Chapter 10

Chapter 10

YHAGK 9

Chapter

      रूद्र को रेहान ने इतनी जोर से मारा था कि वो बेचारा अपनी कमर सहलाने लगा और बोला, "यह सही है तेरा! मैंने कहा था ना, तुम दोनों ने मिलकर मेरी जिंदगी हराम कर दी है। अभी वह उस घर में है तब मेरी यह हालत है कि मै चैन से सो भी नही सकता और तू उसे घर में लाने की सोच रहा है!!! उसके मारने से पहले ही मैं मर जाऊंगा।" रेहान गुस्से में बोला, "तू अपना रेडियो बंद करेगा या फिर लगाऊं मैं तुझे एक और!!!" रूद्र एकदम से खामोश हो गया। उसे चुप हुआ देख रेहान ने कहा, "अबे मुझे शरण्या से मिलना है लेकिन बात लावण्या से करनी है, शरण्या से नहीं। मैं लावण्या से प्यार करता हूं यार समझा कर.....! ऑफिस में हिम्मत नहीं होती मेरी उससे बात करने की, ना जाने सारे इंप्लॉयी क्या सोचेंगे! और ना जाने लावण्या क्या सोचेगी! यही सोचकर मेरी हिम्मत जवाब दे जाती है लेकिन तू जैसे भी करके शरण्या से बात कर और लावण्या से मेरी मीटिंग फिक्स करवा। क्या करना है कैसे करना है, मुझे कुछ नहीं पता, मैंने इतनी बार तेरी हेल्प की है और फिर यह भी तो सोच, तुझे भी तो शरण्या से कुछ बात करनी थी। वह भी हो जाएगी, मतलब तेरा काम भी हो जाएगा और मेरा भी।"

     रूद्र को रेहान की बातों से तसल्ली मिली और उसका शरण्या से मिलकर बात करने का यह सुझाव अच्छा तो लगा लेकिन वह शरण्या के सामने नहीं जाना चाहता था। एक तो वैसे ही है उसके नाम से ही रूद्र को डर लगता था, जाने कब क्या कर दे! रूद्र घबराते हुए बोला, "तू क्यों मुझे बलि का बकरा बनाना चाहता है? तुझे पता भी है, तू क्या बोल रहा है? अगर ऐसा ही होता तो मैं तुझे कभी शरण्या से बात करने को नहीं कहता! हां मुझे भी तुझसे बात करनी है लेकिन वह बातें कम करती है और उसके पैर हाथ ज्यादा चलते है। मेरी शक्ल तो दूर मेरा नाम सुनते ही ही भड़क जाती है। तुम्हें लगता है कि वह मुझसे बात करेगी? वह उन लोगों में से हैं जो पहले गोली मारते हैं उसके बाद बात करते हैं और फिर सोचते हैं कि मैंने इस को गोली क्यों मारी और वैसे भी मेरे पास उसका नंबर नहीं है। मैं तो उसकी परछाई से भी दूर रहता हूं यार, तू मुझे उसी से मिलने को कह रहा है।"

     "बात मेरी पूरी लाइफ की है रूद्र! तु समझ क्यों नहीं रहा? एक बार, सिर्फ एक बार मेरे लिए तु ये काम कर दे। मेरे और लावण्या की शादी हो जाए उसके बाद बदले में तू जो कहेगा मैं करूंगा। प्लीज! प्लीज!! मेरी बात मान जा, प्लीज! एक बार हेल्प कर दे! आखिर मैं तेरा इकलौता भाई हूं और छोटा भाई भी। यार तू मेरी हेल्प नहीं करेगा तो फिर कौन करेगा मेरी हेल्प?" रेहान ने इमोशनल होते हुए कहा तो रूद्र ने उसे घूर कर देखा। हमेशा उसके बड़े होने का मजाक उड़ाने वाला रेहान आज खुद उसे बड़ा भाई बना रहा था। अपने भाई को इमोशनल होता देख रुद्र उसके सामने हथियार डालते हुए बोला, "ठीक है! जब मिक्सी में सिर दे ही दिया है तो स्विच ऑन करने से क्या डरना!!! तेरे लिए मैं स्विच ऑन करने को भी तैयार हूं! तू जा और आराम से सो जा, कल देखते हैं क्या करना है! यह भी हो सकता है कि मां पापा खुद ही इस रिश्ते के लिए मना कर दे या फिर यह भी हो सकता है कि अगर लावण्या भी तुझे प्यार करती है तो वह खुद आकर तुझे अपने प्यार का इजहार कर दे। लेकिन कल क्या होगा यह हमें नहीं पता तो आज जाकर सो जा और इस पल को टेंशन में मत बर्बाद कर। अब तू भी सो और मुझे भी चैन से जीने दे मतलब सोने दे।" रूद्र ने अपनी बात खत्म की और धक्का मारते हुए उसे कमरे से बाहर लेकर गया। रेहान के जाते ही रूद्र ने दरवाजा जोर से बंद किया और बिस्तर पर आकर लेट गया। 

     "इतनी मुश्किल से नींद आई थी, इस कमीनी ने सारी नींद उड़ा दी मेरी। अब शरण्या से कैसे बात करूं? यहाँ तो मेरी खुद की फटी पड़ी है उससे बात करने से। वो मेरी बात सुनेगी जो मैं रेहान के लिए उससे बात करूं! लेकिन थैंक गॉड कि रेहान को शरण्या नहीं बल्कि लावण्या पसंद है। अगर शरण्या पसंद होती तो मैं क्या करता?" रुद्र को अपना यह ख्याल ही बड़ा ऊटपटांग लगा और अपना सर खुजाते हुए बोला, "क्या होता का क्या मतलब? तेरी भाभी बनती, इस घर की बहू बनती और वैसे ही उसने जीना हराम कर रखा है, इस घर में तेरा जीना मुहाल कर देती और क्या होता? ज्यादा से ज्यादा तुझे घर छोड़ जाना पड़ता! अब इस बारे में ज्यादा सोच मत और जैसा तूने वादा किया है, शरण्या से बात करनी होगी वरना यह रेहान तुझे जिंदा नहीं छोड़ेगा और बात करने गया तो वह शाकाल तुझे जिंदा नहीं छोड़ेगी। एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई है और बीच में फंसा तू मासूम सा, भोला भाला!!!"


     सुबह जब रुद्र की आंख खुली, उस वक्त पहले से ही सुबह के 10:00 बज चुके थे। अपनी घड़ी देखकर रूद्र झल्ला उठा और उस घड़ी को उठाकर बालकनी की ओर फेंकते हुए बोला, "अबे तेरी किस्मत में ही नहीं है उस लड़की से मिलने का! और जिस से मिलना नहीं चाहता उसे मिलने के लिए तेरा भाई जबरदस्ती कर रहा है। अब उठ जा और अपने काम पर लग और सोच कि उस शाकाल से किस तरह मिला जाए ताकि उसका शिकार ना बन पाए और तेरा काम भी बन जाए! एक जगह तो ऐसी है जहां तु बच सकता है, मंदिर!!! लेकिन क्या शरण्या मंदिर जाती होगी? एक बार तो देखा था मैंने उसे मंदिर जाते हुए लेकिन कब? इस बारे में किससे पूछूं? लावण्या से पूछूं?" ये सोचते हुए रुद्र ने लावण्या का नंबर डायल किया लेकिन कॉल जाने से पहले ही उसने डिस्कनेक्ट कर दिया, "लेकिन मैं उससे पूछूंगा क्या? यह की शरण्या मंदिर कब जाती है? क्या सोचेगी वो? आखिर ऐसी कौन सी इमरजेंसी आ गई जो मुझे शरण्या से मिलने मंदिर जाना होगा? कुछ और सोचना होगा! उस विहान ने तो पहले ही अपने हाथ खड़े कर दिए और उल्टा मुझ पर ही थोप दिया कि मैं जाकर उससे बात करूं और यह रेहान भी!!! सब मिलकर मुझे और शरण्या को मिलवाने पर क्यों लगे हैं?" तभी शिखा ने उसे आवाज लगाई तो "आया मां!!!" कहकर रूद्र फ्रेश होने बाथरूम में चला गया।

     जब तक रूद्र फ्रेश होकर नीचे आया तब तक शिखा सबके लिए नाश्ता लगवा चुकी थी और रेहान पहले से ही वहां मौजूद था। रूद्र ने अपनी जगह लेते हुए कहा, "क्या बात है, पापा नजर नहीं आ रहे है! ऑफिस के लिए गए हैं क्या या फिर मैं जल्दी उठ गया?" इससे पहले कि रुद्र कुछ और बोल पाता, धनराज की आवाज सुनाई दी, "बेटा! यह बात तो आपने बिल्कुल सही बोली साहबजादे। आज आप जल्दी उठ गए हो और अब जब जल्दी उठ गए हो तो कुछ देर के लिए ऑफिस भी आ जाना। वहां भी एक पिकनिक स्पॉट है, कहो तो तुम्हारे लिए वहां पर एक पब भी खुलवा दूं ताकि उसी बहाने तुम रोज ऑफिस आ सको!" धनराज की बात सुन रेहान को हंसी आ गई तो रूद्र ने उसे घूर कर देखा। रेहान ने जल्दी से अपनी हंसी कंट्रोल की और नाश्ता करने लगा। धनराज के सामने ना ही रेहान और ना ही रुद्र की कोई बात चलती थी और ना ही वह दोनों अपने पापा के सामने कुछ बोल पाते थे। उन्हें कुछ भी कहना होता तो वह शिखा को ही बीच में ले आते लेकिन इस बार रेहान बेचारा ऐसी प्रॉब्लम में फंसा था कि वह शिखा से भी बात नहीं कर पा रहा था। 

   धनराज ने नाश्ता करते हुए कहा, "कल ललित ने जिस लड़की के रिश्ते के बारे में बताया था, उन्हीं लोगों का फोन आया था। वह लोग अगले दो दिनों में ही यहां होंगे और सब कुछ ठीक रहा तो सगाई करके ही यहां से जाएंगे।" धनराज की बात सुनते ही रेहान के गले में खाना अटक गया और वह बुरी तरह से खासने लगा। रूद्र से उसकी तरफ पानी का ग्लास बढ़ाते हुए बोला, "लेकिन पापा! इतनी जल्दी! मतलब अभी कल ही तो अंकल ने बात छेड़ी और आज ऐसे वो लोग रिश्ता लेकर आ रहे हैं और सगाई की बात भी कर रहे है। यह थोड़ा ज्यादा जल्दी नहीं हो गया? मेरा मतलब इतनी जल्दबाजी में रिश्ता.......!हमने तो अभी तक लड़की की तस्वीर भी नहीं देखी है! आपको नहीं लगता यह बहुत ज्यादा जल्दी होगा?"

      धनराज ने चम्मच अपने प्लेट में डालते हुए कहा, "बेटा तुमसे ज्यादा दुनिया देखी है हमने! क्या सही है क्या गलत है तुमसे ज्यादा अच्छे से जानते हैं, तो इस बारे में तुम हमें ना ही सिखाओ तो बेहतर होगा। हमने उस लड़की की तस्वीर भी देखी है और हम उससे पहले मिल भी चुके हैं। इसीलिए कह रहा हूं और वैसे भी अभी सिर्फ बात चल रही है। जब दोनों एक दूसरे को पसंद कर लेंगे तो सीधे उनके सगाई हो जाएगी।" रूद्र खामोश हो गया और बेचारा रेहान! उससे कुछ कहते नहीं बना। उसे बिल्कुल भी यकीन नहीं था कि ऐसे अचानक ही उसका रिश्ता किसी और से जुड़ सकता है। "अगर उस लड़की ने मेरी प्रॉब्लम नहीं समझी तो!!! और अगर उस लड़की ने हां कर दी तो!!! तब मैं क्या करूंगा?? उस सब से भी पहले, मैं लावण्या से कैसे बात करूं? भगवान! प्लीज मेरी हेल्प करो।" रेहान की सबसे बड़ी टेंशन यही थी। उसने उम्मीद भरी नजरों से रुद्र की ओर देखा लेकिन रूद्र को भी समझ नहीं आ रहा था कि वह करे तो क्या करें! 

     रुद्र का पूरा दिन इसी जुगाड़ में गुजर गया कि उसे रेहान की मदद कैसे करनी है? शाम को जब वह अपनी बालकनी में लगे पौधों में पानी दे रहा था, उस वक्त विहान ने उसे फोन कर क्लब में आने को कहा। रुद्र का दिमाग अभी किसी और ही जगह उलझा हुआ था, कुछ देर की शांति मिलेगी तो शायद कुछ नया आईडिया मिले' यह सोच कर रूद्र ने कपड़े बदले और क्लब के लिए निकल गया। विहान उसे क्लब के बाहर ही उसका इंतजार करता हुआ मिल गया। वहां पहुंचते ही उसने सबसे पहले रुद्र के लिए स्पेशल वाइन मंगवाई और देते हुए बोला, "कुछ सोचा है शरण्या से कैसे बात करनी है? देख ले! अगर तुझे वह लड़की चाहिए और अगर तु उसके लिए सीरियस है तो तुझे शरण्या की हेल्प लेनी ही होगी वरना हम लोग इतने दिनों से ट्राई कर रहे है, अभी तक कुछ नहीं हुआ। ऐसे में तू सोच ले तुझे क्या चाहिए!"

     विहान ने रुद्र के लिए जो वाइन मंगवाई थी, वह सिर्फ वाइन नहीं बल्कि एक कॉकटेल था जो कि काफी स्ट्रांग था। जिसे पीते ही रूद्र का दिमाग मानो तेजी से दौड़ने लगा हो। हालांकि अभी तक उसे समझ नहीं आ रहा था कि शरण्या से बात कैसे करे, लेकिन इतना तो तय था कि वह उसकी हेल्प नहीं करेगी। अपने लिए ना सही उसे रेहान के लिए तो उससे मिलना ही था। कुछ देर क्लब में बिताने के बाद उसके दिमाग में एक तरीका सूझा और विहान से बोला, "लगता मुझे थोड़ी चढ़ गई है यार! एक काम कर, तू मुझे शरण्या के घर छोड़ दे। उससे कुछ जरूरी बात करनी है। आज नहीं की तो फिर बहुत देर हो जाएगी।"

      रुद्र की बात सुन विहान को मानो सांप सूंघ गया हो। "एक तो उसे चढ़ गई है और उस पर भी इतनी रात को उसे अपने घर जाने की बजाए शरण्या के घर जाना है! इसका मतलब उसे सच में चढ़ गई है।" वह रूद्र को क्लब से खींच कर बाहर लेकर आया और गाड़ी में बिठाते हुए बोला, "भाई मेरे तु गाड़ी में बैठ! मैं तुझे तेरे घर छोड़ता हूं। तु होश में नहीं है अभी इसलिए शरण्या के घर जाने की बात कर रहा है। इस वक्त उससे मिलेगा तो उससे अच्छे से मार खाएगा। वो अब तक की सारी प्रेक्टिस को तुझ पर उतार देगी, इसलिए उसे जो भी बात करनी है वह कल सुबह कर लेना, ठीक है!" कहते हुए उसने रुद्र के साइड का दरवाजा बंद किया और जैसे ही ड्राइविंग सीट की ओर जाने को हुआ, रूद्र ने फुर्ती दिखाते हुए ड्राइविंग सीट संभाल ली और इससे पहले कि विहान गाड़ी का दरवाजा खोल पाता, रूद्र ने अंदर से लॉक कर दिया और उसके सामने से गाड़ी लेकर निकल गया। "बेटा! तू बहुत बड़ी मुसीबत में पड़ने वाला है आज। अब तो भगवान ही बचाए तुझे", सोचते हुए विहान ने अपना सिर पीट लिया। 








क्रमश: