Chapter 37
humsafar 37
Chapter
37
चित्रा श्रेया को लेकर ब्लू ऑर्किड बार मे पहुँची। कुछ देर इंतज़ार करने के बाद उन दोनो को टेबल खाली मिली। चित्रा ने एक साथ कई तरह के ड्रिंक्स ऑर्डर किये और दस के करीब टकीला ग्लास की भी डिमांड कर दी। वेटर कुछ देर उन दोनो को घूर कर चला गया और उनका किया हुआ ऑर्डर टेबल पर लाकर रख दिया। चित्रा ने उन सभी से एक अलग तरह का कॉकटेल बनाया और सारे ग्लास मे भर कर उन्हे दो हिस्सों मे बाँट दिया।
चित्रा की कपासीटी कमाल की थी लेकिन श्रेया इस फील्ड मे नई नई आई थी। उसने लाइफ मे पहली बार अल्कोहल को हाथ लगाया था, वो भी अपनी हो दोस्त की शादी मे। इस तरह का कॉकटेल श्रेया के लिए बिलकुल नया था। दोनो ने शर्त लगाई और एक एक कर ग्लास खाली करना शुरू कर दिया। श्रेया तो दो ग्लास मे ही हार मान बैठी तो चित्रा उसे चिढ़ाते हुए उसका वाला बाकी का ग्लास भी खाली कर बैठी।
एक अलग सी खुमारी उन दोनो पर हावी होने लगी।। चित्रा ने श्रेया का हाथ पकड़ा और डांस फ्लोर पर ले गयी जहाँ उन दोनो ने ही साथ मे डांस किया और सब कुछ भूल कर खूब सारी मस्ती की। धीरे धीरे चित्रा पर कॉकटेल का नशा हावी होता जा रहा था। ऐसे मे उसे खुद को संभालना भी मुश्किल हो गया और श्रेया का कंधा पकड़ झूल गयी। श्रेया ने भी थोड़ी ही सही लेकिन पी रखी थी जिस कारण उसे खुद को और चित्रा को संभाल कर रखना आसान नही था और रात ज्यादा होने की वजह से वहाँ रुकना भी सही नही था।
रात के ग्यारह बज रहे थे। कार्तिक आराम से काव्या की कमर पर अपना हाथ लपेटे सो रहा था लेकिन काव्या की आँखो से नींद गायब थी। वह अपना चेहरा दूसरी ओर घुमाये लेटी थी। उसके आँखो से आँसू रुकने का नाम नही ले रहे थे। काव्या ने जैसे तैसे अपनी हिम्मत बटोरी, कार्तिक के बाह से खुदको छुड़ाया और खुदको एक चादर मे लपेट कर बाथरूम मे घुस गयी। उसने ठंडे पानी का शावर अपने उपर डाला और कुछ देर तक वही खड़ी रही।
"अब मै पूरी तरह कार्तिक की हो चुकी तरुण। अब मेरे मन मे तुम्हारे लिए कोई फीलिंग्स नही बची है। तुम्हे जो करना था तुम कर चुके लेकिन अब नही! अब तुम मेरे लिए कोई मायने नही रखते......! अब तुम मुझे फिर से कोई चोट नही पहुँचा सकते....! अब मुझे तुम से कोई फर्क नही पड़ता.....।" काव्या मन ही मन सोच रो पड़ी।
बाहर इन सबसे बेखबर कार्तिक गहरी नींद मे था। उसका फोन बजा लेकिन उसे पता नही चला, वहीं काव्या बाथरूम मे थी जहाँ पानी की आवाज़ से कुछ सुनाई नही दिया।
अवनि ने बाथरूम मे शावर लिया और कपड़े बदलकर बाहर निकली तो पाया की सारांश ने पहले ही कपड़े बदल लिए है और वह सोने की तैयारी कर रहा था। सारांश की नज़र जब अवनि पर गयी तो एक पल को उसकी निगाहे उस ठहर सी गयी। सिल्क के नाइट गाउन मे अवनि का पूरा बॉडी शेप पता चल रहा था। उसका दिल किया की अभी जाकर अपनी पत्नी को बाहों मे भर ले। अवनि ने इस तरह की ड्रेस कभी नही पहनी थी, उसपर से सारांश की नज़र उसे और भी ज्यादा अन्कम्फर्टेबल फील करवा रहे थे।
अवनि ने देखा सारांश बेड पर पड़ी गुलाब की पंखुडियो को समेट रहा था। अवनि भी आगे बढ़कर उन्हे समेटने मे हेल्प करने लगी। सारांश ने उन सारी पंखुडियो को डस्टबिन मे डाला और अवनि की तरफ आया। अवनि का घबराहट मे गला सूख गया, वह सारांश के हर बढ़ते कदम के साथ पीछे हटने लगी। आखिर मे जाकर वह दीवार से जा टकराई। सारांश उसके करीब आया और अपने दोनो हाथ फोल्ड कर बोला, "क्या आप मेरा भरोसा करेंगी अगर मै आपसे ये कहु की इस वक़्त....... आप से ज्यादा मै नर्वस हु, तो.....!"
अवनि जो की अभी घबराई हुई सारांश से आँखे नही मिला पा रही थी, उसने हैरानी से उसकी ओर देखा। सारांश की मासूम सूरत देख अवनि को हँसी आ गयी। उसे हँसता देख सारांश भी मुस्कुरा दिया और बोला, "देखो अवनि!!! ये शादी जितनी आपके लिए सरप्राइजिंग थी उतनी ही मेरे लिए भी थी। मै जानता हु, इतनी जल्दी सब कुछ एक्सेप्ट करना मुश्किल होगा, इवन मेरे लिए भी आसान नही है।..... तो क्या जरूरी है की हम हमारा रिश्ता पति पत्नी के रिश्ते से ही शुरू करे? क्या हम पहले अच्छे दोस्त नही बन सकते?"
अवनि सारांश की बातो से हैरान भी थी और खुश भी की वह उसे इतना समझता है। उसने भी हाँ मे सर हिलाया और धीरे से बोली, "मुझे थोड़ा वक़्त चाहिए।"
सारांश मुस्कुराया और उसका चेहरा अपने हाथों मे लेकर बोला, "आप को जितना वक़्त लगे, मै इंतज़ार करूँगा। अब सोने चले.....!" सारांश की सोने वाली बात पर अवनि थोड़ी हिचकिचाइ जिसे सारांश ने भाँप लिया और बोला, "अब ये हमारा कमरा है, यहाँ जो भी है हम दोनो का बराबर है। अगर आप को लगता है की आप सोफे पर सोने वाली हो तो गलत हो। अगर आपको लगता है की मै सोफे पर सोने वाला हु तो भी आप गलत हो। अब ये कोई हिंदी फिल्म या सीरियल तो है नही की हम अलग अलग सोए। ये बेड इतना बड़ा तो है की हम दोनो ही आराम से सो सकते है। वैसे भी आपके साथ बहुत अच्छी नींद आती है मुझे।"
सारांश की आखिरी लाइन साथ मे सोने वाली बात अवनि को थोड़ी अटपटी लगी तो उसने भौहें सिकोड़ कर उसे घूरा। सारांश ने एक बार मदहोश भरी निगाहों से अवनि को सिर से पाव तक देखा और बोला, "डोन्ट वरी! मै कुछ........करूँगा....नही.....!!!" फिर जब उसकी नज़र अवनि के चेहरे पर गयी जिसपर गुस्सा थोड़ा थोड़ा दिखने लगा था तो वह झट से दो कदम पीछे होकर बोला, "......बस मेरी तरफ पीठ करके मत सोना वरना जो होगा उसकी जिम्मेदारी मेरी नही होगी।" कहकर सारांश अवनि से बचने के लिए छिपना चाहा। मगर तभी अवनि का फोन बजने लगा। उसने देखा श्रेया का फोन था।
अवनि ने कॉल रिसीव किया तो उसे समझ आया की श्रेया और चित्रा पूरी टल्ली होकर एक बार मे बैठी है और उन्हे घर जाने के लिए हेल्प की जरूरत है। अवनि ने एक बार सारांश को देखा तो सारांश बिना उसके कुछ कहे सब समझ गया और जाने के लिए गाड़ी की चाबी निकली। वह दरवाजे तक गया और पलट कर सीधे अवनि के पास आया। उसने उसे कमर से पकड़ा और उसके गाल पर एक किस कर दिया और तुरंत ही बिना उसके रिएक्सन का वेट किये भाग गया।
अवनि को सारांश की इस बच्चो जैसी हरकत पर हँसी भी आई और शर्म भी। उसने अपने हाथ से उस गाल को छुआ तो शरमा गयी लेकिन तभी उसकी नज़र सामने आईने पर गयी जिसमे अपना ही चेहरा देख वह सोच मे पड़ गयी, "ये क्या हो गया है तुझे अवनि? ऐसे क्यों शरमा रही है? तु तो किसी और से प्यार करती थी न!!! ये शादी तेरी मर्जी के बिना हुई है तो इस तरह खुश क्यों हो रही है? क्या है तेरे दिल मे, सारांश या फिर.........!"
सारांश ब्लू ऑर्किड बार पहुँचा और श्रेया और चित्रा को लगभग बेसुध पाया। श्रेया ने कम पी रखी थी सो वह अभी भी थोड़ी होश मे थी। उसने सारांश को बताया की उसने चित्रा के फोन से कार्तिक को कॉल किया था मगर किसी ने भी आंसर नही किया। श्रेया को वही छोड़ सारांश चित्रा को लेकर बाहर निकला। श्रेया भी अच्छे बच्चे की तरह चित्रा का बैग पकड़े सारांश के पीछे पीछे हो ली। सारांश ने चित्रा को गाड़ी के पीछे की सीट पर लिटाया और दरवाज़ा बंद कर श्रेया के लिए आगे का दरवाजा खोला।
श्रेया चुपचाप बैठ गयी और सारांश ने भी ड्राईविंग सीट संभाल ली। लेकिन गाड़ी स्टार्ट करने की बजाय उसने श्रेया से सख्ती से चित्रा के इस हद तक पीने का कारण पूछा। श्रेया ने अंजाने मे ही सारांश के आगे सब कुछ उगल दिया। "आप लोगो मे से किसी को नही पता। सिर्फ मुझे पता है, चित्रा ने सिर्फ मुझे बताया क्योंकि हम बेस्ट फ्रेंड्स है पक्के वाले। आप को नही पता, किसी को नही पता कल मेरी चित्रा कितनी रो रही थी, आज भी रो रही थी, और शायद आगे भी रोती रहेगी। वो न देवदास बनी है। देवदास!!! वो जो अपनी पारो को बचपन से प्यार करता है और जिसकी पारो किसी और के साथ शादी करके चली जाती है। उसके पारो ने भी उसके साथ यही किया तो उसे भुलाने के लिए उसने थोड़ी सी पी ली। आप को पता है वो पारो कौन है?"
सारांश ने उसे हैरानी से उसे देखा और पूछा, "कौन?"
श्रेया बोली, "कार्तिक जीजू.........!" और खिलखिला कर हँस पड़ी। कार्तिक का नाम सुनते ही सारांश को जोर का झटका लगा और उसके पैर अचानक ही ब्रेक। पर लग गए जिससे श्रेया का सिर डैसबोर्ड से टकराया और चित्रा सीट से नीचे गिरते गिरते बची।
क्रमश: