Chapter 9

Chapter 9

YHAGK 8

Chapter

     रेहान खुद मे ही उलझा हुआ था। वो ना तो लावण्या को कॉल कर पा रहा था और ना ही घरवालों से इस बारे मे बात कर पा रहा था। वही लावण्या की हालत भी कुछ ऐसे ही थी। अपना फोन हाथ में लिए ना जाने कब से वह रेहान के कॉल का वेट कर रही थी। जब उससे रहा नहीं गया तो उसने खुद उसे कॉल करने का सोचा लेकिन जब उसने कॉल लगाया उस टाइम रेहान का फोन बिजी आ रहा था। दरअसल रेहान भी इसी उधेड़बुन में लगा लावण्या को ही कॉल लगा रहा था। दोनों एक ही वक्त में एक दूसरे को कांटेक्ट करने कोशिश कर रहे थे जिस कारण उन दोनों का ही फोन बिजी आ रहा था। रेहान झुँझला गया, "इतनी रात को किस से बात कर रही हो? मुझसे तो कभी बात नहीं किया! अब मैं क्या करूं? किसके पास जाऊं जो मेरी प्रॉब्लम को सॉल्व करेगा?" अचानक से उससे रुद्र का ख्याल आया। 

      रुद्र सोने की बजाय रात के इस वक्त अपनी खिड़की पर बैठा किन्हीं ख्यालों में गुम था। उसके दिमाग में बार-बार शरण्या की शादी की बात किसी हथौड़े की तरह चल रही थी और बार-बार वह उस खयाल को झटक देता। "तुझे क्यों इतनी फिक्र हो रही है रूद्र? उसकी शादी हो जाएगी यहां से चली जाएगी तो तू सुकून की जिंदगी जिएगा लेकिन नहीं!!! तुझे तो हर मामले में टांग अड़ाने की आदत सी है। वह रहे तो प्रॉब्लम! वो ना रहे तो प्रॉब्लम!! आखिर तु चाहता क्या है? वैसे कुछ भी बोल यार.....उसकी आंखें हैं बड़ी खूबसूरत! आज पहली बार उसे इतने करीब से देखा है!" यह सोचते ही एक बार फिर रूद्र का दिल जोरों से धड़क उठा। शरण्या की सांसे अपने सीने पर महसूस करता हूआ रुद्र बेचैन हो उठा। यह सब उसके लिए किसी सपने से कम नहीं था। जिस लड़की से उसकी कभी नहीं बनी, ना स्कूल में! ना कॉलेज में! और ना ही कॉलेज के बाद! उस लड़की के लिए इस तरह कुछ महसूस करना अपने आप में ही अजीब था जिससे वह बेचैन हो उठा। उसने आंखें मूंदकर बिस्तर पर सोने की कोशिश की लेकिन आंखें बंद करते ही शरण्या का चेहरा बार-बार उसके जेहन में उभर रहा था। रूद्र पूरी तरह से झल्ला उठा और उठ कर बैठ गया। ये लड़की भी ना! मुझे कभी चैन से जीने नहीं देगी। स्पेस में भी चला जाऊं तब भी यह मेरे पीछे पीछे भूत बनकर ही आएगी। छोड़ उसे रूद्र! कर रहा है तु, वह तुझे पागल बना देगी। रात बहुत हो गई है अब तू सो जा, गुड नाइट!!" कह कर उसने चादर से अपने पूरे मुंह को ढका और सो गया। 

     रेहान जब तक रूद्र के कमरे में पहुंचा, वह गहरी नींद में सो चुका था। उसके दिल ने कहा "सो गया है बेचारा! सोने दे उसे, कभी-कभी तो रात को सोता है वह। वरना तो रात भर पार्टी करता है" लेकिन उसके दिमाग ने कहा "उसकी वजह से प्रॉब्लम में तु फंसता है। उसकी वजह से तेरी वाट लगती है। इस वक्त जब तू इतना बेचैन है, जब तुझे उसकी हेल्प की जरूरत है तो ये यहां चैन से सो रहा है। इतना भी अच्छा मत बनो कि लोग तेरी अच्छाई का पेपर बोट बनाकर तेरे इमोशन के ऊपर ही चला दे। उठा उसे" रेहान ने एक बार भी नहीं सोचा और एक लात उसे दे मारी जिससे कि वह सीधे बेड से नीचे जा गिरा। 

     अचानक हुए इस हमले से रूद्र घबराते हुए उठा और चिल्लाने लगा, "चोर! चोर!! चोर!!! घर में कोई चोर घुस आया है। बचाओ कोई मुझे?" रेहान ने उसका मुंह जोर से दबाते हुए कहा, "अबे चुप!!! यहां कोई चोर नहीं आया है। मैं हूं, मैं!!! कमीनी तेरा भाई! सच में यार, तु सच मे रजिया ही है। शरण्या बिल्कुल सही बोलती है तेरे बारे में। कमीनी चोर आया है तो उसे पकड़ने के बजाय तू खुद को बचाने के लिए चिल्ला रही है। अभी अगर शरण्या होती तो दो चार हाथ लगा चुकी होती मुझे।" रूद्र अपने आपको उसकी पकड़ से छुड़ाते हुए बोला, "अभी चाहे जो भी हो, चोर हो या ना हो लेकिन इतनी रात को तु मेरे कमरे में क्या कर रहा है और वह भी इस तरह!!! ऐसे कौन जगाता है यार? तेरा भाई हूं, कोई दुश्मन नहीं! मुझे लगा जागते में तो वह शाकाल मुझे जीने नहीं देती, सपने में भी उसने ही मुझ पर हमला कर दिया, तुझे पता भी है? सही है तुम दोनों का! तुम दोनों ने मिलकर जीना हराम कर रखा है मेरा।"

       "अच्छा बेटा! हम दोनों ने मिलकर तेरा जीना हराम कर रखा है? तेरी वजह से मेरी लाइफ बर्बाद हो रही है, तुझे पता भी है? तेरे फटे को सीलते सीलते अब मेरी फट गई है तो अब तुझे मेरा फटा सीलना पड़ेगा।" रेहान की बातें रूद्र की समझ से परे थी। उसने कहा, "तू कब से टेलर बन गया मेरे भाई? कोई नया बिजनेस शुरू किया तूने क्या? मतलब पापा का बिजनेस डुबा दिया तूने!!! देख लो दुनियावालों यह है उनका लायक बेटा जिसके बारे में बड़ी-बड़ी डींगे हांकते हैं।" 

      रेहान ने अपना सिर पीट लिया और बोला, "मैं रेहान हूं, रुद्र नहीं! और तू रुद्र है, रेहान नहीं। इसलिए अपना दिमाग इतना मत चला वरना खर्च हो जाएगा। मेरे कहने का मतलब यह है कि तेरे जो भी पंगे होते हैं ना उन सबको मुझे संभालना पड़ता है और अभी कई ऐसे पंगे है तेरे जिसके बारे में घर में किसी को नहीं पता और अगर तूने ज्यादा बकवास की ना तो तेरे सारे कांड पूरे घर वालों के सामने लाकर खड़ा कर दूंगा फिर देखना बेटा तेरा घर से बाहर निकलना कैसे बंद होता है।"

       रेहान की बातें वैसे तो सारी ही सही थी लेकिन अब तक रूद्र ने जितने भी कांड किए थे उन सब में रेहान ने भी उसका साथ दिया था। फिर चाहे उसे किसी प्रॉब्लम से निकालना हो या फिर घरवालों से बचाना हो, वह भी बराबर का हिस्सेदार था और रुद्र यह बात जानता था कि अगर घर वालों को उसके कारनामों के बारे में पता चला तो खुद उसकी भी पोल खुलेगी तो बिना इधर उधर की बातें किए रुद्र ने सीधे सीधे सवाल किया, "तू धमकी क्यों दे रहा है भाई? कुछ प्रॉब्लम है तो सीधे-सीधे बात कर ना, इस तरह ब्लैकमेल करने की क्या जरूरत पड़ गई तुझे? और फिर रेहान सिंघानिया को किसी की हेल्प की जरूरत है और वह भी मेरी, यह तो मेरे लिए किसी सौभाग्य से कम नहीं है! अब सच-सच बता कौन सा कांड किया है तूने जिसके लिए मेरी हेल्प चाहिए तुझे?"

      रूद्र की टेढ़ी भौंहें देख रेहान बेड पर बैठते हुए बोला, "पंगे मैंने नहीं लिया है यार!!! लेकिन पंगा मेरे सर पर पड़ा है। आज तूने सुना ना, सब लोग किस बारे में बात कर रहे थे? माँ को भी क्या जरूरत थी शादी की बात उठाने की? अभी कौन सी उम्र है हमारी शादी करने की यार! अभी तो लाइफ इंजॉय करने का टाइम है और अभी से ही हमारी शादी के पीछे पड़ गए सब! तू खुद सोच, क्या तू अभी शादी के लिए तैयार हैं?" रूद्र को भी रेहान की बातें सही लगी। आखिर उसे शादी तो क्या शादी के बात से भी नफरत थी। वह जमीन पर से उठते हुए बोला, "देख भाई! वैसे तो यह हमारी उम्र नहीं है शादी की लेकिन यहां बात हमारी नहीं, सिर्फ तेरी शादी की हो रही है। अब अगर ललित अंकल ने तेरे लिए कोई रिश्ता ढूंढा है, उनकी नजर में तेरे लायक कोई लड़की है तो फिर हर्ज क्या है? मिल ले उसे और देख ले। पसंद आए तो ठीक, ना पसंद आए तो सीधे मना कर देना। आखिर पूरी लाइफ का सवाल है।"

     रेहान ने अजीब नजरों से उसे घूरा और बोला, "तुझसे ज्यादा अक्ल है मुझ में। इतना तो मुझे भी समझ में आता है कि अगर लड़की पसंद ना हो तो उसे मना कर देते हैं। लेकिन अगर लड़की पहले से पसंद हो तो फिर किसी और लड़की से मिलने का क्या मतलब है? इससे उस लड़की का भी टाइम वेस्ट होगा और उस लड़की के दिमाग में भी गलतफहमी होगी ना, जो लड़की पसंद है! ऐसे में तो ना माया मिलेगी ना राम! मतलब यह की ना ये लड़की मिलेगी और ना हीं वो लड़की। एक को मैं रिजेक्ट करूंगा तो दूसरी मुझे रिजेक्ट कर के चली जाएगी, इसीलिए मुझे तेरी हेल्प चाहिए।"

     रूद्र को अपने कानों पर भरोसा नहीं हुआ। उसने हैरानी से दो पल रेहान को घूरा, फिर अपने हथेली से उसका माथा छूते हुए बोला, "भाई तुझे बुखार तो नहीं हो गया ना? तेरी तबीयत तो ठीक है ना? अभी-अभी तूने जो कहा वह मैंने सही सुना या फिर मेरे कान बज रहे हैं? तुझे कोई लड़की पसंद आ गई है? इसका मतलब विश्वामित्र की तपस्या सच में किसी मेनका ने भंग कर दी! यह कब हुआ? यह कैसे हुआ? और यह कहां हुआ? तु तो छुपा रुस्तम निकला रे! इतनी बड़ी बात मुझे पहले नहीं बता सकता था? अगर आज मां ने तेरी शादी की बात ना छेड़ी होती तो तु मुझे कभी बताने वाला भी नहीं था। बेटा मुझे तो पहले से ही पता था, तु है तो सीधा साधा बंदा, लेकिन किसी दिन जरूर बहुत बड़ा वाला कांड करेगा। अब बता कौन है वह? वरना मैं अभी के अभी चिल्ला चिल्ला कर पूरे घर को इकट्ठा कर लूंगा!"

    रेहान उसका मुंह बंद करते हुए बोला, "अबे यार बताऊंगा! सब कुछ बताऊंगा! तुझे ही तो बताऊंगा! लेकिन पहले उसे तो बता दु जिसे बताना है! ना जाने वो कैसे रिएक्ट करेगी? सच कहूं तो मुझे लगता है शायद वो भी मुझे पसंद करती है। उससे मिलकर तो कम से कम ऐसा ही लगता है। स्कूल में था तब से उसे लाइक करता हूं यार लेकिन आज तक हिम्मत नहीं हुई उसे कुछ कहने की। लेकिन अब अगर नहीं कहा तो बहुत देर हो जाएगी। तू एक काम कर, तू किसी भी तरह से शरण्या से मेरी मीटिंग फिक्स करा दे और बोल देना कि लावण्या को भी लेकर आए।"

       शरण्या की नाम सुनते ही दूर हो जैसे चार सौ चालीस वोल्ट का झटका लगा। उसे लगा उसके कान बज रहे हैं। वह अपने दोनों कानों को रगड़ने लगा जिससे कि वह लावण्या वाली बात सुन नहीं पाया। वह झटके से उठा और चिल्लाते हुए बोला, "अबे तुझे शरण्या से मिलना है? तेरा दिमाग तो ठिकाने पर है? तुझे वह लड़की पसंद है? मतलब तुझे वह शरण्या, मतलब वह शाकाल, मतलब वह लड़की पसंद आई तो लड़की भी नहीं है!!! मुझे पता था कि तू एक दिन जरूर कोई कांड करेगा लेकिन इतना बड़ा कांड करेगा यह मैंने नहीं सोचा था! अरे तुझे एहसास नहीं है कि तू क्या करने जा रहा है? नहीं! नहीं!! नहीं!!! मैं तुझे इतनी बड़ी गलती नहीं करने दूंगा। अब चाहे जो हो जाए, मैं शरण्या से तुझे मिलना तो दूर तुझे बात तक नहीं करने दूंगा। अच्छा है जो उसके पास तेरा नंबर नहीं है!"

     रूद्र अपने ही धुन में बोले जा रहा था और बेचारा रेहान उसे समझा भी नहीं पा रहा था। उसने आव देखा ना ताव, फिर से एक लात उसके पिछवाड़े पर दे मारी जिससे बेचारा रूद्र बिस्तर पर जा गिरा। 

      

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