Chapter 81

Chapter 81

YHAGK 80

Chapter

 80




     मार्च का महीना था और रूद्र ने भी पिछले कुछ दिनों में अपना आर्ट गैलरी शुरू कर लिया था। एक दिन ऐसे ही रेहान अपने लैपटॉप के सामने बैठा काफी परेशान था। रूद्र आर्ट गैलरी जाने को हुआ तो रेहान को परेशान देख रुक सा गया और बोला, "क्या हुआ तुझे? कोई प्रॉब्लम है क्या? इतना परेशान क्यों लग रहा है?"रेहान ने बिना उसकी ओर देखें कहा, "कुछ नहीं है, बस ऐसे ही। और तु टेंशन मत ले, जो भी प्रॉब्लम है वह हम लोग सॉल्व कर लेंगे। 


      रूद्र भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया और अपनी आर्ट गैलरी चला गया। लावण्या और रेहान दोनों ही ऑफिस के लिए निकल गए। दोनों की ही जरूरी मीटिंग थी पूरे बोर्ड मेंबर के साथ। फाइनेंसियल ईयर का लास्ट मंथ था ऐसे में कंपनी का लास्ट अकाउंट रेहान को ही बनाना था जो कि बैलेंस नहीं हो पा रहा था, जिस वजह से रेहान और लावण्या दोनों ही पिछले कुछ दिनों से परेशान थे। रेहान ने जो बैलेंस शीट बनाई थी उसमें कहीं से भी कोई गड़बड़ नहीं थी और यह कोई पहली बार नहीं था जब उसने बैलेंस शीट बनाई हो। रेहान और लावण्या मीटिंग के लिए पहुंचे तब अचानक रेहान को ध्यान आया, बैलेंस शीट वाली पेन ड्राइव को वो घर पर ही भूल गया था जिसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी। 


      जब और कुछ नहीं सूझा तो लावण्या ने सीधे-सीधे रूद्र को फोन लगा दिया। रूद्र जो कि अभी अभी घर आया था, जब लावण्या का उसे कॉल आया। इससे पहले कि वह फोन उठाकर कुछ बोलता, लावण्या बोल पड़ी, "रूद्र प्लीज हेल्प कर दो.....! हॉल में एक नीले रंग की फाइल है जिस पर एक पेन ड्राइव है, उसे ला दो प्लीज, बहुत अर्जेंट है! और हम लोग अभी मीटिंग रूम में है।"


     रूद्र बोला, "कोई बात नहीं, मैं अभी घर पर ही पहुंचा हूं। 15 मिनट दो, मैं लेकर पहुंचता हूं। तुम लोग तब तक अपना मीटिंग स्टार्ट करो।" कहकर रूद्र ने फोन रखा और हॉल से फाईल समेत लेकर चला गया। 


    एक गड़बड़ी की वजह से पूरा ऑफिस परेशान था। हर तरह से ऑडिट करवा लिया गया, जिसके बाद ही रेहान ने पूरी बैलेंस शीट बनाई थी लेकिन गड़बड़ कहां थी अब तक किसी को समझ में नहीं आ रहा था। जैसा कि रूद्र ने कहा था वह अगले 15 मिनट में ऑफिस पहुंचा जहां मीटिंग रूम में सारे बोर्ड मेंबर मौजूद थे। रूद्र ने फाइल लावण्या को सौंपी और सब की तरफ देखा तो रुक गया। इस वक्त सब लोग खासकर रेहान लावण्या और उसके पापा काफी ज्यादा परेशान थे। खासकर रेहान!! ललित जी ने एक बार फिर कहा, "रेहान......! कहीं से कोई लीड नहीं मिली तुम्हें? यह सारी गड़बड़ कहां से हुई है? आखिर इतने बड़े अमाउंट का डिफरेंस कैसे हो सकता है? मेरे कहने का मतलब अमाउंट इतनी बड़ी नहीं है लेकिन बात यह है कि क्या हमारे ऑफिस में किसी तरह का कोई घोटाला हो रहा है? हमारे एंप्लॉइ में ईमानदारी होना बहुत जरूरी है। अगर किसी तरह का कोई लीकेज है तो इस बात की तह तक जानी होगी। हम इस मामले को ऐसे ही नहीं छोड़ सकते। 


   धनराज बोले, "हो सकता है रेहान से ही कोई गड़बड़ी हुई हो। हमारे स्टाफ में से आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ और ना ही कभी किसी तरह की कोई कंप्लेन आई है। हमारे एम्प्लॉयी काफी ईमानदार है अपने काम के प्रति। क्योंकि हमने कभी उन्हें कसी तरह की कोई कमी नहीं होने दी है। ऐसे में बिना किसी सबूत के हम अपने एम्प्लॉयी पर इल्जाम नहीं लगा सकते।"


      लावण्या बोली, "लेकिन पापा........! रेहान ने कोई पहली बार बैलेंस शीट नहीं बनाई है। इससे पहले भी वह कई बार यह काम कर चुके हैं। इंफैक्ट् मैंने भी इसे चेक किया है। हम सब ने फाइल चेक की है, कहीं से कोई गड़बड़ी नहीं मिली इसका मतलब यही ना कि एंपलॉइज् में से किसी ने कुछ किया है। आफ्टर ऑल रकम भले ही हमारे लिए बड़ी नहीं हूं लेकिन फिर भी रकम बड़ी है।"


      रूद्र, जो कि सारी बातें सुन रहा था उसने स्क्रीन पर देखा और बोला, "20 लाख की गड़बड़ी हुई है क्या?" 20 लाख का नाम सुनकर रेहान बुरी तरह से चौक गया और हड़बड़ाते हुए बोला, "नहीं नहीं रूद्र! 3 करोड 60 लाख! 20 लाख जैसी से रकम तो कोई मायने भी नहीं रखती हमारे लिए।"


     रूद्र चौक पड़ा। उसने कहा, "कंपनी में कोई सीक्रेट रिजर्व हो रहे हैं क्या?" ललित बोले, "बिल्कुल नहीं! हमें इस तरह की रिजर्व की कोई जरूरत नहीं है, लेकिन तुम ऐसा क्यों पूछ रहे हो?" रूद्र बोला, "क्योंकि मुझे कहीं से भी तीन करोड़ साठ लाख की गड़बड़ी नहीं नजर आ रही हैं। हाँ मुझे 20 लाख जरूर दिख रहे हैं, जो शायद आप लोग नहीं देख पा रहे या शायद मुझे कोई गलतफहमी हो रही है। लास्ट के मुकाबले इस बार फिक्स् एसेट्स के डेप्रिसिएशन में थोड़ी प्रॉब्लम आई है वरना जिस रकम की आप बात कर रहे हैं....... अपना बैलेंस शीट ध्यान से देखिए। हमारा जो सरप्लस है उसकी रकम कितनी है?".   


      रेहान जल्दी से बोला, "चार करोड!"


    रूद्र मुस्कुरा दिया और बोला, "एक जीरो कम हो गया है। 4 करोड़ की बजाय तूने 40 लाख लिखा है। इसीलिए तेरा बैलेंस नहीं मिल रहा।" रुद्र की बात सुन सबकी नजर बैलेंस शीट के सरप्लस वाले कॉलम में जहां वाकई में 4 करोड़ की बजाए 40 लाख शो हो रहा था। लावण्या हैरानी से बोली, "वाओ रूद्र!!! तुम तो जीनियस निकले! मतलब पिछले तीन चार दिनों से हम परेशान हैं और तुम ने 2 मिनट में इसे पकड़ लिया!" रूद्र ने अपने दोनों हाथ पैंट के पॉकेट में डालते हुए कहा, "एक सिंपल सा फार्मूला है! अगर बैलेंस शीट ना मिले तो दोनों के बीच का जो डिफरेंस है उसको चेक करो! अगर वो 9 से डिवाइड होता है इसका मतलब यह कि कोई नंबर या तो उल्टा लिखा गया है या फिर एक जीरो कम हो गया है। इसमें कोई रॉकेट साइंस नहीं है, एक सिंपल सा कैलकुलेशन है। चलो मैं चलता हु, बाय!" कहते हुए रूद्र वहां से चला गया। 


       धनराज को अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि रूद्र ने चुटकी बजाते ही उस प्रॉब्लम को सॉल्व कर दिया जिससे वह लोग काफी दिनों से परेशान थे। ललित भी रूद्र के इस काम से इंप्रेस हुए बिना ना रह पाए और बोले,"रुद्र का दिमाग वाकई में बहुत तेज है। अगर वह अपना दिमाग हमारी कंपनी के साथ लगाए तो हमे अच्छा खासा फायदा हो सकता है।"


     अपने पापा की बात सुन लावण्या मन ही मन मुस्कुरा उठी और खुद से बोली, "यह बिल्कुल सही निशाना लगाया तुम्हें रूद्र! तुम्हारे होने वाले ससुर जी तुम से काफी इंप्रेस हो गए हैं! चलो इसी बहाने सही, कम से कम पापा तुम्हारे और शरण्या के रिश्ते के लिए मान तो जाएंगे।" 


       रूद्र ऑफिस से बाहर निकल तो आया लेकिन उसके दिमाग में वह बैलेंस शीट खटक रही थी। उसकी नजरों ने जो देखा था और जो समझा था शायद यह उसका वहम हो सोच कर अपना सर झटका और वापस घर की तरफ चल दिया लेकिन घर जाने की बजाए उसने विहान के घर जाना जरूरी समझा। जब् वो बिहान के घर पहुंचा, विहान थोड़ा परेशान था। उसे वहीं पर बात करना सही नहीं लगा तो वह विहान को लेकर बाहर निकल गया। रुद्र जानता था कि विहान अमित को लेकर ही परेशान है लेकिन जहां सारे सबूत उसे मिल चुके थे तो फिर ऐसे में अमित के खिलाफ किसी भी तरह का एक्शन लेना कोई मुश्किल नहीं होता, फिर वह इतना परेशान क्यों था? 


      क्लब आते ही विहान ने ड्रिंक करना शुरू कर दिया। रुद्र ने जब रोका तो वह टेबल पर अपना सर दिखाते हुए बोला, "मुझे नहीं लगता कि मैं मानसी के लिए कुछ कर पाऊंगा! अमित को पता चल गया कि कोई है जो उसके खिलाफ सबूत ढूंढ रहा है। उसने उन सारी लड़कियों को डरा धमका कर चुप करा दिया। उन में से एक भी अमित के खिलाफ मुंह खोलने को तैयार नहीं है। मेरी समझ नहीं आ रहा कि मैं इस सब के बाद क्या करूं?" रूद्र उसे समझाते हुए बोला, "देख विहान! हमने उसके खिलाफ सबूत ढूंढा क्योंकि हम उसे सीधे तरीके से हराना चाहते थे। अब जबकि वह खुद की हमें टेढ़े रास्ते पर चलने को बोल रहा है तो फिर हमारे पास दूसरा कोई रास्ता नहीं बचाता। जब सारे गवाहों को डरा धमका कर चुप करा दिया जाता है ऐसे में कभी-कभी टेढ़े रास्ते अपनाकर गवाह पैदा किए जा सकते हैं। सबूत तो तेरे पास है ही, गवाह हम लाएंगे जिससे अमित बच नहीं पाएगा।" 


     रूद्र की बातों ने विहान को काफी हद तक तसल्ली दि। वह पिछले कुछ दिनों से इसी बात को लेकर परेशान था और इन्हीं सब की वजह से अमित ने मानासी को भी काफी ज्यादा परेशान किया था। इन दिनों वह किसी और बात से ज्यादा मानसी को लेकर परेशान था। विहान ने ड्रिंक कर ली थी जिस कारण उसे थोड़ी सी चढ़ गई थी ऐसे में सूत्रों से अकेला नहीं छोड़ना चाहता था और खुद ड्राइव करके उसे उसके घर लेकर गया। वहां से निकलते हुए एकदम से उसे शरण्या का ख्याल आया। 


     पिछले कुछ दिनों से वह दोनों कहीं बाहर घूमने नहीं गए। ऐसे में उसने खुद फोन करके कहा, "आज रात को डिनर पर मिले? काफी दिन हो गया, हमने अकेले टाइम स्पेंड नहीं किया। तो क्या हम मिल सकते है माई डियर वाइफि! " शरण्या ने सुना तो खुश होकर बोली, "डिनर पर.........! टाइम स्पेंट.........! सुनने में तो काफी रोमांटिक लग रहा है। तुझे पता है ना डिनर पर क्या होता है? लेकिन तू बहुत ज्यादा अनरोमांटिक है, इसलिए कोई लड़की तेरे पास नहीं टिकती थी। पता नहीं मैं तेरे पल्ले कैसे पड़ गयी। डिनर का मतलब तुझे पता नहीं है!"


      रूद्र हंसते हुए बोला, "मैंने तो तुझे पहले ही कहा था, मेरे साथ जबरदस्ती मत कर। तुझे शादी करने की जल्दी पड़ी थी। अब भुगत! और वैसे भी, तुझे तो मेरी बातों पर भरोसा नहीं था ना अब करले भरोसा, जितना मर्जी चाहे! आज शाम को डिनर पर मिलते हैं, तू बस तैयार रहना मैं आ जाऊंगा तुझे लेने ठीक है!" कहकर रूद्र ने फोन रख दिया। 


     एक रोमांटिक डिनर डेट के बाद रूद्र शरण्या को घर छोड़ने की बजाय कहीं और ले गया। यह एक नई बिल्डिंग थी जो अभी कुछ टाइम पहले ही तैयार हुई थी। एक रिहायशी इलाके में जहां शरण्या ना कभी आई थी और ना ही उस रास्ते कभी गुजरी थी। शरण्या को समझ नहीं आया आखिर यहां रूद्र का ऐसा कौन सा दोस्त रहता है जिससे मिलवाने के लिए वह उसे यहां लेकर आया है लेकिन उस बिल्डिंग को देखकर कहीं से भी यह नहीं लग रहा था कि यहां कुछ खास लोग अभी रहते होंगे। लगभग पूरी बिल्डिंग ही खाली थी। रूद्र उसका हाथ पकड़ लिफ्ट के अंदर दाखिल हुआ और पांचवें फ्लोर का बटन दबा दिया। 


    शरण्या चुपचाप उसका हाथ थामे चलते गई जहां रूद्र उसे लेकर जा रहा था। पांचवें फ्लोर पर आते ही रूद्र एक बंद दरवाजे के सामने रखा और अपने जेब से उसकी चाबी निकालकर दरवाजा खोला। शरण्या की समझ में अभी भी कुछ नहीं आ रहा था। उसका दिमाग पूरी तरह से खाली था और वह कुछ समझ नहीं पा रही थी। रुद्र ने शरण्या को वहीं दरवाजे पर रुकने को कहा और जल्दी से अंदर जाकर एक कलश में चावल और एक कुमकुम की थाली ले आया। 


    शरण्या अभी भी कुछ नहीं समझ पा रही थी जब रूद्र ने उसके सामने वह दोनों ही चीजें रखी और कहां, "चल अब जल्दी से यह रस्म पूरी कर और अंदर आ जा। देख तेरा स्वागत करने के लिए तेरी सासू मां नहीं लेकिन तेरा पति जरूर है।" शरण्या की आंखें हैरानी से फैल गई और वह बोली, "यह फ्लैट तूने खरीदा है? लेकिन क्यों?" रुद्र चिढ़ते हुए बोला, "पहले तु अंदर तो आजा, उसके बाद सारे सवाल कर लेना। मैं तेरे हर सवाल का जवाब दूंगा, पहले तू अंदर तो आ।" 


      शरण्या ने कलश गिराया और कुमकुम की थाली में पैर रख जैसे ही अपना दाहिना पैर आगे बढ़ाने को हुई, रूद्र उसे रोकते हुए बोला, "रुक रुक!!! एक मिनट रुक जा। फर्श पर तेरे पैर पड़ेंगे तो निशान मिट जाएंगे। एक मिनट रुक जा, मैं अभी आया।" रूद्र भागते हुए अंदर गया और वहां से एक सफेद रंग का चादर लाकर जमीन पर बिछा दिया और बोला, "अब अंदर आ जा तेरे पैरों के निशान मै हमेशा संभाल के रखना चाहता हूं, यह एक याद बनकर जिंदगी भर हमारे साथ रहेगी।"


      लेकिन शरण्या कहां इन चिकनी चुपड़ी बातों से बनने वाली थी! उसने एक बार फिर रूद्र से सवाल किया, "तूने अभी कुछ टाइम पहले ही आर्ट गैलरी खोली है, जिसमें तेरी सारी सेविंग्स लग गई तो फिर तूने यह फ्लैट खरीदा कैसे? लोन लेकर या पापा से पैसे मांग कर?" रूद्र ने शरण्या को देखा जो कि उसे अजीब नजरों से घूर रही थी। उसने कहा, "इन दोनों मैं से कोई नहीं। तेरे लिए एक फ्लैट लेना था मुझे वह भी अपने पैसों से। इसमें ना तो बैंक का पैसा है और ना ही कंपनी का। यह मेरे खुद के पैसे हैं जो मैंने तेरे लिए खर्च किया। मैंने अपने सारे इंवेस्टमेंट बेच दिया।"


     शरण्या ने सुना तो उसने अपना सिर पीट लिया और बोली, "तेरा दिमाग खराब है? इतने सालों से तु मार्केट में इन्वेस्ट करता आया है ताकि अपना फ्यूचर खुद अपने हाथों से सवार सके और एक झटके में तूने वह सब बर्बाद कर दिए?"


रूद्र ने कुछ नहीं कहा बस सर झुकाए शरण्या की डांट सुनता रहा। 




 


क्रमश: