Chapter 12

Chapter 12

सुन मेरे हमसफ़र 7

Chapter

SMH 7





    घर पहुंचते ही कुणाल के सर पर जैसे एक बहुत बड़ा बम फटा। मिस्टर रायचंद ने बिना किसी लाग लपेट के कुणाल को उसके और कुकू के रिश्ते के बारे में बता दिया और दो दिन बाद ही उन दोनों की सगाई का ऐलान भी कर दिया। लेकिन कुणाल ने भी साफ-साफ इंकार कर दिया और बोला "डैड! मैं कुहू से प्यार नहीं करता। वो सिर्फ मेरी अच्छी दोस्त है, और कुछ नही।"


     मिस्टर रायचंद नाराज होते हुए बोले "कुहू तुम्हारी सिर्फ दोस्त है, और तुम मुझसे प्यार नहीं करते तो किससे करते हो? एक ऐसी लड़की जिसका कोई वजूद ही नहीं है! एक परछाई के पीछे भाग रहे हो तुम।"


     कुणाल उनसे मिन्नते करता हुआ बोला "डैड प्लीज! आपको ऐसा क्यों लगता है? वो लड़की है! और मैं बहुत जल्द उसे ढूंढ लूंगा।"


     मिस्टर रायचंद गरजते हुए बोले "इतने दिनों से तो ढूंढ ही रहे हो उसे, मिली क्या तुम्हें? कैसे मिलेगी, होगी तब तो मिलेगी न!"


     कुणाल नाराज होकर बोला "डैड प्लीज! मैंने कहा ना, मैं बहुत जल्द से ढूंढ लूंगा।"


     मिस्टर रायचंद इस बार थोड़ा नरम लहजे में बोले "मैं समझ रहा हूं तुम्हारी हालत। लेकिन तुम भी तो एक बार खुद को मेरी जगह रख कर देखो! अब तक तुम सिर्फ उस लड़की की परछाई के पीछे भाग रहे हो। पता नहीं वो लड़की है भी या नहीं। और अगर है भी तो, कौन है, कैसी है, कहां से आई है? हो सकता है वह शादीशुदा हो! जिसका नाम तुम ले रहे थे, वो लड़की दो बच्चों की मां है। तुम दवाई के असर में थे। हो सकता है तुम्हें धोखा हुआ हो। जो तुमने देखा, वह हो ही नहीं और फिर वहां मौजूद नर्स ने भी तो उस लड़की को पहचानने से इंकार कर दिया। जो नर्स तुम्हें अटेंड कर रही थी, उसका साफ-साफ कहना था कि ऐसी कोई लड़की थी ही नहीं, जिसके बारे में तुम बात कर रहे थे। मेरी बात समझो। हमने तुम्हें वक्त दिया था, लेकिन हम हमेशा तो तुम्हारे इस पागलपन को नहीं बर्दाश्त कर पाएंगे। बाप हूं मैं तुम्हारा। तुम्हारे बारे में फिक्र लगी रहती है। भले दिखाऊं या ना दिखाऊं। प्लीज बेटा! मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ता हूं। भूल जाओ उसे और कुहू से शादी कर लो।" मिस्टर रायचंद ने अपने दोनों हाथ जोड़ लिए और बेबसी से कुणाल की तरफ देखा।


    कुणाल से बर्दाश्त नहीं हुआ और वो जाकर अपने पापा के गले लग गया। उसने उम्मीद से अपनी मां की तरफ देखा तो मिसेज रायचंद ने इनकार में सर हिला दिया। कुणाल के पास और कोई रास्ता नहीं था। मजबूरी में ना चाहते हुए भी उसने कुहू से शादी के लिए हां कर दिया, लेकिन दिल में अभी भी एक उम्मीद थी। उसने पूछा "मान लीजिए, अगर शादी से पहले मुझे वो लड़की मिल गई तो आप क्या करेंगे?"


     मिस्टर रायचंद पहले तो सोच में पड़ गए। फिर मुस्कुरा कर बोले "मेरे बेटे की खुशी मेरे लिए सबसे ज्यादा मायने रखती है। उससे ज्यादा और कुछ नहीं।"


     मिस्टर रायचंद ने यह कह तो दिया था, लेकिन वो अच्छे से जानते थे कि कुणाल को वो लड़की कभी नहीं मिल पाएगी और अगर मिल भी गई तो भी, सगाई के बाद कुणाल इस रिश्ते के लिए कभी मना नहीं कर पाएगा। कुणाल थके कदमों से अपने कमरे में चला गया।


     वह कुछ नहीं कर सकता था, सिवाय कुहू से बात करने के। अब सिर्फ वही थी, जो इस रिश्ते से इंकार कर सकती थी। लेकिन रात बहुत हो गई थी इसलिए उसे सुबह तक का इंतजार करना था।



     कुणाल पूरी रात उधेड़बुन में करवटें बदलते रह गया कि वह कुहू से कैसे और क्या बात कहेगा। उसे उम्मीद थी कि कुहू खुद भी इस रिश्ते से इनकार कर देगी लेकिन वह बात की शुरुआत कैसे करेगा और अपनी सिचुएशन कैसे एक्सप्लेन करेगा, इसी सब में रात कब कट गई, उसे पता ही नहीं चला। जब तक उसकी आंख लगी, तब तक सुबह हो चुकी थी।



*****



    अगली सुबह,


अव्यांश के लिए आज का दिन बेहद खास था। जिस प्रोजेक्ट पर वह काम कर रहा था वह सक्सेसफुली पूरा हो चुका था। उसके लिए टीम मेंबर्स की मीटिंग बुलाई गई थी ताकि सबके सामने वह इस प्रोजेक्ट की सारी रिपोर्ट मैनेजर को सौंप सके।


     मीटिंग रूम से निकलते हुए उसके चेहरे पर एक बड़ी सी स्माइल थी, लेकिन कोई था जिसका चेहरा गुस्से से लाल हुआ जा रहा था। अंश ने गुस्से में मीटिंग रूम की एक चेयर को जोर की लात मारी और अपना फ्रस्ट्रेशन निकालने की कोशिश करने लगा। वह गुस्से में इधर-उधर चक्कर लगा रहा था।


     टिया उसके पास आई और बोली "शांत हो जाओ। तुम्हारे ऐसे करने से कुछ नहीं होगा।"


     लेकिन अंश चिल्लाया "आखिर यह हर बार बच कैसे जाता है? एक बार नहीं, कई बार कोशिश की मैंने लेकिन यह अपने मकसद में कामयाब हो ही गया। यहां मौजूद सभी, पूरा ऑफिस मेरे सामने सर झुका कर खड़ा रहता है। और यह है कि मुझे आंखें दिखा कर चला जाता है। कौन है यह? कहां से आया है, औकात क्या है इसकी मेरे सामने? और वह कौन है जो इस कमीने को प्रोटेक्ट कर रहा है? वह अकेला तो इतना कुछ नहीं कर सकता।"


    टिया उसे समझाते हुए बोली "छोड़ो ना उसे! ये उसका लक है और यह लक हमेशा काम नहीं आता है। उसे जितना हवा में उड़ना है, उसे उड़ने दो। हम सब मिलकर उसे जमीन पर उतार देंगे और इस तरह पटकेंगे कि वह कभी उठकर खड़ा नहीं हो पाएगा।"


     अंश टेबल पर अपना हाथ पटकते हुए बोला "यही तो मैं कह रहा हूं। लक हमेशा काम नहीं करता। लेकिन यह हर बार कैसे बच जाता है?"


    टिया कुछ सोचते हुए बोली "इस सब में तुम अपने पापा की हेल्प क्यों नही लेते? आखिर तुम उनके इकलौते बेटे हो! वह तुम्हारे लिए इतना तो कर ही सकते हैं।"


     अंश इंकार करता हुआ बोला "नही. मैं ऐसा नहीं कर सकता। डैड कभी इस बात के लिए तैयार नहीं होंगे।"


     रूपल मीटिंग रूम में आई और मुस्कुरा कर बोली "अपना मूड ठीक कर लो। हमें आज मिश्रा जी की बेटी की शादी में जाना है।"


     अंश का मूड में वैसे ही खराब था। उसने एक दूसरी कुर्सी को लात मारी और बाहर निकलता हुआ बोला "मुझे नहीं जाना कहीं। तुम लोग को जाना है तो चले जाओ। मेरा मूड ठीक नहीं है।"


    अंश बाहर निकलता उससे पहले रूपल पीछे से उसे रोकते हुए बोली "अपनी इंसल्ट का बदला लेने के लिए भी नहीं जाओगे?"अंश के कदम वहीं रुक गए।



*****





दोपहर के 12:00 बज रहे थे, जब फोन की घंटी की आवाज से कुणाल की नींद खुली। उसने सामने खड़ी देखा और हड़बड़ाकर उठा।  उसे कुहू से जल्द से जल्द को से बात करनी थी लेकिन वह इतनी देर तक सोता रह गया।


     कुणाल ने जल्दी से अपना फोन उठाया और देखा तो फोन में कुहू के तीन और उसके ऑफिस से कई सारी मिस्ड कॉल पड़ी हुई थी। उसने सबसे पहले कुहू से बात करने के लिए उसका नंबर डायल करना चाहा, लेकिन एक बार फिर उसके ऑफिस से कॉल आ गया। ना चाहते हुए भी उसे सबसे पहले अपने ऑफिस का ही काम निपटाना पड़ा। फ्री होकर उसने कुहू को कॉल लगाया। कुहू तो कब से उसी से कॉल का इंतजार कर रही थी।


    कुणाल का कॉल देखकर ही कुहू एक्साइटेड हो गई। उसने पहली रिंग में ही फोन उठा लिया और बोली "कब से कॉल कर रही थी तुम्हें! लेकिन तुम होगी पता नहीं कहां बिजी रहते हो। मैं पहले ही साफ साफ बता दे रही हूं, अभी जो कर रहे हो कोई बात नहीं, लेकिन शादी के बाद यह सब नहीं चलेगा। शादी के बाद तुम्हारी पहली प्रायोरिटी सिर्फ तुम्हारी वाइफ होगी, यानी मैं।"


     कुणाल शॉक्ड हो गया। उसे लगा शायद उसने कुछ गलत सुन लिया है। उसने पूछा "तुम्हें पता है घर वाले हमारा रिश्ता तय करने में लगे हैं?"


     कुहू अपनी एक्साइटमेंट को छुपा नहीं पा रही थी। वह झट से बोली "हां! कल रात ही तो हमारे घर वाले बैठकर इस बारे में बात कर रहे थे! और कल हमारी इंगेजमेंट की डेट फिक्स हुई है। आई एम सो एक्साइटेड! मैंने सोचा नहीं था कि हम दोनों कभी एक साथ होंगे, और वह भी इतनी आसानी से।"


    कुहू बोलती जा रही थी लेकिन कुणाल का चेहरा सफेद पड़ गया। कहां तो वह कुहू से इनकार करने की उम्मीद कर रहा था और यहां वह खुद ही इतनी एक्साइटेड है कि.............!  कुणाल को यह बात बहुत अजीब लगी। उसके पास अब कहने को कुछ नहीं रह गया था। तो उसने बाय बोल कर फोन रख दिया। पुरानी यादें पर फिर से उसे बेचैन करने लगी। बस एक उम्मीद उसे पाने की और इस रिश्ते से बचने की। उसने फोन उठाया और अपने दोस्त केतन को कॉल लगा दिया।


     केतन के कॉल उठाते ही कुणाल बोल पड़ा "उसकी कोई खबर मिली?"


     केतन मायूस होकर बोला "नहीं!"


     कुणाल को यह जवाब पिछले 1 साल में कई बार सुनने को मिली थी। लेकिन इस बार कुछ ज्यादा ही निराश हो गया वह। और उसकी निराशा गुस्से में बदल गई। वो चिल्लाते हुए बोला "तो फिर कर क्या रहे हो तो इतने टाइम से तुम लोग? हॉस्पिटल वालों को पैसे खिलाओ, खरीदो किसी को जो उसके बारे में बता सके। कुछ भी करो लेकिन मुझे वह लड़की चाहिए, मतलब चाहिए! मुझे कुहू से शादी नहीं करनी!"


    केतन चौक कर बोला "तेरी शादी? वह भी कुहू से? यह कब हुआ?"


     कुणाल की आवाज में बेबसी थी। उसने कहा "कल ही। और अगले दिन मेरी सगाई होनी है उसके साथ। तू बता मैं क्या करूं? कुहू मेरी दोस्त है। मैं उसे किसी और नजर से नहीं देखता, और जिस लड़की के आगे मेरा दिल हार गया मैं उसे जानता तक नहीं। कुछ कर यार! मेरी जिंदगी की डोर अब उस लड़की के हाथों में है। कुछ भी कर लेकिन ढूंढ उसे।"  कुणाल ने कॉल काटा और फोन बिस्तर पर फेंक दिया।


    इधर केतन हाथ में फोन लिए सोचने लगा "ढूंढने को तो मैं चुटकियों में उसे ढूंढ लूं, लेकिन तेरे बाप ने मुझे मना कर रखा है और मैं उनके खिलाफ जा नहीं सकता। सॉरी मेरे दोस्त! मुझे माफ कर देना।"






(हम्म्म! तो अब क्या होगा अंजाम? कुहू और कुणाल में से किसको मिलेगा उसका प्यार?)