Chapter 125

Chapter 125

YHAGK 124

Chapter

 124



  शरण्या और रूद्र अपनी दुनिया में थे तभी उसे रेहान की गुस्से भरी चीख सुनाई दी जो रूद्र को ही आवाज दे रहा था। शरण्या बुरी तरह से चौक पड़ी। आखिर ऐसा क्या हो गया जो रेहान इतने गुस्से में है! अभी तो सब कुछ ठीक-ठाक था। रूद्र को समझते देर न लगी कि जरूर मौली ने कुछ किया होगा। वैसे भी आजकल उन दोनों के रिश्ते कुछ खास अच्छे नहीं थे। 


     रूद्र शरण्या से अलग हुआ और कमरे से बाहर निकला। शरण्या भी उसके पीछे-पीछे चली आई तो रूद्र उसे रोकते हुए बोला, "तेरे लिए ज्यादा स्ट्रेस् सही नहीं है। मैं जाकर देखता हु क्या हुआ है!" फिर रूद्र उसे बिस्तर पर बिठाते हुए बोला, "तु यही रुक, जो होगा मैं तुझे आकर बता दूंगा, ठीक है?"


    शरण्या ने हां में गर्दन हिलाई तो रूद्र वहां से चला गया। नीचे रेहान मौली को गुस्से में डांट रहा था। "बहुत ज्यादा बदतमीज हो तुम! किसके साथ किस तरह बिहेव करना है कुछ नहीं पता तुम्हें! इतना बदतमीज इंसान हमारे घर में कोई नहीं था। आखिर क्या सोचकर तुमने ऐसी हरकत की है? यहां के लोग हमारी इज्जत करते हैं! और कुछ नहीं तो अपने बाप की इज्जत का ख्याल कर लेती। जहां जाओगी वहां अपनी गुंडागर्दी दिखाओगी। किसी पर भी हाथ उठा देना किसी पर भी पैर चला देना! जहां बात आराम से हो सकती है वहां मार पिटाई करनी जरूरी है क्या? पता नहीं रूद्र ने कैसी परवरिश दी है तुम्हें!"


     रेहान के इतने गुस्से को देखकर शिखा जी और धनराज जी समझ नहीं पाए कि आखिर उन्हें रिएक्ट कैसे करना है? क्योंकि सामने मौली आराम से सोफे पर पसरी हुई थी। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। बाकी सब ने इसमें पड़ना सही नहीं समझा क्योंकि मौली के बारे में जो भी बात करनी थी वह तो सिर्फ रूद्र से ही करनी थी। लेकिन ना जाने क्यों रेहान बात तो कुछ ज्यादा ही खींच रहा था। 


     मौली जो अब तक चुपचाप सुन रही थी, अपनी परवरिश की बात आते ही उसे सहन नहीं हुआ और वह एक झटके में उठ खड़ी हुई। "मेरी परवरिश पर उंगली उठाने वाले आप होते कौन हैं? कहा था मैंने आप से, मेरा बाप बनने की कोशिश मत करना! सह नहीं पाओगे! क्योकि मेरा बाप बनने के लिए, हिम्मत चाहिए जो आपमें नहीं है।"


    रेहान इतने गुस्से में आ गया उसने मौली पर हाथ उठा दिया। यह पहली बार था जब किसी ने उस पर हाथ उठाया था। मौली बुरी तरह से सहम गई और उसने आंखें मूंद ली। उसी वक्त रूद्र की तेज आवाज पूरे हॉल में गूंज उठी, "रेहान......!!!!"


     रेहान का हाथ हवा में ही रह गया। रूद्र की आवाज से कोई भी थर्रा जाए। रेहान ने पलट कर देखा तो रूद्र सीढ़ियों से नीचे आ रहा था। उसके चेहरे पर जो गुस्सा था वो गुस्सा इससे पहले किसी ने नहीं देखा था। रजत सिंधिया जो हमेशा से रुद्र के साथ काम करता आया था, वह समझ गया कि आज तो रेहान की खैर नहीं। मौली को कितना लाड प्यार से उसने पाला था, ये बात रजत अच्छे से जानता था। 


     शिखा जी समझ गई कि अब इन दोनों भाइयों के बीच महाभारत होगी, जो पहले कभी नहीं हुई। उन्होंने मौली को अपने साथ कमरे में ले जाना चाहा तो रूद्र रेहान की आंखों में देखते हुए बोला, "नहीं माँ!!! मौली कहीं नहीं जाएगी। ये इसका भी घर है और अभी बात उसकी हो रही है। यहाँ रहना उसका हक है और अगर किसी को तकलीफ है तो वह यहां से जा सकता है लेकिन अगर मेरे रहते मेरी बेटी पर किसी ने उंगली भी उठाई तो उसका पूरा हाथ तोड़ सकता हूं, बिना यह देखे कि सामने वाला कौन है। उससे भी पहले मौली ऐसे इंसान से खुद ही निपट सकती है, वह भी बहुत बेहतर तरीके से। मेरी बेटी कोई गाय नहीं है जिसे कोई भी परेशान करके चला जाए। मधुमक्खी है वह, जो अपने काम से काम रखती हैं और अगर किसी ने छेड़ा तो डंक मारने से भी पीछे नहीं हटती। किसके साथ किस तरह का बर्ताव किया जाता है बहुत बेहतर से जानती है वो। भले यह सामने वाला यह भूल जाए। अगर वह चुपचाप खड़ी थी इसका मतलब यह कि उसे रिश्तो का लिहाज है वरना जवाब देना उसे बहुत बेहतर से सिखाया मैंने। कोई मुझे बताएगा ऐसा कौन सा पहाड़ तोड़ दिया है मेरी बेटी ने?"


     रूद्र का गुस्सा देख रेहान थोड़ा नरम होकर बोला, "तुझे पता है मौली ने क्या किया? यह मिसेज बोस! देखो इनके बेटे की क्या हाल कर दी है?" उसने अपने पीछे खड़े मिसेज बोस और उनके बेटे की तरफ इशारा किया। वो बच्चा तकरीबन 12 साल का था और हाइट में मौली से ज्यादा था। उसे देख कर ही रूद्र समझ गया कि मौली ने ही उसे मारा है लेकिन क्यों? यह बहुत बड़ी वजह हो सकती है! उसने मौली को आवाज लगाई और कहा, "मौली!! जरा इस से पूछना क्या तुमने ही उसे मारा है? 


     मौली उस लड़के के पास गई और मासूमियत से बोली, "क्यो भाई, मैंने मारा आपको?"


    वह लड़का मौली को इस तरह मुस्कुराते देख और भी ज्यादा घबरा गया और बोला, "नहीं नहीं!! इसने मुझे नहीं मारा। मैं गिर गया था और मुझे चोट लग गई।" कहते हुए वो लड़का बाहर की तरफ भागा। मिसेज बोस भी अपने बेटे के पीछे दौड़ी क्योंकि उनके पास कहने को कुछ था ही नहीं। 


     उनके जाने के बाद रूद्र में एक तंज़ भरी मुस्कान के साथ रेहान की ओर देखा और बोला, "सुना तुमने उस लड़के ने क्या कहा! उसे मौली ने नहीं मारा। उसे किसने मारा, उसे चोट कैसे लगी यह बात वो लड़का बेहतर बता सकता है। अब मौली वहां थी तो हो सकता है उसकी मम्मी को कुछ गलतफहमी हुई हो। इसका मतलब यह तो नहीं कि तुम बिना बात जाने सीधे-सीधे मेरी बच्ची पर इल्ज़ाम लगाओ और उस पर हाथ उठाओ!" कहते हुए रूद्र की आवाज सख़्त हो गई। 


    "कुछ भी करने से पहले दोनों तरफ की बातें सुनी जाती है रेहान! किसी एक की बात सुनकर कोई फैसला नहीं लिया जाता और एक बात याद रहे.......! जो आज हुआ वो दोबारा ना हो वरना रिश्तो का लिहाज मैं भी भूल जाऊंगा। अपनी बेटी को मैंने बहुत प्यार से पाला है। कल को कोई भी अगर तुम्हारे बेटे पर हाथ उठा दे तो क्या तुम बर्दाश्त करोगे? नहीं करोगे! तो मुझसे भी उम्मीद मत करना।"


     रूद्र एकदम से पलटा और वापस अपने कमरे की तरफ चला गया। मौली भी उसके पीछे पीछे भागी क्योंकि उसे पता था अब उसके पापा उससे सवाल जवाब करने वाले थे! मिस्टर रॉय को मौली की ये सारी हरकतें शरण्या के बचपन की याद दिला गया। 


    रूद्र शरण्या के पास पहुंचा। लेकिन शायद यह पहले ही सब कुछ सुन चुकी थी और देख भी चुकी थी। उसने रूद्र से कुछ नहीं पूछा। उसी वक्त मौली कमरे में आई तो रूद्र ने उसे देखकर अपने दोनों हाथ फ़ोल्ड कर लिया। मौली ने सर झुका लिया तो रूद्र बोला, "यह लड़का राहुल को परेशान करता है, है ना?"


   मौली ने हां में सिर हिलाया तो रूद्र बोला, "यह उन दोनों के बीच का मैटर है। आपको इस में नहीं पड़ना चाहिए था।आखिर राहुल कब तक उसकी दादागिरी सहेगा! उसे कभी ना कभी तो फाइट बैक करना ही होगा ना! और कब तक आप उसके लिए लड़ोगे? आपको उसको सपोर्ट करना चाहिए ना कि उसके बदले लड़ाई करनी चाहिए। और कितनी बुरी तरह से मारा आपने उसे? देखा कितनी चोट लगी थी! वो बेचारा इतना डर गया हुआ है कि डर के मारे उसने झूठ भी बोल दिया।"


    मौली बस मुस्कुरा दी और बोली, "आखिर वह मेरा भाई है। मैं उसे इतने दिनों से परेशान देख रही हूं तो मुझे अच्छा नहीं लगता। वह स्कूल में भी धौंस जमाता है और यहां पार्क में भी राहुल को खेलने नहीं देता। उसकी सारी बदमाशियां और गुस्सा सिर्फ मेरे लिए है। ना सिर्फ राहुल को बल्कि मानव को भी बहुत परेशान करता है वह। दोनों मिलकर भी कुछ नहीं कर पाते हैं। मैं भी पिछले कई दिनों से देख रही थी। मैं चुप थी लेकिन आज उसने मुझे बुली करने की कोशिश की। मुझसे रहा नहीं गया और मैंने पिट् डाला उसे।"


    रूद्र ने अपना सिर पीट लिया और बोला, "जुबान से भी तो बात हो सकती थी ना! उसे डरा सकती थी धमका सकती थी। इतनी बुरी तरह से क्यों मारा उसे? थोड़ा कम मारा होता। तुम्हारा ना सही, कम से कम मेरे बारे में तो सोच लो! एक साथ दो दो शाकाल को मैं कैसे संभालूंगा?"


    शरण्या रूद्र को डांटते हुए बोली, "खबरदार जो मेरी बेटी को कुछ कहा तो!"


     मौली ने मुस्कुराकर शरण्या की तरफ देखा और भागते हुए उसके गले लग गई। "मॉम देखो ना! डैड मुझसे गुस्सा हो रहे हैं! नीचे तो सबको इतना कुछ सुना दिया, अभी ऐसे क्यों सुना रहे हो? जो भी किया बिल्कुल सही किया। आइंदा ऐसी कोई हरकत करने से पहले सौ बार सोचेगा।" 


शरण्या ने भी उसका साथ देते हुए कहा, "बिलकुल! मौली ने जो किया सही किया।" मौली और शरण्या ने एक दूसरे को हाई-फाईव् किया। 


    रूद्र ने अपना सर पकड़ लिया लेकिन मन ही मन मुस्कुरा उठा। यही तो देखना था उसे, उसकी जिंदगी की सबसे खूबसूरत तस्वीर थी। उसने अपना कैमरा ढूंढा और उन दोनों मां बेटी की एक साथ कई तस्वीरें अपने कैमरे में उतार ली। 


     मिस्टर रॉय और मिसेज रॉय वहां ज्यादा देर नहीं रुके। शिखा जी उन्हें रोकना तो चाहती थी लेकिन घर के इस माहौल से उन्हें भी अच्छा नहीं लग रहा था। दोनों भाइयों के बीच जो तकरार थी वह नई थी। पहले कभी भी रूद्र ने रेहान से ऊंची आवाज में बात नहीं की थी। हमेशा रेहान गुस्से में होता था लेकिन रूद्र अपने उसी लापरवाह अंदाज में हर एक बात को यूँ ही हवा में उड़ा देता था। लेकिन अब ये वो रूद्र नहीं था जिसे सब जानते थे। 




     सब के जाने के बाद नेहा को हॉस्पिटल के लिए निकलना था। उसने कहा, "आंटी मैं चलती हूं! मुझे हॉस्टल भी जाना है।" शिखा जी ने भी उसे रोका नहीं। वह निकलने को हुई तो रजत ने कहा, "अगर आपको बुरा ना लगे तो मैं आपको हॉस्पिटल छोड़ दूं?"


   नेहा ने कहा, "मैं अकेले चली जाऊंगी। मुझे आदत है अकेले जाने की।" कहकर वो बाहर निकल गई। रजत भी उसके पीछे निकला और उसके बराबर चलते हुए बोला, "वैसे अकेले चलने की आदत तो मुझे भी है लेकिन साथ में कोई मिल जाए तो सफर आसानी से कट जाता है।"


     रजत की बातों का दो मतलब था लेकिन नेहा कुछ भी समझना नहीं चाहती थी। ऐसा वैसा कोई भी खयाल अपने दिमाग में लाना ही नहीं चाहती थी। उसे किसी पर भी भरोसा नहीं रह गया था। रजत तो फिर भी अनजान था उसके लिए। रजत ने फिर कहा, "आपको बुरा ना लगे तो हम दोनों मेरी गाड़ी में चल सकते है! मैं भी उसी तरफ जा रहा था और जब हम दोनों की मंजिल एक है तो रास्ते अलग नहीं होने चाहिए।"


    नेहा बिना उसकी तरफ देखे बोली, "हर किसी को अपने रास्ते पर अकेले ही चलना होता है मिस्टर सिंधिया! यहां हाथ थाम कर चलने वाले कोई नहीं होता। और जिनके पास होते हैं सच में बहुत खुशनसीब होते हैं। यह दुनिया सिर्फ मतलबी लोगों से भरी पड़ी है। अपने अलावा किसी पर भी भरोसा करना बेवकूफी समझी जाती है और यह बेवकूफी मैं कभी नहीं कर सकती।"


    नेहा ने आगे बढ़कर अपनी गाड़ी का दरवाजा खोला और रजत की तरफ पलटते हुए बोली, "एक एडवाइज दू! सबकी सुनो लेकिन अपने मन की करो! किसी पर भी इतना भरोसा मत करना कि उसकी सच्चाई उसका धोखा आपको बुरी तरह से तोड़ कर रख दे। किसी से भी इतनी उम्मीद मत करना जब वह टूटे तो हम खुद बिखर जाए। दुनिया में किसी से भी ज्यादा खुद पर भरोसा करना, अपनी किस्मत पर भी नहीं। हम अपनी मेहनत से अपनी किस्मत बदल सकते हैं और अपनी बेवकूफी से भी। एक बात आपने बिलकुल गलत कही! हमारी मंजिल एक नहीं है। हमारे रास्ते एक हो सकते हैं लेकिन मंजिल नहीं। और जब मंजिल अलग है तो साथ चलने का कोई फायदा नहीं। ना मैं आपको जानती हूं ना ही आप मुझे! इसलिए बेहतर होगा कि हम अलग अलग ही जाए।"


    नेहा ने अपनी आंखों पर काला चश्मा डाला और गाड़ी में बैठकर निकल गई। रजत वहीं खड़ा मुस्कुरा दिया। नेहा की आंखों में हल्की नमी उतर आई थी जो रजत की नजरों से छुपी ना रह पाई। उसने खुद से कहा, "आप शायद मुझे नहीं जानती हो लेकिन मैं आपको बहुत अच्छे से जानता हूं। हमारी मंजिल एक हो या ना हो, लेकिन बहुत जल्द रास्ते एक होंगे।"