Chapter 125
सुन मेरे हमसफ़र 118
Chapter
118
शिवि पार्थ के साथ बिजी थी और उसे परेशान कर रही थी। लेकिन कुणाल, जिसके साथ कुहू बात कर रही थी और अपने बारे में इतना कुछ बता रही थी, उसका ध्यान उन बातों पर था ही नहीं। 'तो क्या कुणाल का ध्यान शिवि पर है?' कुहू ने अपने मन में आए इस खयाल को झटक दिया और कुणाल का हाथ पकड़ कर वहां से दूर जाने लगी। पीछे से पार्थ ने उसे रोका "अरे कुहू दी! कहां जा रहे हो?"
कुहू के कदम थम गए। उसने पलट कर मुस्कुराते हुए पार्थ को देखा और बोली "तुम कब आए पार्थ? तुम्हे तो मैंने देखा ही नहीं।"
पार्थ उसके सामने आकर खड़ा हुआ और बोला "नजर तो आप नहीं आते हो। पता नहीं आजकल कहां बिजी हो। इस पागल से पूछता हूं तो ये कुछ बताती ही नहीं है। इसे खुद की खबर हो तब तो ये कुछ बताएगी। हम दोनों को साथ में देखकर कितना जलती है, ये अब समझ आ रहा है।" कुहू हंस पड़ी। अचानक ही सुहानी की नजर काया पर गई जो किसी से भागते हुए आ रही थी।
शिवि ने पार्थ का मजाक उड़ाते हुए कहा "तुझे मेरी मॉम से इतना डर क्यों लगता है?"
पार्थ ने तिरछी नजर से श्यामा की तरफ देखा और शिवि से बोला "यह तू वाकई में सवाल पूछ रही है?"
शिवि अपनी मां के लिए प्यार जताते हुए बोली "देखो, कितनी प्यारी है मेरी मां। और एक तू है कि उनको किसी गब्बर सिंह की तरह ट्रीट करता है।"
पार्थ ने शिवी की बात का मजाक बनाया और कहा, "अच्छा! बहुत प्यारी है तेरी मां? बोल तो उन्हें अपनी सास बना लूं?"
शिवि ने भी उसी तरह सवाल पूछा तू झेल पाएगा ऐसी सास?"
पार्थ में अपने होठों पर एक उंगली रखी और सोचते हुए बोला "यह बात तो तेरी एकदम सही है। तेरे पापा उनको झेल लेते है, यही बहुत बड़ी बात है।"
शिवि ने नाराजगी से पार्थ को देखा और एक पंच उसके पेट में जड़ दिया। कुणाल उन दोनो की बातें सुन रहा था। उसके चेहरे के भाव कुछ अच्छे नहीं थे। कुहू ने पूछा "क्या हुआ कुणाल, सब ठीक तो है?"
कुणाल मुस्कुरा कर बोला "कुछ नहीं।" फिर कुछ सोच कर बोला, "ये लड़का कौन है? शिवि के काफी करीब लगता है, नही?" कुणाल ने पार्थ की तरफ इशारा किया। तो कुहू बोली, "ये.......! ये पार्थ है, शिवि का बचपन का दोस्त। दोनों साथ पढ़े है इसीलिए। शुरू से घर में आना जाना लगा रहा है, इसीलिए फैमिली के साथ कुछ ज्यादा ओपन है। सभी पसंद करते है इसे। शिवि भी।" ये आखिरी लाइन सुनकर कुणाल के होंठो पर जो बनावटी मुस्कान थी, वो भी गायब हो गई। क्वार्टर
सुहानी ने काया को आते हुए देखा तो उसके सामने जाकर खड़ी हो गई और बोली "कहां थी तू? इतनी देर से आ रही है, अभी तक तैयार भी नहीं हुई। कब से तेरा इंतजार कर रही थी। ना मेरा फोन उठा रही है मेरे मैसेज का रिप्लाई दे रही है। ठीक है तू?"
काया तो जैसे उसकी किसी बात को सुन ही नहीं रही थी। बस पलट कर बार-बार पीछे की तरफ देख रही थी। सुहानी ने उसकी आंखों के आगे चुटकी बजाई और बोली "क्या हुआ? तेरे चेहरे की रंगत क्यों उड़ी हुई लग रही है? और तू किस से भाग रही है? कौन है तेरे पीछे?"
काया ने एक बार फिर से पलट कर देखा और बोली "कुछ नहीं हुआ है मुझे। और तुझे लगता है मैं किसी से डर कर भाग सकती हूं? मैं डराने वालों में से हूं, डरने वालों में से नहीं। वह तो बस घबराहट इसलिए हो रही है कि इतनी देर हो गई है और मैं तैयार नहीं हुई। सबसे ज्यादा दादी से डांट पड़ेगी और उससे भी ज्यादा मम्मी डांटेंगी। इसलिए मैं जल्दी से तैयार कर आती हूं, ठीक है!"
काया ने एक बार फिर पलट कर देखा तो उसे अंदर आता हुआ कार्तिक सिंघानिया नजर आया। काया को लगा शायद वह ऋषभ है इसलिए वह घबराते हुए अपने कमरे की तरफ भागी।
सुहानी की नजर जैसे ही कार्तिक पर गई, उसके होठों पर मुस्कान आ गई। उसने आगे बढ़कर कार्तिक को वेलकम किया और कहा "मुझे नहीं पता था कि तुम भी यहां इनवाइटेड हो। आई मीन, तुम कुणाल जीजू के साथ आए हो ना, उनके तरफ से?"
कार्तिक मुस्कुरा कर बोला "नहीं। मुझे यह तो पता था कि कुणाल यहां होगा लेकिन उसने मुझे कुछ बताया नहीं था। मेरे डैड ने मुझे यहां भेजा है, तुम्हारी फैमिली ने इनवाइट किया था उन्हें तो उनके बिहाफ में। फिलहाल तुम्हारी फैमिली कहां है? मुझे उनसे मिलना है। डैड ने गिफ्ट भेजा था।"
सुहानी भूल गई कि कार्तिक सिंघानिया उसके लिए अभी भी अजनबी ही है। बिल्कुल किसी दोस्त की तरह उसने कार्तिक सिंघानिया की बाह में अपनी बांह को फंसाया और उसे लेकर चल पड़ी घरवालों से मिलवाने। कार्तिक सिंघानिया सुहानी की इस हरकत पर थोड़ा सकपका गया लेकिन सुहानी को इस तरह बेफिक्रे देख वह कुछ कह नहीं पाया।
सिया की नजर जब उन दोनों पर गई तो उन्होंने सिद्धार्थ से पूछा "इन दोनों की जोड़ी तुम्हें कैसी लग रही है?"
सिद्धार्थ ने भी कार्तिक और सुहानी को एक साथ देखा और कहा, "दोनों एक साथ अच्छे तो लग रहे हैं। बस उम्मीद करता हूं कि यह लड़का अपनी मां पर गया हो, बाप जैसी हरकते ना करता हो। हां, शादी के बाद वह बिल्कुल रुद्र बन जाए।"
सिया, जो रूद्र के बारे में कुछ खास नहीं जानती थी, उन्होंने रुद्र के बारे में जानने की इच्छा जताई तो सिद्धार्थ ने कहा "रोज नई लड़की घुमाने वाला रूद्र, शरण्या के प्यार में ऐसा गिरा कि उससे दूर होकर वह जीना भूल गया। आज भी अगर शरण्या को एक खरोच आ जाए जो रूद्र की जान निकल जाती है। इतना प्यार तो आपके दोनों बेटे मिलकर नहीं कर पाएंगे जितना वह अपनी बीवी से करता है।" सिया मुस्कुरा दी।
इतने में दोनों उनके पास चले आए तो सिद्धार्थ ने पूछा "आज भी तुम ही आए हो, तुम्हारे बाप को इतनी भी फुर्सत नहीं है कि वह यहां आकर हमसे मिल सके?"
कार्तिक सिंघानिया मुस्कुराते हुए बोला "डैड इंडिया में नहीं है। अगर वह यहां होते तो जरूर आते।"
सारांश ने आते हुए पूछा "कब तक लौटेगा वह? हमें भी उससे मिलने का मन है।"
कार्तिक सिंघानिया के होठों पर जो थोड़ी सी मुस्कुराहट थी, वह भी गायब हो गई। उसने सर झुका कर धीरे से कहा "मॉम की तबीयत ठीक नहीं है। इसलिए डैड उन्हें लेकर इंडिया से बाहर गए हैं। जैसे ही वो ठीक हो जाएंगी, डैड उन्हें लेकर घर आ जाएंगे। फिलहाल उन्होंने आप लोगों के लिए छोटा सा गिफ्ट भिजवाया है।" कार्तिक सिंघानिया अपने हाथ में पकड़ा हुआ गिफ्ट बॉक्स सिया की तरफ बढ़ा दिया।
सिया, शरण्या को जानती नही थी। इसीलिए उन्होंने पूछा, "क्या हुआ है तुम्हारी मां को?"
लेकिन सिद्धार्थ ने पूछा, "शरण्या ठीक तो है?"
कार्तिक ने जवाब दिया, "फिलहाल तो ठीक है। बस उम्मीद है वो घर जल्दी आ जायेंगी।"