Chapter 9

Chapter 9

humsafar 9

Chapter

9  सारांश अवनि को देख कर हल्के से मुस्कुराया और कार स्टार्ट कर के निकल गया। शादी की तैयारियों के लिए सबसे पहले जरूरी था शादी का वेन्यु डिसाइड करना। सारांश ने एक नज़र अवनि को देखा और गाड़ी मे एफ एम ऑन कर दिया जिस पर एक पुराना गाना चल रहा 

       "वो मेरे सामने बैठी है मगर, उससे कुछ बात ना हो पायी है

मै इशारा भी अगर करता हु, इसमे हम दोनो की रुसवाई है

दिल का आलम मैं क्या बताऊ तुम्हे"

  सारांश भी साथ मे गुनगुनाने लगा जिसे देख अवनि पूछे बिना नही रह पायी, "आप को पुराने गाने अच्छे लगते है?" 

"बिल्कुल!!! आजकल के गाने मे वो बात नही रह गयी जो पुराने गाने मे होती थी। पहले गाने मे फील होते थे जो अब नही मिलते।" सारांश ने कहा। अवनि ने हैरानी से उसे देखा और फिर कुछ याद करते हुए बोली, "यू नो व्हाट!! आप बिल्कुल उसकी तरह बात करते है, यू ट्यूब पर है एक अंजाना राही, बहुत ही अच्छा गाता है उसे भी सिर्फ पुराने गाने ही अच्छे लगते है। वो भी यही कहता है पुराने गाने के बारे मे फीलिंग्स और इमोसन वगैरह वगैरह....! "

  "अंजाना राही!!!!! कोई नाम वाम नही है क्या?" सारांश ने मुह बना कर कहा। 

  "पहले मैंने भी ऐसे ही रिएक्ट किया था मुझे भी अजीब लगा था। लेकिन उसकी आवाज़....! उसकी आवाज़ पर तो मै ही नही मेरे कॉलेज की सारी लड़किया फिदा है।"

  "सिर्फ आवाज़ पर.... आई मीन वो दिखता कैसा है? मैंने सुना है जिनकी आवाज़ अच्छी होती है वो दिखने मे भी काफी स्मार्ट होते है" सारांश ने कहा।

  "यही तो प्रॉब्लम है!!! आज तक किसी ने उसे देखा नही है। वो बातें करता है गाने गाता है लेकिन अपना चेहरा नही दिखाता। उसका कहना है की वो ये सब सिर्फ अपने शौक के लिए करता है कोई तरह का फेम पाने के लिए नही।" अवनि बोलती ही जा रही थी और सारांश बस उसे देखे जा रहा था

'तुम बोलती रहो, मै तुम्हे सुनता रहु और ये सफर यू ही चलता जाए।

  जब चुप हो ज़ुबाँ तो इश्क़ गाए, तु भी इश्क़ मै भी इश्क़ ये पूरी कायनात इश्क़ सा नज़र आये।।' 

   

   अचानक पीछे खड़ी गाड़ियों के हॉर्न से सारांश को होश आया। अवनि जो की अभी भी बोले जा रही थी अचानक वो भी रुकी और पीछे देखने लगी। उसके पीछे गाड़ियों की लंबी कतार लगी थी जो की ट्रैफ़िक सिग्नल ग्रीन होने पर वहाँ से निकलना चाहते थे। सारांश ने गाड़ी वहाँ से दूसरी ओर घुमा दी और दोनो वेन्यु देखने के लिए निकल पडे। पूरे शहर मे घूमने के बाद जो तीन चार वेन्यु पसंद भी आये तो वो सब के सब पहले ही बुक हो चुके थे। 

  "डोन्ट वरी एक काम करते है यहाँ पास ही मे मेरे एक दोस्त के कोई जानने वाला वेडिंग प्लानिंग का काम करता है

उससे एक बार मिल लेते है वरना आज का दिन बेकार हो जायेगा लेकिन मॉम कहती है पहले पेट पूजा फिर काम दुजा।" सारांश ने कहा तो अवनि ने भी हम्म्म करके सर हिला दिया। 

   सारांश ने गाड़ी पार्किंग मे लगाई और अवनि से उतरने को कहा। बाहर आकर अवनि ने देखा तो हैरान रह गयी। "द ग्रैंड सिया पैलेस"!!!!! अवनि की आँखे खुली की खुली रह गयी। इतने बड़े होटेल जहाँ बड़े से बड़े लोग को भी टेबल बुक कराने के लिए महीनों का इंतज़ार करना पड़ता है। तभी सारांश पीछे से बोला " चले"!! अवनि अविश्वास से उसे देखने लगी जैसे वह कोई मज़ाक कर रहा हो। 

  "यहाँ इस तरह तो कोई टेबल खाली भी नही होगा। हमे वापस आना पड़ेगा और मुझे जोरों की भूख लग रही है" सोचते हुए उसने सारांश से कहा, "हम कहीं और चले!!!"   "क्यों इस जगह मे क्या खराबी है??" सारांश अजीब तरह से घूरते हुए पूछा। 

  "नही ......कुछ नही....!" अवनि ने सर झुका कर कहा और सारांश के पीछे पीछे चल दी। दरवाजे पर पहुँचे तो गार्ड ने उनका वेलकम किया तो सारांश ने उसे अपनी गाड़ी की चाभी देदी। एक अटेंडेंट दौड़ते हुए आया और उन दोनो को अपने साथ ले गया। होटेल के टॉप फ्लोर पर एक "वि आई पी" रूम था,अगर सही मायने मे कहा जाय तो पुरा का पुरा फ्लैट ही था जहाँ उन्हे लेजाया गया। पुरा कमरा खाली देख अवनि और ज्यादा हैरान हो गयी जिसे सारांश ने नोटिस कर लिया। 

   "क्या सोच रही हो!!! यही की यहाँ इस कमरे मे कोई और कस्टमर् क्यों नही है!! वो इस लिए क्योंकि ये हमारा यानी मित्तलस् का प्राइवेट रूम है और ये होटेल भी हमारा ही है । इसीलिए हम यहाँ कभी भी आ सकते है। मै तो अकसर यही आता हु खाना खाने अपने क्लाइंटस् के साथ।" 

  अवनि को यकीन नही हो रहा था की उसके सामने नॉर्मल से कपड़ो मे बैठा शख़्स इतना अमीर है!!! "खडूस अमीरजादा!!!! " अवनि के मुह से अंजाने मे निकला। सारांश ने सुना तो वह अवनि को घूरने लगा। लेकिन इससे पहले बेचारी अवनि अपनी सफाई मे कुछ बोल पाती वेटर खाना लेकर आगये। खाने मे  सारी चीज़े अवनि के ही पसंद की थी और भूख भी लगी थी सो अवनि खाने पर टूट पड़ी। सारांश ने पहले ही कार्तिक से पूछकर अवनि के पसंद का खाना ऑर्डर कर रखा था। 

    सारांश और अवनि ने जैसे ही खाना खत्म किया सारांश का फोन बजने लगा। अवनि को दो मिनट बोलकर सारांश बालकनी मे चला गया। अवनि जो की थक गयी थी खाना खाते ही उसे उबासी आने लगी तो वही सोफे पर टेक लगा कर लेट गयी। थोड़ी देर बाद जब सारांश वापस आया तो देखा अवनि वही सोफे पर लेटे लेटे सो गयी थी। मासूम से चेहरे पर बालों की झूलती लट उसकी खुबसुरती को चार चाँद लगा रहे थे। सारांश ने हाथ बढ़ा कर उन लटों को हटाना चाहा लेकिन अवनि के उठ जाने के डर से उसने अपने हाथ वही रोक लिए और उसके सामने वाली सोफे पर वह भी लेट गया। अवनि का सोता हुआ चेहरा देखते हुए उसे भी कब नींद आ गयी पता ही नही चला। 



    सारांश के घर से जाने के बाद कंचन जी अखिल से बोले बिना नही रह पायी, "ये लड़का सारांश कितना अच्छा है। गुणी है, जीवन मे सफल है, संस्कारी है और कितना खूबसूरत भी है, बिल्कुल किसी राजकुमार की तरह। सुनिये जी!! अगर हमारी अवनि की जोड़ी उस सारांश के साथ....... "

   "सोचना भी मत. ..... " अखिल जी ने बीच मे ही टोकते हुए कहा। "आप जानती भी है आप क्या सोच रही है?? आपको पता भी है की वो लोग कौन है? हमारी उनसे कोई बराबरी नही हो सकती, कभी भी नही। एक बात आप ने बिल्कुल सही कही, वो राजकुमार जैसा है क्योंकि वो एक राजकुमार ही है। और हम एक मामूली से लोग। ज़मीन और आसमान का फर्क है।"

   "लेकिन कार्तिक के लिए तो आप ने कुछ नही कहा था" 

   "कार्तिक और सारांश मे बहुत फर्क है, कार्तिक के पिता सारांश के पिता के ड्रायवर थे। जीवन भर उन्होंने मित्तल परिवार की सेवा की थी इसीलिए मित्तल परिवार उन्हे अपने परिवार की तरह मानता है। इसीलिए कह रहा हु कभी सोचना भी मत इस बारे मे" कहकर अखिल जी ने अपना बैग लिया और काम पर चले गए। पीछे कंचन जी का मन उदासी से भर गया। 


क्रमश: