Chapter 1

Chapter 1

episode 1

Chapter

एक छोटा सा स्टेशन जहां पर ट्रेनें आती थी... जाती थी... रुकती भी थी... पर ना तो कोई उतरता था... ना कोई चढ़ता था…!!!

nbsp;जो उतरता था वह किसी और ट्रेन में चढ़ने लायक नहीं रहता था। कई बार लोगों ने सोचा और पता लगाने की भी कोशिश की... पर वह क्या था, क्यों था…? अभी तक जिसने भी पता लगाने की कोशिश की वह सब अब रहे ही नहीं…?? nbsp;

चिंकी एक 8 साल की लड़की थी उसके माता-पिता और वह पहले शहर में रहते थे... चिंकी के पापा का ट्रांसफर उस शहर में हुआ था। इसलिए वह लोग वहां जा रहे थे। वैसे तो वह जगह डरावनी नहीं थी... पर बहुत से nbsp; किस्से उस जगह के बारे में मशहूर थे। कई लोगों का कहना था कि उन्होंने खुद ने कुछ ऐसा देखा था जो सामान्य मनुष्य की समझ और विज्ञान से परे था…

nbsp;चिंकी के पिता अरविंद इस बात पर विश्वास नहीं करते थे ना ही चिंकी की मां अनन्या को इन सब बातों में विश्वास था। nbsp; इसीलिए वह लोग इस समय वहां जा रहे थे।

nbsp;भवानीपुर कहने को तो बहुत ही बड़ा और रमणीय शहर... अगर ठीक से उस जगह के बारे में लोगों को बताया जाए तो वह शहर पर्यटन की दृष्टि से देश में बहुत ही ऊपर रहे... पर जनता की लापरवाही और प्रशासन की सुस्ती के कारण nbsp; वह बस एक छोटा शहर ही बनकर रह गया। nbsp;

nbsp;जब अरविंद का वहां ट्रांसफर हुआ... तब उन्हें वहां के बारे में बहुत सी बातें सुनने को मिली थी। पर उन्होंने अनसुनी करके वहां पर ज्वाइन करने का निश्चय कर लिया। उस रात भी वह पूरे परिवार के साथ अपनी ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए भवानीपुर जाने वाली nbsp; ट्रेन में बैठे थे। उनकी ट्रेन आज लेट हो गई थी रात के लगभग 1:00 बज रहे थे।

nbsp;आसपास के लोग यह जानने के बाद कि वो लोग भवानीपुर जा रहे थे। उन्हें ऐसे देख रहे थे... जैसे के वो लोग एलियन हो। nbsp; nbsp;पर उन्होंने इस बात की परवाह किए बिना उन लोगों पर ध्यान देना बंद कर दिया।

nbsp;रात के लगभग 1:30 बजे वह लोग भवानीपुर स्टेशन पर उतरे। nbsp; वैसे तो उन्हें लेने कोई आने वाला था पर रात के 1:30 बजे उसे परेशान करना अरविंद ने उचित नहीं समझा। nbsp; इसीलिए रात उसी स्टेशन पर बिताने का निश्चय किया। पर nbsp; चिंकी के कारण उन्हें एक होटल ढूंढना ही ठीक लगा। nbsp;

अरविंद ने अपनी पत्नी से कहा, अनन्या... तुम और nbsp; चिंकी यहीं रुको... मैं आसपास किसी होटल के बारे में पता करके आता हूं। nbsp; इस समय किसी और को परेशान करना ठीक नहीं होगा।

nbsp;अनन्या ने उनकी हां में हां मिलाई और अरविंद nbsp; और वहां के स्टेशन के बाहर निकल गए। रात काफी हो गई थी इसलिए nbsp; अनन्या की वही एक चेयर पर बैठे-बैठे आंख लग गई। चिंकी अनन्या के पास ही मोबाइल में गेम खेलने में व्यस्त थी। nbsp;

अचानक एक ट्रेन धड़धड़ाती हुई आकर रुकी। nbsp; उस ट्रेन से वैसे तो कोई नहीं उतरा पर चिंकी को ऐसा लगा कि कोई उसे ट्रेन में बुला रहा था। चिंकी बिना सोचे समझे मोबाइल के साथ ट्रेन में चढ़ गई। चिंकी के चढ़ते ही ट्रेन उस स्टेशन से रवाना हो गई। nbsp;

चिंकी ने जब यह देखा कि ट्रेन चल दी थी तो उसने बिना समय गवाएं ट्रेन की चेन खींच कर उतरने का निश्चय किया। भले ही ट्रेन थोड़ी आगे निकल गई हो... पर इतनी भी दूर नहीं निकली थी कि nbsp; लौट कर वापस ना जा पाए। nbsp;

nbsp;जैसे ही चिंकी ट्रेन के कंपार्टमेंट में लगी चैन को खींचने के लिए हाथ आगे बढ़ाया... बहुत से लोग आगे आ गए और वह nbsp; चिंकी को ट्रेन की चेन ना nbsp; खींचने के लिए मनाने लगे। nbsp; जब उन्होंने देखा कि उनकी बातों का चिंकी पर कोई असर नहीं पड़ रहा था... तो उन्होंने चिंकी को डांट कर रोकने का प्रयास करना शुरू कर दिया।

nbsp;अचानक गुस्से के कारण एक आदमी का चेहरा विभक्त हो गया था। चिंकी उसको nbsp; देखकर डर गई और डर के कारण ऊपर की सीट से नीचे गिर पड़ी। चिंकी को चोट लगी थी पर फिर भी वह वहां से एक तरफ भाग पड़ी।

nbsp;जब उन लोगों को पता चला कि चिंकी nbsp; को उनकी असलियत पता चल गई… तो वो लोग अपने असली रूप में आकर चिंकी को डराने लगे। nbsp;

अजीब से डरावने, कटे-फटे चेहरे, कुछ के शरीर के अंग गल कर लटक गए थे... कुछ की आंखें गायब थी... तो कुछ की नाक... और बाल तो किसी के सर पर थे ही नहीं... उसकी जगह थी तो केवल खाल जिससे खून और मवाद बह रही थी। nbsp;

वह लोग चिंकी को भी मारकर अपने जैसा बनाने के लिए उसकी तरफ आगे बढ़ने लगे। कुछ ही देर में वह लोग हाथ बढ़ाकर चिंकी को छूने ही वाले थे... कि एक छोटी लड़की, जिसने वाइट फ्रॉक पहनी थी... उसके हाथ में बड़ी सी गुड़िया थी। वह चिंकी और उन लोगों के बीच आकर खड़ी हो गई। उस लड़की के कारण वह लोग चिंकी को नुकसान नहीं पहुंचा पा रहे थे।

nbsp;चिंकी उस लड़की के कारण उस समय तो बच गई पर पता नहीं कब तक बच पाती। धीरे धीरे सवेरा होने लगा था... nbsp;

वही स्टेशन पर चिंकी के ना मिलने पर अनन्या और अरविंद बुरी तरह से परेशान हो गए थे।

nbsp;हुआ यह था कि जब अरविंद वहां से बाहर चले गए तो... उन्हें एक लगभग एक 2 किलोमीटर आगे चलने पर एक चाय की टपरी दिखाई दी। उन्होंने जाकर उस चाय वाले से पूछा, भाई... यहां आस-पास कोई होटल होगा।

nbsp;उस चाय वाले ने अरविंद nbsp; को ऊपर से नीचे तक घूरा और उनसे पूछा, बाबू जी... इस समय आप यहां क्या कर रहे हो…?

nbsp;अरविंद ने कहा, हम अभी ट्रेन से उतरे हैं... जो आदमी हमें लेने आने वाला था... उसे रात के इस समय फोन करके परेशान करना उचित नहीं समझा। nbsp; इसलिए मैं होटल की तलाश में इतनी दूर आ गया।

nbsp;उस चाय वाले ने अजीब सी नज़रों से अरविंद को देखा और फिर पूछा, यहां आ गए हैं... मतलब आप अकेले नहीं है... और कोई भी आपके साथ है। ऐसा पूछ कर आसपास देखने लगा कि कोई और है या नहीं।

nbsp;अरविंद ने कहा, हां... मेरी पत्नी और बेटी है... मेरे साथ... पर वह यहां नहीं है। वहीं स्टेशन पर बैठे हैं।

nbsp;इतना सुनते ही चाय वाला परेशान होकर उनसे कहने लगा, nbsp; आपका दिमाग खराब हो गया है... जो रात के इस समय उन लोगों को वहां अकेले छोड़ कर आ गए। अगर उनके साथ कोई दुर्घटना हो गई तब... आपको पता नहीं है कि वह स्टेशन nbsp; और वहां पर चलने वाली ट्रेनें वैसे ही भूतिया है। इसी कारण तो इस इतनी सुंदर जगह के बारे में ना तो सरकार कुछ करती है... नहीं यहां के लोग…!!

nbsp;अरविंद जी ने उससे पूछा तब उन्हें वहां के कुछ जानकारियां मिली और चाय वाले ने जल्दी से जल्दी उन लोगों के पास पहुंच कर उन्हें स्टेशन से बाहर लाने के लिए कहा। nbsp;

nbsp;अरविंद ने सोचा कि उन्हें फोन करके बाहर आने के लिए कह देता हूं। और वह फोन ट्राई करने लगे बट फोन पूरे टाइम नॉट रिचेबल nbsp; दिखा रहा था। nbsp;

जब अरविंद को मामले की गंभीरता पता चली तो उन्होंने स्टेशन की तरफ दौड़ लगा दी। जल्दी ही वह स्टेशन पहुंच गए। अनन्या वहां सो रही थी... और आसपास चिंकी भी दिखाई नहीं दे रही थी। nbsp;

अरविंद जी ने अनन्या को उठाकर पूछा, अनन्या... चिंकी नहीं दिख रही है... कहां है... चिंकी??

nbsp;अनन्या ने नींद में कहा, nbsp; कहाँ जाएगी यही होगी…?

पर चिंकी को वहां ना पाकर परेशान हो कर कहने लगी, अभी कुछ देर पहले ही तो यहां खेल रही थी…!! ऐसा कहकर वह दोनों वहीं आसपास चिंकी को ढूंढने लगे

धीरे धीरे सवेरा होने लगा था... अनन्या की हालत रो-रो कर ही खराब हो गई थी। वह समझ नहीं पा रही थी कि अचानक चिंकी ऐसे कहां गायब हो गई??

nbsp;अरविंद ने भी अनन्या को पूरी बात ना बताने का फैसला किया था। अरविंद्र जानते थे कि अगर अनन्या को पता चला तो वह चिंकी के मिलने से पहले ही अपनी जान दे देगी।

nbsp;वही सवेरा होने के कारण वह सारी बुरी आत्माएं... वहां से गायब हो गई थी। केवल वह ट्रेन चलती हुई दिखाई दे रही थी।

nbsp;चिंकी वही बैठी बैठी रोने लगी थी... अचानक वही लड़की जिसने चिंकी की जान बचाई थी... चिंकी के पास आकर बैठ गई... और उसे चुप कराते हुए कहने लगी, चिंकी तुम रोओ... मत तुम जल्दी ही अपने मम्मी पापा के पास पहुंच जाओगी… और मैं तुम्हें वहां तक सही सलामत पहुंचाने में मदद करूंगी। पर तुम्हें भी हमारी मदद करनी होगी।

चिंकी ने रोते हुए उससे पूछा, क्या सच में तुम मेरी मदद करोगी... पर कैसे??

nbsp;तब उस लड़की ने बताया... nbsp;

मेरा नाम प्रिया है... मैं भी तुम्हारी तरह ही अपने मम्मी पापा के साथ भवानीपुर आई थी... हमें आगे कहीं और जाना था। nbsp; हमें भी रात को देर हो गई थी... इसलिए हम सब स्टेशन पर ही रुक गए। रोज की तरह यह ट्रेन ठीक 1:30 बजे स्टेशन पर पहुंची तो गलती से हम सब लोग इस ट्रेन में चढ़ गए। nbsp; nbsp;

nbsp;हमें नहीं पता था कि यह ट्रेन भूतिया है... जल्दी उन सभी भूतों ने मेरे मम्मी, nbsp; पापा और मुझे भी मारकर अपने में मिला लिया।

nbsp;चिंकी आश्चर्य से प्रिया की बातें सुन रही थी। उसे समझ नहीं आ रहा था... कि सच में ऐसा हुआ था। nbsp;

nbsp;उसने फिर प्रिया से पूछा, पर... मैं तुम्हारी मदद कैसे कर सकती हूं…??

nbsp;तब प्रिया ने बताना शुरू किया... nbsp;

बहुत सालों पहले भवानीपुर में डाकूओं का राज था। nbsp; वहां से गुजरने वाली हर एक ट्रेन या किसी भी यात्री गाड़ी को डाकू लूट लेते थे। nbsp; अधिकतर लोगों को वह लोग मार देते थे।

nbsp;एक रात 1:30 बजे गलती से यह ट्रेन भवानीपुर स्टेशन पर रुक गई। इसे यात्रियों की बदकिस्मती मानो या फिर विधि का लेख... उस रात nbsp; ट्रेन भवानीपुर स्टेशन पर रुक गई थी... जिसके कारण डाकुओं ने ट्रेन के अंदर घुस कर लूटपाट मचा दी। nbsp;

जो लोग सो रहे थे... वह सोते ही रह गए थे... क्योंकि डाकुओं ने सबको जहर भरे nbsp; धुंए से पहले ही मार दिया था। उसके बाद ही वो लोग ट्रेन में चढ़े थे।

nbsp;अभी तक सभी लोग यह विश्वास नहीं कर पाए हैं... nbsp; कि वह लोग अब जिंदा नहीं हैं... यहां तक की ट्रेन का ड्राइवर भी अपने आप को जिंदा ही समझ रहा है... इसलिए वह लगातार ट्रेन को यहां से वहां ले जाता है। nbsp; पर इस nbsp; ट्रेन का स्टेशन केवल भवानीपुर ही है बाकी समय ट्रेन कहां जाती है…?? कहां आती है…?? उसके बारे में मुझे भी अभी जानकारी नहीं है। मैंने भगवान से कई बार प्रार्थना की... कि कोई तो हो जो हम सबको इस ट्रेन से मुक्ति दिला दें। nbsp; पर शायद भगवान भी अभी नहीं चाहते कि हमें मुक्ति मिले…!! ऐसा कहकर nbsp; प्रिया वही चिंकी के पास बैठी रही।