Chapter 76

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humsafar 76

Chapter

76






     काव्या की प्रेगनेंसी सच जानकर चित्रा कुछ देर के लिए एक आवाक सी रह गई। कार्तिक के लौट आने की उसके मन में रही सही उम्मीद भी आज टूट गई। काव्या नहीं चाहती थी कि चित्रा को उसकी प्रेग्नेंसी की बात पता चले लेकिन कार्तिक ने जिस खुशी से यह बात बताई थी उससे चित्रा काफी हर्ट हुई।

      "डॉक्टर ने काव्या का खास ख्याल रखने को कहा है इसीलिए मैं अभी फिलहाल ऑफिस कुछ टाइम तक नहीं जाने वाला ताकि अपनी बीवी की सेवा कर सकूं। और तुम ज्यादा सोचो मत, जैसे ही मै फ्री हो जाऊँगा तुम्हें ही कंटैक्ट करूँगा। तबतक तुम अगर चाहो तो डिजाइन बनाना शुरू कर सकती हो"  कार्तिक ने कहा। 

    चित्रा उसी वक्त कहां से निकल जाना चाहती थी लेकिन कार्तिक ने उसे रोक लिया, "चित्रा मुझे अभी काव्या के लिए मेडिसिन लेने जाना है। तुम कुछ देर उसके पास बैठो, मैं उसे अकेला नहीं छोड़ सकता।" और बिना चित्रा का जवाब सुने कार्तिक वहां से निकल गया। 

    कार्तिक के जाने के बाद उन दोनों के बीच एक अजीब सी खामोशी फैल गई जिसे तोड़ते हुए काव्या ने बात करने की पहल की। "यह बात अभी किसी को नहीं पता है। कल रात ही हमें यह बात पता चली और अभी अभी डॉक्टर मुझे देख कर गई है। अभी मां को भी फोन करना बाकी है और देखो सबसे पहले यह खबर तुम्हें मिली।"

     काव्या की बात सुन चित्रा ने कहा,"कार्तिक बहुत ज्यादा खुश है काव्या। आज से पहले मैंने इतना खुश उसे कभी नहीं देखा।  सच में तुम उसकी सबसे बड़ी खुशी हो वह तुमसे बहुत प्यार करता है।" यह सब कहते हुए चित्रा की आंखें नम हो गई जिसे छुपाने के लिए उसने अपना चेहरा दूसरी ओर घुमा लिया। 

    काव्या ने जब चित्रा को ऐसे देखा तो उसे बहुत ज्यादा बुरा लगा। एक पल को फिर से उसके दिमाग में यह बात घूम गयी कि वह कार्तिक और चित्रा के बीच आ रही हैं लेकिन अगले ही पल फिर कार्तिक की सारी बातें उसे फिर से याद आ गई और वह ऐसा कुछ नहीं करना चाहती थी जिसे कार्तिक को बुरा लगे। उसने बात बदलने की कोशिश की और चित्रा से नाश्ता के लिए पूछा। 

    चित्रा ने सीधे-सीधे इंकार कर दिया और बोली, "तुम्हारा पति बहुत बेकार खाना बनाता है और मुझे निक्षय के हाथ का खाना खाने की आदत पड़ी है। इस मामले में मैं तुमसे कहीं ज्यादा लकी हूं। एटलिस्ट मुझे यह सुखी ब्रेड तो नहीं खानी पड़ेगी। हां........!उसे खानी पड़ सकती है" चित्रा ने अपनी बात पूरी की और दोनों ही हंस पड़े। 

    कुछ देर बाद ही कार्तिक भी वापस आ गया। तबतक काव्या नाश्ता खत्म कर चुकी थी। कार्तिक ने उसे अपने हाथों से दवा खिलाई और फिर से ना उठने की हिदायत दे दी। चित्रा बस कार्तिक को देख मुस्कुरा रही थी, आखिर उसके लिए इससे ज्यादा कुछ और चाहिए भी तो नही था। उसे वहाँ रुकना सही नही लगा तो वहाँ से जाने के लिए उठी और बोली, " मैं तो बस यहां तुम दोनों को 1 मंथ एनिवर्सरी विश करने आई थी। तुम अपनी बीवी की सेवा करो,मै चलती हु अब। सारांश और अवनि से मिले भी काफी वक़्त हो गया तो मै उन दोनो से भी मिल लूँगी और उन्हें भी विश कर दूंगी। वो भी तो ऑफिस नही गया है।"

     "कोई फायदा नही है वहाँ जाने का। उन दोनो मे से कोई नही है वहाँ। सारांश और अवनि एक हफ्ते के लिए मनाली गए है अपने मिनी हनिमून पर।" कार्तिक ने कहा तो काव्या चौंक गयी। 

    "लेकिन अवनि तो कुछ और ही बता रही थी तो ये कब हुआ?" काव्या ने पूछा। 

" यह सारा प्लान सारांश ने बहुत पहले ही बना रखा था। बस अवनी को सरप्राइज देना चाहता था। उन दोनों का भी सही है जो रोमांस शादी से पहले नहीं कर पाए अब  कर रहे हैं", कार्तिक ने शरारत भरे अंदाज में कहा। 

   " हां बस तुम्हें ही जल्दी थी!", काव्या ने कहा। चित्रा को उन दोनों पति-पत्नी के बीच खड़े रहना सही नहीं लगा और वह धीरे से बाहर निकल गयी। "अच्छा हुआ कार्तिक जो यह भ्रम भी टूट गया अब तुम्हारे आने की मुझे कोई उम्मीद नहीं है अब मैं अपनी लाइफ में आगे बढ़ सकती हूं" उसकी आंखों में नमी और चेहरे पर मुस्कुराहट थी


    अवनी और सारांश कमरे में बैठे आर्टिफिशियल स्नोफॉल का मजा ले रहे थे क्योंकि यह मौसम स्नोफॉल का नहीं था और सारांश अक्सर काम मे इतना व्यस्त रहता था की अवनि नहीं जानती थी उसके साथ यह मौका फिर उसे कब मिलेगा। इसीलिए वह स्नोफॉल को ऐसे इंजॉय कर रही थी मानो वह सचमुच का हो। सारांश भी अवनी को ऐसे खुश देखकर बहुत खुश था तभी अवनी के फोन पर श्रेया का कॉल आया। अवनि ने जैसे ही फोन उठाया तो उधर से श्रेया के हंसती खिलखिलाती आवाज सुनाई थी,"हैप्पी वन मंथ एनिवर्सरी अवनि!"

     "अच्छा तो तुझे याद था! मुझे तो लगा था किसी और को याद रखते रखते शायद तु मुझे भी भूल गयी है।" अवनि ने ताना मारते हुए कहा। 

   " अरे ऐसे कैसे भूल सकती हूं मेरी जान! उसी दिन तो तेरी वजह से मेरा दिल टूटा था!"श्रेया ने अपने दिल पर हाथ रखकर आहें भरते हुए कहा। सारांश जो वहीं बैठा अवनि और श्रेया की बातें सुन रहा था, हंसने लगा। इससे पहले कि वह कुछ कहता पीछे से मानव की आवाज आई, "और कितनी बार दिल तुड़वाया है तूने अपना और कितने दिल रखते हैं जो हर दूसरे दिन ही टूटता है!!!" 

   "तु परेशान क्यों हो रहा है जंगली! जब भी दिल टूटता है, तेरे पास ही तो आती हु ना!" श्रेया ने भोली सूरत बना कर कहा। 

  "ये तो तूने सही कहा, मेरा भी तो यही हाल है। जब भी किसी लड़की केए हाथों मेरा दिल टूटेगा तब मुझे भी तो कोई सहारा चाहिए होगा न!" मानव ने श्रेया की तीर से उसी पर निशाना लगाया। 

     "मतलब मेरे होते हुए तू किसी और से मार खाएगा!!! इतने अच्छे दिन तेरे ना आए है और ना कभी आएंगे" श्रेया  ने दांत पीसते हुए मानव की ओर देखा। 

    "अरे यार तुम लोग फिर से लड़ना शुरू कर दिये। बस भी करो! पूरी जिंदगी पड़ी है तुम दोनों के पास लड़ने के लिए, आज हमारा दिन है और तुम लोग हो कहां जो ऐसे लड़ रहे हो? घर पर!?!?" अवनि ने पूछा। 

  श्रेया और मानव ने एक ही सुर में जवाब दिया, "ऑफिस में" और हंसने लगे इस बात से बेखबर कि किसी की आंखें उन्हीं पर थी। श्रेया ने बहाने से सारांश से बात करनी चाही तो सारांश ने झट से अवनी के हाथ से फोन ले लिया और  कान से लगा कर बाहर चला गया।

      बाहर आते ही सारांश ने गंभीर होकर कहा, "हां बोलो  श्रेया! कुछ कहना था कुछ बताना था तुम्हें?"

    "नहीं बस यह जानना था कि क्या उसके बारे में कुछ पता चला? मुझे बस अवनी की फिक्र है, मैं जानती हूं आप है उसके साथ लेकिन फिर भी" श्रेया ने चिंता जताते हुए कहा। 

    "तुम फिकर मत करो मैं हूं उसके साथ। वैसे भी उसे मुझ तक जो संदेश पहुंचाना था उसने पहुंचा दिया। अभी फिलहाल सामने से वह कोई भी वार नहीं करेगा और ना ही वह सामने आएगा लेकिन पीठ पीछे अगर उसने किया भी तो उसके लिए मैं तैयार हूं।" सारांश में गंभीर हो कर कहा। 

    सारांश को यूँ श्रेया से अकेले में बात करते देख अवनि को थोड़ा अजीब लगा तो वह भी उसके पीछे कमरे से बाहर चली आई। उसे देखते ही सारांश ने अपनी बात बदल दी, "अरे नहीं आज बाहर कहीं नहीं, आज का दिन सिर्फ मेरा और अवनी का है इसलिए आज पूरा दिन हम तुम एक कमरे में बंद हो और श्रेया चली आए" कहते हुए उसने अवनी को देखकर आंख मार दी। 

   अवनी ने भी एक मुक्का उसके बाँह पर मारते हुए कहा, "शर्म नहीं आती आपको मेरे सामने किसी और के साथ फ्लर्ट करते हुए!"

   "अरे कोई और कहां वो तो तुम्हारी दोस्त है ना! अब उससे फ्लर्ट नहीं करूंगा तो किसी और से करने की तो हिम्मत नहीं है मेरी!"  फिर फोन पर श्रेया से बोला, "अच्छा अब फोन रखो वरना मेरी बीवी मेरी जान ले लेगी।" सारांश ने हंसते हुए कहा और फोन रख दिया। 

      "फ्लर्ट करोगे वह भी मेरे सामने! जब मेरे सामने मेरी फ्रेंड से तुम ऐसे फ्लर्ट कर रहे हो तो मेरे पीठ पीछे क्या क्या करते होगे!!! पता नहीं शादी से पहले कितनी गर्लफ्रेंडस् रही होंगी!" अवनि ने गुस्सा होते हुए कहा तो सारांश ने मुस्कुराकर उसे मनाते हुए कहा,"तुम्हें लगता है मेरे जैसे बोरिंग इंसान की कोई गर्लफ्रेंड हो सकती है! अगर होती तो एक हफ्ते में ही मुझे गोली मार के चली गयी होती और आज मैं तुम्हारे सामने जिंदा खड़ा नहीं होता। अब गुस्सा छोड़ो और चलो मैं कुछ खाने के लिए बना रहता हूं उसके बाद हम दोनो.....घूमने जायेंगे।"


   निक्षय जब घर पहुंचा तो घर में काफी अंधेरा था। उसने घर में लाइट जलाई और देखा कोई नहीं था। चित्रा को जब कॉल लगाया तो उसका फोन घर में ही बज रहा था। निक्षय जब चित्रा के कमरे में गया तो वहां चित्रा अंधेरे में बैठी हुई थी। वह अपने ख्यालों मे ऐसी उलझी हुई थी की निक्षय के आने की आहट भी उसे सुनाई नही दी। निक्षय ने लाइट जलाई और उसकी तरफ देखा तो उसकी आँखे आँसुओ से भरी हुई थी। 

    "क्या हुआ चित्रा? किसी ने कुछ कहा क्या? कुछ हुआ है क्या?, तुम्हारी तबियत तो ठीक है न?" निक्षय ने एक साथ कई सारे सवाल कर दिए लेकिन चित्रा ने कुछ नही कहा। निक्षय जानता था जब तक चित्रा का मन नही करेगा वो कुछ नही कहेगी इसीलिए उसने वही बैठ कर इंतज़ार करना ही सही समझा। कुछ देर चुप रहने के बाद चित्रा ने कहा, "निक! तुम ने कहा था न की मेरे हर फैसले मे तुम मेरा साथ दोगे!"

    निक्षय को कुछ समझ नही आया लेकिन फिर भी उसका हाथ अपने हाथ मे लेकर हाँ मे सिर हिला दिया तो चित्रा ने कहा, "मुझे उसे भूलना है! मुझे उसे भूलना है निक्षय! मुझे उसे भूलना है!"

   निक्षय समझ गया की वह क्या कहना चाह रही है और उसने उसे अपनी बाँहों मे समेट लिया। चित्रा से अपने आँसू रोके नही गए और वह फुट फुट कर रो पड़ी। 




क्रमश: