Chapter 10

Chapter 10

सुन मेरे हमसफ़र 5

Chapter SMH 5     कुहू मायूस होकर वापस पार्टी हॉल में जाने को हुई। एक बार उम्मीद से उसने पलट कर देखा तो अंधेरे में उसे एक रोशनी नजर आई जो उसके पास ही आ रही थी। कुहू की आंखें खुशी से चमक उठी। उसे कुणाल की गाड़ी सामने से आती हुई नजर आ रही थी। उसके होठों पर एक बड़ी सी स्माइल आ गई। एक्साइटमेंट में वह भागती हुई गाड़ी के सामने जाकर खड़ी हो गई, यह भी नहीं सोचा कि इससे उसका एक्सीडेंट भी हो सकता है।      एकदम से कुहू को अपनी गाड़ी के सामने आता देख कुणाल ने गाड़ी का ब्रेक जोर से लगाया, जिससे उसके टायर के घिसने की आवाज उस शांत माहौल में गूंज गई। घबराहट में कुणाल का गला सूख गया। लेकिन कुहू के चेहरे पर से खुशी जरा सी भी कम नहीं हुई, ना ही हल्की सी शीकन नजर आई।     कुणाल जल्दी से बाहर निकला और वह ऊपर गुस्सा होते हुए बोला "पागल हो क्या? अभी एक्सीडेंट हो जाता तो? वो तो अच्छा था जो गाड़ी की स्पीड ज्यादा नहीं थी। लेकिन इतनी कम भी नहीं थी जो तुम बच जाती! अब कुछ बोलोगी या यूं ही पागलों की तरह मुस्कुराती रहोगी?"   कुहू होश में आई और बोली "तुम्हारे होते हुए मुझे कुछ नहीं हो सकता। मुझे पता था, तुम टाइम पर ब्रेक लगा ही लोगे। अब यहां टाइम वेस्ट मत करो और चलो मेरे साथ। अंदर सब तुमसे मिलना चाहते हैं।"    कुणाल हैरान होकर बोला "मुझसे मिलना चाहते हैं? लेकिन क्यों? मैं कहीं का प्रेसिडेंट नहीं हूं, ना ही मैं इतना फेमस हूं जो सब मुझसे मिलना चाहे!"     कुहू उसे अपने साथ खींचते हुए अंदर लेकर गई और बोली "चलो तो! आज मैं तुम्हें सब से मिलवाती हूं।"     कुणाल ने फिर से सवाल किया "लेकिन तुमने बताया था कि तुम्हारी फैमिली बहुत बड़ी है। मैं उनसे मिलकर थक तो नहीं जाऊंगा?"     कुहू ने उसे गुस्से में घुसकर देखा और उसके कंधे पर मरते हुए बोली "इतनी भी बड़ी नहीं है। तुम चलो तो सही! तुम्हें बहुत अच्छा लगेगा।"     कुहू इतनी एक्साइटेड थी कि पार्टी हॉल में आते हुए उसे ध्यान ही नहीं रहा और उसका पैर हल्का सा मुड़ गया। हाई हील की सैंडल के कारण कुहू लड़खड़ा गई और गिरने को हुई, लेकिन इतने में कुणाल ने उसे संभाल लिया। सबकी नजर उन दोनों पर ही थी।      कुहू और कुणाल को एक साथ देख कर चित्रा बोल पड़ी "यह दोनों एक साथ कितने अच्छे लग रहे हैं!"      मिस्टर रायचंद बोल भी पड़े "आपने तो मेरे दिल की बात कह दी। मैं भी इस बारे में ही सोच रहा था।"     कुणाल के घर वालों की तरफ से भी उन दोनों के रिश्ते की बात सुनकर बाकी सब भी खुश थे। चित्रा के रिएक्शन देख काव्या को तसल्ली हुई कि उसे कुणाल पसंद आया।    कुहू कुणाल को लेकर सबके पास आई और कुणाल को सबसे मिलवाने लगी। सिया, धानी, कंचन एक तरफ बैठे हुए थे। कुणाल ने वहीं से खड़े होकर अपने हाथ जोड़ लिए तो कुहू ने उसे कोहनी मारी और पैर छूने का इशारा किया। कुणाल क्या करता! वो आगे बढ़ा और एक-एक कर तीनों के पैर छू लिया। वो तीनों ने भी कुणाल के सर पर हाथ रख एक दूसरे को इशारों इशारों में कुछ कहा और मुस्करा दी।     कुहू ने कुणाल को श्यामा काव्या अवनी, सबसे मिलवाया। सिद्धार्थ कार्तिक और सारांश तो उसे जानते ही थे। कुणाल के लिए सबसे बड़ी मुश्किल ये हो रही थी कि उसे एक-एक कर सब के पैर छूने पड़ रहे थे। और वो ऐसा क्यों कर रहा था, उसे खुद समझ नहीं आ रहा था।     सब के पैर छूने की बात सोचकर ही उसे पसीने आने लगे थे। लेकिन अगर वो सबके सामने नहीं झुकता तो यह भी बैड मैनर होता। उसने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की लेकिन जब नहीं हुआ तो हारकर उसने अपने हाथ जोड़ लिए और सब को प्रणाम कर लिया। सभी हंस पड़े।    कुहू चित्रा के पास बैठ कर बोली "और इन से मिलो! यह मेरी सबसे प्यारी मॉम है।"     कुणाल बोल पड़ा "तुम्हारी चित्रा मॉम?"     सारांश मजाक उड़ाने के अंदाज में बोला "लगता है चित्रा के कारनामे दूर दूर तक फैले हैं।"     चित्रा ने सामने रखा एक पिस्ता उठाया और सारांश पर निशाना लगा दिया। "तुझे क्यों जलन हो रही है, सडू? चुपचाप बैठ ना!"  फिर वह कुणाल से बोली "बिल्कुल सही समझा तुमने। लेकिन तुम्हें कैसे पता? और कितनी तारीफ की है इसने तुम्हारे सामने?" चित्रा ने तारीफ तो कुछ ज्यादा ही जोर देकर कहा तो सभी हंस पड़े।     कुणाल थोड़ा झेंप गया और बोला "आपके बारे में बहुत बातें करती है ये।  लड़की काम लड़का ज्यादा है। शायद इसलिए हम बेस्ट फ्रेंड्स है। कोई भी प्रॉब्लम हो, तो ज्यादा परेशान नहीं होती। हमेशा कूल रहती है। मुझे इसकी यही आदत बहुत पसंद है। जब भी इससे इसकी आदत के बारे में पूछता हूं तो एक ही जवाब मिलता है, यह सब मेरी चित्रा मॉम का कमाल है।"    चित्रा अपनी तारीफ सुनकर फूलने लगी थी। उसने सारांश और कार्तिक की तरफ देख कर अपनी नाक ऊंची की और खुश होकर कहा "और भी बताओ ना! मुझे सुनने में बहुत अच्छा लग रहा है।"     कुणाल बोला "आंटी! अब मैं क्या बताऊं। अगर इसके बारे में बात करने बैठा तो पूरी रात गुजर जाएगी। किसी दिन फुर्सत में बैठकर आपसे बहुत सारी बातें करूंगा। वैसे भी, मैं तो आपका फैन हूं।"     चित्रा और भी ज्यादा फूलकर कुप्पा हो गई। उसे तो बस सारांश को जलाना था। उसने कुहू से कहा "कुहू बेटा! तुम कुणाल को लेकर पार्टी में जाओ, हमारे बीच तुम दोनों का क्या काम! चलो निकलो यहां से।"    कुहू ने कुणाल की बाजू पकड़ी और लगभग खींचते हुए उसे पूल साइड लेकर गई। वहां बैठे सभी और कुणाल के बीच के कंफर्ट को अच्छे से देख पा रहे थे। उन दोनों के जाते ही चित्रा बोली "मुझे कुणाल बहुत पसंद आया। अगर आप लोगों को ऐतराज ना हो तो क्या हम कुणाल और कुहू के रिश्ते............"     मिस्टर रायचंद बोले "मुझे भी इन दोनों की जोड़ी बहुत पसंद आई। और पूरे परिवार को तो हम जानते ही हैं। इनकार करने की कोई वजह हमारे पास है नहीं। फिर भी, बाकी सब इस बारे में क्या सोचते हैं?"     सबकी नजर सिया की तरफ घूम गई। धानी, उनका हाथ पकड़ कर बोली "आप बड़े हो जीजी! आपको जो सही लगेगा और आप जो कहेंगे वही होगा।"     सिया मुस्कुरा कर बोली "यह तो उन दोनों को ही तय करने दो जिन्हें साथ रहना है। मुझसे पूछेंगे तो, जैसे मिस्टर रायचंद ने कहा, इंकार की कोई वजह ही नहीं है।"      काव्या खुश होकर बोली "हमारी कुहू, कुणाल को पसंद करती है बड़ी मां।"     सिया ने सवाल किया "और कुणाल? उसकी पसंद भी मायने रखती है बेटा। अगर दोनों तैयार है तो जल्द से जल्द सगाई करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।"     मिस्टर रायचंद बोले "कुणाल की चिंता आप लोग मत कीजिए। कुहू से अच्छी कोई और उसे मिल ही नहीं सकती। जहां तक हम हमारे बेटे को जानते हैं, उसकी जिंदगी में कभी कोई लड़की नहीं आई। मुझे तो खुशी है कि उसने कुहू को अपनी जिंदगी में जगह दी है। आप लोग तो बस शादी का मुहूर्त निकलवाइए।"     कार्तिक को कुछ ध्यान आया और वो चित्रा से बोला "चित्रा! तुम कब जा रही हो?"     चित्रा चिढ़ गई और बोली "तुझे बड़ी जल्दी है मुझे भेजने की! मैं कहीं नहीं जा रही।"    कार्तिक ने सर पकड़ लिया और बोला "तुझे कोई जवाब सीधे देने नहीं आता है क्या?"      काव्या उन दोनों के बीच कोई बहस नहीं चाहती थी और इस वक्त अपनी बेटी के होने वाले ससुराल वालों के सामने तो बिल्कुल भी नहीं। इसलिए उसने कार्तिक की बात चित्रा को समझाते हुए कहा "चित्रा! कार्तिक इसलिए पूछ रहे हैं ताकि अगर दोनों बच्चे इस रिश्ते के लिए तैयार हो, तो तुम्हारे रहते उनकी सगाई हो जाए, है ना?"     लेकिन चित्रा को जैसे इससे कोई फर्क ही नहीं पड़ने वाला था। उसने लापरवाही से कहा "2 दिन हूं मैं यहां पर, उसके बाद वापस लौट जाऊंगी। देख लो। आगे इन दो दिनो में तुम लोग क्या कर सकते हो!"    मिस्टर रायचंद बोले "कोई बात नहीं। हम कल ही सगाई कर लेते हैं।"     अवनी बीच में ही बोल पड़ी "माफ कीजिएगा भाई साहब! कल हमें किसी की शादी में जाना है। इसीलिए हम पूरा दिन यहां नहीं हो पाएंगे।"    सारांश उसकी बातों से सहमत था। वह बोला "अवनी ठीक कह रही है। कल हमें बेंगलुरु जाना है और हम परसों ही लौट पाएंगे।"      मिस्टर रायचंद को इससे कोई एतराज नहीं था। उन्होंने कहा "हमें कोई एतराज नहीं है। कल हो या परसों या एक हफ्ते बाद। लेकिन जब सगाई होनी ही है तो जितनी जल्दी हो सके तो अच्छा।"    सारांश को उनका यह बिहेवियर अच्छा तो लगा लेकिन फिर वह कुणाल को लेकर सोच में पड़ गया और बोला "मिस्टर रायचंद! एक बार आप कुणाल से इस बारे में बात कर लेते तो बेहतर होता।"     मिस्टर रायचंद अपनी बात पर अड़े हुए बोले "उसकी कोई जरूरत नहीं है। मेरा मतलब, उसकी लाइफ में कोई गर्लफ्रेंड नहीं रहीं, और कभी ना कभी तो उसे शादी करनी ही है। कुहू को तो वो काफी अच्छे से जानता है। फिर भी अगर आप लोग चाहते हैं तो मैं एक बार कुणाल से बात जरूर करूंगा। और कल तक आप लोगों को इन्फॉर्म कर दूंगा। तो इसी बात पर मुंह मीठा किया जाए?"     फाइनली मिसेज रायचंद बोली "आपको मीठा मना किया है डॉक्टर ने।"     मिस्टर रायचंद अपनी वाइफ को छेड़ने के अंदाज में बोले "अरे बीवी! डॉक्टर का काम है कहना। लेकिन अपने बेटे की खुशी में मुंह मीठा करना हर बाप का हक है और इससे शुगर लेवल नहीं बढ़ता।"     श्यामा से रहा नहीं गया और वह बोली "लेकिन इतनी जल्दी भी क्या है? मेरा मतलब, एक बार बच्चों की तरफ से बात पक्की हो जाए। उसके बाद करते हैं। हम भी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं मुंह मीठा करने को।"     मिस्टर रायचंद बात को संभालते हुए बोले "अरे! कोई बात नहीं, दोबारा कर लेंगे। कौन सा बच्चे भागे जा रहे हैं! हम भी यही है। इसी बहाने मुझे भी खाने को मिल जाएगा। बिजनेस पार्टनर है हम, और अब तो रिश्तेदार बनने जा रहे हैं। आपके परिवार से जुड़ना हमारे लिए काफी खुशी की बात होगी। सिया मुस्कुरा दी और अवनी को इशारा किया।