Chapter 107
YHAGK 106
Chapter
106
रेहान बचपन से ही रूद्र से प्यार भी करता था और चिढ़ता भी बहुत था। वह चाहे जितनी भी मेहनत कर लेता लेकिन रूद्र हमेशा फर्स्ट आता था और वह सेकंड। पूरे साल उन दोनों में प्यार नजर आता था लेकिन जैसे ही रिजल्ट आते थे, उस दिन रेहान रूद्र से बेवजह झगड़ा करता। आखिर रूद्र पढ़ाई को लेकर ज्यादा सीरियस नजर भी नहीं आता था इसके बावजूद भी वह क्लास में टॉप करता।
जब भी इस बात को लेकर रूद्र और रेहान में लड़ाई होती रूद्र हमेशा उसे समझाता, "देख रेहान! समझ के पढ़ने से हमें एक्जाम के पढ़ने की जरूरत नहीं होती। अगर रट्टा मारेगा तो फिर तू पास तो हो जाएगा लेकिन लाइफ में कभी आगे नहीं बढ़ पाएगा। समझ कर पढ़ने से बातें हमेशा के लिए हमारे दिमाग में रह जाती है और तू खुद जीतने की कोशिश कर, मुझे हराने की कोशिश मत कर। मुझे हराने की कोशिश में तू हार जाता है और यह मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता।" लेकिन रेहान की आदतों में और उसकी हरकतों में कभी कोई फर्क नहीं आया।
रूद्र अपने मन की करता था। वह जैसा था पूरी दुनिया के सामने वैसा ही दिखाता लेकिन रेहान दुनिया की नजरों में खुद को अच्छा साबित करते करते उसके अंदर का रेहान उससे ऐसी गलती करवा गया जिसकी सजा ना सिर्फ रूद्र ने बल्कि शरण्या और इशिता ने भी भुगति। और अब अगर यह सच्चाई सबके सामने आ गई तो इस आग में लावण्या भी जलेगी।
रेहान अपनी फाइल लेकर ऑफिस के लिए निकल गया। वहां ईशान बेसब्री से उसका इंतजार कर रहा था। रेहान को देखते ही ईशान बोला, "कितनी देर लगा दी तुमने? मुझे यह फाइल लेकर उनके ऑफिस जाना है। कब से इंतजार कर रहा था तुम्हारा!"
रेहान बोला, "तुम फाइल लेकर जाओगे? ये प्रोजेक्ट मेरा है ईशान! इस प्रोजेक्ट की सारी डिटेल्स मैं जानता हूं। तुम्हें तो आईडीया भी नहीं होगा कि इस फाइल में क्या-क्या है?"
ईशान बोला, "वह सब मैं रास्ते में देख लूंगा, तुम बस ये फाइल दो और अपने काम पर जाओ। उनसे जो भी डिल करनी है वह मैं करूंगा।" कहते हुए ईशान ने रेहान के हाथ से वह फाइल ली और वहां से निकल गया।
रेहान को रूद्र की कही बात याद आ गई। उसका कहना बिल्कुल सही था। ईशान पर भरोसा करना सबसे बड़ी गलती होती लेकिन इस वक्त उसके हाथ में कुछ नहीं था। अब तो सिर्फ उसे इस डील के फाइनल होने का इंतजार था।
रूद्र अपने कमरे में बैठा था। शिखा जी उसके लिए चाय बना कर ले आई। उन्होंने देखा, रूद्र के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कुराहट थी। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ऐसी क्या बात हो गई जो रूद्र बेवजह मुस्कुरा रहा है? उन्होंने आवाज लगाई, "रूद्र.....! कुछ हुआ है क्या जो तुम ऐसे मुस्कुरा रहे हो?"
रूद्र एकदम से अपने ख्यालों की दुनिया से बाहर आया और बोला, "कुछ नहीं मां! बस अगर सोचा हुआ काम पूरा हो जाए तो इंसान को अच्छा लगता है। अच्छा वह सब छोड़िए, मैं थोड़ा आर्ट गैलरी जाने की सोच रहा था। पता नहीं इतने सालों में वहां का माहौल कैसा होगा?"
शिखा जी बोली, "मैं जाती हूं वहां। विहान ने अपने पापा की कंपनी संभाली तो आर्ट गैलरी की जिम्मेदारी उसने मानसी को दे दी। उसने भी बड़ी बखूबी से उसे संभाला है। मेरा जब भी दिल करता था मैं वहां चली जाती थी। आखिर उस गैलरी की हर एक ईट तेरी मेहनत के पैसों से बनी है। एक बार जाकर देख लेना।"
रूद्र ने अपनी चाय खत्म की और अपनी मां से इजाजत लेकर घर से निकल गया। मानसी उस वक्त कुछ पुरानी पेंटिंग हटवा कर नई पेंटिंग्स लगवा रही थी और थोड़ी जगह बदलवा रही थी। वहां पहुंचा उसने देखा, वहां कुछ ज्यादा बदलाव नहीं आया था। लेकिन फिर भी पहले से काफी खूबसूरत हो गया था।
रूद्र को वहां देख मानसी खुश होते हुए बोली, "आ जाओ मिस्टर पेंटब्रश वाले! आपका ही इंतजार था।" कहते हुए उसने अपने सारे स्टाफ को आवाज लगाकर वहां इकट्ठा किया और बोली, "फ्रेंड्स!!! इनसे मिलिए, यह है यहां की सबसे बड़ी हस्ती। जो लोग नए आए हैं उन्हें पता भी नहीं होगा कि आर्ट गैलरी किसकी है! तुम सबको मैं बता दू, यह है मिस्टर रूद्र सिंघानिया, इस आर्ट गैलरी के असली मालिक!"
सबने रूद्र को गुड मॉर्निंग कहा और मानसी बोली, "अब जब आपके बॉस इतने सालों के बाद आए हैं तो थोड़ी ट्रिट तो बनती है, है ना?"
सबने एक साथ मानसी के हां में हां मिला या और वहीं पर एक छोटी सी पार्टी दे डाली। रूद्र ने भी एक शर्त पर पार्टी एक्सेप्ट की, अगर यह पार्टी खुद उसकी तरफ से होगी तो! सभी एंप्लॉय रूद्र के इस अपनेपन से बहुत ज्यादा खुश थे। उन सब से मिलते हुए वह वहां से निकल गया। उसे जाना कहां था यह वह खुद नहीं जानता था। यूँ ही रास्ते पर भटकते हुए एक बार फिर वह नेहा के हॉस्पिटल जा पहुंचा लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह हॉस्पिटल के अंदर जाए। रूद्र काफी देर तक वहां अपनी गाड़ी में ही बैठा रहा।
ईशान के कुछ गार्ड्स ने जब रूद्र को वहां देखा तब उसने ईशान को फोन लगा दिया। ईशान उस वक्त मिस्टर सिंधिया के साथ बैठे बिजनेस डील की बातें जा रहा था। काफी देर इंतजार करने के बाद मिस्टर सिंधिया उससे मिलने के लिए तैयार थे। ईशान काफी खुश था। चाहे रूद्र के वजह से ही सही लेकिन उसके हाथ में इतना बड़ा मौका खुद चलकर आया था। ईशान को सिर्फ अपने फायदे से मतलब था और किसी चीज से नहीं।
अपने फ्यूचर प्लानिंग को लेकर वह अभी खुश हो ही रहा था कि तभी उसका फोन बजा। ईशान ने जब नंबर देखा तो उसने मीटिंग रूम से निकलकर किसी कोने में जाकर फोन उठाया। उधर से उसके गार्ड की आवाज आई, "सर...... आपने जिस इंसान की तस्वीर हमें दी थी वह इंसान काफी देर से यही घूम रहा है, इसी हॉस्पिटल के चक्कर लगा रहा है।"
ईशान ने जब सुना तो उसके होश उड़ गए। यह आदमी इतना स्मार्ट निकलेगा यह मैंने सोचा नहीं था। अगर इसको गलती से भी खबर लग गई कि इस हॉस्पिटल में शरण्या है तो बहुत बड़ी मुसीबत हो जाएगी। ईशान बोला, "उस आदमी पर नजर रखो और उस फ्लोर की सिक्योरिटी टाइट कर दो। जरा सा भी कोई ऊंच-नीच हो तो सीधा मुझे खबर करना, ठीक है?" कहकर ईशान ने फोन रख दिया और मन ही मन सोचा, शायद रूद्र को भनक लग गई है कि शरण्या जिंदा है! यह दूसरी बार है जब वह हॉस्पिटल पहुंचा है वो भी बिना किसी वजह के। इस वक्त नेहा भी ड्यूटी पर नहीं है। मुझे जल्द से जल्द अपना काम करना होगा उसके बाद वो लोग चाहे जो करें, मेरा कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे। एक साथ एक ही झटके में सब से बदला ले लूंगा मैं। मेरी इंसल्ट की थी ना तुम लोगों ने! और रुद्र तुम...... मेरी आंखों के सामने तुम दोनों ने किस किया था। नहीं भूल सकता मैं उस पल को, उस दिन को। मेरा दिल किया मैं तुम दोनों की जान ले लूँ लेकिन चलो कोई बात नहीं, तब नहीं ले पाया तो क्या अब जरूर ले लूंगा। बस एक बार इन लोगों के साथ मेरी डील फाइनल हो जाए उसके बाद में तुम से खुद निपट लूंगा।
अचानक से ईशान को याद आया कि उसे मिस्टर सिंधिया से मिलना था और वह आने ही वाले थे। वह जल्दी से मीटिंग रूम की तरफ भागा। उसने देखा वहां कोई नहीं था। उसने चैन की सांस ली और खुद से बोला, "अच्छा हुआ जो मिस्टर सिंधिया अभी तक नहीं आए हैं, वरना नाराज हो कर चले जाते।"
तभी मिस्टर सिंधिया के असिस्टेंट वहां आए और बोले, "मिस्टर वालिया कहां थे आप? आर एस आपको ढूंढ रहे थे। आप जानते हैं आपने उनका कितना समय बर्बाद किया है? वो नाराज हो कर चले गए हैं। हो सकता है यह डील भी ना करें। आपने अपना बहुत बड़ा चांस मिस कर दिया।"
ईशान ने जब सुना तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। उसे बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि उसकी जरा सी गलती इतनी बड़ी हो जाएगी। रूद्र के चक्कर में उसने अपना बहुत बड़ा नुकसान करवा लिया था। यह डील उसके नाक का सवाल था। असिस्टेंट वहां से जाने लगा तो उसने असिस्टेंट का हाथ पकड़ कर रोक लिया और बोला, "प्लीज!! मेरे लिए डील बहुत जरूरी है। बस मैं तो 2 मिनट के लिए बाहर गया था अर्जेंट कॉल था। वरना मैं कभी नहीं जाता। उसी 2 मिनट में सर आकर चले भी गए! प्लीज अब आप ही कुछ कीजिए। आप तो उनके असिस्टेंट है ना, प्लीज सर! मेरी कंपनी और मेरे एंपलॉयर्स को इस डील से बहुत सारी उम्मीदें हैं। अगर मैं फेल हो गया तो सारे लोग मायूस हो जाएंगे। उन्होंने खुद अप्रोच किया था इस प्रोजेक्ट के लिए, इस पार्टनरशिप के लिए। एक बार प्लीज आप कोशिश तो कीजिए उनसे मेरी बात करवा दीजिए, बस एक बार मैं उनसे मिल लूं तो मैं खुद उनसे यह डील साइन करवा लूंगा। सिर्फ एक मीटिंग और, बस एक चांस।"
असिस्टेंट ने कहा, "एक चांस तो आप मिस कर चुके हैं। आर एस के लिए उनका एक-एक सेकंड बहुत कीमती है। आपने तो फिर भी 2 मिनट बर्बाद कर दिए। ठीक है, जब आप इतना इंसिस्ट कर रहे हैं तो मैं कोशिश करता हूं एक बार फिर से आप की मीटिंग करवा सकूं। लेकिन इस बार आप कहीं मत जाइएगा वरना आर एस आपको ब्लैक लिस्ट कर देंगे।"
ईशान जो इस वक्त बुरी तरह से घबराया हुआ था वह असिस्टेंट की बात सुनकर थोड़ा संभला और बोला, "आप की बहुत बहुत मेहरबानी होगी, सर!! बस एक बार अगर मैं मिल लूं तो वह मेरा प्रपोजल कभी रिजेक्ट नहीं कर पाएंगे इतना मैं जानता हूं।"
असिस्टेंट बोला, "फिलहाल के लिए आप जाईए बाकी बातें बाद में देखा जाएगा।" कहकर वह वहां से चला गया। ईशान ने राहत की सांस ली और अपने ऑफिस के लिए निकल गया। वह वैसे ही रूद्र पर बहुत ज्यादा नाराज था। आखिर उसे भनक कैसे लगी की शरण्या जिंदा है और अगर नहीं लगी है तो फिर वह बार-बार हॉस्पिटल क्यों पहुंच जा रहा है? ईशान ने गुस्से में स्टीयरिंग व्हील पर अपना हाथ दे मारा।
रूद्र विहान के साथ क्लब में बैठा हुआ था और दोनों ही खामोश थे। रूद्र ने वाइन का एक ग्लास विहान की तरफ बढ़ाया तो विहान बोला, "अरे नहीं यार मैं नहीं पीता! मानसी को पता चल गया ना तो सिर्फ मेरी खटिया खड़ी कर देगी।"
रूद्र मुस्कुरा दिया और वाइन का एक सिप लेते हुए बोला, "अपनी बीवी से डरने लगा है तू! सही भी है, डरना चाहिए, बीवियां होती ही खतरनाक है।"
विहान की हंसी छूट गई और वह बोला, "क्यों.....! तू अपनी बीवी से नहीं डरता था क्या? शरण्या से तो तू बचपन से ही डरता था। उसके नाम से ही पसीने छूटते थे तुझे। समझ नहीं आता तुम दोनों ने शादी कर कैसे ली? लोग सरप्राइज होते हैं हम तो शॉक हो गए थे।"
रूद्र बोला, "यकीन तो मुझे भी नहीं हो रहा था। अब भी यकीन नहीं होता। वैसे कुछ भी बोल, मेरी बीवी है बड़ी खतरनाक। तु किस्मत वाला है जो तेरी बीवी इतनी सीधी सादी मिली है। मेरी वाली कब गुस्से में फायर हो जाए कह नहीं सकते। तु देखना, अब मिलेगी ना मुझसे बिल्कुल भी बात नहीं करेगी। कुछ भी बोल यार, बीवी से डरने में जो मजा है वह बीवी को डरा कर रखने में नहीं। तू किस्मत वाला है जो तेरी बीवी तेरे पास है, मेरी तरह बेघर नहीं घूम रहा तू। उसकी बातें, उसकी यादें, उसकी नाराजगी, उसकी हंसी उसकी डांट, उसका प्यार, उसकी ज़िद........ सब कुछ मिस करता हूं। बहुत मिस करता हूं। उसे ढूंढने तो निकला हूं लेकिन उसका सामना करने की हिम्मत नहीं है मुझ में। बहुत प्यार करती है वह मुझे, जानता हूं मुझे माफ कर देगी लेकिन उसके लिए मुझे उसका सामना तो करना ही होगा।"
विहान बस एकटक रूद्र के चेहरे की तरफ देखे जा रहा था। रूद्र के चेहरे पर जो दर्द के भाव उभर आए थे, बस उन्हें समझने की कोशिश कर रहा था। शरण्या के लिए उसका प्यार उसकी आंखों में साफ नजर आ रहा था। उसे ऐसे वक्त में वह कहे भी तो क्या? उसी वक्त उसका फोन बजा। विहान की मम्मी का फोन था। विहान ने जैसे ही फोन उठाया वह एकदम से घबरा गया और बोला, "कौन से हॉस्पिटल में? मैं आ रहा हूं!" कह कर उसने फोन रख दिया।