Chapter 58

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humsafar 58

Chapter

58






    अवनि पूरे दिन एनजीओ मे ही रुकी और वहाँ पूजा की तैयारियों मे हाथ बटाया। अवनि को भी सारांश की ही तरह सबसे घुलता मिलता देख वहाँ के सभी लोग बहुत खुश हुए। अवनि ने सब के साथ बैठ खाना खाया और रज्जो ने चुपके से अवनि की कई सारी तस्वीरें लेकर सारांश को भेज दिया। सारांश उस वक़्त मीटिंग मे था जब उसे अवनि की तस्वीरें मिली। उन तस्वीरों मे अवनि को खुश देख सारांश भी मुस्कुरा उठा। उसे यूँ बिना वजह मुस्कुराता देख मीटिंग मे बैठे सभी एक दूसरे को देखने लगे। कार्तिक और काव्या के शादी के बारे मे सभी जानते थे लेकिन सारांश और अवनि के शादी के बारे मे बहुत ही कम लोगो को पता था। हमेशा सीरियस रहने वाला सारांश को मुस्कुराते देखना अपने आप मे ही हैरानी वाली बात थी। कुछ देर तस्वीरों को देखने के बाद सारांश ने फोन बन्द किया और मीटिंग मे ध्यान देने लगा। 

    रात तक सारे जरूरी काम पूरे कर अवनि घर के लिए निकल पड़ी। इस पूरे समय रज्जो उसकी परछाई बन कर साथ रही। जब तक दोनों घर पहुँचे, जानकी ने सब के लिए खाना तैयार कर दिया था। सिया वही हॉल मे बैठी अवनि के आने का इंतज़ार कर रही थी। अवनि को देखते ही सिया ने उसे आवाज़ देकर बुलाया। अवनि मुस्कुराते हुए उसके पास जाकर बैठ गयी। सिया ने उसका सिर अपनी गोद मे रखा और उसके बाल सहलाने लगी। "कैसा रहा पूरा दिन?" सिया ने पूछा। 

    "बहुत ही अच्छा था मॉम! वहाँ सबके साथ मिलकर मैंने भी पूजा की तैयारियों मे हाथ बटाया। सबसे मिली, ढेर सारी बाते की और काफी कुछ सीखने को भी मिला। सच मे मॉम!!! सारांश ने उन सबके लिए एक बहुत ही अच्छा मंच तैयार किया है जिनसे उन सब की लाइफ मे काफी कुछ बदलाव आया है। पता है मॉम! आज मै वहाँ एक बच्ची से मिली। वो बच्ची को मैंने एक बार अपने भाई के साथ सिग्नल पर फूल बेचते देखा था। उस वक़्त सारांश ने उन्हे मिलने को बुलाया था, तब मुझे समझ नही आया था लेकिन आज जब मैंने उसके घरवालो को वहाँ काम करते देखा और उस बच्ची को पहले से बेहतर हालत मे देखा तो मै कितनी खुश हुई ये मै बता नही सकती। सच मे सारांश एक सुपरमैन है, वो कुछ भी कर सकते है।"

     अवनि की बात सुन सिया मुस्कुरा दी और खाना खाने के लिए कहा, "थक गयी होगी न! जाओ जाकर हाथ मुह धो लो। आज किचन से बहुत अच्छी खुशबु आ रही है, पता नही जानकी ने क्या बनाया है! अब जल्दी से फ्रेश होकर आओ, मेरे से वेट नही हो रहा।" अवनि उठकर बैठी और सिर झुकाकर बोली, "मॉम....! आप खा लीजिये, मेरा बिलकुल भी मन नही है खाने का।" अवनि की बात सुन रज्जो बीच मे ही बोल पड़ी, "अरे ऐसे कैसे?! जीजी माँ मै टेल रही हु आपको! इन्होंने वहाँ नथिंग इटा है और टेल रही है की हंगरी नही है!"

     रज्जो की ये बात अवनि के सिर के उपर से निकल गयी तो सिया ने हँसते हुए कहा, "ये बोली की वहाँ तुमने कुछ भी नही खाया और भूख नही है! अब ज्यादा उदास मत हो वरना उसका मन नही लगेगा जिसको याद कर रही हो। और अगर मन नही लगेगा तो टाइम ज्यादा लगेगा और इंतज़ार और भी लम्बा खीच जायेगा। उसे गए अभी चौबीस घंटे ही हुए है और तुम्हारी ये हालत है। जब आयेगा तो मेरी ही क्लास लगा देगा। अगर तुम नही चाहती की तुम्हारा पति मुझे डाँट लगाए तो जल्दी से फ्रेश होकर आ जाओ, मै खाने पर तुम्हरा वेट कर रही हु।" 

       सिया की बात मान अवनि बेमन से उठी और अपने कमरे मे चली आई। वहाँ से फ्रेश होकर नीचे आई और सिया के साथ खाना खाया। जिस सारांश से वो कभी दूरी बनाये हुए थी उसी के ना होने से अवनि को एक अजीब सा खालीपन महसूस हो रहा था जो अवनि को बेचैन कर रहा था। प्यार का ये पहला एहसास था जो उसे कभी महसूस नही हुआ था। आज उसकी एक झलक पाने को अवनि बेचैन हो रही थी। अवनि से ज्यादा कुछ खाया नही गया इसीलिए वह थोड़ा सा ही खाकर उठ गयी और अपने कमरे मे चली आई। सिया उसे यूँ सारांश के लिए दुःखी होता देख कर परेशान भी थी और खुश भी। 

      कमरे मे आते ही अवनि ने फिर से सारांश का सूट निकाला और उसे बेड पर रख उसपर हाथ फिराने लगी। बीच बीच मे फोन पर नज़र जाती और एक बार चेक करने के बाद मायूस होकर फोन रख देती। कुछ देर बाद ही अवनि का फोन बजा, उसने खुश होकर बिना देखे ही फोन उठा लिया और बोली, "हैलो सारांश.......!" दूसरी ओर से कंचन की आवाज़ आई, "नही! तेरी माँ!!! क्या कर रही है, सारांश को याद करने के अलावा!!!"

     "आप भी उड़ा लो मेरा मजाक! मुझे बात ही नही करनी किसी से!" अवनि ने मुह फुलाकर कहा। 

    "अरे मेरा प्यारा बच्चा.... गुस्सा क्यों होती है!!! इस रास्ते से हम गुजर चुके है। यकीन नही होता तो अपनी सास.... नही मॉम से ही पूछ ले क्या वो इन सबसे नही गुजरी है!!! हर पत्नी को ये दिन देखने को मिलता है, जब पति कुछ दिनों के लिए घर से बाहर जाए और बीवी उसकी याद मे सूख कर काँटा हो जाए। ऐसा नही होता है बच्चे.......! जब पहली बार तेरे पापा मुझे छोड़कर बाहर गए थे, तब मै भी बड़ी उदास सी रहती थी। उस जमाने मे कहाँ ये लव मैरिज होती थी! और फोन तो दूर की बात है। तेरे पास फोन है, तो कॉल कर न! इतना उदास रहेगी तो कैसे काम करेगा तेरा पति। उसका भी तो मन लगना चाहिए न! वैसे अभी नया नया है न इसीलिए, कुछ दिन बाद जब बच्चे आ जायेंगे तो ये सब खुद ही भूल जायेगी।" 

      बच्चो की बात सुन अवनि ने शर्म से अपना चेहरा छुपा लिया। कुछ देर समझाने के बाद कंचन ने फोन रख दिया। अवनि का दिल किया की सारांश को फोन कर ले लेकिन कुछ सोचकर फोन वापस रख दिया और बगल मे नाइट टेबल पर रखे उनकी शादी की तस्वीर को लेकर देखने लगी। "कितनी बड़ी बेवकूफ थी न मै! जो आपको समझ नही पायी, अपनी खुद की फीलिंग्स को नही समझ पायी और जब समझी तब आप मेरे पास नही। बहुत सी बाते करनी है आपसे, बहुत कुछ बताना है। जल्दी से कॉल करो!!!"

      अवनि तस्वीर से बाते कर ही रही थी की सच मे सारांश का वीडियो कॉल आ गया। अवनि खुशी से चहक उठी और फोन उठाया लेकिन कुछ कहते नही बना, बस यूँ ही उसका चेहरा निहारने लगी। "हैलो अवनि.....! तुम सुन रही हो!"  अवनि ने फोन तकिये पर लगाया और वहीं लेट कर उसे देखने लगी, "हाँ...! मै सुन रही हु।" सारांश सोच रहा था अवनि उससे बातें करेगी और अवनि सोच रही थी की सारांश उससे बातें करेगा। और इसी उधेड़बुन मे दोनों रात भर खामोश एक दूसरे को देखते हुए सो गए। 

      सुबह श्रेया की आवाज़ से अवनि की आँख खुली। उसे इतनी सुबह अपने कमरे मे देख अवनि हैरान रह गयी, "तु इस वक़्त यहाँ क्या कर रही है? तुझे ऑफिस नही जाना क्या?" श्रेया मुस्कुराई और बोली, "आंटी ने बताया की बहुत उदास है। सारांश की याद आ रही है?" उसने पूछा। तो अवनि ने हाँ मे गर्दन हिला दिया। श्रेया ने उसका चेहरा अपने हाथों मे लेकर कहा, "और ये देख मुझे बड़ी खुशी हो रही है अवनि!"                       

    " सारांश को लेकर तु सही थी झल्ली। लोग कहते है पहला प्यार इंसान मरते दम तक नही भूलता, और यहाँ तो मै खुदको ही पूरी तरह सारांश मे भूल बैठी हु......इसका मतलब तु सही थी और मै गलत, और उस गलत के मैंने तेरे ऊपर हाथ..........।" अवनि ने कहा तो श्रेया के गले लग गयी। बाहर खड़ा कार्तिक उसकी बाते सुन रहा था। वह अंदर आया और उसके पीछे ही काव्या भी पहुँच गयी। उन दोनों को देखते ही अवनि खुशी से उछल पड़ी और काव्या के गले लग गयी। 

    "आप दोनों इस वक़्त यहाँ....! ये आप तीनो के तीनों यहाँ इस वक़्त.... जरूर कोई झोल है!" अवनि ने कुछ सोचते हुए कहा। काव्या उसके सर पर एक चपत लगा कर बोली, "अपने इस पिद्दू से दिमाग मे ज्यादा जोर मत डाल वरना तेरे घुटने मे दर्द हो जायेगा।" काव्या की बात सुन सभी हँसने लगे लेकिन अवनि को सारांश की याद आ गयी। "पता है दिदु....! सारांश ने भी एक बार मुझे यही बात कही थी। मतलब क्या सच मे मेरा दिमाग मेरे घुटने मे है?" अवनि ने अपना सिर खुजाते हुए कहा तो सभी ठहाके मार कर हँसने लगे। 




क्रमश: