Chapter 41
YHAGK 40
Chapter
40
रूद्र की बाहों में घिरी शरण्या खुद को संभालने की नाकाम कोशिश में लगी थी। जब उससे रहा नहीं गया तो उसने धीरे से अपना सिर घुमा कर रूद्र की ओर देखा और उसकी ओर पलट गई। रूद्र गहरी नींद में सो चुका था, उसकी तेज सांसे शरण्या को अपने चेहरे पर महसूस हो रही थी। उसने प्यार से उसके चेहरे को थाम लिया और बोली, "तू सिर्फ मेरा सपना है रूद्र! और अब शायद हमेशा के लिए तु एक सपना ही बनकर रह जाएगा मेरा। इस दुनिया में तुझे हर लड़की नजर आती है, सिवाय मेरे। लेकिन इसमें तेरी भी तो कोई गलती नहीं, मै हु ही ऐसी। काश की कि ये रात सिर्फ सपना ना होता, काश कि तुम मेरी जिंदगी के सबसे बड़े सच होते, काश कि तुम्हे वो सब कह पाती है जो मैं हमेशा से कहना चाहती हूं। काश कि मेरे बिना कह तुम सब समझ जाते, काश ऐसा होता!" शरण्या ने धीरे से अपना सर झुकाया और रूद्र के सीने को चूम लिया। शरण्या के होठों की छूअन पाकर रूद्र ने उसे अपनी बाहों में और करीब समेट लिया।
सुबह-सुबह दादी पूजा करने में व्यस्त थी। तभी रूद्र आकर उन्हें पीछे से हग करते हुए बोला,"गुड मॉर्निंग दादी!" रूद्र की आवाज सुनकर ही दादी समझ गई कि वो रात भर नहीं सोया है और अभी अभी बाहर से आया है। उन्होंने प्यार से उसका सर सहलाया और बोली, "तेरे चेहरे की खुशी देखकर कुछ पूछने के लिए बाकी ही नहीं है। तो तू खुद बताएगा?" रूद्र बोला, "जब आपने इतने अच्छे से समझाया था तो मेरे ना समझने का सवाल ही पैदा नहीं होता। और रही बात उसकी नाराजगी की तो जब हम किसी से प्यार करते हैं हम उससे ज्यादा देर तक नाराज नहीं रह पाते, यह बात आप ने ही कही थी ना! तो क्या ऐसा हो सकता है कि मैं मनाऊं और वह ना माने! मुझे तो अभी भी यकीन नहीं हो रहा, मेरी लाइफ का इतना बड़ा सच और मैं अभी तक इस सब से अनजान बना रहा। कल रात पहली बार एहसास हुआ कि वो मुझसे कितना प्यार करती है! आप बिल्कुल सही थी दादी। लेकिन ये बात ना तो वो कभी कह पाई और ना कभी कह पाएगी अगर मैंने पहल ना कि तो! मेरी हरकतें ही ऐसी है कि वह कहती भी तो क्या? मैं ही बेवकूफ हु, बहुत बड़ा बेवकूफ। जिसे चारों ओर ढूँढता रहा, वो मेरे इतने पास थी और मैं समझ ही नहीं पाया। वैसे कुछ भी कहो, आपकी होने वाली बहू बिल्कुल आप की तरह है, एकदम खुर्राट! कल तो मेरी हालत पतली कर दी थी उसने। आप ही ने आईडिया दिया था ना कि मैं उसका सैंटा बनु। क्या बताऊं दादी उसने मुझसे क्या-क्या करवाया! यह तो अच्छा था कि उस कमरे में सिर्फ हम दोनों थे वरना अगर कोई तीसरा होता मेरी तो पैंट भी उतर जानी थी यार! कहते हुए रूद्र अपनी दादी के गले लग गया।
दादी की हंसी छूट गई। उन्हें पता था कि शरण्या ने अगर आसानी से उसे माफ कर दिया तो भी उससे कुछ ना कुछ करतब जरूर करवाएगी, कुछ ऐसा जो रूद्र को रोने पर मजबूर कर दे और वह यह भी जानती थी की शरण्या कल रात को याद कर अगले कई दिनों तक हंसने वाली है। और दोनों के बीच क्या हुआ यह तो किसी तीसरे को नहीं पता लेकिन रूद्र की बातों से दादी इतना तो समझ गई थी कि जो भी हुआ है तो किसी तीसरे को बताने लायक नहीं। इसलिए दादी ने उससे कुछ और पूछा नहीं और उसे फ्रेश होने के लिए कमरे में भेज दिया ताकि वक्त पर नाश्ते की टेबल पर आ सके।
रूद्र भागता हुआ अपने कमरे में गया और बाथरूम जाने के लिए जब अपने कपड़े उतारे तो उसे कल रात की बात याद आ गई। शरण्या ने उसके सीने को प्यार से चूमा था। वो एहसास बहुत खास था। रूद्र उस वक़्त सो नहीं रहा था, बस उसे तो यह जानना था कि आखिर में शरण्या के दिल में क्या है वरना तो वह कल रात को ही वापस आ चुका होता। उसे सुलाने के बहाने खुद सोने का नाटक किया ताकि शरण्या उसे अपने दिल की बात शेयर कर सके और हुआ भी ऐसा ही। रूद्र ने प्यार से अपने सीने पर उस जगह हाथ फेरा जहां शरण्या का एहसास था और मुस्कुराते हुए तैयार होने चला गया। पूरी रात जागने के बावजूद उसे नींद बिल्कुल भी नहीं आ रही थी और काफी ज्यादा फ्रेश महसूस कर रहा था। जब तक वो नाश्ते की टेबल पर आया तब तक घर के बाकी सभी वहां आ चुके थे। रूद्र ने चुपके से जाकर अपनी सीट पकड़ ली।
रूद्र को टाइम पर आया देख धनराज ने कहा, "अच्छा हुआ जो तुम यही मिल गए बरखुरदार! तुमसे कुछ बहुत जरूरी बात करनी थी। अगले हफ्ते नए साल पर हम मिस्टर खुराना के यहां पार्टी में जा रहे हैं।"
"हम सब..... मतलब? आपकी बिजनेस पार्टी है पापा, वहां मैं जाकर क्या करूंगा? मेरे अपने फ्रेंड सब के साथ कुछ प्लानिंग है!" रूद्र ने कहा।
"जो भी प्लानिंग है उसे कैंसिल करो। मिस्टर खुराना तुमसे मिलना चाहते हैं।"
"लेकिन पापा! मिस्टर खुराना मुझसे क्यों मिलना चाहते हैं? उन्हें मुझसे ऐसा क्या काम है? वो तो आपके बिजनेस पाटनर है आपके क्लाइंट है और मैं ऑफिस नहीं जाता तो फिर आपके बिजनेस मीटिंग में मैं क्या करूंगा?"
"मिस्टर खुराना तुमसे मिलना चाहते हैं, शादी के सिलसिले में। उन्होंने खुद से कहा कि वह तुमसे मिलना चाहते हैं उन्हें तुम पसंद हो इसीलिए किसी भी तरह का कोई बहाना नहीं सुनने वाला मै। तुम चल रहे हो मतलब चल रहे हो।" धनराज ने आदेश देते हुए कहा।
रूद्र अपने रिश्ते की बात सुन एकदम से चौक गया। अभी तक तो उसने अपने प्यार का इजहार नहीं किया और अभी उसके पापा उसके प्यार के दुश्मन बन बैठे थे। अभी तो यहां रेहान की भी शादी होनी बाकी थी तो एकदम से उसके रिश्ते की बात कहां से आ गई? उसने दादी की ओर मासूमियत से देखा तो दादी बोली, "धन्नो..........!" धनराज अपना नाम सुन कर चिढ़ गया और वहाँ मौजूद सभी को हँसी आ गयी।
"मां!! कितनी बार कहा है इस नाम से मत बुलाया करिए, मैं कोई छोटा बच्चा नहीं हूं और ना ही मै कोई घोड़ा हु।" दादी बोली, "लेकिन बातें तो गधे जैसी कर रहा है ना! तेरा दिमाग तो ठिकाने पर है? तु बोल क्या रहा है? इस दुनिया में लड़कियों की कमी पड़ गई है क्या जो तुझे सिस्टर खुराना का प्रपोजल.........!" धनराज उन्हें बीच में टोकते हुए बोले, "मां! मिस्टर खुराना बहुत अच्छे और सुलझे ही इंसान है और मेरे दोस्त भी। काफी अच्छा खानदान है उनका। काफी इज्जतदार और रईस लोग हैं। अगर यह रिश्ता हो जाता है तो हमारे लिए भी अच्छा होगा और हमारे बिजनेस के लिए भी अच्छा होगा।"
रूद्र बोला, "पापा! दादी के कहने का मतलब वो नहीं है। मिस्टर खुराना कौन है और क्या है यह बात हर कोई जानता है लेकिन यह तो मेरे साथ नाइंसाफी हुई ना! मतलब रेहान के लिए आप लोगों ने लावण्या को पसंद किया और मेरे लिए आपको कोई नहीं मिली? दुनिया की सारी लड़कियां मर गई है क्या जो आप मिस्टर खुराना में इंटरेस्टेड है? मैं पुलिस में आपकी कंप्लेंट कर दूंगा!!! मतलब यह क्या बात हुई, एज डिफरेंस तो देखिए। मैं कहा 26 का मिस्टर खुराना कहां 56 के! 30 साल का गैप है हमारे बीच और मिस्टर खुराना की बीवी को कोई एतराज नहीं है क्या कि उनका पति किसी लड़के से शादी करना चाहते है? मैं बोल दे रहा हूं, बात चाहे आपकी बिजनेस की हो या फिर कुछ भी हो, मैं मिस्टर खुराना से शादी नहीं करने वाला, आपको जो करना है कर लीजिए।"
दादी भी रूद्र का साथ देते हुए बोली, "अगर तुझे इतना ही पसंद है तो तू कर ले शादी उस खुराना से! मैं मेरे पोते के लिए बहु लाऊंगी दामाद नहीं। तुझे थोड़ी भी शर्म नहीं आती धन्नो ऐसी बातें करते हुए।"
रूद्र और दादी की बात सुन धनराज हैरान रह गए। रेहान की समझ में कुछ नहीं आया और शिखा को हंसी आ गई। फिर कुछ देर बाद सब के सब ठहाके मार कर हंस पड़े तो दादी ने कहा, "क्यों बच्चों को फोर्स कर रहा है धनु! नए साल की पार्टी है, हर बच्चे की अपनी अपनी लाइफ है, उस दिन को अपने तरीके से मनाना चाहते है तो तू क्यों अपनी बेटे से जबरदस्ती कर रहा है। और रही बात उस खुराना की बेटी की तो वो मुझे बिल्कुल भी नहीं पसंद। अजीब सी हरकतें करती है वह, कभी-कभी तो पागल सी लगती है। बचपन में कितनी नाक बहती रहती थी उसकी।"
"लेकिन मां !! "
"बस! ज्यादा माँ माँ करने की जरूरत नहीं है। अगर तुझे वो इतनी ही पसंद है तो रूद्र चला जाएगा, सिर्फ कुछ देर के लिए लेकिन फिर उससे वहां रुकने के लिए मजबूर नहीं करेगा तु, बस मेरी यही शर्त है। वरना अगर तूने रूद्र और रेहान को वहां रुकने के लिए मजबूर किया ना, तो तुझे उस पार्टी में मैं तेरे इसी नाम से तुझे बुलाऊंगी, धन्नो...!" दादी ने रूद्र के साथ साथ रेहान को भी इसमे लपेटा ताकि वो भी अपनी लावण्या के साथ नया साल इंजॉय कर सके। धनराज अपनी मां के सामने चुप रह गए। उन्हें भी दादी की बात सही तो लगी लेकिन जिस तरह मिस्टर खुराना ने खुद आगे बढ़कर रूद्र के बारे में बात की थी उससे लग रहा था कि वो रूद्र को काफी पसंद करते हैं। उन्होंने ज्यादा नहीं सोचा और सब नाश्ता कर अपने अपने काम पर निकल गए। सब के जाने के बाद दादी ने रूद्र को अपने पास बुलाया और बैठाते हुए बोली, "तुझसे तो जरूरी बात पूछना ही भूल गई। कल रात जो जरूरी थी वो बात हुई क्या? बताया तूने अपने बारे में उसे?"
रूद्र ने मुस्कुराते हुए कहा, "दादी! इतनी जल्दी नहीं! उसने भी तो ना जाने कब से इंतजार किया है, थोड़ा सा मैं तो कर ही सकता हूं। मैंने सोच रखा है, इस नए साल की शुरुआत इस नये रिश्ते के साथ करूँगा, उसके साथ। मैं उसे सरप्राइज देना चाहता हु और डेट पर भी। और थैंक्यू दादी! पापा के सामने मेरी साइड रखने के लिए। थोड़ी देर के लिए मैं उनकी पार्टी में तो जा ही सकता हूं, उसके बाद शरण्या को लेकर अपनी पार्टी में चला जाऊंगा और कह दूंगा अपने दिल की बात।"
शरण्या की जब तक आंख खुली सुबह के 10:00 बज चुके थे। लावण्या उसके लिए नाश्ता ले कर आई तो यह देखकर वह हैरान रह गई कि उसके कमरे का दरवाजा बंद था। उसने जब नॉक किया तो शरण्या हड़बड़ा कर उठी और दरवाजा खोला। उसके चेहरे को देखकर लावण्या समझ गई कि वह अभी अभी उठी है। यह बात थोड़ी हैरान करने वाली थी क्योंकि शरण्या इससे पहले कभी भी देर से नहीं जागी थी और वैसे भी पिछले कई दिनों से वह अपने काम पर भी नहीं जा रही थी इसके बावजूद इस वक्त तक कभी नहीं सोई। वही लावण्या को देख शरण्या के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कुराहट फैल गई। उसने लावण्या को गले लगाते हुए कहा, "गुड मॉर्निंग!!!"
शरण्या के चेहरे की मुस्कुराहट देख लावण्या को कुछ समझ नहीं आया। उसने कमरे में चारों ओर नजर दौड़ाई तो उसे बहुत अजीब लगा। पूरा कमरा अंधेरा हुआ पड़ा था। खिड़की परदे बालकनी सारे बंद थे जिससे रोशनी घर के अंदर ना आ सके। साथ ही एक अलग सी परफ्यूम की खुशबू पूरे कमरे में फैली हुई थी। लावण्या ने पूछा, "तेरी सारी हरकतें तो लड़कों वाली है लेकिन तूने लड़कों वाले परफ्यूम लगाना कब से शुरु कर दिया? कल रात तक तो नहीं था फिर ये खुशबू कैसी?"शरण्या की नींद एकदम से उड़ गई उसने नजर चुराते हुए कहा, " क्या दी, आप भी न! कुछ भी बोलती हो। परफ्यूम मेरे कमरे में नहीं आपके नाक पर लगी है। सुबह-सुबह जरूर अपने रेहान से मिलकर आई होंगी। यह सब छोड़िए, आज आप का प्लान था ना बाहर जाने का तो कब निकलना है, अभी या बाद में?"
लावण्या के चेहरे के भाव पढ़ने की कोशिश कर रही थी। उसके चेहरे से ये साफ जाहिर था कि वह कुछ छुपा रही है। और जिसे कल रात को वह मनाने आई थी वह खुद उससे आज बाहर जाने के लिए पूछ रही है यह बात थोड़ी नहीं बहुत ज्यादा अजीब थी खासकर शरण्या के मामले में। अचानक से कल रात की बात याद आ गई और वह भी मुस्कुरा उठी और बोली, "अब भी तु यही कहेगी कि तेरे और रूद्र के बीच ऐसा कुछ नहीं चल रहा? प्लीज हाँ! तुम दोनों का 'ऐसा कुछ नहीं है' वाला जो एटीट्यूड है ना, कम से कम हरकतें तो वैसे ही रखा करो ताकि किसी को पता ना चले। कल रात मेरी जाने के बाद रूद्र यहां आया था ना। यह परफ्यूम की खुशबू उसी की है ना? मतलब वो पूरी रात तेरे कमरे में था?" शरण्या ने कुछ बोलने के लिए अपना मुंह खोलना चाहा तो लावण्या ने उसे चुप कराते हुए बोली, "अपना एटीट्यूड अपने पास रख और यह बता कितने दोस्तों को तो अपने कमरे में आधी रात के बाद रुकने देती है और वो भी पूरी रात!! अपने कमरे में तु मुझे टिकने नहीं देती है लेकिन वह रूद्र जिसके साथ तेरा 36 का आंकड़ा है पूरी रात तेरे साथ इस कमरे में रहता है, सच-सच बता कल रात तुम दोनों के बीच कुछ हुआ था क्या?" लावण्या की आंखों में शरारत देख शरण्या की आंखें हैरानी से फैल गई। वह हड़बड़ाते हुए बोली, "ऐसा कुछ नहीं है दी! वह तो बस मुझे सुला कर चला गया। कब गया मुझे खुद नहीं पता।" शरण्या ने अनजाने में ही लावण्या की बातों को सही साबित कर दिया था। लावण्या बस मुस्कुरा कर रह गई।
शरण्या गंभीर होकर बोली, "ऐसा कुछ नही है दी! वो किसी और से प्यार करने लगा है और मैंने सोच लिया है, मैं पापा के लाये इस रिश्ते को हाँ कर दूँगी। मै आज ही पापा को अपना फैसला बता दूँगी।" लावण्या के चेहरे के भाव एकदम से बदल गए और शरण्या बाथरूम मे चली गयी।
क्रमश: