Chapter 151

Chapter 151

YHAGK 150

Chapter

 150






   शरण्या अपने कमरे में थी। रूद्र ने जब फोन काटा तो उसने भी गुस्से में अपना फोन साइड में रख दिया और मुंह फुला कर बैठ गई। जब वह अपने इस कमरे में आई थी तब उसे थोड़ा अजीब लगा था। क्योंकि इस कमरे में उसकी कोई भी चीज नहीं थी। जो भी चीजें थी वह सारी नई थी और इस कमरे की सारी चीजें रूद्र अपने साथ ले गया था। उसे नई चीजों के साथ एडजस्ट होने में थोड़ा टाइम लग रहा था। 


     वह बाथरूम गई और नहा कर बाहर आई। उसने एक पैकेट में से नाइट ड्रेस निकाला जो उसने आज ही खरीदा था और उसके ऊपर से गाउन पहन लिया। आईने में अपने बाल बनाते हुए खुद से बोली, "आज तुम आओगे ना रूद्र! प्लीज आ जाओ! मैं इस वक्त तुम्हें बहुत ज्यादा मिस कर रही हूं। आ जाओ, बिलकुल उसी तरह जैसे पहले आते थे मुझसे मिलने। यहां, इस जगह आकर मैं वापस उन्ही लम्हों को महसूस करना चाहती हूं जो हम दोनों ने साथ में गुजारे थे। जिस तरह तुम सब से छुप कर मुझसे मिलने आते थे, सब याद है मुझे। कुछ नहीं भूली हूं मैं। लेकिन यह बात मैं तुम्हें अभी नहीं बता सकती। अगर तुम्हें पता चल गया तो हमारे बीच यह जो नज़दीकियां है शायद उसमें कुछ दूरियाँ आ जाए! नहीं.......! मैं तुम्हें खुद से दूर नहीं कर सकती! इशिता की वजह से हमने वैसे ही अपनी जिंदगी के 8 साल खो दिए है, अब और नहीं! एक बार फिर हम दोनों साथ है। इतना कुछ होने के बावजूद हम अलग नहीं हो पाए। हमारा प्यार सच्चा है रूद्र! हमें भगवान भी अलग नहीं कर सकते। बस अब जल्दी से पूरी दुनिया के सामने मुझे अपनी दुल्हन बना के ले जाओ।" सोचते हुए अचानक से शरण्या का हाथ उसके पेट पर गया। कुछ सोचकर वह मुस्कुरा उठी और अपना फोन लेकर उसने नेहा का नंबर डायल कर दिया। 


    नेहा सोने की तैयारी कर रही थी। रजत उसे कुछ देर पहले ही हॉस्पिटल से घर छोड़ कर गया था। जब उसने शरण्या का नंबर अपने फोन के स्क्रीन पर देखा तो उसने फोन उठाकर कान से लगा लिया। उधर से शरण्या की आवाज आई, "हेलो नेहा! क्या कर रही है?"


     नेहा थोड़ी थकी सी महसूस कर रही थी। उसनें बिस्तर पर पसरते हुए कहा, "कुछ नहीं! बस अभी-अभी रजत घर छोड़ कर गया है तो अभी सोने की तैयारी कर रही थी। आज बहुत ज्यादा थक गई हु। हॉस्पिटल में काम ज्यादा था। अच्छा हुआ जो रजत मुझे लेने चला आया।" 


    रजत का नाम सुनते ही शरण्या की आंखों में चमक आ गई और उसने कहा, "मतलब तूने रजत को इस रिश्ते के लिए हां कह दिया? मतलब वाकई में तुम दोनों शादी करने वाले हो?"


    नेहा शरमा गई और कहा, "अब उसने इतने प्यार से मुझे प्रपोज किया था! सब कुछ जानते हुए थे वह मुझे अपनाना चाहता है। मेरे बच्चे को अपनाना चाहता है। सच कहूं तो ईशान ने मेरे साथ जो भी किया वह कभी भूल नहीं सकती। उसकी वजह से मुझे किसी पर भी भरोसा करने में मुश्किल हो रहा है। यहां तक की रजत पर भी मैं पूरी तरह से भरोसा नहीं कर पा रही। फिर भी जिंदगी को एक मौका दे रही हूं। क्योंकि मुझे रूद्र पर भरोसा है। अगर रजत में कोई खराबी होती तो रूद्र कभी मुझे इस रिश्ते के लिए नहीं कहता। यहां तक कि विहान और मानसी भी इस रिश्ते से बहुत खुश है। जिंदगी को एक और मौका दे रही हूं और कुछ नहीं। वैसे ही कौन सी खुश थी मैं। कम से कम रजत ईशान के जैसा तो नहीं होगा, यही सोच कर खुश हूं। मेरी छोड़ो, तुम अपनी बताओ। तुम्हारे रिपोर्ट्स देखे मैंने, बहुत जल्दी रिकवर कर लिया तुमने! आगे क्या करने का इरादा है?"


     शरण्या उसके हालात को अच्छे से समझ रही थी। उसने नेहा से उसके बारे में ज्यादा कुछ पूछना सही नहीं समझा और अपने बारे में बताते हुए बोली, "मम्मी पापा मेरी और रूद्र की शादी की बात कर रहे थे। हमने मंदिर में शादी की थी लेकिन पूरे समाज के सामने अभी भी हमारा रिश्ता जुड़ना बाकी है। रूद्र ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया लेकिन सारे घर वाले खुश हैं। बस, इस बारे में मैं खुद रूद्र से बात करना चाहती हूं। इस वक्त मैं रॉय मेंशन में हूं और रूद्र मेरे पास नहीं है। अब जबकि तूने मेरी रिपोर्ट देखी है तो मुझे यह पूछना था कि........... मुझे पूछना था कि.......... नेहा............ मुझे यह पूछना था की............ क्या मैं और रूद्र.............!" शरण्या कहते हुए हिचक रही थी। 


      नेहा ने उसकी बात पकड़ ली और कहा, "तुम्हें यह पूछना था कि क्या तुम और रूद्र अपनी फैमिली शुरू कर सकते हो या नहीं?" शरण्या झेंप गई और नेहा खिलखिला कर हंस पड़ी। उसने कहा, "तुम दोनों एक दूसरे के लिए बहुत सोचते हो। तुम बिल्कुल ठीक हो शरण्या! और अब तुम बिल्कुल फिट हो अपनी प्रेगनेंसी के लिए! तुम्हें इस बारे में ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है, बता देना अपने पति को! वरना वो जिंदगी भर तुमसे दूर से ही प्यार करेगा, कभी करीब नहीं आएगा।"


     शरण्या अपनी शर्म छुपाते हुए बोली, "तू ज्यादा बकवास मत कर और फोन रख! मुझे तो यह भी नहीं पता कि वह मेरे पास आएगा भी कि नहीं! फोन रख मुझे नींद आ रही है, गुड नाइट!" कहकर उसने फोन रख दिया। 


    शरण्या बिस्तर पर लेट गई और पुरानी बातें याद करने लगी। एकदम से उसकी नजर बालकनी के दरवाजे पर गई जो कि अभी बंद था। ठंड होने की वजह से सारे खिड़की दरवाज़े और पर्दे बंद कर रखे थे। जाने क्या सोचकर वह उठी और बालकनी का दरवाजा खोल दिया। ठंडी हवा का एक झोंका उसके तन बदन को सिहरा गया। रात ज्यादा हो गई थी और अभी तक रूद्र के आने का कोई नामोनिशान भी नहीं था। "मतलब वो वाकई में नहीं आएगा!" यह सोच कर ही शरण्या उदास हो गई और लाइट ऑफ कर के सो गई। बालकनी का दरवाजा खुला था जिस वजह से पूरा कमरा ठंडा हो चुका था। शरण्या ने खुद को कंबल में पूरी तरह से लपेट लिया लेकिन दरवाजा बंद नहीं किया। 


     नींद में शरण्या को कुछ नरम सी गर्माहट महसूस हुई तो उसने खींच कर अपने करीब कर लिया। एक जानी पहचानी खुशबू उसकी सांसों में भर गई। उसने नींद में ही कहा, "आ गए तुम! कब से इंतजार कर रही थी तुम्हारा!"


    रूद्र प्यार से उसकी पीठ सहलाते हुए बोला, "तुमने बुलाया था तो कैसे नहीं आता! तुम्हारी एक आवाज पर एक कहीं से भी दौड़ा चला आऊंगा। मर गया तब भी चला आऊंगा।"


    शरण्या ने नींद में ही उसके मुंह पर हाथ रखा और बोली, "ऐसी बकवास बातें मत किया कर वरना सच में मैं जान ले लूंगी तेरी।" कहते हुए उसने रूद्र के सीने पर मुक्का मारा और दूसरी तरफ पलट गई। रूद्र ने पीछे से उसे कसकर अपनी बाहों में भर लिया। यही तो शरण्या चाहती थी। उसने आज रात रूद्र को बहकाने के सारे इंतजाम कर रखे थे। उसने रूद्र का हाथ लिया और अपनी खुली जाँघ पर रख दिया। 


     रूद्र को उसके ईरादें साफ समझ आ रहे थे। उसने अपना हाथ खींच लिया लेकिन शरण्या कहां मानने वाली थी। उसने एक बार फिर कोशिश की लेकिन रूद्र इस बार उसे जीतने नहीं दे सकता था। गुस्से में शरण्या पलटी और किसी शेरनी की तरह उसके ऊपर चढ् गयी।


     "तू मानेगा नहीं ना! अपनी हरकतों से बाज नहीं आएगा! हमारी शादी की बात से तू ऐसे बच रहा है जैसे तु मुझसे कन्नी काट रहा हो।" 


    रूद्र मुस्कुरा दिया और बोला, "पहले तू ठीक तो हो जा! उसके बाद हम शादी नहीं करेंगे।" शरण्या ने रूद्र का कॉलर पकड़ लिया और उसके करीब झुक कर बोली, "हमारी शादी हो चुकी है। तु कहे तो तुझे याद दिलाऊ कि हमारी शादी कब और कहां हुई थी? और तू इस तरह शरमा रहा है जैसे हमारे बीच कभी कुछ हुआ ही नहीं! जैसे तुने मुझे कभी देखा ही नहीं!"


      रूद्र शरण्या को देखने लगा। शरण्या ने धीरे से उसकी शर्ट के बटन खोलने शुरू किए तो रूद्र ने उसका हाथ पकड़ कर उसे साइड में बिस्तर पर सुलाते हुए बोला, "शरु......!अभी नहीं!"


    लेकिन शरण्या कहां मानने वाली थी। उसने तो जैसे जिद पकड़ ली थी तो रूद्र ने कहा, "ठीक है! हम कल डॉक्टर से मिलेंगे उसके बाद ही.! मुझे तेरी याद आ रही थी इसलिए मैं तेरे पास चला आया। इसका मतलब यह नहीं कि तू मेरा फायदा उठाए।" रूद्र आगे कुछ कहता उससे पहले शरण्या ने उसके होठों को अपनी गिरफ्त में ले लिया। वो आज सब कुछ भूल जाना चाहती थी। 


     शरण्या उससे गलत हुई और बोली, "मैं बिल्कुल ठीक हूं। नेहा से बात की मैंने। 2 दिन पहले ही मैं चेकअप के लिए गई थी। सारे रिपोर्टस् नॉर्मल है मेरे। नेहा ने कहा कि मैं प्रेगनेंसी के लिए तैयार हूं। रूद्र.....! मौली आ चुकी है ना! अब मुझे कार्तिक भी चाहिए, प्लीज रूद्र!"


     रूद्र को समझ नहीं आ रहा था कि इस वक्त वो क्या करें? फिर भी उसने एक और कोशिश की, "शरण्या! तुझे बीते कई साल याद नहीं। भले तुझे हमारी शादी याद हो लेकिन उसके बाद क्या कुछ हुआ मुझे याद नहीं। हमारे बीच की लड़ाई तुझे याद नहीं। हमारे बीच बहुत कुछ हुआ है। जबतक तुझे वो सब याद नहीं आता, हम शादी नहीं कर सकते। मैं तुझे कोई धोखा नहीं दे सकता।"


     शरण्या गुस्से में उठ बैठी और बोली, "मुझे छोड़कर किसी और के साथ जा सकता है लेकिन मुझे धोखा नहीं दे सकता, है ना?"


     रूद्र की आँखें हैरानी से फैल गयी। वो उठ कर बैठ गया और बोला, "मतलब तुझे सब याद है?"


     शरण्या की आंखों में आंसू आ गए। वो रूद्र के गले लग गई और बोली, "हां मुझे सब याद है! सब कुछ याद है! मैंने तुझे नहीं बताया, क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि हमारे बीच कुछ भी बदले! सब कुछ पहले की तरह था। हम पहले की तरह बातें करते थे, पहले की तरह तु मुझे छेड़ता था, पहले की तरह हम लड़ते थे और प्यार भी करते थे। मैं नहीं चाहती थी कुछ भी बदले। हमारे बीच के 8 साल मैंने भी बेहोशी में खो दिया। सारा दर्द तूने अकेले सहा। मेरा यकीन मान! आठ साल पहले जो कुछ भी हुआ मैं उसको निकाल कर फेंक देना चाहती हूं। बस तुझे जीना चाहती हु। इस लमहे को जीना चाहती हूं। मौली हमारी बेटी है और हमेशा रहेगी। मौली के मन में कभी ये बात नहीं आने दूंगी कि मैं उसकी मां नहीं।"


    रूद्र उसकी पीठ सहलाते हुए बोला, "तुझे मुझसे कोई नाराजगी नहीं? थोड़ी तो नाराज हो! थोड़ा तो गुस्सा कर, सजा दे मुझे। इतनी आसानी से तु मुझे माफ नहीं कर सकती!" 


      शरण्या उससे अलग हुई और बोली, "तेरी सजा तो तूने खुद भुगती है। मेरा क्या? मैं तो इस सबसे अनजान थी, इस दुनिया से बेखबर। मैं जानती हु तु मुझसे बहुत प्यार करता है और मेरे बिना जिंदा रहना तेरे लिए सबसे बड़ी सजा थी। तू अपनी सजा काट चुका है। किस बात के लिए मैं तुमसे नाराज रहूँ? इसलिए क्योंकि तूने अपनों के लिए मुझे छोड़ा! या फिर इसलिए की तूने उस बच्ची का नाम मौली रखा! या फिर इसलिए कि तूने मौली को बिल्कुल मेरी तरह बनाया! जब मैं मौली से पहली बार मिली थी, उसी वक्त मुझे लगा जैसे मेरा बचपन मेरे सामने है। उसकी सारी हरकतों को जब मैंने देखा, मुझे बहुत अच्छा लगा। बहुत खुशी हुई यह जानकर कि इतने सालों में मुझसे दूर जाने के बाद भी तेरे दिल में मेरे लिए प्यार कभी कम नहीं हुआ। मैं बस उस प्यार पर किसी और का साया नहीं पड़ने देना चाहती। इशिता आई और चली गई, बस यही एक सच है बाकी कुछ नहीं। और उस सच को भी मैं भुला देना चाहती हूं।" फिर उसने रूद्र का हाथ पकड़कर कहा, "तू मेरे साथ है, मेरे पास है मुझे और क्या चाहिए! अब बता हम शादी कब कर रहे हैं?"


     रूद्र मुस्कुरा दिया। उसकी आंखों में खुशी के आंसू थे। उसने शरण्या को खींच कर अपने गले से लगा लिया और बोला, "बहुत जल्दी! हम बहुत जल्द शादी करने वाले हैं। बस एक-दो काम निपटाने है फिर उसके बाद मैं हमारी शादी की डेट निकलवाता हूं। तब तक के लिए मुझे तुझसे दूर रहना होगा। तु यहाँ और मैं वहाँ!"


     रूद्र ने मायूसी भरे लहजे में कहा तो शरण्या ने उसे धकेलते हुए बिस्तर पर गिरा दिया और बोली, "दूरियों को नज़दीकियों में बदलना हमें आता है!" कहते हुए अपने कमरे की लाइट ऑफ कर दी।