Chapter 119
YHAGK 118
Chapter
118
कल की रात बहुत कुछ हो गया था। किसी की जिंदगी में उथल-पुथल मच गई थी तो कहीं सब कुछ शांत हो गया था। नेहा अपने मम्मी पापा के साथ विहान के घर पर रुकी थी जो कि उसे सही नहीं लग रहा था। उसके दिल में अभी भी विहान के लिए कुछ एहसास बाकी थे। ईशान ने उसे इतना दर्द दिया था कि वो विहान को चाह कर भी भूल नहीं पाई थी।
जब भी उसने विहान को मानसी का ख्याल रखते देखा था दिल में हमेशा एक टीस सी उठती थी। उसे लगता था जैसे इस सब पर कभी उसका हक भी हो सकता था। लेकिन खुशियां तो दूर, खुशी का एक कतरा भी उससे नसीब नहीं हुआ। ईशान ने बिना शादी के ही उसे जबरद्स्ती अपनी बीवी बनाकर रखा और उसके शरीर पर और उसके मन पर इतने घाव दिए कि अब वह किसी के भी करीब नहीं जाना चाहती थी।
विहान के घर रहना उसकी मजबूरी थी जिसे वह चाह कर भी टाल नहीं सकती थी। अब हर रोज उसे विहान और मानसी के प्यार को देखना पड़ेगा। उन दोनों का सामना करना पड़ेगा। अपने प्यार को अपनी आंखों के सामने किसी और का देखना बहुत दर्द देता है जो अब नेहा को होने वाला था। एक तरफ से छूटे तो दूसरे दर्द में जकड़े, नेहा के साथ बस यही हो रहा था।
विहान मानसी और नेहा को लेकर शरण्या से मिलने पहुंचा। रास्ते में उसे बाकी सारे घर वाले भी मिल गए तो सब साथ में ही हॉस्पिटल पहुंचे। विहान अभी तक अपनी बहन नहीं मिल पाया था इसीलिए वो कुछ ज्यादा ही एक्साइटेड था। विहान के मम्मी पापा ने दोनों बच्चों को संभाल कर घर में रहना ही बेहतर समझा इसलिए वह लोग हॉस्पिटल नहीं आए क्योंकि शरण्या से तो वह कल रात ही मिल चुके थे।
विहान सबके साथ हॉस्पिटल के उस कमरे के बाहर आया जहां शरण्या थी। उसने जैसे ही दरवाजा खोलना चाहा तो नर्स ने अपने होठों पर उंगली रख कर उसे शांत रहने का इशारा किया। मौली तो बहुत ज्यादा खुश थी अपनी शरण्या मॉम से मिलने के लिए। उसके डैड पूरी रात घर नहीं आए थे। वो समझ गई थी कि वह दोनों ही एक साथ होंगे।
विहान ने बहुत ही धीमें से दरवाजा खोला ताकि किसी तरह की कोई आवाज ना हो और अंदर दाखिल हुआ। उसके पीछे पीछे सभी लोग कमरे के अंदर हुए तो देखा, रूद्र वही बिस्तर पर बैठा पीछे पीठ टिकाएं सो रहा था और शरण्या उसकी गोद में सर रख के सो रही थी। उन दोनों ने एक दूसरे का हाथ पकड़ रखा था।
मौली ने जब रूद्र को सोते हुए देखा तो वह धीरे से उसके पास आई और रूद्र के चेहरे को निहारने लगी। विहान ने पूछा, "ओये छोटी शाकाल! क्या कर रही है?"
मौली ने कहा, "आज पहली बार डैड को सोते हुए देख रही हूं वरना मैंने इन्हें कभी सोते नहीं देखा। इन पलकों को सिर्फ झपकते देखा है कभी भी बंद नहीं देखा। हमेशा एक बेचैनी उनकी आंखों में नजर आती थी। आज इतने सुकून के साथ सोए हुए हैं ना, वह भी बिना किसी दवाई के! मुझे लगता है आप डैड बिल्कुल ठीक हो जाएंगे। शरण्या मॉम वाकई में उनकी हर मर्ज का इलाज है। वह है तो डैड बिल्कुल ठीक हो जाएंगे।
उन दोनों की खुसुर् फुसुर् से रूद्र की नींद खुल गई। उसने आंखें खोली तो पाया मौली और विहान, उसके मम्मी पापा और शरण्या के मम्मी पापा वहां मौजूद थे। उसे एहसास हुआ कि कल रात वो सो गया था। एक अर्से बाद उसे इतनी अच्छी नींद आई थी। उसकी शरण्या उसकी गोद में सर रखे और उसका हाथ थामे सो रही थी। शायद यह उसी का असर था। लेकिन अभी तक शरण्या ने एक भी शब्द नहीं कहा था। रूद्र उसकी आवाज सुनना चाहता था लेकिन वह शरण्या के साथ कोई जबरदस्ती नहीं कर सकता था। इतने सालों बाद वह नींद से जागी थी और अब उसे संभालने के लिए थोड़ा वक्त चाहिए था।
नेहा शरण्या के पास आई और उसकी नब्ज टटोलते हुए कहा, "इतने प्यार से रखोगे तो तुम्हारी शरण्या बिल्कुल ठीक हो जाएगी और इसमें ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। वैसे शरण्या की कंडीशन क्या है? इसमें कुछ बात की?"
अनन्या जी बोली,,हमारे सामने तो इसने बस बिना नाम लिए रूद्र के बारे में पूछा था और हम में से किसी को भी नहीं पहचान रही थी।"
रूद्र बोला, "नहीं! उसने कुछ नहीं कहा।"
नेहा बोली, "कोई बात नहीं! थोड़ा संभलने दीजिए उसके बाद धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा।" कहते हुए नेहा ने शरण्या के चेहरे को छुआ तो उसकी भी नींद खुल गई। वह बिस्तर से उठना चाहती थी लेकिन रूद्र ने उसे पीछे से थाम लिया और वापस से अपनी गोद में सुला लिया। शरण्या के लिए फिलहाल सारे अनजान थे। यहां तक कि रूद्र भी लेकिन रुद्र के पास होने से अपनापन उसे महसूस हो रहा था उसे। वह रूद्र के साथ रहना चाहती थी और सिर्फ उसी पर भरोसा कर रही थी। अभी भी उसे थोड़ा वक्त तो लगना ही था।
रूद्र की छुअन पाकर उसने रूद्र का हाथ कसकर पकड़ लिया। नेहा बोली, "आप लोग थोड़ी देर बाहर जाए, मैं एग्जामिन कर लूं एक बार।"
रूद्र ने उठकर जाना चाहता था लेकिन शरण्या ने उसके हाथ को इतने कसकर पकड़ रखा था कि रूद्र चाह कर भी वहां से जा नहीं सकता था। सारे लोग कमरे से बाहर चले गए। नेहा ने कुछ देर बाद आकर कहा, "सब ठीक है और सब कुछ बहुत बेहतर है। बहुत जल्दी रिकवर कर जाएगी वह, बस उसे ऐसे ही प्यार करते रहना आप सब। ये प्यार ही सब ठीक कर सकता है। उसे अगर कुछ याद नहीं आता है तो ज्यादा प्रेशराइज मत करना आप सभी लोग। धीरे धीरे उसका ब्रेन सारी यादों को खुद ही रिस्टोर कर लेगा। अगर नहीं भी करता है तो एक-एक कर आप लोग उसे याद दिला सकते हैं या फिर ऐसी कोई सिचुएशन क्रिएट कर सकते हैं। लेकिन एक ही बार में नहीं! उसकी रिपोर्ट देखी है मैंने। बस उसके दिमाग पर ज्यादा बोझ ना पड़े। उसे खुश रखिए और उसका ख्याल रखिए। खासकर तुम रूद्र! इतने सालों बाद भी वह तुम्हें पहचानती है जब खुद को भूल चुकी है। हमेशा उसके साथ रहना।"
रूद्र ने मुस्कुराकर हाँ में सर हिलाया तो नेहा वहां से अपने हॉस्पिटल की तरफ निकल गई लेकिन जाने से पहले रूद्र ने एक बार फिर मिस्टर सिंधिया को नेहा को हॉस्पिटल छोड़ने को कहा और उसकी सिक्योरिटी के इंतजाम करने को कहा। विहान ने रूद्र को पकड़ा और उसे लेकर कॉरिडोर के दूसरी तरफ चला गया क्योंकि उसे काफी कुछ पूछना था लेकिन उसे खुद समझ नहीं आ रहा था कि वह कहां से शुरुआत करें? लेकिन फिर भी कहीं ना कहीं से तो करना ही था तो उसने पूछा, "तुझे कब एहसास हुआ कि शरण्या जिंदा है? यह बात मुझे अब तक समझ नहीं आई!"
रूद्र मुस्कुरा कर बोला, "सबसे पहली बात, शरण्या कभी सुसाइड नहीं कर सकती थी जैसा कि मैंने कल भी बताया था। और सबसे बढ़कर, याद है मैंने तुझ से उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट मंगवाई थी और तूने कहा था कि शरण्या की बॉडी पर मेरे नाम का टैटू था। कोई नहीं जानता वह टैटू कब कहा बनवाई गई थी। ईशान ने सब कुछ बहुत ही शातिर तरीके से प्लान किया था। यहां तक कि उस बॉडी पर मेरा नाम तक लिख दिया। लेकिन क्या है ना! एक आर्टिस्ट कभी अपना सिग्नेचर पहचानने में गलती नहीं करता।"
विहान हैरानी से बोला, "सिग्नेचर?? मतलब??"
रूद्र बोला, "शरण्या के कंधे के नीचे जो टैटू वह मैंने बनाया था। शरण्या चाहती थी कि मेरे नाम का टैटू सिर्फ मैं देखूं और कोई नहीं कोई। और कोई उसे छुये भी उसे मंजूर नहीं था। मेरे लाख मना करने के बावजूद वो नहीं मानी और आखिर में मुझे वो टैटू बनाना हीं पड़ा था। सिर्फ इसलिए क्योंकि उसका नाम मैंने अपनी बॉडी पर लिखवाया था। उसने जिद पकड़ ली थी। शादी के बाद पहला काम उसने यही तो किया था। ईशान ने बस मेरे उसी स्टाइल को कॉपी करने की कोशिश की थी। लेकिन जैसे ही मैंने उस रिपोर्ट को देखा तभी समझ गया था कि मेरा बनाया हुआ नहीं है।"
"इसका मतलब वो रिपोर्ट शरण्या की नहीं थी।" विहान हैरानी से बोला, "तो फिर डिएनए मैच कैसे कर गया?"
वही कॉरिडोर में टहलते हुए रूद्र बोला, "अब तेरा डिएनए तेरे से मैच नहीं होगा क्या? डिएनए के लिए जो सैंपल लिए गए थे वह दोनों एक ही इंसान के थे क्योंकि डीएनए मैचिंग रिपोर्ट में मिली थी वो किसी बाप बेटी में नहीं हो सकती थी। दोनों सैंपल एक ही बॉडी से निकाले गए थे। या तो वह मिस्टर ललित राय के बॉडी से थे या फिर उस डेड बॉडी से। ईशान ने काफी पैसा खर्च किया था इस सब के लिए। शरण्या को ऐन मौके पर शादी के मंडप से उठा लेना और सब को यह दिखाना कि शरण्या भाग गई है ताकि जिस तरह शरण्या की वजह से ही ईशान की बेइज्जती हुई थी उससे कहीं ज्यादा बेज़्ज़ती वह रॉय फैमिली की करवाना चाहता था और इस सब में वह सक्सेसफुल भी हुआ।"
विहान ने फिर पूछा, "तूने ईशान का हाथ क्यों तोड़ा था?
"रूद्र दीवार से टेक लगाते हुए बोला, "सारे सवाल एक साथ कर डाल! मैंने उसका हाथ इसलिए थोड़ा क्योंकि मुझसे मिलने से पहले उसने मेरी शरण्या कुछ हुआ था जब मैंने उससे हाथ मिलाया शरण्या का एहसास मुझे छूकर गुजरा था। मैं समझ गया इन हाथों ने गुस्ताखी की है तो मैंने उसकी कलाई तोड़ दी।"
विहान को अब जाकर सारी बातें समझ आ रही थी। उसने रूद्र की समझदारी की दाद देते हुए कहा, "तू हमेशा से इतना स्मार्ट था फिर भी बेवकूफ की तरह अपने टैलेंट को यूंही बेस्ट करता रहा! वेसे मैंने कभी सोचा नहीं था कि तुझ जैसा इंसान कभी किसी से प्यार भी करेगा और वह भी उससे जिसके नाम से तो घबराता था। तुम दोनों को देखकर ना, अभी भी यकीन नहीं होता है कि तुम दोनों एक रिश्ते में बँध चुके हो। तेरे जैसा अय्याश इंसान, जो रोज नई लड़कियों के साथ घूमता था वह पूरी जिंदगी किसी एक लड़की के नाम कर देगा यह किसी की भी समझ से बाहर है। तुम दोनों ने शादी तक कर ली!!!! इसका मतलब मैं तेरा साला हुआ? कमीनी वैसे एक बात बता, तू और इशिता 1 साल तक एक साथ थे, एक ही घर में तो क्या कभी ऐसा नहीं हुआ कि तुम दोनों............"
विहान ने अपनी बात अधूरी छोड़ दी। रूद्र उसके कहने का मतलब समझ गया और बोला, "बहुत सी लड़कियों के साथ घूमा हु, बहुत सी लड़कियों के साथ दोस्ती की है लेकिन अपनी हद कभी नहीं भूला, ना कभी अपने संस्कार भूले है। मैंने भी कभी नहीं सोचा था कि मैं शरण्या से प्यार कर बैठूंगा। अपनी शाकाल से, जिसके नाम से भी मुझे डर लगता था। कभी यह भी नहीं सोचा था कि शरण्या के दिल में मेरे लिए कुछ एहसास होंगे। मैं चाह कर भी उससे कभी दूर नहीं रह पाता था, चाहे वह मेरे साथ जो कर ले मैं लौटकर उसी के पास जाता और हर बार मार खाता। इशिता और मैं एक घर में थे इसका मतलब यह नहीं कि एक ही कमरे में थे। हां उसने कोशिश तो बहुत की थी लेकिन मेरे पास उसे देने के लिए ऐसा कुछ था ही नहीं जिसके सहारे वह मेरे साथ पूरी जिंदगी रहती। मैंने उसे साफ साफ कह दिया था कि मुझसे कोई उम्मीद ना रखे। सबको लग रहा था ना कि मैं शरण्या को छोड़कर चला गया! सच्चाई तो यह थी विहान कि मैं कभी शरण्या से अलग हो ही नहीं सकता। खुद को पूरी तरह उसे दे चुका हूँ मैं। मुझमे मैं हूं ही नहीं! और जब मुझ में मैं नहीं तो फिर मैं इशिता को क्या देता? और एक खाली इंसान का क्या करती वो? वक्त गुजरते उसे भी समझ आ गया और वो चली गई। अच्छा ही हुआ! आज उसकी अपनी एक फैमिली है और अपने उस फैमिली में खुश है। मैं चलता हूं, मौनी को स्कूल छोड़ने जाना होगा वरना आज मैडम स्कूल नहीं जाने वाली।" कहकर रूद्र वहां से चला गया।
विहान वहीं खड़ा था। उसके कानों में शरण्या की चीखें गूंजने लगी। "रूद्र सिर्फ शरण्या का इशिता! शरण्या में रूद्र की आत्मा बसती है! तुम जिसे लेकर जा रही हो उससे एक शरीर है! एक मरे हुए इंसान का तुम क्या करोगी? बहुत जल्द तुम्हें एहसास हो जाएगा और तुम खुद उसे छोड़ कर चली जाओगी! मेरे रूद्र से कभी कुछ उम्मीद मत रखना तुम, कुछ नहीं मिलेगा तुम्हें क्योंकि वह रूद्र मेरे पास है।"