Chapter 82

Chapter 82

YHAGK 81

Chapter

81






    रुद्र ने शरण्या के साथ डिनर डेट प्लान की और उसके बाद उसे उस जगह ले गया जहां उसने शरण्या के लिए एक फ्लैट खरीदा था। शरण्या को पहले तो हैरान हुई उसके बाद वो गुस्सा हो गई। आखिर उस फ्लैट को खरीदने में उसने अपना सब कुछ लगा दिया था। वह सारे शेयर्स जो उसने मार्केट में इन्वेस्ट किए थे वो सब बेच दिए थे। उन्ही शेयर्स से होने वाले प्रॉफिट के बदले उसने अपनी आर्ट गैलरी खोली थी, जिसे शुरू हुए अभी एक महीना ही हुआ था। शरण्या का गुस्सा जायज था क्योंकि उसे यह सब कुछ बेवजह लग रहा था। वह अच्छे से जानती थी रूद्र के पापा भले ही कितने भी अमीर क्यों ना हो लेकिन रूद्र कभी उनसे पैसे नहीं लेता था। अब तक उसने जो भी खर्च किए थे वो सब उसके खुद के पैसे थे। 


    शरण्या को इतना गुस्सा हुआ देख रूद्र उसे समझाते हुए बोला, "सारे शेयर्स नहीं बेचे मैंने! सिर्फ वही जो शेयर मार्केट से उठाए थे, कंपनी में जो मेरे शेयर है वह अभी भी मेरे पास है जिनके जरिए में अभी भी अच्छा खासा पैसा कमा सकता है और तेरा ख्याल रख सकता हूं। अब हमारी शादी हो चुकी है और मेरी भी कुछ जिम्मेदारियां बनती है कि मैं तेरे लिए कुछ करु। अपनी कमाई से मैंने एक अपने लिए किया और दूसरा तेरे लिए खरीदा। और अगर देखा जाए तो ये भी एक इन्वेस्टमेंट ही है। जिसे मैं जब चाहूँ जैसे चाहूँ यूज़ कर सकता हूं।"


    शरण्या बोली, "वह तो मेरी समझ में आ रहा है लेकिन यह सब क्या है रूद्र! इस तरह अलग घर लेना कहां की समझदारी है? तुझे एहसास भी है हमारे घर वालों पर क्या गुजरेगी जब तु उनसे कहेगा कि हम दोनों अलग रहना चाहते हैं या फिर तुझे यह लग रहा है कि हमारे घर वाले हमारी शादी के लिए तैयार नहीं होंगे! ऐसा कुछ नहीं है। मेरे घर वालों को प्रॉब्लम हो सकती है लेकिन तेरी फैमिली कभी हमारे रिश्ते के खिलाफ नहीं जाएगी इतना मैं जानती हूं।"


     रूद्र ने उसे प्यार से गोद में उठाया और कमरे में ले जाकर बिस्तर पर बिठाते हुए बोला, "तुझे क्या लगता है, क्या मैं अपनी फैमिली से दूर रह सकता हूं? बिल्कुल भी नहीं! लेकिन मैं तुझसे दूर भी तो नहीं रह सकता। शरण्या.....! अब हम एक कपल है, पति-पत्नी है हम दोनों! हमें भी एक दूसरे का वक्त चाहिए होता है, एक दूसरे का साथ चाहिए होता है। जो कि हमें सबके बीच कभी नहीं मिलेगा। ये घर मैंने रहने के लिए नहीं खरीदा बल्कि जब भी हमें दिल करेगा हम यहां आ जाया करेंगे, एक दूसरे के साथ कुछ खास पलों को जीने के लिए। मुझे जब भी तेरी याद आएगी मैं तुझे यहीं बुला लिया करूंगा और जब भी तुझे मेरी याद आए तो तू मुझे बुला लेना। शादी के बाद हम दोनों की पहली होली थी और हम दोनों एक दूसरे के लिए वक्त नहीं निकाल पाए। उसी वक्त मैंने यह तय कर लिया कि एक घर जो सिर्फ हम दोनों का होगा। जहां हम किसी भी त्योहार में एक दूसरे के वक्त के लिए तरसे नहीं। रेहान और लावण्या को तो उनकी प्राइवेसी मिल जाती है लेकिन हमें नहीं मिलती। बस एक दादी है जो हमारे बारे में सब कुछ जानती है लेकिन वह भी पूरी बात नहीं जानती। वो होती तो हमारी पहली होली पर हमें कभी इस तरह..........!"


     रूद्र ने इतने प्यारे तरीके से अपनी बात कही कि शरण्या खुद को मुस्कुराने से ना रोक पाई और उसके गले में बाहें डालते हुए बोली, "तूने अभी अभी कहा ना कि हमारी शादी हो गई है और अब हम पति-पत्नी है! तो तुझे नहीं लगता कि हम दोनों को..........!" 


     इससे पहले कि शरण्या अपनी बात पूरी कर पाती रूद्र उसका हाथ हटा कर उसे पीछे से थामते हुए बोला, "तू मेरे से दूर रहा कर, इसी में हम दोनों की भलाई है। तूझसे शादी की है लेकिन छुपकर और छुपकर जो काम करते हैं वह चोर होते हैं। तेरी वजह से चोर बना हूं लेकिन डाका नहीं डालना। इसलिए खुद पर कंट्रोल रख और मुझ पर भी रहम खा। मुझे कितनी प्रॉबलम होती है तुझे क्या पता?"


     शरण्या मुस्कुराई और बोली, "आगे का क्या सोचा है? क्या करेगा अब? इतनी सेविंग तो होगी नहीं तेरे पास की तु आगे इन्वेस्ट कर सके।" रूद्र आराम से बिस्तर पर पसरते हुए बोला, "तू चिंता मत कर! पापा के ऑफिस के जो शेयर्स है वह अभी मेरे पास है। उनसे जो प्रॉफिट होंगे उन्हें मैं मार्केट में इन्वेस्ट कर दूंगा। जरूरी तो नहीं कि सारे इन्वेस्टमेंट शेयर में ही होते हैं, कई तरीके हैं उसके और फिर मेरी आर्ट गैलरी भी तो है। माना एक महीना ही हुआ है लेकिन अच्छी जा रही है। अगले 4 महीने की बुकिंग है। मेरी आर्ट गैलरी की तेरे हाथों ओपनिंग करवानी चाहिए थी, लेकिन कोई नहीं!  तू थी वहां यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है। अब बस विहान के लाइफ सेट हो जाए उसके बाद तेरे घर वालों से हमारे रिश्ते की बात करूंगा।"


    शरण्या ने सुना तो उसे थोड़ा अजीब लगा। इस सबमें विहान का क्या लेना देना? वैसे भी विहान तो नेहा को पसंद करता है तो फिर इसमें इतना सोचने वाली क्या बात थी? शरण्या के दिमाग में काफी सारे सवाल घूम रहे थे लेकिन उसने इस बारे में पूछना सही नहीं समझा और वह भी वही लेट गई। एक दूसरे को बाँहों में लिए दोनों घंटो बातें करते रहे। रात कब गुजरी पता नहीं चला।




    अगले कुछ दिन बड़ी ही शांति से गुजरे। रूद्र और विहान अपने टेढ़े रास्ते पर चल निकले। जैसा कि रूद्र का प्लान था वह काम कर गया और अमित के खिलाफ कई सारे ऐसे सबूत और मिले जिसे वह नकार नहीं सकता था। अमित उस वक्त किसी प्रोजेक्ट के सिलसिले में हैदराबाद गया हुआ था। उसे आने में कुछ वक्त और लगने थे। 


     विहान के मम्मी पापा ने एक दिन यूं ही विहान के लिए रिश्ते की बात उठाई तो शरण्या के मुंह से नेहा का जिक्र निकल गया। नेहा के बारे में सुनकर सभी चौक गए। किसी को भी अंदाजा नहीं था कि विहान और नेहा के बीच कुछ हो सकता है। लेकिन जैसे कि शरण्या को गलतफहमी थी, उसने वही बता दिया जो उसे नहीं कहना चाहिए था। पिछले कुछ वक्त से शरण्या को ऐसा लगने लगा था कि विहान और नेहा करीब आ गए हैं। यही गलतफहमी नेहा को भी थी। जब शरण्या ने इस बारे में खुलकर नेहा से बात की तो नेहा ने भी इससे इनकार नहीं किया। लेकिन शरण्या ने विहान से एक बार भी नहीं पूछा और ना ही इस बारे में रूद्र को कुछ भी बताया। 


     विहान के मम्मी पापा को नेहा हमेशा से पसंद थी। लेकिन कभी इस बारे में सोचा नहीं था। अब जबकि विहान और नेहा करीब आ रहे थे, उन्हें भी लगा शायद अब वक्त आ गया है कि उन दोनों के रिश्ते की बात चलाई जाए। अगले दिन हीं वह लोग रिश्ते की बात लेकर नेहा के घर पहुंचे लेकिन वहां का नजारा देख उन सभी के होश उड़ गए। उस वक्त घर में मातम पसरा हुआ था और सिर्फ रोने धोने की आवाज आ रही थी। किसी को कुछ समझ नहीं आया। जब वह लोग अंदर गए तब कुछ पड़ोसियों ने उन्हें अमित के मौत की खबर दी जिसे सुन उन दोनों के ही पैरों तले जमीन खिसक गई। 


    नेहा के मम्मी पापा का रो रो कर बुरा हाल था। नेहा जैसे तैसे खुद को संभाले हुए सब कुछ देख रही थी। मानसी तो चुपचाप किसी मूरत की तरह बैठी थी। न किसी की तरफ देखती ना किसी से कुछ कहती। शरण्या को जैसे ही खबर मिली को भागते हुए नेहा के घर पहुंची। शरण्या को देखकर नेहा खुद को रोक ना पाई और उसके गले लगकर फफक् पड़ी। नेहा को सबसे ज्यादा फिक्र अपनी भाभी की हो रही थी जिसकी कुछ महीने पहले ही शादी हुई थी। "मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा है शरण्या! मैं भाभी को कैसे संभालु? वो ना कुछ बोल रही है ना ही कोई हरकत कर रही है। उन दोनों के बीच का प्यार मैंने देखा है, पता नहीं कैसे.......! वो यह सब कुछ कैसे बर्दाश्त करेंगी? भगवान अच्छे लोगों के साथ ही इतना बुरा बर्ताव करता है शरण्या!!!"


   शरण्या ने जैसे तैसे नेहा को चुप कराया और उसे पानी पिलाया। उसने जाकर एक बार मानसी को देखा जो कि अभी भी अपने कमरे में उसी तरह बैठी हुई थी। शरण्या से रहा नहीं गया तो उसने रूद्र को फोन लगा दिया। रूद्र उस वक्त अपने आर्ट गैलरी मे किसी एक्जिबिशन की तैयारी कर रहा था। उसने भी जैसे ही इस बारे में सुना उसके होश उड़ गए। उसने फोन रखा और सीधे रेहान के पास चला गया।


     विहान उस वक़्त घर पर अकेला था और आराम से सो रहा था। उसे सोता देख रूद्र ने उसे झकझोरते हुए उठाया लेकिन विहान गहरी नींद में सो रहा था इसलिए उसे कुछ एहसास ही नहीं हुआ। विहान को उठता ना देख रूद्र ने उसके चेहरे पर पानी दे मारा जिससे विहान हड़बड़ा  कर उठा  और चिल्लाया, "अबे पागल हो गया है क्या? कहीं आग लग गई या भूकंप आया?  हो क्या गया है तुझे? ऐसी कौन सी आफत आ पड़ी जो तू इतनी सुबह सुबह.........!" 


    रूद्र उसका कॉलर पकड़कर बिस्तर पर से उठाते हुए बोला, "घड़ी देख....... इस वक्त दोपहर हो रही है, सुबह नहीं है। और इतने दिनों से तु जिसके लिए बिजी था वह काम हुआ या नहीं? और सबसे पहले तू यह बता....... अमित की मौत कैसे हुई? इसमें तेरा हाथ है क्या? देख विहान!  हमने टेढ़ा रास्ता अपनाने का कहा था किसी की जान लेने के लिए नहीं! अगर इसमें तेरा हाथ है तो बता दे तू, वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा!"


     विहान खुद को छुड़ाते हुए बोला, "बस यही है तेरी दोस्ती...... इतना ही जानता है तो मुझे.......! मैं किसी का मर्डर कर दूंगा.......!!! इतना भी भरोसा नहीं है तुझे मुझ पर? तेरी जगह मैं होता ना तो मैं तुझसे कभी यह सवाल नहीं करता। फिर भी अगर तुझे जानना है तो मैं तेरी जानकारी के लिए बता दु, अमित की मौत में मेरा कोई हाथ नहीं है। मैं बस इतना चाहता था कि वह मानसी की लाइफ से बाहर हो जाए फिर चाहे वो जैसे भी हो, जिस भी रास्ते से हो। और चाहे कोई भी करें। अब जो वह इस दुनिया में नहीं है तो मुझे उससे कोई मतलब नहीं है। उसके साथ क्या हुआ कैसे हुआ और किसने किया, या तो उसकी मौत दिखावा है या फिर वह सच में मर गया है, उसकी मौत से हमें कोई लेना देना है नहीं तो इस बारे में सोचना बंद कर और मुझे सोने दे। बहुत दिनों के बाद चैन की नींद सोया था, अब और भी अच्छे से सोऊंगा।" कहते हुए विहान फिर से बिस्तर पर पसर गया और बोला, "इतने लोगों की बद्दुआएं ले रखी थी उसने, उनमें से किसी ने किया होगा यह। जिसने भी किया हो मुझे उससे क्या।"


    रूद्र ने सुना तो उसे थोड़ी हैरानी तो हुई लेकिन साथ ही खुद पर शर्म भी आई, यह सोच कर कि उसने अपने ही दोस्त पर शक किया। उसने झिझकते हुए कहा, "सॉरी भाई.......! मैं जानता हूं तु ऐसा कभी कुछ नहीं कर सकता।  तु मार पिटाई कर सकता है लेकिन किसी की जान नहीं ले सकता। शरण्या ने एकदम से मुझे ऐसी बात बताई कि मेरा दिमाग खराब हो गया। मतलब यकीन नहीं हो रहा, अमित अब इस दुनिया में नहीं है! हम इतने दिनों से उसके पीछे पड़े थे और एकदम से अचानक यह सब........... काफी अजीब लग रहा है लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए था। यह गलत है।"


     विहान चिढ़ते हुए बोला, "तो तेरे कहने का मतलब क्या है? अमित एक अच्छा इंसान था, उसके साथ यह सब नहीं होना चाहिए था। जो हुआ वह गलत हुआ।"


     रूद्र एकदम से हड़बड़ाते हुए बोला, "नहीं विहान!!! मेरे कहने का मतलब यह बिल्कुल सही है। मैं बस इतना कहना चाहता था कि मौत एक बहुत ही आसान सजा है उसके लिए। जो उसने मानसी के साथ किया, इतनी सारी लड़कियों के साथ किया उसके बाद उसे सजा होनी चाहिए थी। उसके करतूत सबके सामने खुलने चाहिए थे। उसे जेल में सड़ना चाहिए था लेकिन इस तरह से वह सीधे सीधे अपनी हर सजा से बच गया है। एक आसान मौत वह भी इतने घिनौने काम करने के बाद........नहीं, ऐसा नहीं होना चाहिए था। उसे अपने हर गुनाह की माफी मांगनी चाहिए थी। हर एक किए पर पछताना चाहिए था। बहुत आसानी से छूट गया वो।" रूद्र अफसोस करता हुआ वहां से विहान को बिना बाय बोले बाहर निकल गया। 


   विहान अपने बिस्तर से उठा और बालकनी पर आकर रूद्र को वापस जाते हुए देखता रहा। फिर खुद से बोला, "मुझे माफ कर देना रूद्र!  इस बारे में मैं तुझे कुछ नहीं बता सकता। अमित के साथ जो हुआ है उसमें मेरा सीधे-सीधे लेना देना है लेकिन यह बात किसी और को तो क्या मैं तुझे भी नहीं बता सकता। तु इन सब बातों में ना ही पड़े तो अच्छा है। मेरे पास कोई और रास्ता नहीं था वरना यह सब कुछ कभी नहीं करता। मैं भी वही चाहता था जो तू चाहता था। जो तू कह रहा है। मैं भी अमित को वैसे ही सजा दिलवाना चाहता था। अगर मेरे पास कोई और रास्ता होता तो मैं उस रास्ते पर जरूर चलता।"


    


   


   






क्रमश: