Chapter 183
YHAGK 182
Chapter
182
मानव ने उम्मीद भरी नजरों से अपने पापा को देखा कि वह रूद्र से कुछ कहेंगे। विहान ने अपने बेटे के मन की बात समझी और रूद्र से बोला, "इतनी भी जल्दी क्या है रूद्र! पहले राहुल की शादी तो हो जाने दे। एकदम से तुझे मौली की शादी की जल्दी हो गई? कल तक तो तूने एक बार भी इस बारे में नहीं कहा।"
रूद्र सख्त लहजे में बोला, "वो मेरी बेटी है विहान! मैं जब चाहे जहां चाहे उसका रिश्ता तय करू। वो अपने लिए सही फैसले नहीं ले सकती तो यह मेरी जिम्मेदारी है कि मैं उसके जिंदगी के सही फैसले लुं। बच्ची है वह किसी और के बातों में आ जाए उससे पहले मुझे सख्त होना होगा।" कहते हुए उसने तिरछी नजर मानव पर डाली।
रूद्र की नजर से मानव सूखे पत्ते की तरह कांप गया। उसने नजरें झुका ली। मौली बीच में ही बोल पड़ी, "लेकिन डैड मेरी शादी, इतनी जल्दी? एक बार आपने मुझसे पूछा तक नहीं। मेरी लाइफ का इतना बड़ा डिसीजन आप कैसे ले सकते हैं?"
रूद्र गुस्से में बोला, "अब तुम्हारी लाइफ का डिसीजन लेने का मुझे कोई हक नहीं?"
मौली खामोश हो गई और सर झुका लिया। भले ही उसे रूद्र के गुस्से से फर्क न पड़ता हो लेकिन इस वक्त वो जिस मूड में था उसे छेड़ना मौली को सही नहीं लगा। रूद्र पंडित जी से बोला, "आप क्या बैठे-बैठे सब की बातें सुन रहे हैं? जिस काम के लिए बुलाया है उसे कीजिए।"
पंडित जी हड़बड़ाते हुए नजरें नीची कर अपने हाथ में पकड़े पत्रिका को देखते हुए बोले, "यजमान 30 गुण मिल रहे हैं। रिश्ता उत्तम है जल्द से जल्द लग्न का मुहूर्त निकाल दूं?"
रूद्र ने ऐसे घूर कर देखा मानो कह रहा हो इसी काम के लिए पैसे मिले है'। पंडित जी गणना करते हुए बोले, "जिस दिन राहुल बेटे की शादी है हम उस दिन मौली बिटिया की शादी करवा सकते हैं। अति उत्तम मुहूर्त है वरना सीधे 6 महीने के बाद।"
इतना सुनते ही रूद्र सामने टेबल पर रखें कुछ कार्ड्स मौली की तरफ बढ़ाते हुए कहा, "इनमें से कोई एक सेलेक्ट कर लो। तुम्हारी शादी का कार्ड आज ही छपने दे दिया जाएगा।"
मौली ने कार्ड्स तो पकड़ लिए लेकिन उसका मन रोने को कर रहा था। वह बार-बार मानव की तरह देखे जा रही थी। उसकी आंखों में नमी उतर गई। मानव जो कि अभी तक अपनी हिम्मत जुटाने में लगा हुआ था, मौली की आंखों में आंसू देख उससे अब और रहा नहीं गया। वह समझ गया कि उसके पापा इस मामले में कुछ नहीं कर पाएंगे। उसने पूरी हिम्मत दिखाई और रूद्र से बोला, "अंकल आप ये नहीं कर सकते। बिना मौली से पूछें आप यह शादी तय नहीं कर सकते।"
यह पहली बार था जब मानव रूद्र की आंखों में आंखें डाल कर बात कर रहा था। भगवान ही जानता था इसके लिए मानव ने जितनी हिम्मत जुटाई थी। रूद्र चिढ़ते हुए बोला, "जैसे तुम्हें पता है मेरी बेटी की पसंद ना पसंद क्या है! लेकिन यहां बात पसंद नापसंद कि नहीं, सही और गलत की है।"
मानव उसके करीब आया और बोला, "सही हो या गलत लेकिन अगर जो हमें पसंद नहीं हम उसे कभी अपना नहीं पाते। मौली इस रिश्ते के लिए कभी तैयार नहीं होगी क्योंकि वो मुझे पसंद करती है। अंकल मैं आपकी बेटी से प्यार करता हूं और आपसे उसका हाथ मांगता हूं। माना आपके सामने मेरी कोई हैसियत नहीं। मैं तो अभी अभी अपने पैरों पर खड़ा हुआ हूं आपके बराबर तक पहुंचने में मुझे एक अरसा लग जाएगा लेकिन इतना मैं दावे से कह सकता हूं कि मैं अपने आपको साबित कर सकता हूं।"
मानव ने नजर उठाकर मौली की तरफ देखा तो मौली को भी थोड़ी हिम्मत मिली। उसने आकर मानव का हाथ पकड़ लिया। पूरे घरवाले उन दोनों की इस हरकत पर हैरान रह गए। रूद्र इस वक्त बहुत शांत नजर आ रहा था। उसने कहा, "तुम दोनों को जो करना है करो, यह शादी होकर रहेगी।"
विहान बोला, "जैसी जिद कर रहा है तू। जब बच्चे एक दूसरे को पसंद करते हैं, एक दूसरे के साथ रहना चाहते हैं तो फिर तू क्यों पुराने फिल्मों की हीरोइन का बाप बना हुआ है? मान जा यार!"
मौली ने भी बगावत करती, "डैड मैं किसी और से शादी नहीं करूंगी और अगर आपने जबरदस्ती की तो मैं घर से भाग जाऊंगी। मानव में इतनी हिम्मत नहीं है कि मुझे भगा सके, मैं उसे भगाकर ले जाऊंगी, ये जान लो आप।"
रूद्र आराम से बोला, "ठीक है! जैसी तुम्हारी मर्जी। लेकिन यह शादी तो होकर रहेगी। कुछ भी बोलने से पहले अपनी होने वाली सास से मिल लो तुम्हारे पीछे खड़ी है।"
मौली ने पलट कर देखा तो हैरान रह गई। विहान और मानव तो उससे भी ज्यादा चौक गए। उनके सामने मानसी खड़ी थी। उसने अपने बाजुओं को फोल्ड करते हुए कहा, "मैं भी देखती हूं रिश्ता कैसे नहीं होता! ये भागने की धमकी किसी और को देना। तुम्हारे मां बाप ने मंदिर में शादी की थी क्या तुम्हें भी वही करना है? तुम्हें जो करना है करो लेकिन मेरा बेटा कहीं नहीं जाएगा।"
विहान ने हैरानी से रूद्र की तरफ देखा तो रूद्र बोला, "तुझे क्या लगा मैं पुरानी हिंदी फिल्मों की हीरोइन का बाप हूँ जो अपनी बेटी का रिश्ता अपनी मर्जी से कहीं भी तय कर देगा। अबे कल ही पता चला मुझे इन दोनों के बारे में और तू भी मुझसे बात करना चाहता था, मानसी ने बताया किस बारे में। तब मैंने मानव की कुंडली मंगवाई और पंडित जी को दे दिया। 10 दिन के अंदर शादी है, तुझे मंजूर हो तो बोल वरना हम दूल्हे को उसके घर से उठवा लेंगे।"
विहान गुस्से में बोला, "इतना ड्रामा करने की क्या जरूरत थी?"
रूद्र बोला, "वो तो मौली चाहती थी कि मानव खुद आकर इस बारे में बात करे इसीलिए थोड़ा..........."
लेकिन विहान गुस्से में रूद्र की तरफ लपका। रूद्र फुर्ती से वहां से उठ कर भागा। दोनों दोस्त आपस में गुत्थम्-गुत्था हो चुके थे। मानव और मौली को यकीन नहीं हुआ कि उन दोनों की शादी तय हो गई। मौली खुश थी कि मानव ने हिम्मत दिखाई और बिना डरे उसके पापा से अपने रिश्ते की बात कबूली। रूद्र ने पहले ही पूरे घर वालों को इस बारे में जानकारी दे दी थी। सभी बेहद खुश थे।
राहुल नैना के साथ शॉपिंग के लिए आया था। शादी का जोड़ा पसंद करने और कुछ खरीदारी के बाद वह दोनों एक रेस्टोरेंट पहुंचे वहां दोनों एक दूसरे से काफी खुलकर बातें कर रहे थे। नैना भी अब थोड़ी कंफर्टेबल हो गई थी लेकिन उसकी खुशी ज्यादा देर तक नहीं टिकी। अचानक से एक लड़का आया और नैना की कलाई पकड़ कर अपने साथ ले जाने लगा लेना। वो बुरी तरह से घबरा गई और राहुल को मदद के लिए बुलाती इससे पहले ही राहुल ने उस लड़के की कलाई पकड़ ली और नैना को छोड़ने के लिए कहा।
उस लड़के ने जैसे राहुल की बात सुनी ही नहीं और नैना को अपने साथ खींचकर ले जाने की कोशिश करने लगा। राहुल को समझते देर नहीं लगी कि यह वही इंसान है जिसके बारे में नैना ने बताया था। राहुल अपनी कुर्सी से उठा। उसने अभी भी उस लड़के की कलाई पकड़ रखी थी। उस लड़के ने नैना का हाथ छोड़ दिया और राहुल को मारने के लिए तैयार हो गया लेकिन उससे पहले राहुल ने उसके मुँह पर एक जोरदार पंच जड़ दिया। इस एक पंच से उसका सर घूम गया और वह वहीं बेहोश हो गया
उसकी हालत देख उसके साथ आए दो लड़के भागने लगे तो राहुल उन्हें रोकते हुए बोला, "अपने मालिक या दोस्त जो भी है तेरा उसे समझा देना, आइंदा नैना के आसपास भी नजर आया तो उसकी क्या हालत होगी मैं भी नहीं जानता। कोशिश करना कि मुझे गुस्सा ना आए। अभी मैंने प्यार से मारा है उसे तब जमीन पर लोट गया, अगर गुस्से में मारा होता तो अब तक भगवान को प्यारा हो चुका होता। इसकी बॉडी को उठाओ और लेकर जाओ।"
राहुल की बात सुनकर वो लड़के अपने दोस्त को कंधे पर उठाकर भागे। वहाँ के मैनेजर ने पुलिस बुलाने की बात की तो राहुल ने मना कर दिया। सारा नजारा देखकर घबराई हुई नैना की हंसी छूट गई। उसे खिलखिलाते देख राहुल भी कुछ देर उसे नजर नहीं हटा पाया। उन दोनों ने अपना लंच खत्म किया, फिर कुछ और शॉपिंग के लिए निकल गए। आज पूरा दिन दोनों एक साथ थे। नैना को अब राहुल की कंपनी काफी अच्छी लगने लगी थी।