Chapter 154
YHAGK 153
Chapter
153
शरण्या ने जब से सुना कि रूद्र इशिता से मिलने गया है, वह भी मौली के साथ! तो वह बेचैन हो उठी। मौली को भले ही उसने समझा दिया हो लेकिन वह खुद को नहीं समझा पा रही थी। शरण्या एकदम से बेचैन हो गई और अपने आप में ही बड़बड़ाई, "यह इशिता अचानक से वापस क्यों आई है? आखिर चल क्या रहा है उसके दिमाग में? चाहती क्या है यह? इस तरह अचानक वापस आना और रूद्र को मैसेज करना.......... ऐसी कौन सी बात हो सकती है जो रूद्र मुझसे झूठ बोल रहा है? नहीं........! रूद्र मुझसे झूठ नहीं बोल रहा! बस कुछ ऐसी बातें हैं जो वह मुझसे छुपा रहा है। रूद्र का तो समझ में आता है लेकिन इशिता........! उसे रूद्र से क्या काम है? नहीं.....! मैं इस तरह चुपचाप नहीं बैठ सकती। मुझे देखना होगा कि वह दोनों क्या कर रहे हैं!"
शरण्या उठी और अपना फोन लेकर कमरे से बाहर जाने को हुई। लेकिन कमरे से बाहर निकलते हुए उसके पैर वहीं रुक से गए। उसने एक बार फिर खुद से कहा, "तुझे तुझ पर शक हो रहा है? तुझे कब से अपने रुद्र पर शक होने लगा? तू तो उस पर खुद से ज्यादा भरोसा करती थी ना? करती थी का क्या मतलब? आज भी करती हु! मुझसे दूर जाकर भी मेरा रूद्र सिर्फ मेरा था और आज भी मेरा ही है। मुझे उस पर कभी शक नहीं था और ना कभी होगा। लेकिन इस छिपकली पर मुझे बिल्कुल भी भरोसा नहीं है। मुझे परेशान करने के लिए उसने जो भी पैंतरे आजमाए हैं वह सब मुझे याद है। अपने बच्चे को ढाल बनाकर उसने रूद्र को मुझसे दूर जाने के लिए मजबूर कर दिया। अब जब हम दोनों एक बार फिर एक होने वाले हैं तब यह फिर से आ गई! कहीं फिर से इसनें कुछ करने की कोशिश की ना तो........! पिछली बार तो रूद्र भी कुछ नहीं कर पाया था। लेकिन इस बार मैं इसे वह मौका नहीं दे सकती। लेकिन मैं रूद्र से कहूंगी क्या? हॉस्पिटल ही तो जाना है शरण्या! कह देना कि चेकअप के लिए आई थी! यही सही होगा।"
सोचते हुए शरण्या बाहर निकली और ड्राइवर को आवाज लगाई। ड्राइवर भागता हुआ आया और गाड़ी स्टार्ट कर शरण्या के साथ हॉस्पिटल के लिए निकल गया। शरण्या ने गाड़ी को हॉस्पिटल के गेट तक ना ले जाकर हॉस्पिटल से पहले ही रुकवाई और उतर कर हॉस्पिटल के कंपाउंड में दाखिल हो गई। उसने सबसे पहले चारों ओर नजर दौड़ाई कि कहीं उसे जानने वाला कोई वहां मौजूद ना हो। लेकिन हॉस्पिटल की बिल्डिंग के दरवाजे पर ही उसे इशिता नजर आई। वह इस वक्त किसी से फोन पर बात कर रही थी।
इससे पहले इशिता की नजर शरण्या पर पड़ती, शरण्या साइड में छुप गई। वो ऐसी जगह थी जहां से वह इशिता की सारी बातें सुन सकती थी। इशिता काफी धीमी आवाज में किसी से बात कर रही थी। कुछ देर बात करके उसने फोन काट दिया और फिर अंदर की तरफ झाँकते हुए उसने किसी का नंबर डायल किया। उसी वक्त रूद्र अपनी गोद में एक बच्ची को लिए चला आया।
वह बच्ची रूद्र की गोद में सो रही थी। इशिता ने जब देखा तो उस बच्चे के सर पर हाथ फेरते हुए बोली, "सो गई ये? इतनी जल्दी? मुझे यकीन नहीं हो रहा! रूद्र तुम वाकई में दुनिया के बेस्ट डैड हो! वरना इसे अकेले संभालना मेरे लिए बहुत मुश्किल है। मैं तो सोच भी नहीं सकती तुमने अकेले किस तरह मौली को संभाला होगा!"
रूद्र मुस्कुरा दिया और बोला, "बेटियां पापा की परी होती है। और सिर्फ पापा ही उन्हें संभाल सकते हैं। अगर ज्यादा परेशान करें तो तुम बेझिझक मुझे फोन कर लेना, मैं चला आऊंगा।"
इशिता ने उस बच्ची को गाड़ी में सुलाया और रूद्र की तरफ पलटते हुए बोली, "नहीं रूद्र! मुझे यहां नहीं आना चाहिए था लेकिन फिर भी मैं आई। अब इससे ज्यादा नहीं। मेरी एक बच्ची की वजह से तुम्हारी और शरण्या की जिंदगी में भूचाल आ गया था। मैंने नहीं चाहती कि मेरी दूसरी बच्ची तुम दोनों के बीच ऐसी कोई गलतफहमी पैदा करें। जानती हूं वो पापा के बिना नहीं रह सकती, इसलिए जल्द से जल्द जहां से वापस लौट जाऊँगी। लेकिन एक बात जरुर कहना चाहती हूं रूद्र! शरण्या से तुम्हें ये सारी बातें नहीं छुपानी चाहिए।"
रूद्र बोला, "नहीं! मैं अभी । से कुछ नहीं बता सकता जब मुझे लगेगा कि शरण्या तैयार है तभी उसे बताऊंगा।"
इशिता ने हाँ में सिर हिलाया और बोली, "अपना ख्याल रखना और अपने दोनों तूफान का भी!"
रुद्र आगे बढ़कर इशिता को गले लगाते हुए बोला, "तुम भी अपना ख्याल रखना।" इशिता रूद्र से अलग हुई और गाड़ी में बैठ कर चली गयी। रूद्र भी वापस हॉस्पिटल के अंदर जाने के लिए मुड गया। रूद्र और इशिता को गले लगते देख शरण्या का दिल टूट गया। उसे लगा वो बच्ची रूद्र और इशिता की है। उनकी बातों से शरण्या सोच में पड़ गई और उसकी आंखों में आंसू आ गए।
"मतलब रूद्र और इशिता वाकई में रिलेशनशिप में थे? वो दोनों सालों से साथ में थे। ऐसे हालात में दोनों कभी ना कभी तो रिलेशन में आए ही होंगे। मेरे लिए इशिता अपनी बच्ची को अकेले पालने के लिए तैयार है और मेरी वजह से रूद्र अपनी बच्ची से दूर है। रूद्र अपनी दादी के लिए इंडिया वापस आया। फिर मैं यहाँ उसे मिली! मेरी हालत देख उसनें अपनी लाइफ से समझौता करने का सोच लिया। एक बच्चे को मां और पापा दोनों चाहिए होता है। लेकिन मौली की बातों से तो कहीं से भी यह नहीं लगता कि वह इशिता को जानती है! लेकिन मौली कि अभी उम्र ही क्या है? दोनों को देखकर यह लगता ही नहीं कि वह दोनों बरसों बाद एक दूसरे से मिल रहे हैं। जैसे ये दोनों हमेशा से एक दूसरे के टच में रहे हो। मैं क्या करूं? किस तरह से पता लगाऊ? क्या सोच कर आई थी और क्या देखने को मिल रहा है!"
शरण्या का सर चकराने लगा। उसे लगा जैसे वह अभी बेहोश हो जाएगी। उसे जैसे तैसे खुद को संभाला और बाहर निकलकर गाड़ी में बैठ गई। ड्राइवर उसकी हालत देखकर घबरा गया और पूछा, "बेबी जी! आप ठीक तो है?"
शरण्या ने लड़खडाती आवाज में उससे पानी मांगा तो ड्राइवर ने एक पानी का बोतल शरण्या की तरह बढ़ा दिया। पानी पीकर जब शरण्या ने खुद को शांत महसूस किया तब उसने ड्राइवर से घर चलने को कहा।
मौली हॉस्पिटल के बेड पर थी, कई सारी मशीनों और तारों से घिरी हुई। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसे ऐसा क्या हुआ है जो इस तरह की ट्रीटमेंट उसे मिल रही है? रूद्र वापस आया तो मौली ने उसे धमकाते हुए कहा, "डैड! क्या हुआ है मुझे? और यह किस तरह की ट्रीटमेंट है? आपने मुझसे कभी कुछ नहीं छुपाया है। जहां जरूरत होती है आप मुझे जरूर बताते हैं। मैं भी आपसे ज्यादा सवाल नहीं करती क्योंकि जानती हूं आप ज्यादा बात नहीं करते। लेकिन फिर भी! आखिर ऐसा क्या हुआ जो मुझे इस सब से गुजरना पड़ रहा है? और आज मेरे सवाल को आप टाल नहीं सकते वरना मैं शरण्या मॉम को यहां बुला लूंगी! नहीं तो घर जाकर मैं उनको सारी बात बता दूंगी!"
रूद्र उसके पास बैठा और उसका सिर सहलाते हुए प्यार से उसका माथा चूम कर बोला, "अपनी शरण्या मॉम को इस बारे में कुछ नहीं बताना। वो आपसे बहुत प्यार करती है। जितनी तकलीफ मुझे आपको यहां देखकर हो रही है, उतनी ही तकलीफ उन्हें भी होगी। क्या आप चाहोगे कि आपकी मॉम को भी तकलीफ हो?"
मौली ने ना में गर्दन हिला दिया तो रूद्र आगे बोला, "आपकी तबीयत ठीक नहीं है, इसलिए आपको यहां लेकर आए हैं। शरण्या मॉम अगर घर पर होती तो आपके बारे में बहुत सारे सवाल जवाब करती, जिसका मैं जवाब नहीं दे पाता। एक बात जान लो आप! आप मेरी जान हो और आपको मैं हमेशा अपनी नजरों के सामने रखना चाहता हूं।"
फिर भी मौली ने पूछा, "लेकिन डैड! मुझे हुआ क्या है? और वह आंटी कौन थी?"
रूद्र से अब और कुछ छुपाया नहीं गया उसने मौली को उसकी बीमारी के बारे में सारी बातें बता दी और उसके ट्रीटमेंट के बारे में भी। मौली बस खामोशी से रूद्र की बातें सुनती रही। किसी तरह का कोई रिएक्शन नहीं दिया।
शरण्या जैसे तैसे घर पहुंची और खुदको अपने कमरे में बंद कर लिया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि इस सारी सिचुएशन से कैसे डिल करें? इतने सालों बाद रूद्र उसे वापस मिला था। जिंदगी वापस से उन्हीं पटरियों पर आई थी जहां इशिता ने सब कुछ खराब कर दिया था। और एक बार फिर इशिता की वजह से सब कुछ खराब हो गया। "मैं इशिता से मेरे रूद्र को तो छीन सकती हूं लेकिन एक बच्ची से उसके पिता को कैसे छीनू? हो सकता है रूद्र और इशीता के बीच कुछ ऐसा हुआ हो जिसकी वजह से दोनों अलग रह रहे हो! लेकिन क्यों? क्योंकि रूद्र मुझसे प्यार करता है! नहीं......... चाहे वह मुझसे कितना भी प्यार क्यो ना करता हो लेकिन वह एक बच्ची का बाप है! मैं कैसे उसे उसके बच्चे से अलग कर दु? मैं इतनी स्वार्थी नहीं हो सकती! मुझे कुछ करना होगा! मुझे उससे बात करनी होगी! मैं......... वरना इशिता मुझ से मेरा रुद्र और मेरी मौली को भी मुझसे छीन कर ले जाएगी। क्या बिगड़ा मैंने तुम्हारा इशिता जो तुम मेरी खुशियों के पीछे कदर हाथ धो कर पड़ गई हो? शरण्या फफक कर रो पड़ी।
रजत नेहा के हॉस्पिटल पहुंचा उस वक्त नेहा ऑपरेशन थिएटर में थी। नर्स ने उसे नेहा के केबिन में बैठ कर इंतजार करने को कहा तो रजत वहीं काउच् पर बैठ गया। अभी शाम ही हो रही थी लेकिन पूरा दिन भाग दौड़ करने की वजह से रजत बुरी तरह से थक गया था। नेहा को हॉस्पिटल पहुंचाने और वापस लाने की जिम्मेदारी रजत ने अपने ऊपर ले रखी थी। वह नहीं चाहता था नेहा इस हालत में ड्राईव करें।
नेहा को आने में अभी थोड़ा वक्त था इसीलिए रजत वही काउच पर लेट गया। इंतजार करते-करते कब रजत की आंख लग गई उसे पता ही नहीं चला। तकरीबन 1 घंटे के बाद नेहा ऑपरेशन थिएटर से निकली तो खुद को काफी थका हुआ महसूस कर रही थी। उसने नर्स से कहा, "सिस्टर! प्लीज मेरे लिए एक कप कॉफी मेरे केबिन में भिजवा दीजिएगा!"
नर्स ने ठीक है बोला तो नेहा वहां से निकल गई और अपने केबिन में चली आई। केबिन में आते ही उसने अपना सारा सामान टेबल पर रखा और एप्रेन उतारकर हैंगर में डाल दिया। उसे थकान इतनी ज्यादा हो रखी थी कि उससे अब और खड़ा नहीं हुआ जा रहा था। नेहा काउच् की तरफ आई, वहाँ रजत को देखकर वो हैरान रह गई। अचानक उसे समय का ध्यान आया तो उसे महसूस हुआ कि रजत को आए हुए 1 घंटे से ज्यादा हो चुका था।
नेहा रजत के शेड्युल के बारे में अच्छे से जानती थी। वह समझ गई कि थकान की वजह से रजत को नींद आ गई क्योंकि वह अपने ऑफिस शाम के साथ शादी शॉपिंग के लिए भी गया था। नेहा के लिए शादी का जोड़ा वह खुद ढूंढ रहा था। नेहा के चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गई लेकिन उसके शरीर ने जवाब दे दिया। इस वक्त उसका दिमाग और कुछ भी सोचने की हालत में नहीं था। उसने अपने अलमारी में से कंबल निकाला और वही रजत के साथ ही काउच् पर लेट गई जिसे रजत ने उसी के लिए खास तौर पर मंगवाया था।
जब तक एक स्टाफ नेहा के लिए कॉफी लेकर उसकी केबिन में आया, उस वक्त तक नेहा रजत की बाहों में गहरी नींद में सो चुकी थी। उन दोनों को इस तरह एक साथ देख कर वो मुस्कुरा दिया और वहां से बाहर चला गया। बाहर निकलते हुए उसने केबिन के बाहर डु नॉट डिस्टर्ब का टैग लगा दिया।