Chapter 139

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YHAGK 137

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138




  रूद्र ने अपनी तरफ से पूरी प्लानिंग कर रखी थी। नए साल की पार्टी सबके साथ मनाकर वो शरण्या को अपने साथ ले जाने वाला था, जैसे उसने पिछली बार किया था। पूरे 9 साल हो चुके थे उस बात को लेकिन रूद्र को हर एक लम्हा याद था, जैसे कल की ही बात हो। 


     रेहान से रहा नहीं जा रहा था। लावण्या का जतिन के साथ जाना और हर बात पर जतिन का नाम लेना उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था। उसके मन में अजीब अजीब तरह के ख्याल आ रहे थे। वह अपनी लावण्या से बहुत प्यार करता था, और इसमें कोई शक नहीं था। लेकिन फिर भी जो हकीकत थी वह लावण्या के सामने थी और रेहान इस सबसे बेखबर था। जब उससे रहा नहीं गया तो उसने गाड़ी की चाबी उठाई और लावण्या के पीछे पार्टी वेन्यू तक पहुंच गया। 


     जतिन और लावण्या बिल्कुल किसी प्रोफेशनल कलीग के जैसे काम कर रहे थे। उन दोनों में कहीं से भी ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा था जिस पर शक किया जा सके। लेकिन जैसे ही लावण्या की नजर दरवाजे से अंदर आते रेहान पर् गई, वह जल्दी से सामने रख एक सीढ़ी पर चढ़ गई और डेकोरेशन ठीक करने के बहाने लड़खड़ा कर चिल्लाई। 


     उसकी आवाज सुनते ही वही पास खड़े जतिन का ध्यान लावण्या पर गया और घबरा कर उसने लावण्या को अपनी बाहों में थाम लिया। लावण्या यही तो चाहती थी और हुआ भी बिल्कुल वैसा ही। जतिन का तो मानो दिल धड़कना ही भूल गया हो। लावण्या उसके इतने करीब थी, वह भी पहली बार! उसे यकीन नहीं हो रहा था। उसे इंप्रेस करने के जतिन के सारे तरकीब फेल हो गए थे और उसने तो हार मान ली थी। 


     2 महीने बाद जतिन की सगाई थी जिसे उसने बड़ी मुश्किल से टाला था। इस तरह लावण्या का उसके करीब आना उसके दिल को बेचैन कर गया, साथ ही रेहान को भी! रेहान ने जैसे ही उन दोनों को इस हालत में देखा, वह चिल्लाया, "लावण्या........!"


     जतिन होश में आया और उसने एकदम से लावण्या को छोड़ दिया। बेचारी लावण्या गिरते-गिरते बची। जतिन शर्मिंदा हो गया और बोला, "सॉरी लावण्या! मैं बस घबरा गया था। वह रेहान ने हीं ऐसे आवाज दी कि अचानक से मेरा हाथ छूट गया।" कहते हुए उसनें लावण्या को उठने के लिए अपना हाथ दिया। उसी वक्त रेहान ने भी अपना हाथ बढ़ा दिया। 


     लावण्या ने जतिन का हाथ थामा और उठ खड़ी हुई। रेहान का हाथ उसी तरह खाली रह गया, फिर भी उसने इस बारे में कुछ कहने के बजाय लावण्या से पूछा, "तुम ठीक तो हो लावण्या?"


     लावण्या चिढ़कर बोली, "क्या खाक ठीक हूं मैं! तुम्हारी वजह से मैं कितनी जोर की गिरी तुम्हें एहसास भी है? मेरा मतलब, तुमने जिस तरह डराया है, बस गिरते-गिरते बची हूं। अच्छा हुआ जो जतिन ने मुझे संभाल लिया वरना तो बहुत जोरों की चोट लग जाती। वैसे तुम यहां क्या कर रहे हो? आज ऑफिस में कोई काम नहीं है क्या?"


    अब रेहान लावण्या को क्या बताता कि उसे जतिन को देखकर इनसिक्योरिटी फील हो रही थी। और वह अपनी बीवी को देखने चला आया! अगर वह ऐसा कुछ कहता तो इसका साफ मतलब निकलता कि उसे लावण्या पर भरोसा नहीं है। उसने बात बदलते हुए कहा, "जिस तरह से तुम लोग तैयारी कर रहे हो, शाम तक हो जाएगी ना?"


    जतिन के कुछ कहने से पहले ही लावण्या बोल पड़ी, "तुम फिकर मत करो! मैं और जतिन मिलकर सब ठीक कर देंगे। मेरा मतलब मैं और जतिन मिलकर पार्टी की सारी तैयारियां कर लेंगे। शाम से पहले पहले सब कुछ हो जाएगा। तुम बस पार्टी में आने की तैयारी करो। उसके लिए तुम्हें ऑफिस के काम खत्म करने होंगे! माना रूद्र वापस आ गया है इसका मतलब यह तो नहीं कि तुम सारी प्रॉब्लम उसी के ऊपर डाल दो। माना बहुत स्मार्ट है और किसी भी प्रॉब्लम को टैकल कर सकता है तो इसका मतलब यह तो नहीं कि तुम अपनी जिम्मेदारी से भागो!"


     रूद्र की तारीफ सुनकर रेहान एक बार फिर चिढ़ गया। ऐसा नहीं था कि रेहान को अपने भाई से प्यार नहीं था! बल्कि हर किसी के मुंह से रूद्र की तारीफ सुनकर वह चिढ़ जाता। अब तो लावण्या भी उसकी तारीफ करने से पीछे नहीं हट रही थी। उसे वहां ज्यादा देर रुकना सही नहीं लगा और वह वहां से निकल गया। 


    लावण्या अपने काम में लग गई लेकिन जतिन अभी भी उस एहसास को महसूस कर रहा था जो लावण्या के पास आने से उसे महसूस हुआ था। लावण्या ने जब जतिन को ऐसे खोए हुए देखा तो उसने आवाज लगाई। लावण्या की आवाज सुन जतिन होश में आया और अपना सर झटकते हुए वापस काम में लग गया। 




    शाम को शरण्या अपने अलमारी खोल कर बैठी हुई थी। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आज पार्टी में क्या पहने? एक-एक कर उसने कबर्ड के सारे कपड़े बिस्तर पर फैला दिए। उन सारे कपड़ों में वह लाल रंग की ड्रेस भी थी जो रूद्र ने पहली बार शरण्या के लिए खरीदी थी। शरण्या को याद नहीं था लेकिन फिर भी वो ड्रेस उसे काफी अच्छी लगी थी। उसने शाम को वही ड्रेस पहनने का सोचा और लेकर बाथरूम की ओर बढ़ने लगी। 


    तभी रूद्र ने उसे रोका और कहा, "आज शाम तू वो ड्रेस नहीं पहनेगी!"


     शरण्या ने हैरान होकर उस ड्रेस को देखते हुए बोली, "इतनी अच्छी ड्रेस है! और शायद मैंने कभी इसे कहना भी नहीं। आज मौका है पहन लेती हूं। क्या खराबी है इसमें? 


      रूद्र बोला, "यह ड्रेस मैंने तेरे लिए खरीदी थी और सोचा था कि नए साल पर मैं तुझे इस ड्रेस में देखुंगा लेकिन जो ड्रेस् तूने उस रात पहन रखी थी, उसमें तु और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी। आज मैं तुझे फिर से उन्हीं कपड़ों में देखना चाहता हूं।"


    कहते हुए रूद्र ने अपने साथ लाया बैग् शरण्या की तरफ बढ़ा दिया। शरण्या ने बिना यह देखें के अंदर कौन सी ड्रेस है उसने पैकेट लिया और बाथरूम की तरफ चली गई। इतना भरोसा तो उसे अपने रूद्र पर था ही। 


    शरण्या को अभी बाहर आने में टाइम था। तब तक रूद्र ने भी अपने कपड़े निकाले और तैयार हुआ। अभी वह आईने में अपने बाल बना ही रहा था कि उसे अपने पीछे शरण्या की परछाई नजर आइ। उसके हाथ वहीं रुक गए। वोजल्दी से पलटा। उसके सामने जो शरण्या खड़ी थी,  वो वही 9 साल पुरानी शरण्या थी। बिल्कुल वैसे ही! वह बस उसे एकटक देखता रह गया। उसकी आंखें देख कर ही शरण्या बुरी तरह शरमा गई और बोली, "कैसी लग रही हूं?" 


     रूद्र बेखयाली में चलते हुए उसके पास आया और उसके चेहरे को थाम कर बोला, "बिल्कुल मेरी जान लग रही है! काश कि मैं तुझे इस वक्त जी भर कर प्यार कर पाता लेकिन टाइम नहीं है! हमें अभी पार्टी के लिए निकलना है!" कहते हुए उसने शरण्या की ड्रेस कांधे से थोड़ी नीचे सरका दी। उसके नाम का टैटू उसे साफ नजर आ रहा था। उसकी यह हरकत शरण्या का दिल धड़काने के लिए काफी था। उसने रूद्र की शर्ट पकड़ ली। 


    रूद्र हौले से झुका और अपने नाम के उस टैटू को अपने होठों से चूम लिया। शरण्या अंदर तक सिहर उठी।  वो इस पल में खो जाना चाहती थी। उसने कसकर रूद्र को अपनी बाहों में भर लिया। इस वक्त रूद्र की हालत भी शरण्या जैसी ही थी। उसने आंखें मूंद ली और खुद को इस हरकत के लिए डांटने लगा। 


    शरण्या खुद को नार्मल करने की कोशिश कर रही थी तभी रूद्र बोला, "चले! वरना हमें देर हो जाएगी!"


    शरण्या ने देखा रूद्र की आंखों में हल्की उदासी नजर आ रही थी। उसने रूद्र का चेहरा अपने दोनों हाथों में थामा और बोली, "क्या हुआ है तुझे? तेरी आँखों में यह उदासी क्यों?"


   रूद्र उसके हाथों को अपने हाथों में थाम कर बोला, "आज मैं दादी को बहुत मिस कर रहा हूं! सच में उस बार दादी की वजह से हम दोनों ने आज की रात को दिल खोलकर एंजॉय किया था। उनके और लावण्या की वजह से वो रात बहुत खूबसूरत हो गई थी। 


     शरण्या ने धिरे से पूछा, "दादी को क्या हुआ था रूद्र?"


   रूद्र बोला, "उम्र हो चुकी थी उनकी! और फिर बहुत कुछ ऐसा हो गया था जिसकी वजह से उन्हें अब और जीने की चाहत नहीं रही। उनकी अंतिम इच्छा थी कि तू वहां आश्रम में जाकर उनके नाम का दिया जलाएं। तू जब चाहेंगी हम वहां चलेंगे ताकि दादी की आत्मा को शांति मिले।"


    शरण्या की आंखों में आंसू आ गए और उसने पूछा, "दादी मुझसे बहुत प्यार करती थी! इतना ज्यादा?"


   रूद्र उसके आंसुओं को पोंछते हुए बोला, "दादी तो हमेशा से तुझे अपनी बहू बनाना चाहती थी। बस वह हमारी शादी नहीं देख पाई। अब अगर तूने और आंसू बहाई तो दादी की आत्मा मुझे जान से मार देगी।"


    शरण्या को हंसी आ गई। रूद्र ने अपने हाथों से उसे सैंडल पहनाई और उसे लेकर नीचे चला आया। 


     लावण्या ने अपनी ड्रेस वहीं पर मंगवा ली थी जिसकी वजह से उसे घर वापस आने की जरूरत नहीं पड़ी। कुछ ही देर में सारे मेहमान आने वाले थे, उस सबसे पहले रूद्र और शरण्या को वहां पहुंचना था। जतिन खुद भी तैयार हो चुका था और लावण्या अभी तैयार हो रही थी।  


     जतिन लावण्या को ढूंढते हुए उसके कमरे में पहुंचा। उसने एक दो बार लावण्या के दरवाजे पर नॉक् भी किया लेकिन लावण्या की दबी हुई आवाज उसे सुनाई दी जो उसे अंदर आने को कह रही थी। उसने दरवाजा खोला तो देखा, लावण्या हल्के नीले रंग के गाउन में थी। उसके बाल खुले हुए थे और वह आईने के सामने खड़ी होकर अपना ज़ीप् लगाने की कोशिश कर रही थी। उसके मुंह में क्लिप जैसा कुछ दबा हुआ था जिस वजह से उसकी आवाज इतनी दबी हुई सुनाई दी थी। 


     उसे मशक्कत करते देख जतिन समझ गया और अनजाने में ही उसके हाथ लावण्या की तरफ उठ गए। उसी वक्त लावण्या की नजर आईने में गई। जतिन को अपने पीछे देखकर वो एकदम से घबरा गई और पलट कर उससे दूर हटी। जतिन के हाथ लावण्या को छू भी नहीं पाए। 


     लावण्या इस वक्त बुरी तरह से घबराई हुई थी। उसने हकलाते हुए कहा, "मुझे........ मुझे लगा........ असिस्टेंट है कोई!"


    जतिन झेंप गया और नजरे चुराते हुए बोला, "मैं किसी को भेजता हूं तुम्हारी हेल्प के लिए!" कहकर वह बाहर निकल गया। लावण्या अभी भी बुरी तरह से घबराई हुई थी। जतिन  के साथ उसने जो भी किया वह सब रेहान को जलाने के लिए था लेकिन इस वक्त जतिन ने अगर उसे छू लिया होता तो ना जाने वह क्या करती! उसने बड़ी मुश्किल से अपने सामने रखी कुर्सी को पकड़ा और वहां बैठ गइ। 


    थोड़ी देर बाद ही एक लड़की आई और लावण्या से बोली, "मैम! आपने हेल्प के लिए बुलाया था?"


    लावण्या अभी भी पूरी तरह से काप् रही थी। उसे ऐसे देख उस लड़की ने जल्दी से गिलास में पानी लिया और लावण्या की तरफ बढ़ा दिया। लावण्या ने बड़ी मुश्किल से अपने कांपते हाथों से ग्लास पकड़ा और पानी पिया। तब तक वो लड़की एक टॉवल को गिला करके ले आई और उसका चेहरा पोंछने लगी। उस लड़की ने कहा, "मैम आप बैठीए! मैं आपका मेकअप ठीक कर देती हूं।"


     लावण्या ने उस लड़की का सहारा लिया और आईने के सामने बैठ गइ। अभी जो कुछ हुआ और जो कुछ हो सकता था यह सोचकर ही वह बेचैन हो रही थी। जिस लड़की को जतिन में भेजा था वो लावण्या का मेक अप ठीक करने में लगी हुई थी। कुछ देर के बाद ही उसे मीडिया रिपोर्टर के वहां आने की खबर मिली। उसने अपना मन शांत किया और वहां से उठकर बाहर की तरफ चली गई। बाहर आने से पहले उसने रूद्र को फोन किया और पूछा, "कहां हो तुम दोनों? पार्टी बस शुरू होने वाली है!"


     रूद्र बोला, "बस आधे घंटे में पहुंच जाऊंगा! वैसे भी अपने प्रिंसेस को क्वीन बनाने की तैयारी में लगा हूं।"


   लावण्या समझ गए कि रूद्र शरण्या को लेकर पार्लर गया है ताकि उसे अच्छे से तैयार करवा सके। आज पूरी दुनिया के सामने आर एस और उसकी वाइफ आने वाले थे। सब कुछ भूल कर लावण्या मुस्कुरा दी।