Chapter 12
humsafar 12
Chapter
12 अपने ख्यालो मे उलझी अवनि लॉबी मे चली आई। वह समझ नही पा रही थी की उसके मन मे जहाँ सिर्फ लक्ष्य के फीलिंगस् है वहीं सारांश उसे इतना इफेक्ट क्यों करने लगा था। बेचैनी मे थोड़ी देर टहलने के बाद बाहर की और जाने लगी तभी अवनि किसी से टकराई। इससे पहले की वो लडखडा कर गिरती ,उस शख्स ने मजबूती से बाहों मे थाम लिया। अवनि डर के मारे आँखे मूंदे थी जिसे देख सारांश के होठों पर मुस्कान तैर गयी।
अवनि ने जब खुद को हवा मे लटके हुए महसूस किया तो उसने अपनी आँखे खोली और खुद को सारांश के बाहों मे पाया। अवनि हड़बडा कर उठी, सारांश ने उसे अपने पैरो पर खड़े होने मे हेल्प किया। अवनि बस हल्के से थैंक्स बोल पायी।
"आप यहाँ कैसे? " अवनि के ऐसे बेतुके सवाल पर सारांश ने उसे घूर कर देखा और कहा, "आप शायद भूल रही है तो क्या मै फिर से सारी बातें रिपिट करू!!! याद है मैंने बताया था शादी..... फंक्सन...... जिम्मेदारी वगैरह वगैरह... " सारांश ने और भी ज्यादा चिढ़ाने के अंदाज़ मे कहा तो अवनि झेंप गयी।
कार्तिक की नज़र सारांश पर गयी तो उसने इशारे से उपर आने को कहा। सारांश भी अवनि को लेकर उपर चला आया। शॉप के ऑनर की नज़र जैसे ही शॉप के अंदर आते सारांश पर गयी वह हड़बड़ा कर उठा और दौड़ कर आकर खुद सारांश की खातीर्दारी मे लग गया। उसे ये तो पता नही था की सामने खड़ा शख्स कौन है लेकिन सारांश के कपड़े जो की कस्टम मेड थे उन्हे देखते ही वह समझ गया की सामने खड़ा शख्स कोई आम इंसान नही है।
कार्तिक की मम्मी सारांश को देख कर खुश होते हुए बोली, "अरे सारांश बेटा! इधर आइये और देखिये, ये हल्की गुलाबी साडी जीजी(सारांश की माँ) को पसंद आयेगी क्या? ये मै उनके लिए लेना चाहती हु। अगर नही तो कोई और आप पसंद कर दीजिये!"
"अरे नही छोटी माँ!!! बहुत ही खूबसूरत है और मॉम को तो ऐसे ही रंग पसंद आते है, आप जानती है उन्हे, अगर आप प्यार से देंगी तो वो तो कोई भी रंग का पहन लेंगी।" सारांश ने कहा और कार्तिक की ओर देखकर कहा, "तुम और काव्या जा कर एक बार निहारिका से मिल लो। उसने तुम दोनो का वेडिंग आउटफिट तैयार कर दिया है, एक बार ट्राई कर के देख लो।"
कार्तिक ने हाँ मे सर हिलाया और काव्या को लेकर निकल गया। तभी एक स्टाफ सब के लिए स्पेसल कॉफी ले आया जिसे देख अवनि सोचने लगी की इतनी देर से सब यहाँ है लेकिन एक बार भी किसी ने पानी के लिए भी नही पूछा और अब देखो इस खडूस के आते ही कैसे सब चापलूसी मे लग गए। सारांश ने कॉफी लेने से इंकार कर दिया क्योंकि वह समझ गया था की ये सारी खातिरदारी सिर्फ उसकी वजह से की जा रही है।
श्रेया कैफेटेरिया से सबके लिए सैंडविच और अपने और अवनि के लिए खास पनीर सैंडविच ले आई। सबको देने के बाद उसकी नजर सामने स्टूल पर बैठे सारांश पर गयी जो उसे ही देख रहा था। "सो...... फाइनली हम दुबारा मिले। उस दिन आपकी बातें आई मीन आपका गुस्सा बाकी रह गया था।" सारांश ने श्रेया को याद दिलाते हुए उसके हाथ से एक पीस उठा लिया और उसका हाथ श्रेया के हाथ को छु गया जिससे श्रेया को मानो करंट सा लगा।
श्रेया थोड़ी झेंप गयी और खुद को संभालते हुए बोली, "अरे नही...... मतलब नही...... मतलब आप जीजू के दोस्त है। और जब जीजू हमारे है तो आप भी तो हमारे ही हुए न। आई मीन हमारे लिए कोई अजनबी तो नही है, फिर कैसा गुस्सा!!! " श्रेया शरमा गयी। जिसे देखने को बेचैन थी वही उसके सामने बैठा उससे फ्लर्ट कर रहा था,....या फिर वही उससे फ्लर्ट कर रही थी। उसे यू नर्वस देख सारांश को मन ही मन हँसी आ गयी।
"आप लोगो की शॉपिंग मे और कितना टाइम लगेगा? ज्वैलरी भी तो देखने जाना है" सारांश ने सबकी ओर नजर दौड़ा कर पूछा।
"हाँ हाँ बेटा! लगभग हो ही गयी है।" कंचन ने कहा और कपड़ो की गिनती करते हुए हिसाब लगाने लगी, "ये सारी काव्या की, ये वाली काव्या के पापा की, ये सब मेरे और.......! और अवनि के कपड़े कहा है? अवनि!!!"
"जी माँ.....!" अवनि माँ के पास आई।
"ये सब का है अवनि? तुमने अपने लिए कपड़े पसंद नही किये?" कंचन ने सवाल किया।
"नही माँ मै तो दिदुके बुटीक से ही कुछ कपड़े उठा लूँगी आप टेंसन मत लीजिये" अवनि के जवाब से कंचन चुप हो गयी लेकिन सारांश को अच्छा नही लगा। उसे इस समय कार्तिक की कमी खल रही थी। अगर इस वक़्त कार्तिक वहाँ मौज़ूद होता तो उसके जरिये वह अवनि के लिए उसीकी पसंद का कुछ दिलवा सकता था। सारांश के फोन की घंटी बजी तो देखा कार्तिक का मैसेज था। उसने दोनो की वेडिंग अटायर मे तस्वीर भेजी थी। सारांश ने वो तस्वीर सब को दिखाया, सब को बहुत पसंद आया।
शॉप ऑनर ने जब सारांश को भी कुछ दिखाने की कोशिश की तो उसने ये कहकर टाल दिया की उसकी स्किन काफी सेंसिटिव है और उसके कपड़े सिर्फ उसकी डिजाइनर तैयार करती है। सारांश ने जब सारे बिल पे करने चाहे तो सबने इंकार कर दिया।
सारांश सब को लेकर शहर के सबसे बड़े ज्वैलरी शॉप पहुँचा जो की सारांश के ही एक दोस्त का था। कार्तिक और काव्या भी वही पहुँचे। सब ने मिलकर जम कर खरीदारी की, वहाँ सब को अच्छा खासा डिस्काउंट मिला। अवनि ने काव्या के लिए एक बहुत ही खुबसुरत सा ब्रेसलेट् खरीदा जिस पर जगह जगह डायमंड लगे थे। सारांश उसके ठीक पीछे ही खड़ा उसे देख रहा था।
श्रेया को कुछ लेना नही था वो तो बस सारांश मे ही खोई हुई थी। सारांश की नजर एक झुमके पर गयी जो वह अवनि के लिए लेना चाहता था पर दे कैसे उसे समझ नही आया तभी कार्तिक उसे कोहनी मारी और छेड़ते हुए धीरे से कहा, "खूबसूरत तो है!! ये भी और वो भी, पर दोनो का मिलन कैसे होगा?? मेरा मतलब इस झुमके से था। और हाँ.....मेरी तरफ देखना भी मत, मुझे काव्या से मार नही खानी वो भी शादी से पहले।"
"तो क्या शादी के बाद मार खाना तुझे?" सारांश ने उसको उसी की भाषा मे सवाल किया और दोनो के चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी। "देखते है कौन पहले अपनी बीवी से मार खाता है" कार्तिक ने कहा तो सारांश बस मुस्कुरा दिया, "देखते है"
सारांश जानता था की अवनि अपना कार्ड जरूर यूज करेगी इसीलिए उसने झुमके बिलिंग काउंटर के पास सरका दिया। सब के बिल कराने के बाद जैसे ही अवनि ने कार्ड से बिल पे किया वहाँ का अलार्म बजने लगा। एक पल को सभी घबरा गए मगर तभी वहाँ के मैनेजर ने आकर बताया की अवनि यहाँ की लकी कस्टमर् है इसीलिए उसको गिफ्ट के तौर पर झुमके का एक सेट दिया जाता है। झुमके देख अवनि की आँखे हैरानी से फैल गयी "ये तो प्योर व्हाइट गोल्ड है।" अवनि खुशी से उछल पडी और सारांश का चेहरा खिल गया।
क्रमश: