Chapter 57
humsafar 57
Chapter
57
उन प्यार भरे लम्हों के बाद सारांश अवनि से दूर हुआ। अवनि अभी भी आँखे मूंदे उन लम्हों मे जी रही थी। सारांश उसे यूँ खोया देख मुस्कुरा दिया और उसका चेहरा हाथ मे लेकर कहा, "अवनि!" लेकिन अवनि ने कोई जवाब नही दिया तो उसने फिर से पुकारा, "अवनि!!" अवनि ने बिना आँखे खोले धीरे से कहा "हम्म्!"
"मुझे जाना होगा....! पापा के नाम से प्रोजेक्ट है और मजदूरों ने कुछ हंगामा किया है। वरना मै तुम्हें छोड़कर नही जाता।" सारांश ने अपनी मजबूरी बताई। अवनि ने अपना चेहरा हल्का सा घूमा कर उसके हाथ को चूम लिया और बोली, "हम्म्!" अवनि ने आँखे नही खोली। सारांश ने उसके माथे को चूमा और वहाँ से निकल गया।
सारांश के जाने के काफी देर तक अवनि वैसे ही खड़ी रही और फिर यूँ ही आँखे मूंदे बिस्तर पर लेट गयी। सारांश को बाहों मे ना सही लेकिन आँखों मे भरकर सोने की चाहत जो पूरी हो गयी थी और आँखे खोल फिर से उस खालीपन को देखना नही चाहती थी। कुछ देर बाद ही उसकी आँख लग गयी वही पूरे रास्ते सारांश के आँखों से नींद गायब थी। आज अवनि को दुल्हन के रूप मे देख उसे छोड़कर जाने मे कितनी हिम्मत जुटाई थी ये सिर्फ वही जानता था। आज अवनि पूरे दिल से सारांश की दुल्हन बनी थी।
सुबह जब अवनि की नींद खुली तो देखा सामने टेबल पर उसका नाश्ता और चाय रखा हुआ था और रज्जो वहीं खड़ी मुस्कुरा रही थी। अवनि काफी थकी थकी सी लग रही थी। रात को ठीक से नींद नही आई, जब भी आँख खुलती एक बार अपना फोन चेक कर सारांश का कोई कॉल या मैसेज ढूँढती। इतनी बेचैनी उसे इससे पहले कभी नही हुई। आँखे खुलते ही अवनि ने एक बार फिर अपना फोन देखा, इस बार सारांश का एक मैसेज था। "रात को फ्री होकर बात करता हु, कोशिश करूँगा जल्दी से आने की। अपना ख्याल रखना, मिसिंग यू अभी से!"
अवनि ने उस एक मैसेज को कई बार पढ़ा और उस हर शब्द को मानो खुद सारांश ही बोल रहा हो। अवनि उन शब्दों के जरिये उसकी आवाज़ को महसूस कर रही थी।अवनि ने उस मैसेज को चूम लिया, उसकी आँखे नम हो गयी। वहीं खड़ीं रज्जो ये सब देख रही थी जिसपर अवनि का ध्यान नही गया था अब तक। रज्जो अवनि के करीब आकर बेड के नीचे ही बैठ गयी।
"सारांश ब्रो का मैसेज है न!!!" रज्जो ने पूछा।
"हाँ......! शायद अब जाकर उन्हें फुर्सत मिली है!" अवनि ने खुशी से कहा।
"भाभी इन लॉ! एक बात आस्कु?" रज्जो ने कहा। अवनि ने एक नज़र उसे देखा और थोड़ी देर उसकी बात का मतलब समझ उससे हाँ किया तो रज्जो ने पूछा, "सारांश ब्रो आपको छोड़कर बाहर चले गए। आपको गुस्सा नही आया उनपर?"
"गुस्सा कैसा रज्जो!!! मै जानती हु, उनका बस चले तो मुझे मेरे मायके मे भी अकेले ना छोड़े। अगर वो मुझे लिए बिना गए है तो जरूर कुछ तो ऐसी बात होगी ही न!" अवनि ने रज्जो को समझाते हुए कहा। रज्जो ने चाय अवनि की ओर बढ़ा दी तभी अवनि का फोन बजा। उसने झट से फोन उठाकर देखा तो सारांश का ही था। कॉल रिसीव कर वह उसी खिड़की के पास भागी जहाँ कल सारांश खड़ा था।
"हैलो सारांश........!" अवनि ने कहा। उसकी आवाज़ मे खुशी, बेचैनी, इंतज़ार सबकुछ था जिसे सुन सारांश एक पल को खामोश हो गया। कुछ देर तक दोनों यूँ ही एक दूसरे की खामोशी को सुनते रहे फिर सारांश ने कहा, "रात को सोई नही ठीक से?"
अवनि ने उसकी लाइन उसी को सुनाया, "आपके साथ बहुत अच्छी नींद आती है।" सारांश मुस्कुरा दिया। "लेकिन अपने तो लिखा था की आप रात को फ्री होंगे!!" अवनि ने सवाल किया।
"हाँ...! लेकिन तुम्हारी आवाज़ सुने बिना रहा नही गया। सुनो.......! मुझे अभी निकलना है, पहले वीडियो ऑन करो।" सारांश ने कहा। अवनि ने जब वीडियो ऑन किया तो उसकी थकी आँखों को देख सारांश से कुछ कहते नही बना। कुछ देर एक दूसरे को यूँ ही देखने के बाद सारांश न ही फोन रखा। अवनि तो अभी भी वही बैठी उस फोन को ही निहार रही थी। रज्जो ने फिर चाय उसकी ओर बढ़ाई। "सारांश ब्रो जयादा टाइम तक आप से फार नही रह पाएंगे, आप लुकना वो जल्दी ही कम बैक होंगे।"
अवनि उसकी बातों पर मुस्कुरा दी। रज्जो उसे नाश्ते के लिए नीचे आने को बोल चली गयी। अवनि नहा धोकर तैयार हुई और नीचे आई तो देखा, नाश्ता लग चुका था और सिया डाइनिंग टेबल पर पहले से ही मौजूद थी। अवनि को आता देख सिया मुस्कुराई और अपने पास आने का इशारा किया। अवनि सिया के बगल वाली कुर्सी पर बैठ गयी। सिया ने प्यार से उसका चेहरा अपने सामने कर उसे निहारा और बोली, "सब मेरी गलती है, मुझे सारांश को जाने ही नही देना चाहिए था। मेरी फूल सी बच्ची एक रात मे ही कितनी मुरझाई सी लग रही है।"
अवनि ने अपनी उदासी छुपाकर मुस्कुराने की कोशिश की लेकिन सिया कहां संतुष्ट होने वाली थी। उसने रज्जो को आवाज लगाई। रज्जो भागती हुई आकर सामने खड़ी हो गयी। सिया ने उसके काँमे कुछ कहा और नाश्ता कर ऑफिस चली गयी। रज्जो भी तैयार हुई और अवनि का हाथ पकड़ कर बोली, "चलो भाभी इन लॉ! टुडे मै यू को एक वेरी स्पेशल जगह पर रोम कराती हु।"
अवनि समझ गयी की रज्जो उसे घुमाने ले जाना चाहती है लेकिन उसका बिलकुल भी मन ना था। फिर भी रज्जो की जिद के कारण वह निकल गयी। ड्राईवर ने उन दोनो को एक जगह लेजाकर गाड़ी रोक दी। अवनि ने उतर कर देखा तो वो कोई एनजीओ था, अवनि को याद आया की ये तो वही एनजीओ है जो सारांश चलाता है। वहाँ जन्माष्टमी की तैयारियां चल रही थी
"सारांश ब्रो ने कहा था और जीजी माँ ने भी की मै आपको यहाँ लेकर आउ ताकि आपका मन लगा रहे और आप ब्रो को ज्यादा मिसिङ ना करे और सैड ना हो।" रज्जो ने कहा और चिल्ला चिल्लाकर सब को आवाज़ लगाई। उसकी आवाज़ से अवनि ने अपने कान बन्द कर लिए। कुछ ही देर मे लगभग सभी लोग अपना अपना काम छोड़ अवनि के सामने इकट्ठा हो गए और उसे घूरकर देखने लगे। अवनि को थोड़ा अजीब सा लगा।
"अरे ऐसे क्या देख रहे हो सब के सब!!! भाभी है हमारी.........! अरे अपने सारांश ब्रो की पत्नी! अरे अम्मा बहू है तेरी।" रज्जो ने कहा तो एक अम्मा ने कहा, "जानती हु....! हम सब तो बस ये देख रहे थे की सारांश बच्चा ने कितनी प्यारी दुल्हन ढूँढी है अपने लिए।" अम्मा के बात पर सभी ने हामी भरी और अवनि को अपने साथ अंदर ले गए। वहाँ भी खूबसूरती कम नही थी। वहाँ के हर कोने मे सारांश का असर साफ दिखाई देता था।
"जब से सारांश ब्रो ने यहाँ काम टेक किया है तब से जीजी माँ यहाँ बहुत कम ही आती है। हफ्ते के पाँच दिन ब्रो ऑफिस देखते है और एक दिन शनिवार को यहाँ का काम। चलिए मै आपको उनका यहाँ का ऑफिस दिखाती हु।" और रज्जो अवनि को लेकर सारांश के ऑफिस मे पहुची।
कमरा ज्यादा बड़ा नही था लेकिन छोटा भी नही था। कमरे मे फर्निचर के नाम पर एक टेबल कुछ कुर्सियां और एक पतला सा सोफा लगा था। अवनि ने पूरे कमरे को देखा तो दीवारों पर कई सारी तस्वीरें लगी हुई थी। वह दीवार के पास आई और उन तस्वीरों को ध्यान से देखा। हर एक तस्वीर बेहद ही खूबसूरत लग रही थी। और कैमरा एंगल तो कमाल का था। सारांश सच मे एक कमाल का फोटोग्राफर था।
कमरे मे ही एक कोने मे पतली सी सीढ़िया थी जो ऊपर की ओर जाती थी। रज्जो अवनि को ऊपर लेकर आई जहाँ सारांश की सारी पेंटिंग्स रखी हुई थी। "ये ब्रो का पर्सनल है, यहाँ वो किसी को नही आने देते।" रज्जो ने कहा और अवनि को वही छोड़ बाहर चली गयी। अवनि ने ध्यान से सारे कैनवास को देखा, हर पेंटिंग बेहद ही खूबसूरत थी। उनमें लगभग आधी पेंटिंग्स तो खुद अवनि की ही थी, जिसे सारांश ने अपनी कल्पनाओं मे ढाला था। कुछ ऐसे की अवनि खुद को ही न पहचान पाई। वहीं अवनि की कुछ ऐसी तस्वीरें भी थी जो सारांश ने छुपकर खींची थी। "ओह सारांश.......!" अवनि के मुह से बस इतने ही शब्द निकले। उसकी आँखों मे खुशी और सारांश के लिए प्यार दोनों थे।
क्रमश: