Chapter 163
YHAGK 162
Chapter
162
रूद्र यकीन नहीं हो रहा था कि शादी से चंद दिनों पहले शरण्या ने इतना बड़ा कदम उठाया। पिछले कुछ दिनों से वह परेशान तो थी और रूद्र ने अपनी तरफ से हर वह कोशिश की थी लेकिन उसे पता नहीं चल पाया था। एकदम से रूद्र को शरण्या का ध्यान आया और उसे रोकने के लिए बाहर की तरफ भागा। रूद्र गाड़ी के पास आया और जल्दी से दरवाजा खोलकर बैठा। उसने गाड़ी स्टार्ट की लेकिन उसे जाना कहां था यह समझ नहीं आया। बेचैनी इतनी थी उसका दिमाग काम नहीं कर रहा था। उसने अपना सिर पकड़ लिया।
रजत को रुद्र का काम निपटाने में कुछ खास वक्त नहीं लगा। उसने फटाफट काम निपटाया और बाहर की तरफ निकला, तब तक अंधेरा हो चुका था। वो ऑफिस से जैसे ही निकला तभी उसका फोन बजा। देखा तो विहान का कॉल था। रजत में कॉल रिसीव किया तो विहान बोला, "रजत! सॉरी मैंने तुम्हें डिस्टर्ब तो नहीं किया?"
रजत मुस्कुराते हुए बोला, "हां बिल्कुल! मैं अभी अपनी बीवी के पास जा रहा था। वहां पहुंच के बाद कॉल करते तो तुम्हें नहीं छोड़ता।"
विहान भी हंस पड़ा और बोला, "वह एक्चुअली मैंने और मानसी ने तुम दोनों के लिए डिनर डेट प्लान की थी। मेरा मतलब हम तुम दोनों को डिनर पर इनवाइट करने वाले थे। मेरा मतलब हम चारों साथ में डिनर.......! अगर तुम और नेहा हमें ज्वाइन करते तो........!"
विहान ने अपनी बात अधूरी छोड़ दी। रजत बोला, "इसमें इतना सोचने वाली क्या बात है? बताओ कब आना है कहां आना है मैं तैयार हूं। बस नेहा को कॉल करके कह देता हूं तैयार रहने के लिए।"
विहान जल्दी से बोला, "मैंने नेहा को फोन कर दिया है। तुम बस उसे घर से पिक कर लो मैं तुम्हें होटल का एड्रेस भेज रहा हूं।" कहकर उसने फोन काट दिया। रजत कुछ देर फोन को देखता रहा और मुस्कुरा दिया। विहान और नेहा के बीच के रिश्ते को रजत बहुत अच्छे से समझता था और उसे इस बात से कोई एतराज नहीं था। तब तक नहीं जब तक नेहा इस ओर कदम नहीं बढ़ाती। अब जबकि उन दोनों की शादी हो चुकी थी, ऐसे में नेहा का विहान के बारे में सोचना गलत होता। जो काम उसने इतने सालों तक नहीं किया वो आगे भी नहीं करेगी, बस रजत को इसी बात की उम्मीद थी और नेहा पर पूरा भरोसा भी था। विहान मानसी से कितना प्यार करता है यह बात भी वो बहुत अच्छे से जानता था।
रजत ने गाड़ी निकाली और अपने घर के दरवाजे पर पहुंचा। अंदर आने की बजाय उसने बाहर से ही नेहा को फोन किया और आने को कहा। नेहा तैयार थी और उसी का इंतज़ार कर रही थी। रजत के कहने भर की देर थी और नेहा जल्दी से आकर गाड़ी में बैठ गई। दोनों ही विहान के बताएं एड्रेस पर जाने के लिए निकल गए।
कुछ देर में वो दोनों उस होटल के बाहर पहुंचे। वहां विहान पहले से मानसी के साथ मौजूद था। बच्चे अपने दादा दादी के पास थे। चलते हुए रजत ने विहान से पूछा, "यह अचानक डिनर प्लान? कोई खास बात है क्या?"
विहान बोला, "कुछ खास नहीं। काफी टाइम हो गया मैंने मानसी को टाइम नहीं दिया। मानसी की प्रेगनेंसी और मेरा ऑफिस का लोड इस सब में हम दोनों ही कहीं उलझ कर रह गए तो सोचा अब इसी बहाने हम दोनों एक साथ डिनर भी कर लेंगे और साथ में तुम दोनों को शादी की ट्रिट भी दे देंगे। वैसे शादी के बाद पहली बार तुम लोग डेट पर जा रहे हो?"
रजत मुस्कुराते हुए बोला, "डेट नहीं यार, डबल डेट बोलो वह भी शादी के बाद।" और वह दोनों हंस पड़े।
होटल के अंदर पहुंचकर उन चारों ने अपनी अपनी सीट पकड़ ली। वेटर ने आकर उन्हें मेन्यू कार्ड पकड़ाया और खुद पेन पेपर लेकर खड़ा हो गया। विहान मेन्यू कार्ड देखने में लगा हुआ था तो मानसी ने कहा, "वैसे विहान! आपको नहीं लगता कि आप किसी को भूल रहे हैं?"
विहान का ध्यान मेनू कार्ड से हटकर मानसी की बातों पर गया और एकदम से उसे ख्याल आया। वह चौक कर बोला, "इस सब् में तो मैं रूद्र को इनवाइट करना तो भूल ही गया! उसे और शरण्या को भी इनवाइट कर लेना चाहिए था यार! मैं......... मेरे दिमाग से कैसे उतर गया? मैं अभी उसे फोन करता हूं, वरना वो मुझे ताने मार मार कर मार डालेगा।" कहते हुए विहान ने अपना फोन निकाला और रूद्र का नम्बर डायल करने लगा। रजत उसका फोन लेकर टेबल पर रखते हुए बोला, "उन दोनों का कुछ और प्लान है। इस वक्त वह दोनों ही एक दूसरे के साथ अलोन टाइम स्पेंड कर रहे हैं।"
विहान ने सुना तो उसने सबसे पहले वेटर को आर्डर दिया ताकि वो वहाँ से चला जाए। जब वेटर आर्डर लेकर चला गया तब विहान अपना फोन उठाते हुए बोला, "फिर तो उसे परेशान करना बनता है। मेरी टांग खिंचाई करने में वह कभी पीछे नहीं रहता। अभी मुझे मौका मिला है तो मैं क्यों छोड़ु? तू रुक जा बेटा, देख अब मैं तुझे कैसे परेशान करता हूं!" कहते हुए उसने रूद्र को फोन लगाया। मानसी ने उसे रोकना चाहा और बोली, "विहान आप भी ना! उन दोनों को परेशान कर रहे हैं? इतने टाइम बाद तो दोनों साथ आए हैं आज रहने दीजिए ना!"
लेकिन विहान ने उसकी एक न सुनी और फोन लगा दिया। कुछ देर रिंग जाने के बाद दूसरी तरफ से रूद्र ने फोन उठाया लेकिन कुछ कहा नहीं। विहान बोला, "क्यों बे कमीनी क्या कर रहा है? सोचा थोड़ा तुझे डिस्टर्ब कर लूं। शादी होने वाली है तेरी, कुछ दिन तो रुक जाता।" विहान मजाक के मूड में था लेकिन रूद्र की हालत इस वक्त क्या थी यह कोई नहीं जानता था। एकदम से रुद्र की दर्द भरी आवाज निकली, "विहान........!"
उसकी आवाज सुनकर ही विहान के होश उड़ गए। वो घबराते हुए बोला, "रूद्र क्या हुआ है? तू ठीक तो है? तू इतना घबराया हुआ क्यों है और शरण्या..........? वो ठीक तो है? कहां है वह? तू बोल क्यों नहीं रहा कुछ तो बोल!!!"
रूद्र के थरथराती हुई आवाज आई। उसने कहा, "शरणया कहीं चली गई है विहान।"
विहान को यकीन नहीं हुआ। वह उसे समझाते हुए बोला, "तु परेशान क्यों हो रहा है? यहीं कहीं होगी वो, किसी दोस्त के यहां चली गई होगी या कुछ शॉपिंग के लिए चली गई होगी। तु परेशान मत हो वह कुछ देर में चली आएगी।"
रूद्र चिल्लाते हुए बोला, "शरण्या मुझे छोड़ कर चली गई है विहान! जैसे मैं उसे छोड़कर चला गया था! अपने पीछे सिर्फ एक चिट्ठी छोड़कर चली गई है वह।"
रूद्र की बात सुनकर विहान के होश उड़ गए। उसके चेहरे पर इस वक्त जिस तरह के भाव थे उसे देख वहां बैठे रजत नेहा और मानसी तीनों ही घबरा गए। रजत ने विहान के कंधे पर हाथ रखा तब जाकर विहान होश में आया और उसने हड़बड़ाते हुए रूद्र से कहा, "तू........ तु परेशान मत हो! कहीं नहीं गई होगी वो, आ जाएगी वह। हम लोग ढूंढते हैं उसे। एक काम कर, मैं और रजत साथ ही है और यहां हम एयरपोर्ट के पास ही है। रजत एयरपोर्ट जाकर देख लेगा मैं बस स्टैंड जा रहा हूं तबतक तु रेलवे स्टेशन होकर आ एक बार। देख वो कहीं नहीं जाएगी तुझे छोड़कर! बिल्कुल भी नहीं जाएगी! जरूर कोई गलतफहमी हुई है वरना वह ऐसा कुछ कभी नहीं करेगी!"
विहान की खुद की आवाज बुरी तरह से कांप रहीं थी। आखिर हो भी क्यों ना! बात ना सिर्फ उसके दोस्त की थी बल्कि उसकी अपनी बहन की भी थी और वह उन दोनों से ही बहुत प्यार करता था।
रूद्र ने फोन रख दिया और स्टेरिंग व्हील पर अपना सर टिका दिया। वह खुद से बोला, "गलतफहमी ही तो हुई है उसे। मैंने उसे इशिता के बारे में बताया लेकिन सारी बातें बता देनी चाहिए थी। मैं बेवकूफ हूं, मुझे लगा उसे इशिता के बारे में जानने में कोई इंटरेस्ट नहीं होगा। उसके सामने तो मैं उसका नाम तक नहीं लेना चाहता था लेकिन मजबूरी थी। मुझे उसके बारे में बताना पड़ा। इशिता को मजबूरी में यहां मुझे बुलाना पड़ा। मुझे बहुत पहले ही अपने और इशिता के रिश्ते के बारे में उसे क्लियर कर देना चाहिए था। नहीं सोचा था कि इतनी बड़ी गलतफहमी हो जाएगी और मेरी शरणया मुझे इस तरह छोड़ कर चली जाएगी।"
रूद्र को विहान की कही बात याद आई और वह रेलवे स्टेशन की तरफ भागा। इससे पहले कि बहुत देर हो जाए उसे वक्त से आगे निकलना था वरना आज उसकी जिंदगी को बिखरने से कोई नहीं रोक सकता था। अगर उसकी जिंदगी किसी के हाथों में थी तो वह थी सिर्फ शरण्या।
रजत उसी वक्त एयरपोर्ट के लिए निकल गया और विहान ने मानसी और नेहा से कहा, "तुम दोनों को अगर कुछ खाना हो तो खा लेना। हम शरण्या को ढूंढने जा रहे हैं, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए।"
नेहा बोली, "तुम्हें सच में लगता है कि ऐसे हालत में हमसे कुछ खाया जाएगा? हम लोग भी तुम्हारे साथ चलते हैं उसे ढूंढने।" विहान उसे रोकते हुए बोला, "नहीं नेहा! इस समय तुम्हारा स्ट्रेस लेना सही नहीं होगा। तुम मानसी के साथ घर चली जाओ। वैसे भी हम लोग हैं, हम देख लेंगे।"
मानसी ने भी विहान की बात का समर्थन किया। वो नेहा को अपने साथ ले गई। विहान ने नेहा और मानसी के लिए कैब बुक किया फिर वेटर से बिल मांग कर टेबल पर पैसे रखें और वहां से निकल गया।
एक-एक पल बहुत कीमती था। इस वक्त रजत एयरपोर्ट के लिए निकल गया और विहान बस स्टैंड के लिए। रूद्र भी रेलवे स्टेशन पहुंचा। उसने चारों ओर नजर दौड़ाई। जहां तक भाग सकता था भागा लेकिन शरण्या कि कहीं कोई खबर नहीं मिली, ना उसकी एक झलक नजर आई। उसने स्टेशन पर मौजूद हर एक ट्रेन के डब्बे को खंगाला लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। रूद्र को अचानक से ध्यान आया और वह पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के लिए भागा। वहां से भी उसे निराशा ही हाथ लगी। हारकर उसने विहान को फोन किया और पूछा लेकिन विहान के पास भी शरण्या की कोई खबर नहीं थी। बस स्टैंड में भी वहां से आती जाती हर बस में उसने छानबीन की। कईयों को शरण्या की तस्वीर दिखाई लेकिन शरण्या वहां थी ही नहीं। अब एक आखरी उम्मीद बची थी वह थी एयरपोर्ट, जहां रजत था और उसने अभी तक ना रूद्र को और ना ही विहान को कॉल किया था।
विहान ने रजत को कांफ्रेंस में लेते हुए रूद्र से कहा, "अगर वह एयरपोर्ट से भी नहीं गई है इसका मतलब वो सड़क के रास्ते निकली है अपनी गाड़ी लेकर।"
उधर से रूद्र बोला, "नहीं! उसकी गाड़ी वही पार्किंग में ही खड़ी थी। वो गाड़ी लेकर नहीं गई है।" इतने में रजत ने फोन उठा लिया लेकिन उससे कुछ कहते नहीं बन रहा था।विहान कुछ कहता उससे पहले रूद्र बोला, "रजत! कुछ पता चला शरण्या का? नजर आई वह तुम्हें? तुमने उसकी तस्वीर दिखाई वहां के लोगों को? सिक्योरिटी गार्ड से लेकर टिकट काउंटर, किसी ने तो उसे पहचाना होगा, अगर वह वहां गई थी तो! या फिर जो भी प्रोसीजर फॉलो करने पड़े करो सीसीटीवी फुटेज निकलवाना पड़े निकलवाओ, जितने भी सोर्सेस है उस सब को लगा दो लेकिन शरण्या के बारे में मुझे जानकारी चाहिए। रजत तुम सुन रहे हो ना?"
रजत खामोश था। रूद्र की आवाज में इतनी ज्यादा बेचैनी, इतना ज्यादा दर्द था कि रजत से कुछ कहते नहीं बन रहा था। फिर भी उसने बड़ी हिम्मत करके रूद्र को जवाब दिया, "सर.................! शरण्या मैम यहां आई थी और तकरीबन 3 घंटे पहले उनके नाम का बोर्डिंग पास इश्यू हुआ है।"
रूद्र वही जम सा गया। उसे रजत पर यकीन नहीं हुआ और वह एयरपोर्ट की तरफ भागा। विहान भी वहां से निकलकर एयरपोर्ट की तरफ गया। वह अच्छे से जानता था कि इस वक्त रूद्र को संभालना कितना ज्यादा मुश्किल होगा! पिछली बार उसने शरण्या को संभालने की हर मुमकिन कोशिश की थी लेकिन वह नाकाम रहा। रूद्र और शरण्या में कोई फर्क नहीं था। उन दोनों का प्यार एक जैसा था। उन दोनों की चाहत एक जैसी थी। उन दोनों की तड़प एक जैसी थी और.......... और अब उन दोनों का दर्द एक जैसा था।