Chapter 4

Chapter 4

YHAGK 3

Chapter

     विहान जल्दी से शरण्या के कमरे से निकलकर बाहर भागा, तभी रास्ते में एक नौकर जो शरण्या के लिए कॉफी लेकर आ रहा था उसके हाथ से कॉफी लेकर भाग गया। शरण्या उसके पीछे भागी ताकि वह घर वालों को कुछ बता ना सके लेकिन उसे रोके कैसे? यह उसकी समझ में नहीं आया। विहान जल्दी से ललित के पास बैठ गया जहां अनन्या भी साथ में बैठी थी। उन दोनों को ही ऐसे भाग कर आता देख अनन्या गुस्से में बोली, "तुम लोगों को इसी घर में मैराथन करना है क्या? यह घर है कोई सड़क नहीं और यह जो भागा भागी लगा रखा है तुम लोगों ने! बड़े हो चुके हो तुम लोग, कम से कम अपनी उम्र का लिहाज करो! और तुम शरण्या!!! डिसिप्लिन नाम की कोई चीज नहीं है तुम मे, कम से कम लावण्या से ही सीख लो कुछ!"

     अनन्या गुस्से में उठी और वहां से अपने कमरे में चली गई। उसके सामने विहान कुछ नहीं बोल पाया लेकिन उसके जाते ही वो ललित से बोला, "अंकल! आजकल शरण्या कुछ ज्यादा ही लेट नहीं उठ रही? मेरा मतलब देर से तो उठती ही थी लेकिन इतनी देर से भी नहीं जितना आजकल मैं उसे देख रहा हूं! कहीं ऐसा तो नहीं कि यह देर रात तक जागती है? वैसे जहां तक मुझे पता है शरण्या तो जल्दी सो जाती है!" विहान की बात पर ललित में ज्यादा ध्यान नहीं दिया क्योंकि उसे अच्छे से पता था उसकी दोनों बेटियां कैसी है! अपने बात पर ललित का ध्यान जाता नहीं देख विहान ने आगे कुछ बोलना चाहा लेकिन शरणय्या बीच में पड़ते हुए बोली, "पापा! आजकल देख रही हूं कुछ लोग सुबह-सुबह इतनी तेजी से गाड़ी चलाते हैं ना कि किसी का एक्सीडेंट हो जाए इसकी परवाह ही नहीं होती! इस तरह से लोग गाड़ी चलाते हैं मानो अपनी गर्लफ्रेंड को डिलीवरी के लिए ले जा रहा हो और घर में पता चलने पर मौत आ रही हो!"

     विहान शरण्या की बातों का मतलब समझ गया। वह सीधे-सीधे उसे धमका रही थी। कुछ पल के लिए वह भूल ही गया था कि शरण्या को धमकाना या ब्लैकमेल करना इतना आसान नहीं था और ऐसे में जब शरण्या को वह मिला था, उस वक्त वह भी घर से छुपकर ही आया था। और इसी बात का शरण्या ने फायदा उठाया था। बेचारा विहान! ललित के आगे कुछ ना बोल पाया। ललित को भी उन दोनों की बातें कुछ समझ नहीं आई तो वहां उठकर कमरे में चला गया। उसके जाते ही विहान बोला, "तू चाहती क्या है? आखिर तू कर क्या रही है जो इस तरह सब से छुपा कर रखना पड़ रहा है तुझे?"

      शरण्या ने उसके सवाल का जवाब देने की बजाए उल्टा उसी से सवाल किया, "और यही सवाल मैं तुझसे पूछूं तो? तू इतनी सुबह उस गधे के साथ क्या कर रहा था? और यह तुम लोग किसे ढूंढने जा रहे थे? आखिर तुम दोनों कर क्या रहे हो? वह तो है ही एक नंबर का..........तुझे भी उसने अपनी तरह बना रखा है! लड़की के पीछे भाग रहा है तू? बता कौन है वह वरना तेरी झूठी सच्ची शिकायत मैं अंकल से कर दूंगी, उसके बाद तो जानता है क्या होगा!"

      विहान उसके आगे हाथ जोड़ते हुए बोला, "नहीं मेरी बहन! ऐसा मत करना! इस सब में मेरी कोई गलती नहीं है। वह रूद्र ही है जो मेरे पीछे पड़ा है। अब तक तो शक्ल देख कर लड़कियों के पीछे पड़ता था और अब आवाज सुनकर किसी लड़की के पीछे पड़ा है। इसलिए रोज सुबह उस लड़की से मिलने के लिए मुझे परेशान करता है लेकिन पिछले एक महीने से कोशिश करने के बावजूद वह उससे मिलना तो दूर उसकी शक्ल तक नहीं देख पाया है। कोई रेडियो स्टेशन में काम करती है वह! जहां तू मिली थी वहीं पास में ही एक रेडियो स्टेशन है। वह लड़की उसी में काम करती है। कोई आरजे शायराना है जो का नाम बदलकर शो होस्ट करती है। अब रूद्र को उससे मिलना है, कैसे समझाऊं उस कमीने को! सिर्फ आवाज अच्छी होने से कुछ नहीं होता, शक्ल सूरत और सीरत तीनों ही अच्छी होनी चाहिए। मान लो अगर वह लड़की लड़की ना होकर आंटी हुई तो!!! तब क्या करेगा वह?"

      विहान की बात सुन शरण्या शॉक में आ गई। उसे यकीन नहीं हुआ जो कुछ भी अभी विहान ने कहा था। इसका मतलब रूद्र उसी से लड़कर उससे ही मिलने जा रहा था और पिछले एक महीने से वह उसी के पीछे पड़ा है। यह बात यकीन करने लायक नहीं थी लेकिन जब विहान कह रहा था तो इसमें शक की कोई गुंजाइश ही नहीं थी। "क्या होगा जब रूद्र को पता चलेगा कि जिस लड़की के पीछे वह पड़ा है वह मैं ही हूं? तब क्या करेगा वो? उस वक्त उसकी शक्ल देखने लायक होगी! लेकिन क्या मेरी आवाज इतनी अलग लगती है जो इन दोनों ने नही पहचाना?" यह सोचते हुए शरण्या की हंसी छूट गई जिसे विहान समझ नहीं पाया और बोला, "मैं भी ऐसे ही हंसा था जब उसने मुझे यह सारी बात बताई थी। बोलता है कि उसे सच्चा वाला प्यार हो गया है उस लड़की से! अब तू बता, जिसकी ना शक्ल देखी ना सूरत, उससे किसी को प्यार कैसे हो सकता है? और वह भी ऐसे इंसान को! यह तो मानने वाली बात ही नहीं है। दुनिया का सबसे बड़ा मजाक है लेकिन वह समझे तब तो!!!"

       शरण्या बोली, "भाई मेरे! तु घर जा और बोल उसे कि उस लड़की का चक्कर छोड़ दें और अपने करियर पर ध्यान दें या फिर दूसरी लड़कियों पर! लेकिन कुछ ऐसा ना करें जिसे रेहान को समेटना पड़ जाए। बेचारा जितना सीधा है रूद्र उतना ही कमीना है। मुझे तो बेचारे रेहान की फिक्र होती है", शरण्या की बात से विहान भी सहमत था। रूद्र की हरकतें ही ऐसी थी और लाख समझाने के बावजूद उसकी हरकतें सुधरने का नाम नहीं लेती थी। अब तो सब ने अपने हाथ खड़े कर दिए थे और उसे उसके हाल पर छोड़ दिया था। विहान अपने घर चला गया और शरण्या लावण्या का हाथ बटाने किचन में चली गई। 

       इधर ललित अपने कमरे में पहुंचे और अनन्या पर गुस्सा करते हुए बोला, "तुम शरण्या के साथ थोड़ा नरमी से पेश नहीं आ सकती? आखिर क्या गलती है उस बच्ची की? शादी हो जाएगी तब उसे अपने ससुराल वालों के हिसाब से चलना होगा! लेकिन शादी से पहले तो वह अपनी मर्जी से जी सकती है ना! आखिर में बेटी है वो हमारी!"

       ललित के आखिरी वाक्य अनन्या को चुभ गए। वह बोली,"सारी बातें सही कही तुम ने, बस एक बात गलत कही! वह हमारी बेटी नहीं है! हमारी बेटी सिर्फ लावण्या है और शरण्या सिर्फ तुम्हारी बेटी है। अच्छी है, प्यारी है, कोई बुराई नहीं है उसमें, लेकिन जब भी उसे देखती हूं मुझे आपका दिया धोखा नजर आता है। मैं चाह कर भी उस बच्ची को अपना नहीं पाती हूं क्योंकि वह आपके दिए उस धोखे का जीता जागता सबूत है जिसे मैं चाह कर भी कभी भूल नहीं सकती और यह बात तुम भी मत भूलना ललित कि तुमने मेरे साथ क्या किया था!!! तुम्हारी नाजायज बेटी को अपनाया है मैंने, इस घर में जगह दी इसका मतलब यह नहीं कि उसको मां का प्यार भी मैं हीं दूं! वह तुम्हारी बेटी है और तुम ही संभालो उसे।" अनन्या की बात सुन ललित निशब्द रह गया। आखिर उस एक गलती की सजा इतने सालों से उसका पूरा परिवार और मासूम शरण्या भुगतती आई है। 


      रूद्र की मां शिखा जब उसके कमरे में आई उस वक्त रुद्र पैर पसारे सो रहा था। शिखा ने नाश्ते की प्लेट टेबल पर रखी और प्यार से उसका सर चलाते हुए बोली, "रूद्र! उठ जा बेटा! देख दिन कितना चढ़ा आया है! इस समय सोते नहीं है। तुम कब अपनी आदत सुधारोगे? तुम्हारे डैड कितना गुस्सा हो रहे थे तुम्हें पता भी है!!! कल रेहान को कितनी प्रॉब्लम हुई इसका अंदाजा भी नहीं है तुम्हें! क्या जरूरत थी ऐसी जगह जाने की? मुझे बहुत बुरा लगा है रूद्र! मैं बहुत नाराज हूं तुमसे।"

      अपनी मां की बात सुन रूद्र उनकी गोद में सर रखते हुए बोला, "आपको पता है ना माँ!मैं ऐसी जगह नहीं जाता। मैंने भले बाहर चाहे जो भी करू लेकिन आपका बेटा कभी नशा नहीं करता इस बात का भरोसा तो आपको है ना? अगर मुझे पता होता कि वहाँ यह सब होने वाला है तो मैं कभी जाता ही नहीं।" रुद्रा की बात सुन शिखा बोली, "मुझे पता है बेटा! और मुझे अपने संस्कारों पर पूरा यकीन है लेकिन फिर भी अगर किसी को पता चल जाता या किसी ने तेरी तस्वीर लीक कर दी होती तो सोचा है क्या होता? भरोसा है मुझे तुझ पर कि कभी कोई नशा नहीं करेगा कुछ गलत नही करेगा लेकिन बेटा! अपनी लाइफ को सीरियसली लेना कब सीखोगे? यह इस तरह हर रोज नई नई लड़कियों के साथ..........क्या है यह सब?"

      रूद्र बोला, "माँ!!! आपका बेटा कभी किसी लड़की के पीछे नहीं जाता है। अब लड़कियां खुद मुझे अपना नंबर देना चाहती है, मेरे साथ टाइम स्पेंड करना चाहती है तो इसमें मेरी क्या गलती और आपको तो पता ही है! मुझे नए लोगों से मिलना कितना अच्छा लगता है! वैसे भी आपका बेटा बाहर अय्याशी नहीं करता है, जैसा कि सब कहते हैं। मुझे पता है मां कि मेरी हद क्या है और उस हद को मैंने कभी पार करने की कोशिश नहीं की। और मै भाई की तरह दिखाता नहीं हूं लेकिन लड़कियों को इज्जत करना मुझे भी आता है।"

       "वह मुझे पता है बेटा! और इस बात के लिए मैं तुझे कभी कुछ नहीं कहूंगी लेकिन आज रात तुझे कहीं जाने की जरूरत नहीं है। आज रात हम लोग लावण्या के यहां डिनर के लिए जा रहे हैं, तुम तैयार रहना वरना तेरे पापा का गुस्सा मुझ पर उतरेगा। अगर तू अपनी मां से प्यार करता है तो आज तु हमारे साथ वहाँ जाएगा। चलो उठो, और चलकर नाश्ता कर लो! मैं यहीं ले आई हूं!" कहकर शिखा बाहर चली गई। रूद्रको कुछ देर के बाद समझ आया कि शिखा उसे क्या कह कर गई है। "लावण्या के घर यानी उस शाकाल के घर! वह भी रात को! यानी वह भी होगी!!! हे भगवान! बचा लेना आज मुझे!" कहते हुए रूद्र बिस्तर से उठा और बाथरूम में जाकर हाथ मुंह धोए और वापस आकर नाश्ता किया। कुछ देर के बाद फ्रेश होकर वह नीचे चला आया जहां शिखा नौकरों को कुछ इंस्ट्रक्शन दे रही थी। 

    रूद्र शिखा को देखते ही पीछे से उससे लिपट गया और उसके कंधे पर चेहरा रखते हुए बोला, "क्या मेरा वहां जाना जरूरी है मां? मैं घर पर रह लूंगा लेकिन वहां नहीं! आप जानते हो ना, वो शाकाल! किस तरह से बात करती है मुझे! देखते ही लगता जैसे पागल कुत्ते ने काट लिया हो उसे,इस तरह से बर्ताव करती है।"

    शिखा को उसकी बात सुन हंसी आ गई और वह बोली, "तेरे पापा बहुत गुस्सा करेंगे! तुझे चलना ही होगा। तू ना नहीं कह सकता और ना ही कहीं और जा सकता है। और शरण्या के पीछे क्यों पड़ा रहता है तू? इतनी प्यारी बच्ची है, तू ही उसे परेशान करते रहता है। एक बार प्यार से उससे बात तो कर के देख। फिर तुझे पता चलेगा कि वह कितनी प्यारी है। मेरा बस चले तो मैं उसे अपनी बहू बना लूं। कितना अच्छा होता ना अगर लावण्या और शरण्या दोनों ही मेरे घर की बहू बनती।" शिखा की बात सुनते ही रूद्र सदमे में आ गया और अपने सीने पर हाथ रखते हुए बोला, "आप क्यों मेरी जान लेना चाहती हो? वो लड़की उस घर में है, कभी कभी मिलती है तब मुझे उससे इतना डर लगता है। अगर वह इस घर में आ गई तो मेरा जीना हराम कर देगी। नही! नही!! नही!!! आप ना ऐसे सपने मत देखा करो! अगर वह इस घर में गलती से भी आ गई तो मैं इस घर में नहीं रहने वाला, यह बात आप जान लो। इसीलिए अब गलती से भी शरण्या को इस घर की बहू बनाने के बारे में मत सोचना। मेरे बारे में तो मुझे पता है एक बार रेहान के बारे में सोच लेना आप। मुझे नहीं लगता वह भी शरण्या के लिए हां कहेगा। होगी वह अच्छी, आपके हिसाब से बहुत अच्छी भी, लेकिन माँ वो किसी चांडालनी से कम नहीं है। इतना जान लेना आप और मेरे लिए तो किसी चुड़ैल से कम नहीं है। आप ना रेहान के लिए लावण्या की बात चलाओ, शायद कुछ बात बन जाए और आपकी आधी चाहत पूरी हो जाए।"

      "और अगर तेरी शादी में मैं शरण्या से फिक्स कर दूं तो? तब तु क्या करेगा?" शिखा की बात सुन रूद्र कुछ सोचते हुए बोला, "अगर इस दुनिया में सारी लड़कियां खत्म हो जाए और और वह आखिरी लड़की भी होना तब भी मैं उससे शादी नहीं करने वाला। इनफैक्ट मुझे शादी करनी ही नहीं है।" कहकर रूद्र वहां से चला गया। शिखा मन ही मन मुस्कुराई और बोली, "तुम दोनों की यह जो लड़ाई है ना, कभी-कभी यह लड़ाइयां ही प्यार की शुरुआत होती है बेटा! और कहीं तुम दोनों के बीच इस प्यार का अंकुर ना फूट पड़े! ना जाने धनराज किस तरह रिएक्ट करेंगे!"







क्रमश: