Chapter 127

Chapter 127

YHAGK 126

Chapter

126






  रूद्र...........! रूद्र प्लीज मत जाओ! मत जाओ मत जाओ प्लीज! मैं तुमसे वादा करती हूं, तुम जैसा कहोगे मैं वैसा ही करुँगी। तुम कहते हो ना इशिता तुम्हारी बीवी है! ठीक है मैं मानने को तैयार हूं। मैं मानने को तैयार हूं। तुम पर कभी कोई हक नहीं जताऊंगी। तुम जो कहोगे मैं वो करुँगी लेकिन प्लीज रूद्र! तुम्हें देखे बिना मर जाऊंगा! मैं कभी तुम्हारे सामने नहीं आऊंगी, कभी तुम्हारे पास नहीं आउँगी, बस तुम्हें दूर से देख लिया करुँगी। मैं वादा करती हूं मेरी वजह से तुम्हें कोई प्रॉब्लम नहीं आएगी। मुझे कुछ साबित नहीं करना बस यहां से मत जाओ प्लीज रूद्र!" कहते हुए शरण्या ने रूद्र के पैर पकड़ लिए। 


     एयरपोर्ट पर सभी शरण्या को ही देख रहे थे जो रोए जा रही थी। विहान से यह सब देखा नहीं गया तो उसने शरण्या का बाह पकड़ते हुए उसे खींचा, "पागल हो गई है तू शरण्या?? जब उसे तुझ से कोई मतलब नहीं है तो तू क्यों उसके लिये रो रही है? उसे कोई मतलब नहीं है तेरे दर्द से! उसे कोई मतलब नहीं है तुझसे तो फिर वो तेरे लिए यहाँ क्यों रुकेगा?"


     इशिता ने रूद्र की बाँह पकड़ते हुए कहा, "चले रूद्र! हमारी फ्लाइट मिस हो जाएगी।"


    रूद्र चुपचाप किसी बेजान मूरत की तरह खड़ा रहा, जैसे उसे कुछ सुनाइए ना दे रहा हो और ना ही शरण्या की तकलीफ उसे नजर आ रही थी। उसने एक बार भी शरण्या की तरफ नहीं देखा बस नजरे झुकाए वहां खड़ा रहा। इशिता उसे खींचकर ले जाने लगी तो शरण्या ने रूद्र की कलाई पकड़ ली और कहा, "रूद्र! तुमने वादा किया था कि मुझे छोड़कर नहीं जाओगे! आज मैं वादा करती हूं तुमसे, मैं कभी तुम्हारे सामने नहीं आऊंगी। रूद्र प्लीज मत जाओ यहां से!"


   इशिता से यह सब और बर्दाश्त नहीं हुआ। उसने शरण्या की पकड़ से रूद्र को छुड़ाया और उसे लेकर जाने लगी तो शरण्या चीख पड़ी, "तुम बहुत बड़ी गलती कर रही हो इशिता....! कुछ हासिल नहीं होगा तुम्हें! कुछ नहीं मिलेगा तुम्हें! देखना, बहुत जल्द तुम मेरे रूद्र से दूर हो जाओगी। रूद्र सिर्फ मेरा है और यह बात तुम्हें बहुत जल्दी समझ आ जाएगी। इशिता तुम सुन रही हो ना!"


     विहान उसे खींचते हुए लेकर एयरपोर्ट से बाहर निकला लेकिन शरण्या रूद्र का नाम पुकारती रही। शरण्या रूद्र का नाम चिल्लाती हुई नींद से जागी। आठ साल पुरानी यादें सपना बनकर शरण्या को डरा रही थी। वह रूद्र का नाम पुकारते हुए उठ बैठी तो उसने देखा, रूद्र उसके बगल में नहीं था जिससे वह और भी ज्यादा घबरा गई। 


    रूद्र और शिखा जी ने जैसे ही शरण्या की चीख सुनी, वो दोनों भागते हुए उस कमरे में आए। शिखा जी ने शरण्या के कमरे की लाइट ऑन की तो देखा, शरण्या अपने बिस्तर पर बैठी बुरी तरह से घबराई हुई थी। इस ठंड के मौसम में भी पसीने से पूरी तरह लथपथ थी वो। 


    शरण्या ने जैसे ही रूद्र को देखा, वो एकदम से भागकर उससे लिपट गई और रोने लगी। रूद्र उसका सर सहलाते हुए बोला, "क्या हुआ शरू? कोई बुरा सपना देखा! क्या हुआ...? कुछ नहीं है देखो, मैं हूं यहां तुम्हारे पास! चलो रोना बंद करो, कुछ नहीं हुआ है! और ना कुछ होगा!"


    शरण्या सिसकते हुए बोली, "मुझे लगा तु मुझे फिर छोड़ कर चला गया। वो इशिता तुम्हें मुझसे छीन कर ले गई।" 


    रूद्र ने जब शरण्या के मुह से इशिता का नाम सुना तो बुरी तरह से घबरा गया। वह सारी पुरानी यादें जो शरण्या को अभी याद नहीं थी वो सब सपना बनकर उसे डरा रही थी। शिखा जी भी बेचैन हो उठी। उन्होंने मन ही मन कहा, "हे ईश्वर! अभी कुछ वक्त के लिए शरण्या को उन सारी यादों से दूर रखना। अभी अभी मेरे बच्चे के चेहरे पर खुशी लौटी है। इतनी जल्दी नहीं भगवान! इतनी जल्दी नहीं!!"


    शरण्या की चीख सुनकर बाकी घर वाले भी जाग गए और उस कमरे में चले आए। शरण्या अभी भी रूद्र को थामे हुए थी और रूद्र उसे शांत कराने की कोशिश कर रहा था। सबको वहां देख रूद्र बोला, "आप लोग सोने जाइए, मैं हूं यहां पर और शरण्या बिल्कुल ठीक है। बस बुरा सपना देखा और कुछ नहीं।"


   सब को तसल्ली हुई और एक-एक कर सभी वहां से चले गए। शिखा जी ने जाने से पहले रूद्र से कहा, "तुम यहीं रुक जाना, कहीं मत जाना। इस वक्त उसे तेरी जरूरत है।" कहकर वह बाहर चली गई और जाते जाते दरवाजा बंद कर दिया। 


     रूद्र ने शरण्या को बिस्तर पर बैठाया और उठकर दरवाजे की तरफ गया। शरण्या घबराकर बोली, "तू कहां जा रहा है? और एक बात सच सच बता! यह इशिता कौन है? तेरी कोई पुरानी गर्लफ्रेंड है क्या?"


   एक बार फिर इशिता का नाम सुनकर रूद्र बेचैन हो गया फिर खुद को संभालते हुए उसने दरवाजा लॉक किया और पलट कर बोला, "तुझे तो मेरी किसी भी गर्लफ्रेंड से कोई मतलब नहीं था तो फिर अब तु ये क्यों पूछ रही है?" कहते हुए रूद्र शरण्या के पास आकर बैठ गया तो शरण्या बोली, "मुझे उससे कोई मतलब नहीं है! लेकिन मुझे लगा जैसे वह तुझे मुझसे दूर ले जा रही है और मैं बस तुझे आवाज दे रही हूं, तुझे रोकने की कोशिश कर रही हूं। सच सच बता! तु जानता है किसी इशिता को?"


    रूद्र हंसते हुए बोला, "इस नाम की तो कई लड़कियों को जानता हूं मैं। अब तू किसकी बात कर रही है यह मुझे कैसे पता चलेगा? और वैसे भी, इतने साल हो गए, अब इस नाम की किसी लड़की से नहीं मिला।"


    शरण्या अपने आंसू पोंछते हुए बोली, "तु सच कह रहा ना?"


    रूद्र उसके चेहरे को थाम कर बोला, "मैंने तुझसे कभी झूठ कहा है? तू मेरा घर है पगली! चाहे कहीं भी रहूं, वापस लौट के तेरे पास ही आऊंगा। तुझसे दूर कभी जाने का सोच भी नहीं सकता। तेरे पास होता हूं तो लगता है कि हां मैं जिंदा हूं। मैं तुझसे दूर ना कभी गया था ना ही जाऊंगा।"


    शरण्या इमोशनल हो गई। उसे ऐसे देख रूद्र बोला, "वैसे 12:00 बज गए हैं!"


    शरण्या ने कहा, "12 तो रोज ही बजते हैं!"


   रूद्र बोला, "हां जानता हु लेकिन सैंता रोज नहीं आते!" शरण्या को समझ नहीं आया फिर एकदम से खयाल आया और वह बोली, "आज क्रिसमस है क्या?" 


     रूद्र ने मुस्कुरा कर कहा, "तु बता तुझे क्या चाहिए? आज ये सैंता तेरी विश पूरी करने वाला है।"


     शरण्या उसका हाथ पकड़ कर बोली, "मेरी विश बस इतनी है कि तू हमेशा मेरे पास रहे।"


    रूद्र मुस्कुरा कर उसकी तरफ देखा और बोला, "यह विश तो तेरी पूरी हो गई समझो! लेकिन फिलहाल क्या करें? फिलहाल! फिलहाल!! फिलहाल!!!" और वो एकदम से बिस्तर से उठते हुए बोला, "वह करेंगे जो हमने उस रोज किया था।"


    शरण्या ने हैरानी से पूछा, "उस रोज किया था! मतलब! क्या किया था?"


   रूद्र के होठों पर एक हल्की शरारती मुस्कान आ गई। उसने कहा, "तुझे बताऊंगा नहीं बल्कि करके दिखाऊंगा और हम वही करेंगे जो हमने आज की रात पिछली बार किया था।" कहकर रूद्र ने एकदम से अपना जैकेट उतारकर साइड में फेंक दिया फिर उसके बाद उसके हाथ उसके शर्ट की बटन पर गए जिसे देख शरण्या एक पल को तो शरमा गई लेकिन दूसरे ही पल घबरा गई क्योंकि रूद्र ने एक एक कर अपने शर्ट के सारे के सारे बटन खोल दिए थे। 


    शरण्या के लिए काफी अजीब सी सिचुएशन थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह शर्माए या रूद्र को निहारे? भले ही वह दोनों पति पत्नी थे और उनकी शादी को एक अरसा हो गया था लेकिन फिर भी यह मौका शरण्या के लिए बिल्कुल नया था और उसनें इस तरह के किसी सिचुएशन की उम्मीद भी नहीं की थी, ना ही रूद्र से ऐसी उम्मीद थी। 


    शरण्या ने मौका देखते ही वहां से भागने की कोशिश की और दरवाजे की ओर लपकी लेकिन रूद्र ने उस बार की तरह इस बार भी उसे पीछे से पकड़ कर हवा में उठा दिया और लाकर बिस्तर पर पटक दिया। "कहां भाग रही है तु? पहली बार देख रही है क्या मुझे इस तरह? हमारी शादी से पहले तूने मुझसे स्ट्रिप डांस करवाया था, वो भी आज ही के दिन और बिल्कुल इसी तरह से तु शरमा कर भागी थी, याद कर! और बिल्कुल इसी तरह मैं तुझे अपनी बाहों में लेकर सोया था। उस रात को मैं कभी नहीं भूल सकता। वो पहली बार था जब मैं तेरे इतने करीब था कि मैं तेरी सांसो को महसूस कर सकता था। वो पहली बार था जब तू मेरी बाहों में थी और मेरी धड़कनों को सुन सकती थी। पहली बार था जब हम दोनों बिना लड़े एक दूसरे के साथ थे, पूरी रात वो भी तेरे कमरे में। मैं तो उसी वक्त तुझसे अपने प्यार का इजहार कर देना चाहता था लेकिन नहीं किया।"


    शरण्या जो अब तक खामोशी से रूद्र की सारी बातें सुन रही थी एकदम से बोली, "क्यों नहीं किया तूने?"


    रूद्र बोला, "क्योंकि तूने मेरे लिए इतना इंतजार किया था, थोड़ा सा इंतजार तो मैं भी कर ही सकता था। अगले हफ्ते ही तो न्यू ईयर होता है इसीलिए मैंने डिसाइड किया कि 31दिसंबर की रात को हम साथ होंगे और तुझे वह सब कहूंगा जो तू मुझे कहना चाहती है। जो तु सुनना चाहती है।जिस दिन से मुझे एहसास हुआ कि तू मेरे लिए क्या है, उस दिन के बाद से मैंने कभी किसी की तरफ नजर उठाकर नहीं देखा। मैं सिर्फ तेरा हो कर रहा हूं इसलिए अपने मन में ऐसे वैसे कोई भी ख्याल मत लाना। बस तुझसे बिना पूछे मैंने एक काम किया है। जिस दिन तुझे सब याद आ जाएगा ना, तू खुद समझ जाएगी कि मैंने क्या किया है। अब ज्यादा सोच मत और सो जा।" कहकर रूद्र ने शरण्या के ऊपर कंबल डाला और खुद भी उसके पास लेट गया। 


     शरण्या को अचानक से याद आया और वह बोली, "रूद्र...! कपड़े पहन ले वरना तुझे ठंड लग जाएगी।"


    रूद्र बोला, "नहीं! आज बिल्कुल वैसा ही हो रहा है जैसा उस रात हुआ था। आज मेरा बिल्कुल मन नहीं है कुछ और करने का। इस वक्त बहुत ज्यादा थका हुआ लग रहा हूं। एक अरसा हो गया जान, ढंग से सोया नहीं हूं। अभी मुझे सोना है।"


     शरण्या ने उसकी बांह थाम ली और सोने की कोशिश करने लगी। रूद्र ने मन ही मन कहा, "तुम्हारी बाहों में मुझे को सुकून मिलता है ना, वो दुनिया के किसी कोने में नहीं मिलता। आज सोना चाहता हूं मै! पता नहीं ये सुकून की रातें मेरे किस्मत में और कितनी लिखी है। तुझसे दूर होकर जो बेचैनी भरे दिन मैंने काटे है, जिन अंधेरों में मैं जिया हूं, एक बार फिर उन अंधेरों में नहीं जाना चाहता। काश कि यह रात इतनी लंबी हो कि इसमें मेरी पूरी जिंदगी गुजर जाए। तेरी बाहों में सोऊँ और फिर कभी सुबह ना आए। लेकिन किस्मत का लिखा मैं तो क्या कोई नहीं बदल सकता। तुझ से बिना पूछे ही मैंने मौली को तुझे मां कहने का हक दे दिया। मैं तो यह भी नहीं जानता कि तू मौली को अपना पाएगी या नहीं। लेकिन अगर तूने मुझे माफ करना है तो मौली को भी अपनाना होगा क्योंकि तेरी तरह वह भी मेरी जिंदगी है और मैं उससे अलग नहीं रह सकता। अगर तू उसे मां का प्यार ना दे पाए तो मैं उसे लेकर कहीं दूर चला जाऊंगा और इस बार हमेशा के लिए।" सोचते हुए उसने शरण्या के बालों को चूम लिया फिर खुद भी आंखें मूंद कर लेटा गया। 


     जाने कब उसकी आंख लग गई। उसकी तेज सांसो को महसूस कर शरण्या समझ गई कि रूद्र सो चुका है। वो धीरे से उसकी तरफ पलटी। शरण्या की आंखों में नींद नहीं थी। जो बुरा सपना उसने देखा था उसके बाद उसे नींद आने भी नहीं थी। उसने प्यार से रुद्र के चेहरे को देखा और एकदम से उसके ठुड्डी को हल्के से चूम लिया। फिर उसकी नजर रूद्र के सीने पर बने उस टैटू पर गइ जिसे देख शरण्या मुस्कुरा उठी। बड़े प्यार से उसने अपने नाम को छुआ। उसके हाथों की छुअन पाकर रूद्र ने उसे अपने और करीब खींच लिया। रूद्र के सीने से लिपटी शरण्या उसके सीने में मुंह छुपाए सो गई। वो रात वाकई में बहुत खूबसूरत थी।