोई टेंडर उसके हाथ से निकला हो और वह भी दो-दो बार लगातार। "दो महीने बाद एक सरकारी प्रॉपर्टी की नीलामी है। हमें वह जमीन चाहिए किसी भी हालत में, तुम समझ रहे हो सारांश!!! यह जो भी हुआ है वह मुझे नहीं लगता कि सिर्फ एक इत्तेफाक है। कोई है जो हमारे साथ ऐसा कर रहा है। हमारे हाथ से जो भी कॉन्ट्रैक्ट गया है वह जरा सा की मार्जिन से गया है। दो कंपनीज के कोटेशन में दोनों ही बार उतनी ही अमाउंट का फासला......... ऐसा कैसे हो सकता है!!!" सिया परेशान सी होकर बोली।
" रिलैक्स मॉम!!! आप बेवजह टेंशन ले रही है। टेंडर ही तो गया है, कोई बहुत बड़ी चीज तो नहीं चली गई। एक गई दूसरी मिल जाएगी। हमारे पास कोई कमी तो है नहीं और वैसे भी, किस्मत में जो मिलना है वह तो मिलकर ही रहेगा। कोई कितना भी उसे छीनने की कोशिश करें और अगर हमारी किस्मत में वह नहीं है तो फिर चाहे हम उसे कितना भी अपने पास बांधकर रखने की कोशिश करें वह हाथ से फिसल ही जाता है तो आप टेंशन मत लीजिए और चिल कीजिए", सारांश ने किसी दार्शनिक की तरह कहा और सिया के कमरे से निकल गया।
सारांश जानता था कि शिया परेशान है और वह अपनी मां को ऐसे परेशानी में नहीं देख सकता था लेकिन थोड़ी सी परेशानी से वह शुभ को सही रास्ते पर ला सकता था और अपने प्लान को अंजाम दे सकता था। इसके बारे में जितने कम लोग जाने उतना ही सही था और इसके लिए जरूरी था कि सिया थोड़ी सी परेशान हो कंपनी के मैटर को लेकर ताकि शुभ को जरा सा भी शक ना हो और हुआ भी कुछ ऐसा ही। सिया के चेहरे पर तनाव घर के हर किसी ने नोटिस किया। जहां एक और सभी सिया को परेशान देखकर परेशान थे वही शुभ सिया को ऐसे देख खुश हो रहा था।
अवनि से रहा नहीं गया तो उसने सारांश से इस बारे में बात करनी चाहि लेकिन उसने मना कर दिया। उसके प्लान के बारे में सिवाय कार्तिक के और किसी को नहीं पता था खुद अवनी को भी नहीं। उसने बात बदलते हुए कहा,"तुम्हारा एनजीओ में कैसा चल रहा है सब? और वह श्रेया की सिस्टर क्या नाम है उसका श्यामा!!! उसका क्या हाल है?"
"बहुत बढ़िया!!! श्यामा दि ने तो आते ही पूरा एनजीओ ही संभाल लिया। सच में वह बहुत काबिल है। उनकी वजह से ही मैं दिदु का पूरा ख्याल रख पा रही हूं। मेरे गैरहजीरि मे उन्होंने सब कुछ बहुत अच्छे से संभाला है और बाकी सब लोग तो उनसे ऐसे घुलमिल गए जैसे वो सब एक दूसरे के साथ बरसों से रह रहे हो", अवनी ने खुश होकर कहां। वह दोनों कमरे के पास वाले बालकनी मैं बैठे चाय पी रहे थे और शुभ उन दोनों को दूर से ही देख कर जलभून रहा था। उससे उन दोनों के बीच की अंडरस्टैंडिंग और प्यार बर्दाश्त नहीं हो रही थी। उसे तो सारांश का सुखचैन सब कुछ छीना था, सिर्फ कंपनी के टेंडर छीन कर उसका मन नहीं भरने वाला था।
शुभ अपने कमरे में गया और बेचैनी से इधर-उधर टहलने लगा। अवनी और सारांश को अलग करने के उसने मौके तलाशने शुरू किए लेकिन उसे कहीं से कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसे किसी भी हाल में उन दोनों के बीच दरार डालनी थी। शादी के पहले अफेयर को लेकर उन दोनों के बीच गलतफहमी पैदा करना नामुमकिन था यह बात वह अच्छे से जान चुका था इसलिए वह कोई दूसरा रास्ता तलाशने लगा। अचानक से उसके दिमाग में एक आईडिया आया और उसने अपना फोन उठाकर एक नंबर डायल किया," मुझे तुम्हारी जरूरत है। मिलना है तुमसे, कब कहा ये तुम डिसाइड करो"
क्रमश: