Chapter 6
सुन मेरे हमसफर 1
Chapter SMH125 साल बाद बेंगलुरु का मारूतहल्ली (माराथल्ली) एरिया एक बड़ा होटल जो अंदर से एक पब भी था, उस पब में एक ग्रैंड पार्टी चल रही थी लेकिन वहां बाकी के लोग भी अपनी पार्टी इंजॉय करने में लगे हुए थे। वहीं एक साइड पर कुछ लोग किसी का इंतजार कर रहे थे ताकि पार्टी शुरू किया जा सके। एक लड़की बोली "अरे यार! और कितना इंतजार करना होगा? कहां है हमारा हीरो? हमारा बर्थडे बॉय? दूसरी लड़की बोली "इंतजार करने के अलावा और कोई चारा नहीं है हमारे पास। अभी तक ना बर्थडे बॉय आया है ना ही बर्थडे केक। तीसरी लड़की ने कहा "मैं कॉल करके देखती हूं।" उस पहली लड़की ने कहा "मैंने कॉल किया था। उसका कहना है अभी वह ट्राफिक में फसा है।" "कौन ट्रैफिक में फंसा है?" अचानक से आई आवाज से सभी चौक पड़े। लड़कियों की नजर जैसे ही सामने खड़े लड़के पर गई वह सभी भागते हुए उसके गले लग गई और जोर से चिल्लाई "हैप्पी बर्थडे अंश मित्तल..……...!" बाकी लड़कों ने भी हाथ मिलाकर अंश को हैप्पी बर्थडे विश किया तो अंश बोला "हेय! मेरा बर्थडे केक कहां है?" बार काउंटर की तरफ से एक आवाज आई "वह भी तेरी तरह ही है, बेवकूफ और लेट लतीफ।" अंश की नजर उस ओर गई तो जैसी उसे उम्मीद थी, वहां अव्यांश अपने हाथ में वाइन का गिलास पकड़े बैठा था। वो उठा और अंश के सामने आकर खड़ा होकर बोला "और लेट लतीफ भी। देखा ना! तू यहां आ गया है लेकिन तेरा केक अभी तक अपना ईगो दिखा रहा है। कितना बदतमीज है वो! तेरे से भी ज्यादा। अंश ने गुस्से में अपनी मुट्ठी बांध ली। एक लड़की बोली "हाउ डेयर यू अव्यांश! तुम अंश को इतना बुरा कैसे बोल सकते हो? माना तुम दोनों एक दूसरे को पसंद नहीं करते इसका मतलब यह नहीं कि तुम हर जगह उसकी इंसल्ट करो। ऑफिस में तुम दोनों कंपीटीटर हो लेकिन ऑफिस के बाहर..….! ऑफिस के बाहर तुम एक मामूली मिडिल क्लास बॉय हो और अंश सारांश मित्तल का बेटा। अव्यांश उसकी बातों से चिढ़ गया। वह अजीब तरह से मुस्कुरा कर बोला "मेरी पहचान तो तुम ने बता दी, रूपल। उप्स सॉरी, रूप्स! लेकिन तुम्हारा यह हीरो जिसके पीछे तुम सब ऐसे लट्टू की तरह नाच रही हो, गुलामी कर रही हो, उसकी खुद की पहचान क्या है? ऑफिस में हम दोनों कंपीटीटर हैं, यानी बराबर है। इसका मतलब तो यही है ना कि तुम लोग अंश के नहीं बल्कि अंश सारांश मित्तल के दोस्त हो।" उस लड़की से कुछ जवाब देते नहीं बना, क्योंकि अव्यांश कि कहीं हर बात सही थी। अंश को अब और भी ज्यादा गुस्सा आ रहा था। दूसरी लड़की ने उसके सीने पर हाथ रखा और बोली "बेबी! आज के दिन गुस्सा मत हो। तुम्हें पता है ना, वह तुमसे कितना जलता है! और अव्यांश तुम! आज हमारे दोस्त का बर्थडे है। कम से कम आज के दिन तो तुम अपने दिल से नफरत को निकाल सकते हो। यहां हम सब अंश का बर्थडे सेलिब्रेट करने आए हैं। अगर तुम्हें कोई प्रॉब्लम है तो तुम यहां से जा सकते हो। अव्यांश हंसते हुए वहीं सोफे पर बैठ गया और अपने दोनों पैर सामने टेबल पर टिकाते हुए बोला "मैं क्यों जाऊं यहां से? ना तो मैं किसी के बुलाने पर आया हूं, ना किसी के साथ आया हूं और ना ही यह पब किसी के बाप का है, तो मैं यहां से क्यों जाऊं?" अंश आज के दिन अपना मूड खराब नहीं करना चाहता था। इसलिए अपना सारा गुस्सा पीकर उस ने मुस्कुराते हुए कहा "कम ऑन यार! आज तो तुम मेरे से लड़ाई मत कर। माना हमारी नहीं बनती, लेकिन इस वक्त सब भूल कर हम इंजॉय कर कर ही सकते हैं! प्लीज यार, मेरे लिए। अपनी तरफ से यह छोटा सा गिफ्ट समझकर दे सकता है?" अव्यांश ने अपने हाथ में रखा वाइन का गिलास टेबल पर रखा और उठ खड़ा हुआ, फिर धीरे से चलकर अंश के पास आया और उसके कंधे पर हाथ रख कर मुस्कुरा कर बोला "गिफ्ट चाहिए तुझे, वह भी मेरी तरफ से! तो गिफ्ट में मेरी तरफ से ये एक छोटी सी एडवाइज रख ले। यह जो तेरे दोस्त है ना, जो आज तेरी खुशियां सेलिब्रेट करने आए हैं, वह अंश के नहीं, बल्कि अंश सारांश मित्तल के दोस्त हैं। यानी जिस दिन तुम मित्तल नहीं रहे, या मिस्टर सारांश मित्तल ने तुझे अपने घर जायदाद से निकाल दिया, तो यह लोग जो आज तेरे लिए मौजूद है, इनमें से कोई तेरे साथ नजर भी नहीं आएगा। तब तो यह लोग तुझे पहचानने से भी इंकार कर देंगे। मेरी यह बात गांठ बांध ले, तुझे फ्यूचर में बहुत काम आएगा। चल मैं चलता हूं। बाय द वे, हैप्पी बर्थडे मेरे दोस्त। नहीं.......! हम दोस्त नहीं हैं। जो भी हो, बाय!" अव्यांश ने अंश के कंधे पर हल्के से थपथपाया और वहां से बाहर चला गया। वो लड़की रूपल, गुस्से में बोली "तुमने उसे कुछ कहा क्यों नहीं बेबी? सारा मूड खराब कर दिया उसने हमारा। पार्टी अभी शुरू भी नहीं हुई, और यह सब स्पॉइल करके चला गया।" दूसरी लड़की टिया, अंश के करीब आई और बोली "अब जाने भी दो उसे। हम पार्टी शुरू करें क्या? लेकिन केक तो अभी तक आया ही नहीं है, तो पार्टी शुरू कैसे हो सकता है? तो तब तक हम क्या करें?" अंश के होठों पर एक शैतानी मुस्कुराहट थी। उसने दोनों लड़कियों को अपनी बांहों में समेटा और दोनों के ही होठों पर बारी बारी से किस करके बोला "तब तक गेम खेलें? अपना वाला!" अंश उन दोनों को लेकर वही एक प्राइवेट रूम में चला गया। बाकी सारे वहीं बैठे रह जाए। उनमें से एक ने कहा "यह अंश का भी अलग ही सीन है। हमसे एक नहीं पटती और यह कमीना, एक साथ दो दो लड़कियों के साथ........!" दूसरा बोला "यह सब बाप के नाम का कमाल है। अगर इसके नाम के आगे मित्तल नहीं जुड़ा होता, तो यह सीन कभी देखने को नहीं मिलता।" एक लड़की जो अपना सर पकड़े बैठी थी, वह बोली "अव्यांश बिल्कुल सही बोलता है। जिस दिन सारांश सर ने अंश के नाम के आगे से मित्तल हटा दिया, तो यह सारी तितलियां कहां गायब हो जाएंगी, किसी को पता भी नहीं चलेगा। वैसे यह सारांश सर भी ऐसे ही थे क्या? मेरा मतलब, ये अंश किस पर गया है?" एक लड़का बोला "ऐसा मत बोल यार! सारांश सर तो भगवान राम है। मेरे पापा उनके लिए काम कर चुके हैं। उनका कहना है कि सारांश सर की लाइफ में उनकी वाइफ के अलावा कभी कोई और लड़की नहीं आई। उनके घर में सब संस्कारी है। और सिया मैम तो इतनी प्यारी है कि पूछो मत! पता नहीं ये अंश किस पर गया है? और उसके घर में किसी को कुछ पता है भी या नहीं, पता नहीं!" एक और ने कहा "शायद उन्हें पता है। इसीलिए तो उसे घर से दूर भेजा, अपनी काबिलियत साबित करने को। लेकिन वह यहां आकर और भी खुल्ला.............!" वह लड़का अपनी बात पूरी नहीं कर पाया। अव्यांश पब से बाहर निकला। उसी वक्त उसका फोन बजा। उसने खुश होकर कॉल रिसीव किया लेकिन उसे कुछ बोलने का मौका ही नहीं मिला। दूसरी तरफ से गालियों की बौछार हो गई। अव्यांश के चेहरे पर स्माइल बहुत बड़ी हो गई। कुछ देर चुप रहने के बाद वह बोला "आई लव यू टू! तुझे दुनिया की सारी खुशियां मिले। और इस साल भगवान तेरी लाइफ की बैंड बजा दे।" दूसरी तरफ से आवाज आई, "तुझे यहां पर होना चाहिए था। और किसी के लिए न सही, लेकिन मेरे लिए तो आ ही सकता है। कल शाम को एक फ्लाइट है। सोच ले, रात को वापस लौट जाना।" अव्यांश बोला, "मिस सुहानी सारांश मित्तल! मैं आपकी तरह अमीर नही हूं जो उड़ कर आपके पास पहुंच जाऊं। मुझे अपने बजट में काफी सारे एडजस्टमेंट करने पड़ेंगे आपके इस एक सरप्राइज़ के लिए।" सुहानी बोली "मैं तुझे बहुत मिस कर रही हूं।" अव्यांश बोला, "मैं भी। अच्छा बता, वहां घर में सब कैसे है?" सुहानी बोली, "तू बात को बदल रहा है ना?" अव्यांश हंसते हुए बोला, "तेरा मूड ठीक करने के लिए मुझे ये सब करना पड़ता है। वह सब छोड़ और यह बता, आज का क्या प्लान है?" सुहानी बोली, "कुछ नही। वही जो होता है। लेकिन मां और मासी की बातें थोड़ी बहुत सुनी मैंने। शायद वो लोग कोई सरप्राइज़ की बात कर रहे थे। पता नही क्या है!" अव्यांश बोला, "तो अपना मूड ठीक कर और इंजॉय कर। किसी से नाराज मत होना। मां से तो बिल्कुल भी नहीं। और तुम्हे तो आज की न्यूज दी ही नही!" सुहानी जल्दी से बोली, "कैसी न्यूज़?" अव्यांश ताना देते हुए बोला "आज तेरे साथ तेरे भाई, मिस्टर अंश मित्तल का भी बर्थडे है। यहां उसी की पार्टी चल रही है। तेरा भाई इंजॉय करने में लगा हुआ है। बेचारे मित्तल साहब! उन्हें तो पता भी नहीं उनके पीठ पीछे क्या हो रहा है। अब एहसास हो रहा है कि जब अपने नाम पर कोई बिल फाड़ता है तो कैसा लगता है। खैर, तू निकल। सब तेरा इंतजार कर रहे होंगे। बाय! लव यू! वंस अगेन, हैप्पी बर्थडे।" फोन के दूसरी तरफ से सुहानी जल्दी से बोली, "एक मिनट रुक! मुझे कुछ और भी कहना है।" अव्यांश को बाहर निकलना था लेकिन बातें करते करते होटल के एक कोने में आ गया था। और इस बात की उसे खबर भी नहीं थी कि कोई था जो उस दीवार को फांदने की कोशिश कर रहा है। उसे अपने पीछे कुछ गिरने की आवाज आई। उसने मुड़कर देखा, तो अंधेरे में उसे किसी की परछाई नजर आई। अव्यांश इस तरफ बढ़ने को हुआ लेकिन सुहानी बार-बार अव्यांश को आवाज दे रही थी, जिससे अव्यांश का ध्यान अपने फोन की तरफ गया। उसने सुहानी को बाय बोला और कॉल कट कर दिया। उसने फोन की फ्लैश लाइट जलाई और उस तरफ देखने लगा। वो परछाई सबसे नजर बचाकर होटल के अंदर दाखिल होने की कोशिश कर रही थी। अव्यांश डर गया कि कहीं ये कोई आतंकवादी तो नही! अंदर होटल में कई लोगों की जान का सवाल था इसीलिए अव्यांश ने भी फुर्ती दिखाते हुए जल्दी से एक हाथ से उसकी कलाई पकड़ी और उसे अपनी तरफ खींचकर पीछे से उसकी गर्दन को पाने बाजुओं में जकड़ लिया। "अगर तुम्हारे इरादे गलत है तो तुम ऐसे ही बचकर नही जा पाओगे।" अव्यांश ने एक झटके में उसका हाथ पकड़कर उसे अपनी तरफ किया ताकि वो उसका चेहरा देख सके। लेकिन चूड़ियों की खनक से वो चौंक गया। "लड़की?!" जिस तरह से अव्यांश ने उस लड़की को खुद की तरफ किया, उससे वो लड़की लड़खड़ा गई और वो पीछे की तरफ गिरने लगी। अव्यांश ने जल्दी से उसे कमर से थाम लिया। उस लड़की ने कसकर अपनी आंखें बंद कर रखी थी। उसके बाल हवा में अठखेलियां कर रहे थे। और अव्यांश! वो तो जैसे उसकी बंद पलकों में कहीं खो सा गया। उस लड़की ने धीरे से अपनी आंखें खोली तो खुद को अव्यांश की पकड़ में पाया। वो जल्दी से सीधी खड़ी हुई और बोली "व्हाट द हेल! मैं तुम्हें किस एंगल से टेररिस्ट लगती हूं?" लेकिन अव्यांश ने कुछ सुना ही नहीं। उसने अभी भी उसका हाथ पकड़ रखा था। उस लड़की ने जोर लगाकर अपनी कलाई छुड़ाई और बोली। "लोगों को पहचानना सीखो मिस्टर! तुम क्या यहां सिक्योरिटी का काम करते हो? कोई पुलिस वाले हो? हो कौन तुम?" अव्यांश कुछ कह पाता, उससे पहले एक और लड़की आई और बोली, "निशी! क्या कर रही है? और ये कौन है?" वो लड़की बोली, "पता नही, कौन है।" उसकी दोस्त बोली, "जल्दी चल यहां से वरना वापस घर पहुंचने में देर हो जायेगी। तेरे साथ मुझे भी डांट पड़ेगी।" उस लड़की ने अव्यांश से अपनी कलाई छुड़ाई और अपनी दोस्त के साथ अंदर पब में चली गई। कुछ देर तो अव्यांश उसे देखता रहा। फिर उसे महसूस हुआ कि उसके हाथ में कुछ है। उसने अपनी मुट्ठी खोल कर देखी तो एक ब्रेसलेट उसके हाथ में था। उस पर एक नाम उसे नजर आया "निशी!" अव्यांश मुस्कुरा उठा। उस लड़की ने एक हाथ में चूड़ियां पहन रखी थी और दूसरे हाथ में ब्रेसलेट, जो इस वक्त अव्यांश के पास था। तो अब क्या करेगा अव्यांश? क्या वह ब्रेसलेट उस लड़की को वापस लौटाएगा या...........! आगे आप खुद समझदार हैं। क्रमशःगरिमा गुप्ता