Chapter 104

Chapter 104

YHAGK 103

Chapter

103




     रेहान को जब रूद्र की हरकतों का पता चला तब वह गुस्से में घर जाने के लिए निकला। उसके मन का चोर उसे अपने ही भाई के खिलाफ कर रहा था। उसे डर था कि कहीं रूद्र के आ जाने से उसका गुनाह सबके सामने ना आ जाए। अगर ऐसा हुआ तो रेहान सबकी नजरों में गिर जाएगा और रूद्र महान बन जाएगा। उसके अंदर का डर धीरे धीरे उसके ऊपर हावी होकर उसे अपने भाई के एहसानों को मानने से इंकार कर रहा था। वो बस अपनी लाइफ में सब कुछ पर्फेक्ट चाहता था लेकिन रूद्र के रहते हुए यह सब कुछ मुमकिन नहीं था। 


     रेहान जानता था रूद्र कितना मूडी इंसान है। वह वही करेगा जो उसका दिल करेगा, किसी की नहीं सुनेगा। लावण्या को ऑफिस में कुछ और भी काम था इसलिए वो रेहान के साथ घर नहीं गई। देर हो चुकी थी और ऑफिस के काफी सारे स्टाफ घर जा चुके थे। ईशान के साथ रूद्र का किस्सा और रूद्र सबके लिए गॉसीप् का टॉपिक बन गया था। हर कोई बस रुद्र की ही बातें कर रहा था। लावण्या के कानों तक जब यह सारी बातें पहुंची व चिढ़ गई। उसने कॉफी के लिए एक दो बार भी प्युन को आवाज लगाई लेकिन प्युन तब तक घर जा चुका था। 


      लावण्या उठी और कैफिटेरिया की तरफ बढ़ गई। रास्ते में अचानक से उसके कदम रुक गए जब उसने फाइनेंस डिपार्टमेंट के कुछ लोगों को बात करते हुए सुना। एक ने कहा, "तुम्हें पता है! पिछली बार जब रूद्र सर यहां आए थे उस वक्त ही वह ऐसे ही गुस्से में थे। उस दिन उनका और रेहान सर का जन्मदिन था। उस रोज भी हम लोग मीटिंग रुम मे मीटिंग कर रहे थे। रूद्र सर अचानक से आए और मीटिंग खत्म करवा दी और सब को बाहर भेज दिया। ना जाने उन दोनों भाइयों में क्या बातें हुई लेकिन रूद्र सर को हमने पहले कभी इतने गुस्से में नहीं देखा था, जितना उस दिन वह गुस्से में थे। उस दिन के बाद ही रूद्र सर की लाइफ मे भूचाल आ गया था और वो इंडिया छोड़कर चले गए थे। पता नहीं दोनों भाइयों का क्या चक्कर है। वैसे तो दोनों भाइयों के बीच प्यार के किस्से बहुत सुने थे लेकिन पता नहीं......."


    दूसरी ने आँहे भरते हुए कहा, "वैसे कुछ भी कहो! रूद्र सर की पर्सनालिटी रेहान सर से काफी अच्छी है। आई मीन उनके चलने का तरीका, उनका एटीट्यूड, उनका लुक.......! माय गॉड ऐसा लगता है जैसे कोई राजा हो या फिर कहीं का प्रिंस!"


     तीसरे ने कहा, "यह सारी बातें किसी और तक नहीं जानी चाहिए, ललित सर तक तो बिलकुल भी नहीं। रूद्र सर के बारे में यहां कोई बात नहीं करता इसलिए तुम लोग भी खामोश रहो। अब इतने सालों बाद वह वापस आए हैं तो कुछ ना कुछ हंगामा तो जरूर होगा और हुआ भी। देखा नहीं तुम सबने!"


     लावण्या से आगे और कुछ सुना नहीं गया और वह आगे बढ़ गई। उसके दिमाग में यह बात अटक कर रह गई कि आठ साल पहले रूद्र अपने ही जन्मदिन पर अपने ही भाई से लड़ बैठा था, वह भी यहां ऑफिस में! ऐसा क्या हो गया था जो रूद्र रेहान पर गुस्सा था? हर बार तो सिर्फ रेहान रूद्र से नाराज हुआ करता था। "इस बारे में किससे पूछूं? उन दोनों भाइयों में से कोई कुछ नहीं बताने वाला, यह मैं अच्छे से जानती हूं। आखिर हुआ क्या होगा उन दोनों के बीच?" लावण्या सोच में पड़ गयी।


      "मैडम आप कुछ लेंगी?" काउंटर पर खड़े उस लड़के की आवाज से लावण्या की तंद्रा टूटी और उसने अपने लिए एक कॉफी ऑर्डर कर दिया। 


    रूद्र आज 'अपने' कमरे में था। बहुत हिम्मत जुटाई थी उसने इस कमरे में वापस आने के लिए। उसकी और शरण्या की ना जाने कितनी यादें बसी थी इस कमरे में। उसने बालकनी के पर्दे साइड किए और दरवाजा खोल दिया। हवा का एक झोंका उसके तन बदन को छूकर गुजरा, मानो जैसे खुद शरण्या ने उसे छुआ हो। रूद्र ने अपनी आंखें मूंद ली और अपनी शरु को महसूस करने लगा। एक दफा इसी बालकनी से चढ़कर वह इस कमरे में आई थी, उसके बाद ही तो आहिस्ता आहिस्ता उसे शरण्या के लिए अपने दिल में प्यार महसूस होने लगा था। वो नहीं जानता था कि ये रिश्ता इतना गहरा होगा कि इससे छूटना उसके लिए नामुमकिन हो जाएगा। 


    शरण्या तो उसकी सांसों में बसी थी, उसे कैसे भूल सकता था! आपको अपनी यादों में खोया रूद्र कब से वहां खड़ा था उसे कुछ एहसास नहीं रहा। तभी उसे रेहान की आवाज सुनाई दी जो उसे ही चिल्लाकर बुला रहा था। रूद्र हौले से मुस्कुराया और खुद से बोला, "आ गया बम फोड़ने! इस घर में अब कलेश होगा, जो मैं नहीं चाहता था!"


   रेहान काफी गुस्से में था। एक तो वैसे ही रूद्र ने उसके प्रोजेक्ट में टांग लड़ाई थी ऊपर से ईशान का हाथ फैक्चर कर दिया था जो की बहुत बड़ी बात थी। इसके लिए ईशान अब उसे ही सुनाता और सबके सामने उसकी इंसल्ट भी करने वाला था। तभी उसकी नजर सीढ़ियों से नीचे आते रूद्र पर गई। 


     रूद्र सधे कदमों से एक एक सीढ़ियां नीचे उतर रहा था और आने वाले तूफान का अंदाजा लगा रहा था। उसकी नजर हॉल में मौजूद सभी लोगों पर गई। रेहान की चिल्लाहट सुनकर घर के सारे लोग वहां जमा हो गए थे। रूद्र ने सारे नौकरों को आवाज लगाकर कहा, "आप सब लोग अपने काम पर जाइए, यह हम दो भाइयों के बीच की बात है।"


    रेहान बोला, "उन्हें क्यों भेज रहा है? उनके सामने शर्म आती है तुझे? जो तूने किया बहुत गलत किया! अपने आप को बहुत स्मार्ट समझते हो तुम? तुम्हें पता भी है जो तुमने किया है उसका बदला ईशान हम सब से ले सकता है? हमारी कंपनी से ले सकता है! वैसे ही वह हमारी कंपनी का बड़ा सा हिस्सा खरीद चुका है। हमारी कंपनी के शेयर मार्केट में ऐसे गिरें जैसे किसी ताश के पत्तों का महल! ईशान ने एक झटके में हमारे सारे शेयर्स खरीद लिए और हमारी कंपनी का मालिक बन बैठा। तुम्हें क्या लगता है, मुझे ईशान की चापलूसी करना अच्छा लगता है? मैं बस इसलिए मेहनत कर रहा हूं ताकि उस ऑस्ट्रेलियन कंपनी से हमारा कोलैबोरेशन हो और हमें इतना फायदा हो कि हम अपने सारे शेयर्स वापस ले सके।"


      रूद्र बोला, "तुम्हें यह सब कुछ इतना आसान लगता है? तुम्हें क्या लगता है, तुम जो प्रोजेक्ट बना रहे हो इतने टाइम से जो तुम्हारे आईडियाज जिस पर तुम काम कर रहे हो क्या उससे तुम्हें या इस कंपनी को कोई फायदा होगा......? नहीं, बिल्कुल भी नहीं! तुम देख लेना, तुम्हारे ही आईडिया से वह उस कंपनी के साथ कोलैबोरेशन करेगा और तुम लोगों को लात मारकर बाहर कर देगा, दूध मे गिरी मक्खी की तरह! जिस ईशान के सहारे तुमने अपनी कंपनी को खड़ा कर रखा है ना, वह बैसाखी एक झटके में निकल जाएगी।"


     रेहान बोला, "ठीक है! तुम्हारी बात सही है, लेकिन उसका हाथ तोड़ने की जरूरत क्या थी? तुम दोनों पहली बार मिले हो और पहली बार मे ही तुमने ऐसी हरकत कर डाली?"


     रूद्र उसे बीच में टोकते हुए बोला, "अगर कोई तुम्हारी बीवी के तरफ नजर उठा कर देखें तो तुम क्या करोगे?"


    रेहान उसकी बात समझ नहीं पाया और बोला, "मैं उसकी आंखें निकाल लूंगा!"


     रूद्र मुस्कुराया और बोला, "मैंने भी तो वही किया! उसने मेरी बीवी पर हाथ डाला है, मुझे उसका हाथ जड़ से उखाड़ देना चाहिए था। अभी तो सिर्फ उसका हाथ फैक्चर किया है मैंने। शुक्र मनाओ कि मैंने उसकी हालत वैसी नहीं की जैसी मैंने विक्रम के साथ की थी। उसने भी शरण्या को छुने की कोशिश की थी, अपने गंदे इरादों के साथ!"


     रेहान की आंखें हैरानी से बड़ी हो गई। उसने कहा, "इसका मतलब मेरी सगाई की रात विक्रम पर जिस ने हमला किया था वह.........."


      रूद्र आराम से सोफे पर बैठते हुए बोला, "वो मैंने किया था। मैंने मारा था उसे। उसने मेरी शरण्या को छूने की कोशिश की थी, इसलिए उसका हाथ तोड़ दिया था और महीने भर के लिए उसकी छुट्टी कर दि थी। मैं उसे जान से मार देना चाहता था, लेकिन छोड़ दिया। ईशान की हालत मैं उससे भी बदतर करूंगा।"


      उसी वक्त लावण्या आ पहुंची और उसने रूद्र की सारी बातें सुन ली। वह लगभग चीखते हुए बोली, "बस करो रूद्र! तुम्हें कोई हक नहीं बनता शरण्या का नाम भी लेने का! सारे हक छोड़ कर गए थे ना तुम, साफ मुकर गए थे कि तुम दोनों ने शादी की है तो अब वह तुम्हारी बीवी कैसे हो गई? जिस वक्त शरण्या रो रो कर कह रही थी कि वह तुम्हारी बीवी है उस वक्त तुमने उसे नहीं अपनाया। साफ साफ कह दिया कि तुम इशिता के साथ हो। उस बच्ची के लिए, उसकी मां के लिए तुमने मेरी बहन का दिल तोड़ा और इस तरह तोड़ा कि उसने अपनी जान दे दी, मर गई वो। तुम्हारी बेटी तुम्हें बहुत प्यार करती है ना, उसे भी तो पता चले कि उसका बाप एक खूनी है! तुमने मेरी बहन को सुसाइड करने के लिए उकसाया था। तुम उसकी मौत के जिम्मेदार हो। मैंने दिल से तुम्हें बद्दुआ दी थी और आज भी देती हूं, तुम जिंदगी में कभी खुश नहीं रहोगे। और कौन सा तुम खुश हो? जिस लड़की के लिए तुमने शरण्या को छोड़ा, कहां है वह? अकेले हो तुम, अपनी बेटी के साथ, अकेला तन्हा! चली गई ना वह भी तुम्हें छोड़कर! तुम इसी लायक हो। मेरी बहन तुम्हारे धोखे को बर्दाश्त ना कर पाई और चली गई इस दुनिया से। पागल थी वह जो तुम पर भरोसा कर लिया उसने।"


     रूद्र एकदम खामोश रह गया। वह उसी वक्त चीख चीख कर बताना चाहता था कि उसने कभी शरण्या को धोखा नहीं दिया। समझाना चाहता था अपनी बात को। मौली भी वही खड़े होकर सारी बातें सुन रही थी। अपनी बेटी का चेहरा देख रूद्र नजरे झुका कर अपने कमरे में वापस चला गया। एक हारे हुए खिलाड़ी की तरह शरण्या की तस्वीर के आगे सिसक पड़ा। 


     शिखा जी लावण्या को बहुत कुछ सुनाना चाहती थी लेकिन इस वक्त उनके लिए रूद्र सबसे ज्यादा जरूरी था। वह उसके पीछे भागी और उसके कमरे में गई। उन्होंने जैसे ही रूद्र के कंधे पर हाथ रखा, रूद्र एकदम से पलट कर उनके गले लग गया और फफक पड़ा। "मैं कभी उसे छोड़कर नहीं गया माँ! मैं कभी उसे छोड़कर जा ही नहीं सकता था। उससे अलग होकर मेरा कोई वजूद नहीं। मुझ पर मेरा कोई हक नहीं तो मैं कैसे खुद को उससे अलग कैसे कर सकता था। मैं तो उसी के पास था, हमेशा से! कुछ नहीं हुआ है शरण्या को, मैं जानता हूं मेरे पास कोई सबूत नहीं है वरना मैं सबको दिखाता और चिल्ला चिल्ला कर कहता कि मेरी शरण्या जिंदा है, मेरी पत्नी जिंदा है और इसका सबसे बड़ा सबूत मैं हूं! लेकिन क्या कोई भी मेरी बात मानेगा? कभी नहीं मानेगा!"


     शिखा जी ने रुद्र की पीठ सहलाई और उसे शांत कराया। मौली छोटी थी लेकिन काफी बातें समझती थी। अपनी उम्र से भी ज्यादा समझदार थी वह। उसने अपने पिता को हर पल शरण्या को याद करते हुए देखा था। लेकिन क्या सच में उसकी शरण्या मॉम मर चुकी थी और उसके जिम्मेदार उसके पिता थे? अगर ऐसा था तो फिर उसके पिता उसकी शरण्या मॉम को ढूंढने की बात क्यों कर रहे थे? यह वह नहीं कर पा रही थी! उसने पानी का गिलास लिया और रूद्र के पास चली आई। 


    रूद्र अपनी मां की गोद में सर रखकर बैठा हुआ था और उसकी आंखें बता रही थी कि उसे लावण्या की बात किस हद तक तकलीफ दी गई थी। शिखा जी उसका सर सहला रही थी। उन्हें भी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि इस वक़्त ऐसे हालात में और रूद्र का दर्द किस तरह बाटे और किस तरह उसे शांत करें। 


    धनराज जी भी खुद को इस समय बहुत ही ज्यादा असहाय महसूस कर रहे थे। उन्होंने बिल्कुल नहीं सोचा था दोनों भाइयों के बीच इस तरह से तकरार होगी। इतना अपमान सहने के बावजूद रूद्र ने रेहान और लावण्या के रिश्ते पर आँच तक नहीं आने दी। हर दर्द सहते हुए उसने रेहान के रास्ते के कांटों को बखूबी चुनकर अपने दामन में समेट लिया। इसके बावजूद भी रेहान को रूद्र की कदर नहीं थी। वो चाहता तो लावण्या को इतना कुछ बोलने से रोक सकता था लेकिन उसने नहीं किया, इस बात से धनराज जी बहुत नाराज थे।




क्रमशः


गरिमा गुप्ता