Chapter 106
humsafar 106
Chapter
106
सिद्धार्थ श्यामा को मनाने में सफल हो गया था। श्यामा के हर सवाल का जवाब सिद्धार्थ के पास था और बाकी सब ने भी एक-एक कर उसे मनाने की हर कोशिश की जो आखिर में रंग लाई। देवी माँ ने जाते जाते उस घर को खुशियों से भर दिया था लेकिन ऐन मौके पर पुलिस को वहां आना अलीशा की मौत मे सिद्धार्थ की पिस्टल का इंवॉल्व होना, सिया को मन ही मन डरा रहा था। एक अर्से बाद खुशियां घर में लौटी थी और अचानक ही सब कुछ बिखरते देख सिया को चक्कर आ गया। सिद्धार्थ ने उसे संभाला। सभी चिंता में थे लेकिन एक अकेला शुभ दूर खड़ा मुस्कुराए जा रहा था। अपने पिता की मौत का बदला लेने के लिए सारांश को अलीशा के मर्डर के झूठे इल्जाम में फंसाकर उसे खुशी मिल रही थी और सबसे बड़ी बात तो यह थी कि उसके खिलाफ कोई सबूत भी नहीं था। ना ही सीसीटीवी कैमरा और ना ही गन पर उसकी उंगलियों के निशान।
"आप ऐसा कैसे कह सकते हैं? क्या सबूत है आपके पास सिवाय इस पिस्टल के", अवनि ने कहा।
" अपने सीसीटीवी कैमरा चेक किया वहां का" सिद्धार्थ ने पूछा।
"हमें वहां से कोई फुटेज नहीं मिला। कल उसके मौत से ठीक पहले किसी ने सारे सीसीटीवी कैमरे बंद कर दिए थे", इंस्पेक्टर ने कहा।
" इसका मतलब भाई के फेवर में कोई सबूत नहीं है। यह गन भाई की है और इस गन से अलीशा की मौत हुई है। इसका मतलब अलीशा की मौत का सारा इलज़ाम भाई पर जाएगा", शुभ ने अपनी खुशी छुपा कर चिंता जताते हुए कहा।
"नहीं.....! आप लोग सारांश पर इतना बड़ा इल्जाम नहीं लगा सकते। अभी आप ही ने कहा ना कि कोई सीसीटीवी फुटेज नहीं मिली है आपको! तो फिर आप यह इतने यकीन से कैसे कह सकते हैं कि सारांश इस सब में दोषी है", अवनि ने सारांश की बांह पकड़ ली।
"अवनी भाभी.......! अभी-अभी इंस्पेक्टर साहब ने कहा ना कि गन भाई की है और इसी से अलीशा की मौत हुई है तो सारा इल्जाम तो भाई पर ही जाएगा ना" शुभ ने कहा।
" नहीं मिस्टर शुभ मित्तल!!! मिस्टर सारांश मित्तल ने अपने गन के चोरी होने की रिपोर्ट दो दिनों पहले ही लिखवा दी थी। उन्होंने बताया था कि ऑफिस के लॉकर से उनकी पिस्टल चोरी हुई है। हमने ऑफिस में जाकर सब इंवेस्टिगेट किया था लेकिन कहीं से कोई सबूत नहीं मिला। जहां अलीशा को रखा गया था वहां के सारे सीसीटीवी कैमरा ऑफ थे लेकिन वही चारों और कुछ हिडन कैमरास भी लगे हुए थे जिसके फुटेज हमारे पास है। जिससे पता चलता है कि अलीशा का खून मिस्टर सारांश मित्तल ने नहीं बल्कि आपने किया है मिस्टर शुभ मित्तल! आपको हमारे साथ पुलिस स्टेशन चलना होगा
आपको अलीशा के रेप और मर्डर के इल्जाम में गिरफ्तार किया जाता है, यू आर अंडर अरेस्ट!" इंस्पेक्टर ने एक कॉन्स्टेबल से बोलकर शुभ को हथकड़ी लगाई और वहां से खींचते हुए ले गया।
शुभ को यकीन ही नहीं हुआ कि आखिर उसके प्लान में कहां चूक रह गई। सीसीटीवी कैमरे के बारे में तो उसने जाना था लेकिन हिडन कैमरा उसकी नजरों से बच गए थे। जब वह उस जगह पर पहुंचा था वहां की सिक्योरिटी काफी ढीली थी। उसे उसी वक्त शक हुआ था लेकिन उस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। अपने प्लान को अंजाम देने के लिए शुभ इतना बेचैन हो गया था, उसने बाकी चीजों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया कि यह सब सारांश की चाल हो सकती है उसे फंसाने की।
"मिस्टर सारांश!!! आपको भी हमारे साथ पुलिस स्टेशन चलना होगा क्योंकि यह गन आपकी है आप का बयान भी दर्ज करना होगा", इंस्पेक्टर ने कहा तो सारांश उसके पीछे चल दिया।
सिया वहीं बैठी हक्की बक्की रह गई। उसे समझ नही आया कि शुभ इतना आगे तक कैसे निकल गया। उसकी लाख कोशिशों के बावजूद शुभ की हरकतें सुधरने की बजाय और बिगड़ती चली गई। बात इतनी ज्यादा बिगड़ गई आज उस पर रेप और मर्डर के चार्जेज लगे। अचानक से उसका ध्यान जानकी पर गया। उसने चारों ओर ढूंढा तो पाया जानकी एकदम शांत एक तरफ खड़ी थी जैसे उसे इन सब से कोई फर्क ही नहीं पड़ता हो।
सिया ने जाकर जानकी को गले से लगा लिया। वह अच्छे से जानती थी इस वक्त जानती के दिल पर क्या गुजर रही है। "हम छुड़ा लेंगे उससे, कुछ नहीं होने देंगे देखना। जरूर कोई गलतफहमी है, वह इतना गंदा काम नहीं कर सकता कभी"
"क्यों नहीं कर सकता है जीजी! जब उसका बाप इतना घटिया था वह खुद इतना गंदा क्यों नहीं हो सकता! आखिर वह उसका खून है और खून तो असर दिखाएगा ही। उसने इस बार गलती नहीं गुनाह किया है और इसकी सजा उसे मिलकर रहनी चाहिए। उसके खिलाफ अच्छे से अच्छा वकील कीजिए। उसे मैं उसे जेल के सलाखों के पीछे देखना चाहती हूं ताकि आज के बाद वह कभी इस तरह की घटिया हरकत ना कर पाए" जानकी ने कहा। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। बिल्कुल पत्थर सी हो गई थी वह।
"रावण दहन का मुहूर्त निकल जाएगा जीजी। एक रावण को उसके किए की सजा मिल ही जाएगी पहले इस रावण का दहन हो जाए", जानकी ने अपने कठोर चेहरे के साथ सिया की ओर देखा। सिया ने सिद्धार्थ को इशारा कर रावण दहन करने को कहा।
पुलिस स्टेशन में बयान दर्ज करवाने के बाद सारांश ने एक बार शुभ से अकेले में मिलने की बात कही तो इंस्पेक्टर ने एक अकेले कमरे में उन दोनों की मिलने की व्यवस्था की और वहां से चला गया।
सारांश शुभ के ठीक सामने बैठा था। शुभ के दोनों हाथों में हथकड़ी लगी हुई थी। वह चाह कर भी इस वक्त सारांश को कुछ नहीं कर सकता था। उसे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था आखिर सारांश ने उसे मात दी तो दी कैसे!!! उसके हिसाब से उसकी पूरी प्लानिंग फुलप्रूफ थी। इसके बारे में किसी दूसरे को कानो कान खबर तक नहीं थी तो सारांश को संभलने का मौका कैसे मिला। जिस जगह सारांश को होना चाहिए था उस जगह पर वह खुद खड़ा था।
"क्या हुआ? क्या सोच रहे हो? यही ना कि आखिर तुम्हारी प्लानिंग तुम ही पर उल्टी कैसे पड़ गई! तुम्हें क्या लगा, मैं बेवकूफ हूं जो तुम मेरी पिस्टल चुराओगे और मुझे पता भी नहीं चलेगा! तुम्हें पता नहीं है तुम कितने बड़े बेवकूफ हो। तुम्हें सिर्फ अपने पीछे सबूत मिटाने आते हैं। किसी और के दिमाग को पढ़ने की काबिलियत तुम मे कभी नहीं रही और खुद को चालाक समझने की गलती कर बैठते हो।
तुम पर शक मुझे तभी हो गया था जब श्रेया ने मुझे लक्ष्य का हुलिया बताया था। मैंने तुम्हें ढूंढना चाहा लेकिन मुझे पता था कि अगर मैंने तुम्हें ढूंढने की कोशिश की तो तुम मेरे हाथ कभी नहीं आओगे। तुम घर वापस आए वह भी मेरी ही प्लानिंग थी। तुमने अब तक जो भी किया वह मेरे हाथों की कठपुतली बनकर किया। तुम बिल्कुल वैसे ही करते गए जैसा मैं चाहता था बस अलीशा को लेकर मैं थोड़ा लापरवाह हो गया वरना मेरी नजर हर वक्त तुम पर ही थी।
जिस वक्त तुमने मेरी पिस्टल चुराई थी मुझे उसी वक्त पता चल गया था। मैंने उसी रात कमिश्नर को फोन कर कंप्लेन दर्ज करवा दी थी और सादे वर्दी में उन्हें अपने ऑफिस का पता दिया था ताकि तुम्हें शक ना हो और कानून भी अपना काम करता रहे
अलीशा से याद आया तुम जानना नहीं चाहोगे कि अलीशा को मैंने अपने कैद में क्यों रखा? मैं बताता हूं क्योंकि अलीशा जान गई थी कि जिस कंपनी के साथ मिलकर तुम मुझे बर्बाद करना चाहते हो वह कंपनी मेरी ही है। तुमने अब तक जो भी इंफॉर्मेशन उस कंपनी को दी वह सब वापस मेरे तक ही आए। वह कंपनी मैं ने अवनि के लिए खड़ी की थी लेकिन मुझे नहीं पता था यह सब इस तरह काम आएगा।
मैंने तो सोचा था कि तुमसे तुम्हारे किए हर गुनाह कुबूल कराऊंगा और तुम्हें सजा दिलवाऊँगा लेकिन तुम इस हद तक गिर गए कि तुमने किसी का रेप किया और फिर मर्डर.......! मैं नही जानता कि तुम ने यह सब पहली बार किया है या नहीं किया लेकिन इस बार तुम बुरे फंसे। मैं जानता था अलीशा ने तुम्हारे खिलाफ सारे सबूत रख छोड़े हैं जो तुम्हें जेल भिजवाने को काफी है। लेकिन जब तक मेरा मकसद पूरा नहीं हो जाता तब तक अलीशा को मैं तुम्हारे सामने नहीं आने दे सकता था। इसलिए मैंने इस पूरे घर में हिडन कैमरा जगह-जगह छुपा कर रखे थे ताकि अगर कभी तुम सीसी टीवी कैमरा ऑफ पी कर दो तो भी मेरे पास तुम्हारे करतूतों की समुद्र है
अब यह मैं अलीशा की बेवकूफी कहूं या फिर उसका बदला जो तुम्हारे बाप को उसने अपने काम में घसीटा, उसका इस्तेमाल किया और वह मारा गया।
मैंने सोचा नहीं था शुभ कि जिंदगी में कभी हमें यह दिन भी देखना होगा। तुम्हारे अंदर के बुराइयों को मिटाकर तुम्हें सिर्फ अच्छा इंसान बनाने की कोशिश की थी लेकिन तुमने तो जैसे ठान लिया था कि हर रोज तुम्हें और ज्यादा बुरा बनना है" सारांश ने अपनी बात पूरी की। उसकी आवाज़ मे दर्द साफ झलक रहा था।
" खूनी तो तुम लोग भी हो। मेरे बाप को मारने के पीछे तुम दोनों भाइयों का ही हाथ था। अगर मेरे हाथ खून से रंगे हैं तो तुम दोनों भाइयों के हाथ पर खून में सने हैं। फिर तुम में और मुझ में क्या फर्क है सारांश!!!" शुभ ने चीखते हुए कहा।।
तुमने जो किया पूरे होशोहवास में किया, अपनी मर्जी से किया। किसी ने तुम्हें मजबूर नहीं किया था। ये सारी तुम्हारी अपनी करतूत है। हमने जो किया वह खुद के बचाव में किया। अपनी जान बचाने के लिए किसी की जान लेना और किसी को फसाने के लिए किसी की जान लेना, इन दोनों में बहुत फर्क है शुभ। कानून की नजर में यह दोनों अलग-अलग चीजें हैं। इसलिए खुद को हम से कंपेयर मत करना। मॉम ने हमेशा हम तीनों को एक सी परवरिश दी थी लेकिन तुम.......... एक बार! सिर्फ एक बार मासी के बारे में सोचा होता!"
" मैं क्यों सोचू उसके बारे में! है कौन वह! एक नौकरानी है बस, मेरी मां बनाने की कोशिश मत करो तुम।"
"यह सवाल तुम्हें अपने बाप से करनी चाहिए थी। मासी को भी कोई शौक नहीं था तुम्हारी मां बनने का, वह तो सिर्फ तुम्हारा बाप था जिसने मासी को तुम्हारी मां बनने के लिए मजबूर किया। एक बार तो सोचा होता उनके बारे में! तुम्हें अभी भी एहसास नही है तुम ने क्या किया है!" कहते ही सारांश ने एक पेपर शुभ की ओर बढ़ा दिया। "तुम ने वही किया जो उस आदमी ने किया था जिसे तुम अपना बाप मानते हो।" शुभ हैरानी से सारांश के दिए पेपर को पढ़ने लगा।
सारांश वहाँ ज्यादा देर तक नहीं रुक पाया। वह शुभ के साथ अब और बहस नहीं करना चाहता था। वह उठा और तेजी से वहां से निकल गया। जिस शुभ को उसने बचपन से देखा था, प्यार किया था उसके साथ खेला था आज उसकी आंखों में अपने लिए इस कदर नफरत से उसका मन बेचैन हो उठा। जो भी हो जैसा भी हो आखिर था तो उसका भाई ही जिसके साथ उसने अपना पूरा बचपन गुजारा था।
सारांश गाड़ी में बैठा और घर के लिए निकल पड़ा। रास्ते में उसे रावण दहन का नजारा दिखा। वह रुका और सोचने लगा, "जैसे रावण बुराइयों का पुतला है तुम भी वैसे ही बन गए शुभ। मैं कभी नहीं चाहता था कि तुम इस हद तक जाओ लेकिन तुम खुद गए" सारांश की आंखों में नमी थी.........अपने भाई के लिए।
सारांश भारी मन से घर पहुंच तब तक सारे मेहमान वहां से जा चुके थे और घरवाले उसके ही आने का इंतजार कर रहे थे। सिया ने उसे देखा तो वहां भागते हुए आई और पूछा, "क्या हुआ सारांश! क्या कहा इंस्पेक्टर ने! वो लोग शुभ को छोड़ देंगे! बोल ना...!
"नहीं मॉम....! इस बार उसका छूटना नामुमकिन है। सारे सबूत उसके खिलाफ है और उसने खून किया है, ऐसे कैसे वह जेल से छूट जाएगा। हमने कितनी ही बार उसकी गलतियों पर पर्दा डाला है, यह उसी का नतीजा है कि वह हर हद पार कर गया। उसने अपने किए जुर्म मेरे सिर पर डालना चाहा और पूरी प्लानिंग करी।"
"सारांश बेटा तुम आ गए!" जानकी ने पीछे से आवाज दी तो सारांश उसके गले से लग गया। "मुझे माफ कर देना मासी! मुझे माफ कर देना! मुझे नहीं लगा था कि शुभ ऐसा भी कुछ करेगा, मैं तो बस उसे रोकना चाहता था।
"कौन कब क्या करेगा, यह हम पहले से नहीं जान सकते है। इसमें तुम्हारी क्या गलती जब उसका खून ही गंदा है। उससे और उम्मीद भी क्या की जा सकती थी। अपने ही बाप के नक्शे कदम पर चला तो उसका अंजाम तो उसे भुगतना ही होगा। सही मायने में इस घर के रावण का अंत हुआ है।" जानकी ने बिना किसी भाव के कहा।
"आप क्या चाहती हैं मासी! आप जो चाहेंगे वही होगा, आप बस आदेश दीजिए।" सारांश को जानकी का शांत व्यवहार सही नहीं लग रहा था, आखिर वह शुभ की मां थी।
" कानून को अपना काम करने दो सारांश और चलो चल कर खाना खा लो। किसी ने भी खाना नहीं खाया, सब तुम्हारा इंतजार कर रहे थे। जिसने कभी मुझे अपनी मां नहीं माना उसे मैं अपना बेटा क्यों मानूं। मेरा बेटा मेरे सामने खड़ा है, मेरे दोनों बेटे इस वक़्त मेरे पास है मुझे और क्या चाहिए", जानकी ने कहा तो सारांश और सिद्धार्थ दोनो ने उसके गले आ लगे।