Chapter 95

Chapter 95

YHAGK 94

Chapter

 94






     रूद्र एक पार्क में बैठा हुआ था। जो कुछ भी हुआ उसके बारे में सोच सोच कर उसका दिमाग फटा जा रहा था। उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि रेहान कभी ऐसा कुछ करेगा भी। उससे भी बड़ी बात ये कि अपने किए की जिम्मेदारी लेने की बजाए उससे भाग रहा था। एक गुनाह करने के बावजूद उसने लावण्या से शादी की, सबको धोखे में रखा। लावण्या के साथ भी धोखा किया और इशिता के साथ भी। लेकिन अब इस सब का अंजाम क्या होने वाला था यह वो खुद नहीं जानता था। उसका दिल कह रहा था कि अभी जाकर लावण्या को सारी सच्चाई बता दे लेकिन फिर ऐसे में लावण्या यह सब कुछ बर्दाश्त नहीं कर पाती। 


     रेहान ने सब से ये बात छुपाई। इशिता के बारे मे शरण्या ने जो कुछ भी बताया था वो सब सच था, यह बात आज इशिता से मिलकर समझ आई। आज अगर वो हॉस्पिटल नहीं गया होता तो इतनी बड़ी सच्चाई उसके सामने कभी खुलकर नहीं आती। लेकिन अब वह इस सच का करे तो करे क्या? उसी समय उसे किसी की आवाज सुनाई दी! 


     "क्या सोचा है तुमने रूद्र? क्या करने का इरादा है तुम्हारा?" रूद्र ने सर उठा कर देखा तो इशिता को अपने सामने खड़ा पाया। इशिता को देखकर रूद्र भी खड़ा हो गया। उससे कुछ कहते नहीं बन रहा था। वह खुद तय नहीं कर पा रहा था कि उसे इशिता से बात क्या करनी है। 


     इशिता बोली, "तुम्हारे भाई ने मुझे अबॉर्शन के लिए फोर्स किया। मैं करवा भी लेती क्योंकि मैं जानती हूं, वह कभी इस बच्चे को नहीं अपना आएगा। लेकिन मैं क्या करती? अबॉर्शन यानी कि मेरी मौत! डॉक्टर ने साफ साफ कह दिया था मुझे। इस बच्चे की वजह से मैं घर नहीं जा सकती। क्या कहूंगी सबसे? ना मैं इस बच्चे को अपना सकती हूँ और ना ही इस बच्चे का बाप इसको अपना आएगा! मेरे पास इसे अनाथ आश्रम में छोड़ने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है।"


     अनाथ आश्रम का नाम सुनकर ही रूद्र के रोंगटे खड़े हो गए। शरण्या भी तो कुछ साल अनाथ आश्रम में ही रही, उसे इतनी बुरी तरफ से टॉर्चर किया गया जिसका असर यह था कि उसके मन में आग को लेकर एक डर बैठ गया था। उस बच्चे के साथ भी वह सब ना हो जो शरण्या के साथ हुआ। तो रूद्र ने कहा, "इस बच्चे को अगर मैं अपनाना चाहूं तो क्या तुम्हें मंजूर होगा? मैं और शरण्या शादी करने वाले हैं। मैं उससे बात करूंगा इस बारे में! मुझे यकीन है वह ना नहीं कहेगी।"


      इशिता ने जब सुना तो उसे यकीन नहीं हुआ। लेकिन वो जल्दी ही सब समझ गई। "तुम और शरण्या शादी करने वाले हो? शरण्या मेरे बच्चे को अपना लेगी? हाँ! क्योंकि वह अपनी बहन से बहुत प्यार करती है और उसका घर उजड़ने नहीं देना चाहेगी। लेकिन इस सब में मेरा क्या फायदा है? 


     रूद्र हैरान रह गया। ऐसे वक्त में उसने इशिता से सौदेबाजी की उम्मीद नहीं की थी। वह बोला, "तुम कहना क्या चाहती हो? क्या चाहिए तुम्हें? रेहान पहले ही तुम्हें 20 लाख दे चुका है अब और कितना चाहिए?"


     इशिता हंसते हुए बोली, "मुझे जो चाहिए वह सिर्फ तुम दे सकते हो मुझे। मुझे पैसों से कोई मतलब नहीं है। ना कभी था। तुम्हारे भाई ने अपनी मर्जी से मुझे वह पैसे दिए थे ताकि मैं अपना मुंह बंद रखु और यहां से कहीं दूर चली जाऊं। मैंने हमेशा से सिर्फ और सिर्फ तुम्हें चाहा है। मैंने तब भी तुम्हे ही चाहा था और आज भी तुम्हें ही चाहती हूं। तुम मेरे बच्चे के बाप बनना चाहते हो बनो! मुझे से कोई एतराज नहीं है। लेकिन मेरे बच्चे की मां शरण्या नहीं बनेगी। मेरे होते हुए कोई और मेरे बच्चे की मां कभी नहीं बनेगी, इतना जान लो तुम। तुम्हें शरण्या को छोड़ना होगा।"


     रूद्र बुरी तरह से भड़क गया और बोला, "तुम्हें लगता है तुम्हारे एक बार कहने से मैं शरण्या को छोड़ दूंगा? यह तुम्हारी बहुत बड़ी गलतफहमी है। मैं अगर चाहूं तब भी उसे नहीं छोड़ सकता। प्यार करता हूं उससे और शादी करने वाला हूं।"


     इशिता उसे बीच में टोकते हुए बोली, "तुम दोनों के रिश्ते के बारे में घर में किसी को नहीं पता, है ना? और मेरे और रेहान के रिश्ते के बारे में भी घर में किसी को नहीं पता! एक काम करो ना, इन दोनों रिश्तो के बारे में तुम घर पर सबको बता दो। अगर तुम नहीं बता सकते तो मैं बता दूंगी! तुम अपने और शरण्या के रिश्ते के बारे में घरवालों को बताओ, मैं अपनी प्रेगनेंसी के बारे में लावण्या को बता दूंगी। कहूंगी उससे, "लावण्या तुम अकेली नहीं है जो सिंघानिया परिवार को और रेहान सिंघानिया को वारिश देने जा रही हो। मैं भी हूं जो रेहान के बच्चे की मां बनने वाली हूं। लेकिन मैं तुमसे बड़ी हूं क्योंकि मेरा बच्चा तुम्हारे बच्चे से बड़ा होगा। रेहान को उसका पहला बच्चा मैं देने जा रही हूं" कह दूँगी मैं लावण्या से। उसके बाद क्या होगा? तुम्हारे पूरे घर वालों की बदनामी होगी! बदनामी अगर नहीं भी हुई तो कम से कम मीडिया में तुम लोग वायरल तो हो ही जाओगे। रेहान और लावण्या का रिश्ता टूट जाएगा, लावण्या घर छोड़ कर चली जाएगी, सिंघानिया फैमिली और रॉय फैमिली के बीच जो बरसों पुराना रिश्ता है वह टूट जाएगा, उन दोनों का जो जॉइंट बिजनेस है वह भी खत्म हो जाएगा!!! तुम्हारा और शरण्या का रिश्ता अभी जुड़ा नहीं है लेकिन लावण्या तो प्रेग्नेंट है। सोच लो रूद्र, शरण्या को पाने की कीमत है यह सब। या तो शरण्या को अपना लो या फिर अपनी फैमिली को बचा लो। दोनों ही तुम्हारे हाथों में है। अब तुम सोचो तुम्हें क्या करना है? तुम्हें जो सही लगे वह फैसला करना और मुझे बता देना। मेरा नंबर तुम्हारे पास है, मैं चलती हूं। ऐसी हालत में थकान बहुत जल्दी हो जाती है।" कहकर इशिता वहां से चली गई। 


     रूद्र वही बेंच पर बैठा सोचता रह गया। कल तक जिंदगी कितनी खूबसूरत थी, उसकी बाहों में थी। आज एकदम से हालात ऐसे हो गए कि वह चाह कर भी किसी से कुछ नहीं कह पा रहा था। इस बारे में वह किसे बताता? इशिता उसे ऐसी धमकी देकर गई थी कि उसके आगे झुकने के अलावा रुद्र के पास कोई और रास्ता नहीं था। एक धमकी रेहान ने भी तो दी थी। रूद्र खुद को चारों तरफ से घिरा हुआ महसूस कर रहा था। उसे सबसे पहला खयाल शरण्या का ही आया। क्या जवाब देगा वह उसे वह? सारे वादे, वह सात फेरों के वचन, सब कुछ तोड़ना पड़ेगा उसे। यह सोच कर ही रूद्र की आंखों में आंसू आ गए। 






    शाम के पार्टी की सारी तैयारी हो चुकी थी। लावण्या खुद जाकर अपने मां पापा को यह खुशखबरी देकर आई और उन्हें भी साथ लेते हुए चली आई। सिंघानिया परिवार तो पहले से ही उनके स्वागत में खड़ा था। इतनी बड़ी खुशखबरी सुनकर वह दोनों ही परिवार बहुत ज्यादा खुश थे। विहान भी मानसी को लेकर वहां पहुंचा था। सिर्फ घर के ही कुछ लोग थे लेकिन पार्टी शानदार थी। 


    रेहान डरते हुए घर पहुंचा था यह सोच कर कि कहीं रूद्र ने किसी को इस बारे में बता ना दिया हो। रेहान जिससे भी मिलता उसे शक भरी नजरों से देखता और अपनी नजरें झुका लेता ताकि कोई उसकी आंखों में उसके मन का चोर ना देख ले। 


    शरण्या भी आज साड़ी में आई थी। उसे पता था रूद्र को उसे साड़ी में देखना बहुत अच्छा लगता है। उसे इस तरह तैयार हुआ देख लावण्या बोली, "तुझे तो साड़ी पसंद नहीं थी लेकिन लगता है रूद्र को साड़ी बहुत पसंद है। वैसे रूद्र ने तुम्हें कॉन्प्लीमेंट दिया है या नहीं? कहां वह? तुम दोनों तो पूरी रात साथ में थे, है ना? लेकिन जहाँ तक मुझे पता है, रूद्र तो आज घर आया ही नहीं है। सब लोग हैं यहां लेकिन जिसका जन्मदिन है वही गायब है। यह क्या बात हुई!"


    शरण्या ने जब सुना तो उसे थोड़ा अजीब लगा क्योंकि रूद्र उसे घर छोड़कर सीधे हॉस्पिटल गया था ताकि वह लावण्या की रिपोर्ट कलेक्ट कर सके। लेकिन लावण्या के कहे मुताबिक रूद्र आज पूरे दिन घर नहीं लौटा तो फिर वह गया कहां? शरण्या ने विहान से पूछा तो विहान बोला, "मुझे नहीं पता! आज सुबह से मैं उससे नहीं मिला। इंफैक्ट् कल रात को भी वह मेरे साथ नहीं था। फोन किया था तो बोला उसने कि घर पर मिलेगा लेकिन उसके बाद से उसने एक बार भी ना मुझे कॉल किया और ना ही मेरे फोन का आंसर दिया। तुझे तो पता है ना! यह लड़का कितना मूडियल है! आज पूरा दिन आर्ट गैलरी भी नहीं आया। होगा यहीं कहीं, आ जाएगा। उसे पता ही है कि आज रात पार्टी है। तू उसकी टेंशन क्यों ले रही है?"


     शरण्या नहीं बस ना में सर हिला दिया और वहां से चली गई। उसने रूद्र को फोन लगाया लेकिन उसने फोन नहीं उठाया। शरण्या ने और एक बार फोन किया। काफी देर तक रिंग जाने के बाद रूद्र ने फोन उठाया लेकिन कहा कुछ नहीं। शरण्या बोली, "रूद्र....! तु कहां है? पार्टी शुरू हो गई है और तू गायब है! सब लोग आ चुके हैं, रेहान भी यहां है बस एक तू गायब है। जल्दी आ, इससे पहले कि सब लोग तुझे ढूंढना शुरू कर दे। तुझे अगर हीरो की तरह इंट्री मारनी है तो फिर कभी कर लेना। तुझसे कुछ जरूरी बात भी करनी है।"


    रूद्र धीरे से बोला, "आ रहा हूं। थोड़ी देर में, बस पहुंच रहा हूं।" कहकर उसने फोन रख दिया। शरण्या को रूद्र आवाज में थोड़ी उदासी महसूस हुई। 




रूद्र जब घर लौटा उस समय तक पार्टी शुरु हो चुकी थी। रुद्र का मन बुरी तरह से उचट चुका था। घर लौट कर जब उसने लावण्या के मॉम डैड को अपने मां पापा के साथ बैठकर हंसी खुशी बातें करते हुए देखा तो उनके रिश्ते के बारे में सोचने लगा। बचपन से ही दोनों परिवारों के बीच एक गहरा लगाव देखा था उसने और इस लगाव का ही नतीजा था कि रेहान और लावण्या का रिश्ता बिना किसी प्रॉब्लम के जुड़ गया था। और दोनों परिवार दोस्त से बढ़कर रिश्तेदार बन गए थे। 


     लावण्या के चेहरे पर मां बनने की जो खुशी और चमक नजर आ रही थी उसे देखकर किसी की भी नजर लग जाए। रूद्र दरवाजे पर ही खड़ा सब कुछ देख रहा था और अपने उलझे मन को सुलझाने की कोशिश कर रहा था। तभी उसकी नजर रेहान पर गई जो लावण्या के लिए कुर्सी लेकर आया था ताकि वह आराम से बैठ सके और ज्यादा देर खड़ी ना रहे ।रेहान को देखकर रुद्र का मन उचट गया और गुस्से में उसकी मुठ्ठिया कस गई। उसका दिल किया एक बार फिर उसे बुरी तरह से मारे। जो गलती, जो गुनाह रेहान ने किया था क्या उस गलती की सजा उसे और शरण्या को भुगतना होगा? लेकिन क्यों? आखिर क्यों हुआ यह सब? 


   रूद्र अभी सोच ही रहा था कि तभी शरण्या की नजर उस पर पड़ी। रूद्र को देखकर शरण्या की जान में जान आई लेकिन उसके चेहरे पर जो भाव थे, वह देख शरण्या थोड़ी डिस्टर्ब हो गई। उसने रूद्र का हाथ पकड़ा और खींच कर अपने साथ ले गई। आज शरण्या का मन भी बेचैन था। उसे भी रूद्र से बहुत कुछ कहना था।