Chapter 155

Chapter 155

YHAGK 154

Chapter

 154






 रूद्र ने मौली के ट्रीटमेंट की सारी तैयारी कर ली थी। घर पर उसे क्या बहाना बनाना है और शरण्या को किस तरह हैंडल करता है उसने सब कुछ सोच रखा था। बाकी सब तो ठीक था लेकिन शरण्या को यह शक ना हो इसका उसे खास ख्याल रखना था। इसके लिए जरूरी था कि शरण्या उसे वीडियो कॉल ना करें। 


    शरण्या तो अपने आप में ही गुमसुम बैठी हुई थी


 जब से उसने इशिता और रुद्र के बीच की उस कड़ी बारे में जाना था तबसे वह उदास रहने लगी। इधर रजत और नेहा की शादी की तैयारियां भी करनी थी। साथ ही रेहान और लावण्या की शादी की सालगिरह भी थी। सारे काम एक साथ करने थे और रूद्र के पास वक्त नहीं था। 


    रुद्र के घर से यूं गायब होने के कारण रेहान चिढ़ गया और बोला, "जब भी काम होता है तब यह लड़का गायब रहता है! समझ नहीं आता किस तरह का जिम्मेदार इंसान है! एक तरफ तो कहता है कि रजत उसके भाई जैसा है और अब जब उसकी शादी है तो शादी की तैयारियां करने की बजाए वह ट्रिप पर निकल गया। कभी कभी नहीं, मुझे तो कभी भी यह लड़का समझ नहीं आया। कब क्या करता है, कब क्या कर जाएगा कुछ पता नहीं चलता।"


     शिखा जी वहीं बैठे रेहान की सारी बातें सुन रही थी। उन्होंने रेहान को चुप कराते हुए कहा, "वैसे तुम्हारी भी काफी सारी हरकतें ऐसी है जो हम कभी समझ नहीं पाए। कम से कम वह तुम्हारी तरह तो नहीं। जिम्मेदार है वह और अपनी जिम्मेदारी बहुत अच्छे से जानता है। इस बारे में अगर तुम बात नहीं करो तो बेहतर होगा।" शिखा जी उठी और वहां से चली गई। 


     रेहान झुंझला कर रह गया। "आखिर कोई रूद्र को कुछ कहता क्यों नहीं है? एक तो वैसे ही ऑफिस की सारी जिम्मेदारी मेरे सर पर है। पापा ने भी रिटायरमेंट ले ली, और लावण्या........ आजकल पता नहीं उसका ध्यान कहां रहता है!" अपने में बड़बड़ाते हुए रेहान ऑफिस के लिए निकल गया। 


      मौली की ट्रीटमेंट के सारे इंतजाम हो चुके थे इसीलिए उसमें कोई भी वक्त नहीं लगना था। इशिता भी समय-समय पर मौली को देखने आ जाया करती। पूरा दिन मौली की ट्रिटमेंट् और अपने ऑफिस के काम में परेशान रहने के बाद रात को रूद्र खुद शरण्या को फोन करता। वह इस बात से निश्चिंत था कि शरण्या उसे कॉल नहीं कर रही। कम से कम वो मौली को लेकर झूठ बोलने से बच जाता था। 


    शरण्या की आवाज उसे मुरझाई हुई सी लगती तो पूछता,, "शरण्या! अगर तुम मुझे ज्यादा मिस कर रही हो तो मैं चला आता हूं लेकिन मैं रुक नहीं पाऊंगा। कुछ काम है मुझे अर्जेंट! हो सके तो हम रजत और नेहा की शादी के बाद ही मिल पाएंगे। इस वक्त शेड्यूल बहुत ज्यादा टाइट है मेरा। अपने खुद के लिए वक्त नहीं निकाल पा रहा इसलिए तुम्हें पूरा दिन फोन नहीं कर पाता हूं। लेकिन जब भी रात को अकेला होता हूं......... बिना तुमसे बात किए मेरा दिन पूरा कैसे हो सकता है?"


     रूद्र की बातें शरण्या की आंखें नम कर जाती और गला रूंध जाता। अपनी सिसकियों को रोक कर वह बड़ी मुश्किल से बोलती, "रूद्र....! बहुत प्यार करते हैं तुम मुझसे! लेकिन मैं तुम्हारी मजबूरी समझ सकती हूं! मेरी तरफ से खुद को बंधा हुआ कभी महसूस मत करना। प्यार हमें आजादी देता है बंधन नहीं! क्योंकि जिस दिन यह बंधन बन जाता है ना, हमारा दम घुटने लगता है। चाहे मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड बन कर रहूं या तुम्हारी वाइफ, तुम्हारी आजादी कभी नहीं छिनूँगी। मैं उन बीवियों की तरह नहीं हूं जो अपने पति से बार बार फोन करके शिकायत करती है या फिर सवाल! मैं समझ सकती हूं तुम बिजी हो इसलिए तुम्हें फोन करना मैं सही नहीं समझती लेकिन यकीन मानो, हर रात मुझे तुम्हारे फोन का इंतजार रहता है।"


     शरण्या की बातें रूद्र को काफी राहत पहुंचाती। मौली को लेकर जितना वह परेशान था शरण्या उसका सुकून थी। वो चाहे कहीं भी हो, उसे वापस लौटकर शरण्या के पास ही आना है, यह सोच कर रूद्र मुस्कुरा देता। वक्त बितते देर नहीं लगी और मौली का ट्रीटमेंट भी सक्सेसफुल रहा। लेकिन इस ट्रीटमेंट की वजह से मौली काफी ज्यादा कमजोर हो गई थी। उसे अगले कुछ दिनों तक बेड रेस्ट पर ही रखना था, ऐसे में वह मौली को घर कैसे लेकर जाए वह यही सोच रहा था। क्योंकि इस बीच बात रजत और नेहा की शादी की भी थी। 


     रजत मौली से बहुत प्यार करता था और अपनी शादी में वो मौली को अपने पास देखना चाहता था। हार कर जब उसे कोई और रास्ता नहीं सूझा तो वह मौली को लेकर घर पहुंचा। तब तक मौली थोड़ी रिकवर कर चुकी थी और बोलने की हालत में थी। 


    अगले दिन ही रजत की हल्दी थी। रात को रूद्र मौली को लेकर घर पहुंचा और उसे उसके कमरे में सुला कर उसके सिरहाने बैठ गया। लावण्या ने जब मोली को इस तरह रूद्र की गोद में आते देखा तो उसे मौली का चेहरा बेजान नजर आया। घबराहट में उसने शरण्या को फोन कर दिया और बोली, "मौली की तबीयत ठीक नहीं है। रूद्र पता नहीं उसे कहां से लेकर आया है। वह किसी ट्रिप पर गई थी लेकिन किस तरह की ट्रिप थी वह और क्या हुआ है मौली के साथ, रूद्र हमें तो कुछ बताने से रहा! शायद वो तुझे बता दे। मौली की तबीयत बिल्कुल भी ठीक नहीं लग रही।"


   शरण्या ने जब सुना तो वह बेचैन हो गई और उसी वक्त सिंघानिया हाउस के लिए भागी। रूद्र मौली को हल्का खाना खिलाकर उसे सुलाने की कोशिश कर रहा था। शरण्या जब तक घर पहुंची उस वक्त तक मौली सो चुकी थी। घर में शिखा जी के अलावा इस बारे में किसी को भी जानकारी नहीं थी कि आखिर मौली को हुआ क्या है। 


    शरण्या ने जब मौली का चेहरा दिखा तो वह रो पड़ी। उसने रूद्र का कॉलर पकड़ लिया और बोली, "क्या हुआ मेरी बच्ची को? ऐसी कौन सी जगह तुम लेकर गए थे तो इसकी यह हालत हो गई है? किसने किया यह सब बताओ मुझे! रूद्र तुम मुझसे झूठ नहीं बोल सकते! इतने दिनों से क्या छुपाते आए हो तुम मुझसे? मुझे सच जानना है, सिर्फ सच! इस वक्त अगर तुम्हें मुझसे झूठ बोलना है तो तुम चुप रहोगे। अगर अपनी जबान खोलोगे तो सिर्फ सच बोलने के लिए क्योंकि इस वक्त सच के सिवा मैं और कुछ नहीं सुनना चाहती। क्योंकि बात यहां मेरी बेटी की है!"


     शरण्या की आंखों में गुस्सा था। रूद्र ने उसे गले से लगा लिया और बोला, "मुझे माफ कर देना! मैंने तुमसे बिना पूछे बिना, तुम्हें बिना बताएं मौली का ट्रीटमेंट करवाया। तुम्हें याद है, नए साल पर मौली के साथ जो एक्सीडेंट हुआ था उसके बाद हमने उसका ब्लड टेस्ट करवाया था?"


     शरण्या ने खामोशी से हां में गर्दन हिला दी। रूद्र ने सारी बातें शरण्या के सामने खोल कर रख दी। रूद्र ने कहा, "जब मौली पैदा हुई थी उस वक्त हमने उस का स्टेम सेल बैंकिंग करवाया था। इशिता उसकी गार्डियन थी इसीलिए मुझे उसे यहां बुलाना पड़ा ताकि हम मौली का ट्रीटमेंट बिना किसी रोक-टोक के कर पाए और वो जल्द से जल्द ठीक हो जाए। मैं बिल्कुल नहीं चाहता था कि इसकी खबर रेहान को लगे। मैं नहीं चाहता कि रेहान और लावण्या के बीच फिर से कोई प्रॉब्लम हो। उन दोनों के बीच में अभी अभी सब कुछ नॉर्मल हुआ है। अगर इस बारे में मैं उसे बताता तो बात और खराब हो सकती थी।"


    शरण्या को यह जानकर अच्छा लगा कि रूद्र ने इशिता के बारे में उससे नहीं छुपाया। इशिता मौली के ट्रीटमेंट के लिए यहां आई थी यह बात तो उसे समझ आई लेकिन रेहान और लावण्या के बीच प्रॉब्लम थी, यह उसे समझ नहीं आया। वो रूद्र से अलग हुई और बोली, "रेहान और लावण्या दी के बीच में क्या प्रॉब्लम हुई थी? उन दोनों के बीच सब ठीक तो है! मुझे तो कहीं से कोई गड़बड़ नहीं दिखी।"


      रूद्र ने उठकर सबसे पहले दरवाजा बंद किया और शरण्या के पास आकर बैठते हुए बोला, "एक्चुअली! लावण्या को मौली के बारे में पता चल गया है।" 


     शरण्या की आंखें हैरानी से फैल गई। उसने कहा, "लावण्या दी को पता चल गया कि रेहान ने उन्हें चिट् किया है? तो फिर लावण्या दि रेहान के साथ कर क्या रही है?"


    रुद्र उसे चुप कराते हुए बोला, "लावण्या ने तय किया है कि वो रेहान को नहीं छोड़ेगी, वह उसे एक मौका देगी।"


    रुद्र की बात सुन शरण्या और भी ज्यादा हैरान हो गई और बोली, "मुझे यकीन नहीं होता कि लावण्या दी ने ऐसा कुछ कहा है, या फिर वह ऐसा कुछ करने वाली है। जहाँ तक मैं अपनी बहन को जानती हूं वह रेहान को बिल्कुल भी नहीं छोड़ेगी! मेरा मतलब वो रेहान के साथ नहीं रह सकती। जरूर कुछ तो गड़बड़ है जो हमें नजर नहीं आ रही है, जो तुम्हें भी नजर नहीं आ रही!"


    एक पल को रूद्र भी सोच में पड़ गया और बोला, "कुछ तो गड़बड़ जरूर है! चीजें जैसी दिख रही है वैसी नहीं है, यह बात मुझे अच्छे से समझ आ रही है। लेकिन लावण्या आगे क्या करने वाली है यह मुझे समझ नहीं आ रहा। कहीं लावण्या ने जानबूझकर तो.........." कहते कहते रूद्र रुक गया। शरण्या ने उसे आगे बोलने का इशारा किया तो रूद्र ने ना में सर हिलाते हुए कहा, "कुछ नहीं! मैं थोड़ा ज्यादा सोच रहा हूं। तुम परेशान मत हो! मौली बिल्कुल ठीक है। डॉक्टर ने कहा है कुछ टाइम रेस्ट करेगी तो वह फिर पहले की तरह हो जाएगी। वीकनेस है। आखिर इतने हार्ड ट्रीटमेंट से गुजरी है। जब तुम्हें इतनी तकलीफ हो रही है तो सोचो मुझे कितनी तकलीफ हो रही होगी अपनी बच्ची को इस तरह देख कर!" शरण्या की आंखों में एक बार फिर आंसू आ गए। उसने झुककर मोली का सर चूम लिया। 




    रजत अपनी हल्दी के लिए तैयार था। नेहा अपनी फैमिली के साथ सिंघानिया हाउस पहुंच चुकी थी। सफेद पीली साड़ी में नेहा बहुत खूबसूरत लग रही थी। शरण्या ने जब उसे देखा तो उसकी बलाए लेते हुए बोली, "आज तू इतनी खूबसूरत लग रही है ना कि रजत तो क्या कोई भी तुझे देख कर फिसल जाएगा!"


    नेहा ने शरारत से कहा, "फिर तो अपने रूद्र को बचा कर रखना!" शरण्या ने झूठे गुस्से से नेहा की तरफ देखा और दोनों हंस पड़ी।


      रूद्र सफेद कुर्ते पजामे में था। उसे देख कर विहान की मम्मी बोली, "आज तो रजत की हल्दी है ना! तुम क्यों दूल्हा बन बैठे हो?"


      रूद्र भी मजाक करते हुए बोला, "वह क्या ना आंटी! अब मेरी और शरण्या की शादी तो मंदिर में हुई थी, किसी को खबर ही नहीं है इस बारे में तो सोचा क्यों ना आज मैं भी अपनी हल्दी करवा लूं! क्या कहती हो....... बीवी!" रूद्र शरण्या की तरफ देखते हुए बीवी पर कुछ ज्यादा ही जोर देकर कहा तो शरण्या शरमा गई। उसे और ना छोड़ते हुए उसने कहा, "मैं जाकर रजत को देख कर आता हूं। पता नहीं वह लड़का तैयार हुआ भी या नहीं? यार, लड़कियां तैयार होने में ज्यादा टाइम लगाती है लेकिन यहां तो हमारे दूल्हे मियां इतना टाइम लगा रहे हैं। पता नहीं क्या कर रहा है? कहीं भाग तो नहीं गया नेहा?"


    नेहा क्या कुछ कहती, शरण्या ने हीं अपनी सैंडल निकाली और रूद्र को उछाल कर मारा। रूद्र ने भी सैंडल कैच कर ली और भागने की बजाए बड़े प्यार से आकर शरण्या के पैरों में पहना दिया। वहां मौजूद किसी औरत ने चुटकी ली, "यह देखो जोरू का गुलाम!"


    रूद्र ने भी उनकी बात पर सहमति जताते हुए गुनगुनाया, "मैं जोरू का गुलाम बनके रहूंगा!" कहकर अपने शरण्या के गाल पर किस किया और वहां से भाग गया। शरण्या सबके बीच शर्म से पानी पानी हो गई। शिखा जी ने जब यह सारा माजरा देखा तब उसने आपने पर्स से कुछ पैसे निकाले और शरण्या के सर पर वार कर नौकर को दे दिया। 


    रूद्र रजत के कमरे में पहुंचा उस वक्त रजत अपने नाखून चबा रहा था। रुद्र को समझते देर नहीं लगी कि रजत इस वक्त बहुत ज्यादा नर्वस है। उसने कहा, "चले दूल्हे मियां! आप की दुल्हनिया आ गई है।"


    रजत उठा और बेचैनी में टहलने लगा। उसने कहा, "मुझे बहुत घबराहट हो रही है। मैंने पहले कभी नहीं किया यह सब।" रुद्र अपने दोनों बाजुओं को फोल्ड करके बोला, "हां! जैसे मेरी तो 50 शादियां हो चुकी है और नेहा की भी! अबे गधे, हर किसी की लाइफ में यह दिन एक बार ही आता है! तुकिस्मत वाला है जो तेरी जिंदगी में यह दिन आया। मेरी किस्मत में तो वह भी नहीं था। हमारी तो मंदिर में शादी हो गई। अबे शादी एक ही बार होती है। एक ही लाइफ में दो बार घोड़ी चढ़के गधे बनने का सुनहरा अवसर हर किसी को नहीं मिलता तो चुपचाप नीचे चल। वो लड़की होकर पहले पहुंच गई और हम लड़के वाले पीछे रह गए। तेरी वजह से हमारी बैंड बच जाएगी। तेरी तो बाद में बजेगी पहले हमारी वाट लगेगी। लड़की वालों के सामने हमारी इज्जत का कचरा कर दिया तूने। अब चल वरना उठा कर ले जाऊंगा।"


     रजत घबरा गया और रुद्र के साथ कमरे से बाहर जाने को हुआ तो रूद्र उसे रोककर बोला, "ऐसी शक्ल लेकर जाएगा? थोड़ा सा स्माइल कर दे वरना नेहा समझेगी कि तेरी जबरदस्ती शादी करवा रहे हैं हम।" नेहा के बारे में सोचकर ही रजत मुस्कुरा दिया।