Chapter 13
humsafar 13
Chapter
13
सारांश सब को घर छोड़कर अपने घर पहुँचा और फ्रेश हो कर ऑफिस के कुछ काम जो जरूरी थे उन्हे निपटाने लगा। अभी कुछ एक घंटा ही बिता होगा की सारांश के फोन मे मैसेज का नोटिफिकेसन आया। सारांश ने देखा तो उसे थोड़ा अजीब लगा, क्योकि यह मैसेज उसी कार्ड के यूज होने की थी जो उसने अवनि को दिया था। "लेकिन अवनि ने तो गिफ्ट ले लिया था और उसे अपने लिए कुछ नही लेना था। हो सकता है उसने अपने लिए कुछ और पसंद कर रखा हो" सोचते हुए उसने मैसेज बंद कर दिया।
उधर अवनि घर पहुँची और सीधे अपने कमरे मे गयी। हाथ मुह धोया और दरवाजा बंद कर अपने बैग से वो हार निकाल कर देखने लगी। लेकिन कब और कैसे देना है ये सोचते सोचते उसे नींद आ गयी।
अगली सुबह अवनि नास्ता कर काव्या के साथ उसके बुटीक के लिए निकल गयी। वहाँ अपने लिए लहंगा बनवाने के लिए कपड़े पसंद कर नाप दे आई। काव्या भी शादी की तैयारियों मे व्यस्त थी तो वह भी ज्यादा देर बुटीक पर नही रुक सकी और वापस चली आई।
अवनि को मार्केट मे कुछ काम था इसीलिए घर पहुँचते पहुँचते दोपहर हो चुकी थी। जब वह घर पहुँची तो उसने सामने कार्तिक की माँ और सिया को बैठे पाया। अवनि ने हाथ जोड़ कर दोनो को नमस्ते किया और अपनी माँ की ओर देखा जो काव्या का लहंगा हाथो मे लिए बड़े प्यार से निहार रही थी। अवनि समझ गयी की ये लोग दुल्हन का लहंगा और शगुन लेकर आये है।
काव्या चहकते हुए अवनि के पास आई और बोली, "ये देख अवु मेरा लहंगा, है न खूबसूरत!! जानती है किसकी डिजाइन है!!! निहारिका चौहान की........! उसने खास सिर्फ मेरे और कार्तिक लिए तैयार किया है वो भी सारांश के कहने पर।" अवनि ने ध्यान से देखा गोल्डन और रेड के कॉम्बिनेशन मे असली सोने की ज़री से वर्क किया गया था साथ ही देखकर ही समझ मे आता था की इस लहंगे की कीमत लाखों मे थी। अवनि तो उसे छूने मे भी घबरा रही थी।
"अवनि बेटा ये आप के लिए" कहकर सिया ने एक बैग अवनि की ओर बढ़ा दिया। अवनि पहले तो थोड़ा हिचकिचाइ मगर जैसे ही उसने वो बैग पकड़ा वह थोड़ी सी लड़खडा गयी मगर संभाल लिया क्योंकि बैग जितना सोचा था उससे ज्यादा भारी था।
"ये किसलिए?" अवनि की आँखों मे सवाल था।
"तुम्हारी शादी के लिए.... मेरा मतलब शादी के लिए तुम्हारी ड्रेस।" सिया ने कहा।
"लेकिन मेरे लिए क्यों?"
"हमने सोचा जब काव्या के लिए ले रहे है तो क्यों न तुम्हारे लिए भी लेते चले। माना शादी मे सेंटर ऑफ अट्रैकसन दुल्हन होती है मगर दुल्हन की बहन को भी तो उतना ही सजना, खूबसूरत लगना जरूरी है। मुझे ये बहुत ज्यादा पसंद आया, अगर मेरी कोई बेटी होती तो उसी के लिए ले लेती। अगर तुम्हे पसंद नही आया तो कोई बात नही" कहते कहते सिया उदास हो गयी।
"नही नही मैम!!! ये तो बहुत ही ज्यादा खूबसूरत है" अवनि ने सिया को उदास देखा तो उसे बहुत ज्यादा बुरा लगा और झट से बिना सोचे बैग ले लिया।
"तो फिर अभी के अभी पहन कर दिखाओ" सिया ने खुश होकर कहा तो अवनि मना नही कर पायी और बैग लेकर अंदर चली गयी। थोड़ी देर बाद जैसे ही अवनि बाहर आई, सब की नजरे उसी पर जम गयी। गुलाबी ब्लाउज, सिल्वर घेरा और मैचिंग दुपट्टा मे उसका गोरा रंग और ज्यादा निखर रहा था। सिया ने झट से एक तस्वीर ली और चुपके से सारांश को भेज दिया।
"ये वाला तुम शादी मे जरूर पहनना। इसके मैचिंग एक्सेसरिज् भी मै भिजवा दूँगी।" सिया से अपनी खुशी छुपाये नही छुप रही थी।
"नही नही मैम!! मेरे पास अलरेडि है, आपको भेजने की जरूरत नही पड़ेगी। अपने पहले ही मेरे लिए ये सब ले आई मेरे लिए वही बहुत है। मै आप सब के लिए चाय बना लाती हु।"
"अरे नही बेटा, सब हो गया!! अब हमें निकलना होगा, और भी बहुत से काम है।" सिया अवनि से बोली।
कार्तिक की माँ धानी अखिल की ओर मुखातिब हुई, "भाई साहब!! हमारा तो छोटा सा परिवार है या कहे की जीजी का परिवार ही हमारा परिवार है, हमारे नाते रिश्तेदार सब वही है। आप लोगो के तरफ से अगर कोई रिश्तेदार हो तो बताइयेगा, हम अपनी तरफ से कोई कसर नही छोड़ना चाहते।"
"समधन जी! आप सब तो जानते ही है, मै अनाथ आश्रम मे पला बढ़ा हु। रिश्तेदार के नाम पर बस काव्या के नाना और उसकी मासी मौसा जी है। बाकी कुछ एक दोस्त और पड़ोसी है। वैसे ये सारी बातें तो हमें पूछनी चाहिए।" अखिल बोले।
सब लोग आपस मे बातें कर ही रहे थे लेकिन अवनि को महसूस हुआ की सिया की नजरे बार बार उस पर ही टिकी हुई थी। वह थोड़ा असहज हो गयी और चेंज करने के बहाने अपने कमरे मे चली गयी। अवनि ने कपड़े बदले और अखिल के आवाज पर बाहर आई तो देखा सब दरवाजे पर खड़े है। अवनि सब को विदा करने के लिए दरवाजे तक जाकर अपने हाथ शालीनता से जोड़ लिए। सिया ने उसे देखा और प्यार से उसका चेहरा छुकर वापस लौट गयी। किसी को भी समझ नही आ रहा था की आखिर सिया का अवनि से इतना लगाव की वजह का है लेकिन किसी ने ज्यादा ध्यान नही दिया।
घर पहुँच कर सिया और धानी शादी मे आने वाले मेहमानो की लिस्ट और साथ ही उन्हे देने वाले तोहफो के बारे मे बात करने लगे। सारांश घर पहुँचा और आते ही सिया को गोद मे उठा कर गोल गोल घुमा दिया। जबसे सिया ने उसे अवनि की तस्वीर भेजी थी तब से उसकी नजर अवनि की तस्वीर पर ही टिकी थी। ना जाने कबतक वह अवनि की तस्वीर को प्रोजेक्टर पर देखता रहा।
"तुम्हारी पसंद सच मे अमेज़िंग है। आज उस ड्रेस मे अवनि बहुत खूबसूरत लग रही थी, तस्वीर से भी ज्यादा खूबसूरत। अगर तुम उस वक़्त वहाँ होते न तो उसी वक़्त उसे शादी के लिए प्रपोज़ कर देते।" सिया ने कहा और सारांश के बाल मे हाथ फिराने लगी जो उसकी गोद मे सर रख कर लेटा हुआ था।
"बस उसे किसी भी तरह मना लो और शादी करके ले आओ। मै तो बड़ी बेसब्र हु अपनी बहू का गृहप्रवेश कराने के लिए। सोचा था सिड की शादी मे ये करूँगी वो करूँगी। सारे अरमान धरे के धरे रह गए। तुम ज्यादा देर मत करना, जैसे ही मौका मिले उसे अपना बना लेना फिर चाहे आशीर्वाद देने के लिए मै वहाँ रहु या ना रहु। मुझे बस तुम मेरी बहू ला देना, मेरे लिए बस इतना ही काफी होगा। मुझे तुम्हारे बच्चे के साथ खेलना है, शादी करना या ना करना तेरा फैसला होगा मै कोई जोर जबरदस्ती नही करूँगी। मेरी तरफ से तुम अपने मन की करने को पूरी तरह आज़ाद हो सिर्फ एक ही शर्त है"
सारांश सिया के इमोसनल डायलॉग सुनकर काफी इमोसनल हो गया और सिया का हाथ अपने हाथ मे लेकर बोला, "कौन सी शर्त??? "
"बस वो लड़की हो, मै अपने बेटे को घूँघट मे नही देख सकती।" कहकर सिया हँसते हँसते लोटपोट हो गयी और बेचारा सारांश ने अपना सर पिट लिया।
क्रमश: