Chapter 66
YHAGK 65
Chapter
65
रात के अंधेरे में रुद्र अपने बीते दिनों को याद कर रहा था जिसकी वजह से उसके चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट थी। लेकिन रेहान की बातें उसे अंदर ही अंदर कचोट रही थी। इतने सालों के बाद वापस लौट कर आया था वह, इसके बावजूद रेहान से उसे ऐसे बर्ताव की उम्मीद नहीं थी। वह समझ सकता था उसकी हालत। रेहान सच में लावण्या से बहुत प्यार करता था और जो कुछ भी उसके और इशिता के बीच हुआ उस सिर्फ एक गलती थी। अपने प्यार को खोने का दर्द रूद्र से बेहतर और कोई नहीं समझ सकता था। ऐसे में रेहान का इस तरह बर्ताव करना कुछ अजीब नहीं था।
रूद्र अपने ख्यालों में गुम था, तभी शिखा जी आई और उसके कंधे पर शॉल डालते हुए कहा, "रात बहुत हो गई है बेटा! इस तरह ठंड में बिना गर्म कपड़ों की खड़े हो, बीमार पड़ जाओगे। वो छोटी सी बच्ची तुम्हारा इतना ख्याल रखती है, क्या तुम थोड़ा सा उसका ख्याल नहीं रख सकते? और किसी के लिए ना सही लेकिन उस बच्ची के लिए तो तुम्हें अपना ख्याल रखना ही होगा, आखिर उसका है ही कौन तुम्हारे अलावा! तुमने अकेले उसे संभाला है, उसके लिए तो तुम ही उसकी पूरी दुनिया हो!"
रूद्र बोला, "मेरे लिए वह मेरी पूरी दुनिया है मां! लेकिन फिलहाल दादी के अंतिम इच्छा भी तो पूरी करनी है।" शिखा जी बोली, "उनकी अंतिम इच्छा तो तुमसे मिलने की थी रुद्र! मुझे नहीं लगता अब और कोई ख्वाहिश उनकी बची थी। तुम आ गए, हमारा परिवार पूरा हो गया। बस अब वापस कभी जाने की बात मत करना। तेरे बिना कुछ अच्छा नहीं लगता। तेरे जाने के बाद वह घर काटने को दौड़ता है। चारों ओर सन्नाटा पसरा रहता है उस घर में, एक अजीब सी बेचैनी होती है वहां। तू था तो उस घर में एक रौनक सी लगी रहती थी। कभी इधर कभी उधर...... हमेशा कोई ना कोई शरारत करता रहता था तु। बार बार तेरे पापा गुस्सा हो जाते थे कि तू बड़ा कब होगा! रेहान अपनी जिम्मेदारियों को समझता है लेकिन तू कब समझेगा? अब देख..... हालात कैसे बदल जाते हैं पता ही नहीं चलता। रेहान की गलती की वजह से उनका सर इस कदर झुक गया है....... पिछले कई दिनों से तेरे पापा तुझ से बात करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उनकी हिम्मत नहीं हो रही। ना जाने कब से इस कोशिश में लगे हैं कि तुमसे बात शुरू कर सके। हो सके तो एक बार अपने पापा से बात कर लेना। उनके मन पर एक बहुत बड़ा बोझ है जिसे सिर्फ तु उतार सकता है।"
रूद्र बोला, "पापा से मुझे कोई शिकायत नहीं है मां! इनफैक्ट मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है। जो भी हुआ वह मेरा फैसला था। ना ही मुझे किसी ने फोर्स किया था और ना ही किसी के कहने पर मैंने यह सब किया। तकलीफ सिर्फ इस बात की है कि इस सब में शरण्या को पीसना पड़ा। लेकिन अब और नहीं.......! अब मैं उससे और यह सब सहने नहीं दूंगा। मैं आ रहा हूं दिल्ली, उसे मिलूंगा भी और उसे लेकर भी जाऊंगा।" शिखा रूद्र की बात सुन हैरान रह गई। उन्हें समझ नहीं आया कि वह उसे कह तो क्या!
रूद्र की मां ने बड़ी हिम्मत करके कहा, "एक बात कहूं रूद्र! मेरी बात मानोगे? तुम्हारे सामने पूरी जिंदगी पड़ी है। कब तक यों अकेले रहोगे? तुम्हें भी खुश रहने का हक है, सब कुछ भूलकर आगे बढ़ो, एक जीवन साथी के साथ! तू कहे तो तेरे लिए लड़की मैं ढूंढ दूंगी, अपनी बहू मै पसंद करूँगी या फिर अगर तुझे कोई पसंद हो तो तू कह सकता है। बस तू पुरानी सारी यादों को भूल कर एक नई शुरुआत कर, क्या तु मेरी ये बात मानेगा?"
रूद्र ने हैरान होकर अपनी मां की तरफ देखा और कहां, "माँ! अब समझ भी रहे हैं आप क्या बोल रही हैं! और रही बात आपकी बात मानने की तो शरण्या आपकी ही पसंद है। मैंने इंकार तो नहीं किया ना! इतने साल मैंने कैसे गुजारे हैं यह सिर्फ मैं जानता हूं। जितना दर्द मैंने शरण्या को दिया है उससे कहीं ज्यादा तकलीफ मैंने जीया है। उसकी आंखों में आंसू देने के लिए मुझे क्या करना पड़ा है यह सिर्फ मैं जानता हूं। इसलिए कह रहा हूं कि अब मैं उसे अपने साथ लेकर जाऊंगा। वो अगर ना भी मानी तो मुझे उसे मनाने आता है। आपकी इच्छा थी ना की लावण्या और शरण्या दोनों आपकी बहू बने? इस बार आप की यह ख्वाहिश पूरी हो जाएगी।" कहकर रूद्र वहां से जाने को हुआ तो शिखा ने उसे पीछे से रोकते हुए कहा, "शरण्या को भूल जाओ रूद्र! वो तुम्हारा अतीत है और अतीत कभी लौटकर नहीं आता!"
रूद्र बोला, "मां हमारे अतीत से ही हमारा आने वाला कल बनता है। जैसा हमारा अतीत होगा वैसा ही हमारा आने वाला कल होगा, इसीलिए शरण्या को भूल जाऊ यह मुझसे कभी नहीं हो सकता। ना इस जन्म में और ना ही अगले किसी जन्म में। जो जिंदगी मैंने उसके साथ गुजारी है बस इतनी ही मेरी जिंदगी थी। उसके अलावा मैं कभी जिया ही नहीं और आप उसे भूलने की बात कह रही है। रात बहुत हो गई है माँ! हम इस बारे में कल बात करें, कल आप लोगों को दिल्ली के लिए निकलना है।"
रूद्र फिर से जाने को हुआ तो शिखा जी चीख पड़ी, "सपने देखना बंद कर दो रूद्र! शरण्या कभी लौट कर नहीं आएगी! तुम लाख कोशिश कर लो अब वह तुम्हें नहीं मिल सकती, वो जा चुकी है!!! यहां से हमेशा हमेशा के लिए........ हम सब से दूर......... अपनी शादी के दिन उसने अपनी जान दे दी!" शिखा जी ने कह तो दिया लेकिन उनके सीने में तेज जकड़न सी महसूस हुई और आंखों से आंसू बह निकले। उन्हें नहीं पता था यह सब सुनकर रूद्र किस तरह रिएक्ट करेगा? किसी ना किसी को तो रूद्र को सच्चाई बतानी ही थी। उन्होंने पूरी हिम्मत लगाकर आखिर रूद्र को सबकुछ बता ही दिया।
रूद्र कुछ देर यूँ ही खडा था और फिर अपनी मां की तरफ पलटा। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। शिखा जी उसके चेहरे को पढ़ने की कोशिश कर रही थी ताकि उसके मन की बात को समझ सके लेकिन रूद्र वैसे ही खामोश खड़ा रहा। कुछ देर बाद बोला, "आपको मैं बेवकूफ नजर आता हूं? नहीं ना..... तो फिर इतनी बड़ी बात आपने कह कैसे दी? अगर यह बात खुद भगवान भी आ कर के कहे तो मैं उन्हें भी नकार दु। एक बात आप अच्छे से जान लीजिए मां! रूद्र और शरण्या कोई अलग इंसान नहीं है! दोनों के सीने में एक ही दिल धड़कता है। अगर शरण्या इस दुनिया में नहीं तो मैं भी नहीं...... और जब मैं आपके सामने जीता जागता खड़ा हूं तो शरण्या के ना होने का सवाल ही नहीं उठता। वह है....... वह इसी दुनिया में है और मैं उससे इसी जन्म में मिलूंगा, यह मेरा यकीन है और आप से वादा भी। वह मेरी पत्नी है मां! भगवान को साक्षी मानकर मैंने उससे शादी की थी अब उस रिश्ते को निभाने का वक्त आ गया है। अब उस हक को आजमाने का वक्त आ गया है। मैं यह नहीं कहता कि शरण्या सही सलामत है लेकिन जिन लोगों ने उसे चोट पहुंचाई है मैं उन्हें नहीं छोडूंगा और ये जिस किसी की भी हरकत है उसकी जिंदगी मैं नर्क से भी बदतर बना दूंगा, ये मेरा वादा है अपनी शरण्या से।"
रूद्र वहाँ से चला गया लेकिन शिखा जी वही खड़ी रह गयी। रूद्र की आँखो मे शरण्या के लिए जो जुनून था उसे देख वो सहम सी गयी। क्या हुआ अगर शरण्या उसे ना मिली तो? शिखा सोच मे पड़ गयी। रूद्र अपने कमरे मे जाने को हुआ तभी उसे मानसी की आवाज़ सुनाई दी। वो नेहा से बात कर रही थी। "तुम्हारी वो हॉस्पिटल का जो माली है न! उसका फोन आया था। बड़ी अजीब तरह से बात कर रहा था। तुम लोगों ने वहां गार्डन में कोई पौधा लगाया है क्या उसी के बारे में बात कर रहा था। इतने दिनों से जो पौधा मुरझाया हुआ था अचानक से वह खीलने लगा है।"
नेहा अपने फोन में नेटवर्क ढूंढने की कोशिश कर रही थी, मानसी की बात से उसके हाथ एकदम से जड़ हो गए। उसने मानसी से पूछा, "कुछ और भी कहा है क्या उसने?" मानसी ने ना में सर हिला दिया। नेहा अपने फोन में नेटवर्क ढूंढने मैं लगी थी लेकिन जब उसे नेटवर्क नहीं मिला वह सीधे आश्रम के ऑफिस में जा पहुंची जहां लैंडलाइन रखा हुआ था। रूद्र को यह बात बहुत अजीब लगी। ना जाने क्यों उसे नेहा पर थोड़ा शक जैसा महसूस हुआ। वो उसके पीछे ऑफिस तक गया।
नेहा लैंडलाइन पर किसी से बात करने में लगी हुई थी। उसने कहा, "तुम्हें मना किया था ना इस बारे में बात करने से! जानते हो न, कितना कीमती है वो? यह बात तुम अच्छे से जानती हो अगर उस पौधे में हरियाली आई तो उसके आसपास जो कांटों की झाड़ है वह उस पौधे को नोज डालेंगे। जब तक माली को इसकी खबर नहीं लगती उस पौधे को खीलने से रोकना होगा। तुम समझ रहे हो ना? बस कुछ वक्त की बात है उसके बाद सब ठीक हो जाएगा और इस बारे में किसी से कुछ नहीं कहना है। अगर मुझ से बात करनी है तो बस किसी को मैसेज दे देना, मैं फोन कर लूंगी। वैसे भी कल आ रही हूं मैं, तब तक उसका ध्यान रखो।"
रूद्र को उसकी बातें थोड़ी अजीब और थोड़ी अटपटी सी लगी। आखिर ऐसा कौन सा पौधा है जिसे खिलने से रोकना है, और वह ये नहीं समझ रहा था कि नेहा डॉक्टर थी तो फिर उसे पौधों में कब से इतना इंटरेस्ट आने लगा जो इस तरह से अर्जेंटली उसे कॉल करना पड़ा? नेहा के वहां से निकलने से पहले ही रूद्र वहां से चला आया। कमरे में मौली पहले से उसका इंतजार कर रही थी। उसके आते ही उसने उसकी दवाइयां आगे रख दी। रूद्र ने दवाइयां ली और बिस्तर पर चला आया। मौली का चेहरा देख उसने पूछा, "आपको जो पूछना है वह पूछ सकते हो, इतना सोचने की जरूरत नहीं है।"
मौली ने कहा, "सब लोग कल चले जाएंगे फिर हम क्यों नहीं जा रहे हैं? और सच कहूं तो मुझे भी दिल्ली जाना है, मुझे वापस नहीं जाना। जब मेरा पूरा परिवार है तो फिर मैं अकेले क्यों रहूं? मुझे नहीं रहना अकेले, मुझे सबके साथ रहना है।" रूद्र ने कहा, "हम लोग फिलहाल वापस नहीं जा रहे हैं। एक दिन यहां रुक कर आश्रम का कुछ काम निपटाना है उसके बाद हम लोग भी जल्दी ही दिल्ली चलेंगे लेकिन पूरे घर वालों के साथ रहना पॉसिबल नहीं हो पाएगा। आप उनके साथ पिछले कुछ दिनों से रह रही हो तब आपको इतना लगाव हो गया है। मेरा सोचो, मैंने अपनी जिंदगी के 26 साल उन सब के साथ गुजारे हैं। मेरा बहुत दिल करता है कि मैं भी अपने परिवार के साथ रहूं। लेकिन ये कितना मुश्किल है ये मैं ही जानता हूं। फिलहाल तो हमें आपकी मॉम को ढूंढना है, फिर देखते हैं किस्मत में क्या लिखा है! आप परेशान मत हो।"
मौली ने हां में सिर हिला दिया लेकिन उसके चेहरे पर निराशा अभी भी झलक रही थी। रूद्र ने जब देखा तो उसे प्यार से पुचकारते हुए कहा, "आपका मूड ठीक करने का एक तरीका है मेरे पास। कल जब मैं सब के जाने के बाद आश्रम का काम निपटा रहा होऊँगा तब आपको मैं पूरा नैनीताल घूमने के लिए भेज दूंगा। आप घबराना मत विहान चाचू आपके साथ होंगे। आप जितना मुझ पर भरोसा करते हो उतना ही भरोसा अपने विहान चाचू पर कर सकते हैं।"
मौली चुपचाप रूद्र की बातें सुन रही थी, तभी विहान वहां आ पहुंचा और बोला, "ओए छोटी शाकाल!!! तेरे बाप से कुछ बात करनी थी। थोड़ी देर प्राइवेसी मिल सकती है? घबरा मत तेरे बाप को कुछ नहीं करूंगा मैं!"
मौली ने तिरछी नजर से विहान को देखा और मुस्कुराते हुए बोली, "मुझे शाकाल भी कहते हैं और मुझे धमकी भी दे रहे हैं! किसी के बाप से इतनी हिम्मत में जो मेरे बाप का बाल भी बांका कर सके और अगर किसी ने कोशिश भी की तो आते आते ट्रेलर दिखा चुकी हूं मैं! पूरी फिल्म दिखाने में मुझे बहुत मजा आता है। ऐसी कोशिश भी मत करना क्योंकि मैं किसी को छेड़ती नहीं, लेकिन अगर किसी ने छेड़ा तो उसे छोड़ती नहीं।" कहकर मौली चुपचाप वहां से निकल गई।
उसके जाने के बाद विहान ने एक गहरी सांस ली और लैपटॉप आगे करते हुए कहा, "यह सच में शाकाल है।" उसने लैपटॉप में कुछ फाइल खोला और रूद्र की तरफ घुमाते हुए कहा, "यह रहे शरण्या के पोस्टमार्टम रिपोर्ट!!! तेरे कहने पर मैंने अपने ऑफिस से मंगवाया है। 8 साल पुरानी बात है यार! अब इससे क्या मिल जाएगा तुझे? जो चला गया उसे भूल जा, तेरे सामने तेरी पूरी जिंदगी पड़ी है!"
रूद्र की नज़र उस पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर थी। उसने कहा, "अपनी जिंदगी को ही ढूंढ रहा हूं! इतने साल मर कर देख लिया, अब जीना चाहता हूं।"