Chapter 142

Chapter 142

YHAGK 140

Chapter

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रजत ने सीधे-सीधे नेहा को अंगूठी पहना दी थी और उसे शादी के लिए पूछा था। लेकिन उससे पहले जो उसने नेहा की सैंडल्स उतरवाए थे वह किसी की भी समझ से बाहर था। नेहा हैरानी से रजत को देखे जा रही थी और रजत नेहा के जवाब के इंतजार में था। नेहा की मां ने जब देखा तब उसे अच्छा तो लगा लेकिन वह रजत को नहीं जानती थी, ना कभी उन्होंने उसे देखा था। ऐसे में यह सोचना कि रजत एक अच्छा लड़का है गलत होता। उन्होंने एक नजर मानसी और विहान की तरफ देखा। वह दोनों ही काफी खुश नजर आ रहे थे। इस समय उन दोनों से ज्यादा भरोसेमंद उन्हें और कोई नहीं लग रहा था। 


    मानसी ने नेहा के कंधे पर हाथ रखा और बोली, "हां कर दो नेहा! जिंदगी यह मौका बार-बार नहीं देगी।"


    लेकिन नेहा के लिए यह फैसला इतना आसान नहीं था। यह बात रजत भी जानता था। उसने कहा, "नेहा.......! किसी के भी दबाव में आने की जरूरत नहीं है। जो भी फैसला लेना वह सोच समझ कर लेना क्योंकि यह बात जिंदगी भर की है। जानता हूं आपको सहारे की जरूरत नहीं है और होनी भी नहीं चाहिए। मैं तो बस आपका साथ चाहता हूं। एक लड़की जिंदगी भर अकेली रह सकती है, खुद को संभाल सकती है लेकिन हम लड़कों के लिए यह थोड़ा मुश्किल होता है। सभी आर एस की तरह नहीं होते! बरसों से अकेला वहां हूं। जब आपके बारे में जाना, और आप की पूरी डिटेल निकाली, और जब आपसे मिला उस वक्त ऐसा लगा जैसे मेरे अकेलेपन को बांटने के लिए अगर आपका साथ मिल जाए तो यह जिंदगी बहुत आसान हो जाएगी। सच कहूं तो मुझे आप के सहारे की जरूरत है। मेरी छोटी छोटी कुछ बुरी आदतें हैं जिन्हें सुधारना चाहता हूं। चाहता हूं कि कोई मुझे डांटे, बात बात पर मुझसे कोई नाराज हो। मेरे घर लौटने का इंतज़ार करे। किस्मत में कोई रिश्ता मेरे हिस्से नहीं लिखा। फैमिली के नाम पर बस रूद्र सर और मौली मैम है लेकिन अब तो मैं भी उन्हें डिस्टर्ब नहीं कर सकता। यकीन मानिए, पिछले कुछ वक्त से बहुत अकेला पड़ गया हूं। जो अंगूठी मैंने आपको पहनाई है, वह मेरा दिल है। एक बार अच्छे से सोच समझ लीजिए। अगर आपका जवाब हां हो तो मुझे बहुत खुशी होगी लेकिन अगर आपको इंकार है तो प्लीज इस अँगूठी को मुझे लौटाने की बजाए इसे कहीं ऐसी जगह फेंक देना जहाँ किसी के हाथ ना लग पाए। क्योंकि अब ये मेरे किसी काम का नहीं होगा। मैं आपको दे चुका हूं, इसे मै वापस नहीं ले सकता। जानता हूं आपने अपनी लाइफ में बहुत बुरा दौर देखा है। लेकिन किसी ने मुझसे कहा कि प्यार हर दर्द का इलाज है। वक्त हर जख्म भर देता है तो प्यार उन जख्मो के निशान तक मिटा देता है। आपका जो भी फैसला होगा मुझे मंजूर होगा।"


    नेहा बस रजत का चेहरा देखे जा रही थी और उसकी बातों पर यकीन करने की कोशिश कर रही थी। वहां मौजूद हर कोई रजत की तारीफ करने से खुद को ना रोक पाया। नेहा को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि रजत ऐसा कुछ कहेगा। उसे तो लगा था सब जानने के बाद वह हमेशा के लिए मुंह मोड़ पर चला गया और कभी वापस नहीं आएगा। काफी कोशिशों के बाद नेहा ने कहा, "मुझे थोड़ा वक्त चा..........!"


     रजत मुस्कुरा कर बोला, "आपको जितना वक्त चाहिए आप ले सकती है।" कहते हैं रजत उठकर वहां से जाने को हुआ तो मानसी ने पूछा, "अब तो बता दो उसकी सैंडल क्यों निकलवाए?"


    रजत मुस्कुराकर रूद्र की तरफ देखा और फिर बोला, "जो काम मैंने किया है उसके लिए मुझे जूते पड़ने ही थे। उससे बेहतर है कि मैं खुद ही जूते गायब कर दु। आर एस कहते है कि अगर लड़की को प्रपोज करना हो तो मंदिर में करो ताकि कितनी भी मार पड़े, कम से कम जूते नहीं खाने पड़ेंगे। इसीलिए अपनी सेफ्टी के लिए मैंने सैंडल उतरवा दिए।"


       ये सुन वहाँ खड़े सभी लोग ठहाके मार कर हंस पड़े। नेहा की भी हंसी छूट गई। बड़े दिनों बाद हंसी थी वो। इस हंसने की वजह से उसकी आंखों में आंसू आ गए। रजत ने अपना रुमाल निकाल कर नेहा की तरफ बढ़ा दिया और बोला, "आंसू खुशी के हो या गम के, आंसुओं को कभी जाया नहीं किया जाता। बहुत कीमती होते हैं आंसू। किसी खजाने की तरह इतनी संभाल कर रखा जाता है, सब से छुपा कर। इन्हें खर्च नहीं किया जाता है।"




    लावण्या हाथ में वाइन की बोतल लिए पार्टी हॉल के छत पर चली आई। जतिन ने पूरी पार्टी में नजर दौड़ाई लेकिन उसे लावण्या कहीं नजर नहीं आई तो उसे ढूंढने लगा। उसने पूरा एरिया छान लिया लेकिन लावण्या उसे कहीं नजर नहीं आई। ढूंढते हुए वो हॉल के टेरेस पर पहुंचा तो देखा लावण्या गुमसुम सी बैठी खुले आसमान को निहार रही थी। उसे अजीब लगा। आज पार्टी में उसने लावण्या और रेहान के बीच में जो बातें नोटिस की थी उससे जतिन को इतना तो समझ में आ गया कि उन दोनों के बीच कुछ तो प्रॉब्लम चल रही है। लेकिन इस वक्त लावण्या को इस तरह गुमसुम देखकर उसे यकीन हो गया कि जरूर कोई बात है। 


    "जिंदगी का फलसफा कुछ यूं है जालिम, कि हम बेगानों की खुशी में खुश हो लेते हैं।"


   लावण्या ने जब आवाज सुनी तो उसने पलट कर देखा। जतिन मुस्कुराता हुआ उसके पीछे खड़ा था। उसने लड़खड़ाती आवाज में कहा, "जतिन........! तुम यहां? तुम्हें तो पार्टी में होना चाहिए था! सब तुम्हें ढूंढ रहे होंगे!"


    जतिन उसके करीब आते हुए बोला, "लेकिन मैं तो तुम्हें ढूंढ रहा था। आज के इवेंट कि तुम मेरी पाटनर हो। अगर लोग मुझे ढूंढेंगे तो वह तुम्हें भी जरूर ढूंढेंगे।"


     लावण्या खिलखिला कर हंस पड़ी और वही जमीन पर लेट गई। उसकी लड़खड़ाती जुबान जतिन को यह समझाने के लिए काफी थी कि लावण्या को चढ़ गई है लेकिन लावण्या उन लोगों में से नहीं थी जो शराब को अपने ऊपर हावी होने देती। माना कि वह वाइन थी लेकिन लावण्या के इतना पीने की वजह वह समझ नहीं पा रहा था। वह भी वहीं जमीन पर बैठ गया और बोला, "तुम यहां क्या कर रही हो? नीचे तुम्हारी पूरी फैमिली है, तुम्हारा हस्बैंड है! वह सब तुम्हें ढूंढ रहे होंगे। अभी तो सिर्फ मैं आया हूं कुछ देर में रेहान भी तुम्हें ढूंढता हुआ यहां चला आएगा।"


    रेहान का नाम सुनकर ही लावण्या एक फीकी हंसी हंस पड़ी। उसके हंसने के अंदाज ने जतिन को सब समझा दिया। वह बोला, "तुम्हारे और तुम्हारे हस्बैंड के बीच कुछ बात हुई है क्या? देखो लावण्या गलत मत समझना! मेरा कोई हक नहीं है तुम दोनों के बीच बोलने का लेकिन फिर भी एक दोस्त होने के नाते मैंने यह सवाल कर दिया। तुम्हें अगर जवाब नहीं देना तो ना सही, यह तुम्हारा पर्सनल मैटर है।"


     लावण्या खुले आसमान में टिमटिमाते तारों को देखते हुए बोली, "आज आसमान कितना साफ लग रहा है ना! सब कुछ साफ नजर आ रहा है। पता है जतिन! ये जो तारे हैं ना, हमें लगता जैसे हम हाथ बढ़ा कर इन्हें तोड़ सकते हैं लेकिन जितना इन के करीब जाओ उतना ही एहसास होता है कि ये हम से कितनी दूर है। खुशियां भी ऐसी ही होती है ना! शायद ही किसी को मिल पाती है। सब कुछ होते हुए भी इंसान की ख्वाहिशें कभी पूरी नहीं होती। अगर ख्वाहिशें पूरी हो जाए तो इंसान के पास जीने की कोई वजह ही नहीं बचेगी, है ना?" 


    जतिन चुपचाप वहां बैठा उसकी सारी बकवास सुने जा रहा था। इस वक्त उसने लावण्या को टोकना सही नहीं समझा। लावण्या आगे बोली, "तुमने मानसी के बेटे को देखा? छोटा सा, नन्ना सा! पता है जतिन! जब मैंने उस नन्हे से बच्चे को अपनी गोद में लिया ना, उस वक्त मेरा भी दिल किया कि काश मैं एक बार फिर मां बन सकूं! हां क्यों नहीं? राहुल 8 साल का होने को है तो क्या मैं जिंदगी भर सिर्फ एक बच्चे को ही देखती रहूंगी? क्या मैं दोबारा कभी मां नहीं बन सकती? जतिन!!! मुझे फिर से मां बनना है। मुझे एक और बच्चा चाहिए। हां मुझे भी बच्चा चाहिए।"


    जतिन हिचकीचाते हुए बोला, "इसके लिए तो तुम्हें रेहान से बात करनी चाहिए। इस बारे में मुझसे बात करके कोई फायदा नहीं। मैं तुम्हारा दोस्त हूं और रेहान तुम्हारा हस्बैंड!"


    लावण्या एक बार फिर हंस पड़ी और बोली, "यही तो सबसे बड़ा मजाक है जतिन! मैं मां बन सकती हूं लेकिन रेहान अब कभी बाप् नहीं बन सकता। मेरी लाइफ की यह सबसे बड़ी ट्रेजेडी है! नहीं, दूसरी सबसे बड़ी ट्रेजेडी! मेरी पहली प्रेग्नेंसी में कुछ कॉम्प्लिकेशन थी तो डॉक्टर ने मुझे दूसरे बच्चे के लिए मना कर दिया और रेहान ने बिना मुझसे पूछे, बिना मुझसे बात किए हमारी लाइफ का इतना बड़ा फैसला खुद कर लिया!! सिर्फ इसलिए ताकि मैं फिर से प्रेग्नेंट ना हो पाऊं! कैसे कर सकता है वह यह सब? मेरी लाइफ का डिसीजन उसे लेने का क्या हक है? होता कौन है वह मेरी जिंदगी के फैसले करने वाला? अगर वह बाप नहीं बन सकता इसका मतलब यह नहीं कि मैं मां नहीं बन सकती? मैं मां बन सकती हूं और यह मैं करके रहूंगी! उसने मुझे धोखा दिया, मैं भी उसे एहसास दिला कर रहूंगी कि धोखा क्या होता है!"


     लावण्या की सारी बातें जतिन की समझ से परे था। उसने लावण्या को समझाना चाहा, "लावण्या तुम इस वक्त होश में नहीं हो। इसलिए कुछ भी बकवास कर रही हो। यह सारी बातें तुम्हें रेहान से करनी चाहिए। वह सब कुछ जो तुम मुझे कह रही हो, पूरे होशो हवास में तुम इस बारे में रेहान से बात करो। तुम दोनों मिलकर कोई ना कोई सलूशन जरूर निकाल लोगे। अब चलो यहां से, बहुत ठंड हो रखी है। आग भी नहीं जल रहा। तुम्हें सर्दी लग जाएगी।" कहते हुए जतिन उठ खड़ा हुआ और लावण्या को उठने के लिए उसकी तरफ हाथ बढ़ा दिया। 


    लावण्या ने भी उसका हाथ पकड़ा और उठने की बजाय उसे ही अपनी तरफ खींच लिया। जतिन घुटनों के बल लावण्या के ठीक सामने आ गिरा। लावण्या उसकी आंखों में देखते हुए बोली, "क्या तुम मेरी हेल्प कर सकते हो? मैं इस बारे में रेहान से कोई बात नहीं करना चाहती। प्लीज जतिन! चलोगे मेरे साथ?"


     जतिन आंखें बड़ी बड़ी करके हैरानी से लावण्या को देखे जा रहा था। उसे यकीन नहीं हो रहा था जो कुछ भी लावण्या उसे कह रही थी। इस वक्त उसका दिल बुरी तरह से धड़क रहा था। वह अभी भी लावण्या की कही बातों का मतलब समझने की कोशिश कर रहा था। 


 


   मौली और मानव एक साथ अभी भी पूरे हॉल में नाच रहे थे और एक दूसरे से पकड़म पकड़ाई खेल रहे थे। सबकी नजर उन 2 बच्चों पर थी जिन्होंने पूरे पार्टी का माहौल ही बदल दिया था। वहीं राहुल उन दोनों को एक साथ खुश होता देख गुस्से में जले जा रहा था। रूद्र ने उन दोनों को अपने पास बुलाया और बोला, "मौली बेटा! आप यहां मानव और विहान मामू के साथ एंजॉय करो। रजत भी यहीं पर है। यहां से कहीं जाना मत। कहीं जाना हो तो रजत को बता कर विहान मामू के साथ चले जाना लेकिन बिना बताए इस पार्टी हॉल से कहीं नहीं जाना है।"


    मौली मुस्कुराते हुए बोली, "डोंट वरी डैड! मैं मानव के साथ हूं और पार्टी के बाद मानव के साथ ही चली जाऊंगी। आप निश्चिंत होकर जाइए और मॉम को भी लेते जाइए। वैसे भी 11:00 बजने वाले हैं। आप दोनों की पार्टी भी तो शुरू होने वाली होगी। वैसे आपने मॉम को सरप्राइज के बारे में बताया तो नहीं है?"


     रूद्र ने गर्दन टेढ़ी करके मौली को देखा और कहा, "तुम्हें सच में लगता है कि तुम्हारी मॉम को सरप्राइज के बारे में बताना चाहिए। उसके पेट में कोई बात नहीं पचती और ना ही उससे कंट्रोल होता है। अगर सरप्राइज् की बात बता दी तो मुझसे पहले वह पहुंच जाएगी वहां। जैसे अभी आकर बता दिया तो इसी वक्त चलने को कहेगी। आईडिया बुरा नहीं है। तुम यहां संभालो मैं तुम्हारी मॉम को संभालता हूं। कोई गड़बड़ नहीं होनी चाहिए ठीक है! किसी तरह का कोई झगड़ा नहीं, नो फाइटिंग!"


    मानव बोला, "डोंट वरी अंकल! मैं मौली को किसी से भी लड़ाई करने नहीं दूंगा। लड़ाई करना बुरी बात होती है ना! ये इतनी झगड़ालू कैसे हो गई? आप तो इतने स्वीट हो और आंटी भी! यह पता नहीं किस पर गई है?"


   मानव की बात सुन रूद्र ने सर पकड़ लिया। उसे वहां से निकलना बेहतर लगा। शरण्या किसी के साथ बात कर रही थी। उसने बिना कुछ सोचे समझे शरण्या के पास जाकर उसे पकड़ते हुए कान में कुछ कहा और खींच कर वहां से ले गया।