Chapter 45
humsafar 45
Chapter
45
निक्षय के मना करने के बावजूद उससे नज़र बचा कर चित्रा ने और ज्यादा ड्रिंक कर ली और डांस फ्लोर पर अजीब तरीके से डांस करने लगी जिससे कुछ लोगो को चोट भी लग गयी। निक्षय के लिए उसे संभाल पाना मुश्किल होता जा रहा था। उसने जैसे तैसे चित्रा को वहाँ से निकाला और गाड़ी मे डाल कर उसके घर की ओर निकला।
कार्तिक का मूड काफी उखड़ा हुआ सा था। घर पहुँचते ही वह कपड़े बदल कर सो गया। काव्या थोड़ा नशे मे थी, वह लड़खड़ाते हुए कमरे मे पहुँची। कार्तिक को सोता देख उसकी बेरुखी पर काव्या के आँखों से आँसू छलक गए। शादी के बाद से ही कार्तिक का व्यवहार कुछ बदल सा गया था। वो पूरी कोशिश करता खुद को नॉर्मल रखने की काव्या को प्यार करने की लेकिन कहीं न कहीं चित्रा का ख्याल उसको परेशान किए जा रहा था। लाख कोशिश के बावजूद उसके लिए चित्रा को अपने दिमाग से निकाल पाना मुश्किल हो था। इस वक़्त भी उसे निक्षय के साथ चित्रा की नजदीकियां खल रही थी जिस कारण वह काव्या पर ध्यान नही दे पा रहा था।
सारांश के दोबारा पूछने पर भी अवनि ने कुछ नही कहा, बस चुप रही। सारांश ने भी उसे फोर्स नही किया और उसे लेकर घर पहुँचा। गाड़ी से उतरकर अवनि ने सारांश की ओर बाहें फैला दी और उसे उठाने का इशारा किया। सारांश भी मुस्कुराया और आगे बढ़कर उसे गोद मे उठाकर कमरे मे ले गया। सारांश को पता ही नही चला कब और कितना चित्रा ने उसके पीठ पीछे अवनि को वाइन पिला दी। अवनि ज्यादा नशे मे नही थी लेकिन उसका बचपना सारांश को अच्छा लग रहा था।
अवनि को बाथरूम मे छोड़ सारांश बाहर जाने को हुआ तो अवनि ने उसे पीछे से पकड़ लिया और बोली, "अगर मैंने सच बता दिया तो क्या तुम मुझे छोड़कर चले जाओगे? मत जाओ प्लीज! मेरे पास रहो, हमेशा.... प्लीज.... ऐसे ही! मुझे कुछ और याद नही, कुछ याद करना भी नही है मुझे। बस तुम रहो मेरे पास, मुझे और कुछ नही चाहिए। " अवनि की बातें सुन सारांश को थोड़ा अजीब लगा की आखिर ऐसी कौन सी बात कही कार्तिक ने। लेकिन अवनि के दिल मे अपने लिए प्यार देख सारांश को खुशी हुई।
सारांश उसकी ओर पलटा और उसके चेहरे को प्यार से छूकर बोला, "अवनि! कपड़े बदल लो.... सोने जाना है न!"
लेकिन अवनि पर इसका कोई असर नही हुआ, उल्टे उसके सीने से लगकर और मजबूती से उसे पकड़ लिया। सारांश के मनाने पर कुछ देर बाद अवनि ने उसे छोड़ा लेकिन जाने नही दिया। सारांश वही खड़ा पलट गया ताकि अवनि अपने कपड़े बदल सके। उसके बाद खुद भी वही कपड़े बदल कर अवनि को लेकर बाहर निकला। अवनि तो पूरे टाइम किसी बेल की तरह सारांश से लिपटी रही। सारांश ने जब बेड पर उन दोनो के बीच तकिये की दीवार बनाई तो अवनि ने तकियों को दूर फेक सारांश के सीने मे मुह छुपाये सो गयी। सारांश ने भी उसके माथे को चूमकर उसे प्यार किया और सो गया।
ओ हिरिए...! तुझे पाके मै हो गया अमीर
ओ हिरिए.....! तुझे पाकर है बदला नसीब
रात को अपने ख्यालो से जूझते हुए जब कार्तिक को काव्या का ध्यान आया तो वह अचानक से उठ बैठा। कमरे मे जब नज़र दौड़ाई तो पाया काव्या उन्ही कपड़ो मे सोफे पर सोई हुई थी। कार्तिक को बुरा लगा और खुद पर गुस्सा भी आया फिर उसने काव्या को जगाने की कोशिश की लेकिन काव्या गहरी नींद मे थी। उसने काव्या के कपड़े बदले और बेड पर सुला दिया। उसके चेहरे को देख कर प्यार से बोला, "मुझे माफ कर देना काव्या! पता नही क्या हो रहा है मेरे साथ। मै चाह कर भी तुम्हे वो प्यार नही दे पा रहा जो मै हमेशा से चाहता था। एक अजीब से कश्मकश से गुजर रहा हु मै। पता नही क्यों लेकिन बहुत अजीब सा लग रहा है।"
वही चित्रा भी घर जाते हुए रास्ते मे बारिश के पानी के साथ खेल रही थी और निक्षय उसे गाड़ी के अंदर बैठा देख रहा था। चित्रा की मासुमियत से उसे और ज्यादा उसपर प्यार आ रहा था। चित्रा बेपरवाह होकर उस सुनसान सड़क पर बारिश मे नाच रही थी। कुछ देर भींगने के बाद उसने निक्षय को भी अपने साथ मे खीच लिया। निक्षय को भीगना पसंद नही था लेकिन चित्रा के साथ भीगने मे उसे एक अलग ही फीलिंग आ रही थी। घर से लगभग दो किलोमीटर दूर से ही निक्षय चित्रा को अपने पीठ पर लिए उसके घर पहुचा। निक्षय खुद अभी होटल मे रुका था लेकिन चित्रा को ऐसी हालत मे अकेला छोड़कर जाना उसे सही नही लगा तो वो भी वही रुक गया।
काव्या जब सोकर उठी तो खुद को बिस्तर पर कार्तिक की बाहों मे पाया। कार्तिक इस वक़्त आराम से सो रहा था। काव्या कल की बात से अभी भी कार्तिक से गुस्सा थी। उसने उसकी पकड़ से छुट्ने की कोशिश की जिसके कारण कार्तिक की नींद खुली। काव्या की कोशिश देख वह उसकी नाराजगी समझ गया और काव्या पर अपनी पकड़ मजबूत कर दी। जितना काव्या कोशिश करती कार्तिक के पकड़ से छुटना मुश्किल हो रहा था तो कार्तिक ने सीधे सीधे उससे कल के लिए माफी मांगी और आगे से ऐसा ना करने का वादा किया। काव्या ने भी थोड़ी देर नाराजगी दिखाई और फिर माफ कर दिया। कार्तिक ने उसे छोड़ा तो वह बाथरूम मे चली गयी और कार्तिक अभी भी खुद को संभालने की कोशिश कर रहा था।
वही अवनि की जब आँख खुली तो उसका सिर पूरी तरह से घूम रहा था। जब उसने उठने की कोशिश की तो उसे महसूस हुआ की उसके हाथ सारांश के सीने पर है। सारांश के शर्ट के उपर के कुछ बटन खुले हुए थे जिनसे उसके गर्दन पर लाल निशान साफ दिखाई दे रहे थे। अवनि हड़बड़ा कर उठी जिससे सारांश की नींद खुल गयी। सारांश ने उसे बेड पर वापस खीच कर सो गया। अवनि को उठना था लेकिन सारांश की नींद पूरी नही हुई थी। अवनि भी पहली बार सारांश को सोता हुआ देख रही थी। आज संडे था तो सारांश को भी उठने की जल्दी नही थी।
अवनि ने जब नजर उठाकर उसे देखा तो निगाहें रुक सी गयी। एक अजीब सा सुकून जो उसके पास होने से उसके साथ होने से अवनि को मिलता था वो कहीं और नही होता था। कल की रात अवनि पूरी तरह नशे मे नही थी इसीलिए उसे कुछ कुछ बातें याद थी। रास्ते मे सारांश के साथ भीगने से लेकर उसके पास सोने तक सब कुछ उसके दिमाग मे घूम रहा था। वह सारांश के लिए अपनी फीलिंग्स को नाम नही दे पा रही थी लेकिन कल रात जिस तरह उसने सारांश को थामे रखा था, उसे खोने का डर वह साफ महसूस कर पा रही थी।
"जिंदगी भर क्या ऐसे ही घूरती रहोगी! यही हु तुम्हारे पास, हमेशा के लिए।" सारांश ने कहा। अवनि के चेहरे पर एक मिठी सी मुस्कान तैर गयी लेकिन तभी उसे सारांश के कल रात किये सवाल को याद कर उसके चेहरे की मुस्कान गायब हो गयी और एक डर ने उसके दिल को घेर लिया। अवनि ने फिर से अपना चेहरा सारांश के सीने मे छुपा लिया और बोली, "हमेशा यूँ ही रहोगे न मेरे पास?"
अवनि के सवाल से सारांश को हँसी आ गयी। उसने उसके बाल सहलाते हुए कहा, " हमेशा हु मै..... तुम्हारे साथ। कभी कहीं नही जाने वाला तुम्हे छोड़कर। अगर तुम चाहोगी तब भी नही। अब चलो उठो.....हमें कहीं जाना है!"
अवनि को समझ नही आया की अभी तो सारांश और सोने की बात कर रहा था और अभी कहीं जाने की बात लेकिन ज्यादा कुछ कहने या सुनने की बजाय अवनि चुपचाप सारांश की बात मान तैयार होने चली गयी।
नीचे नाश्ते की टेबल पर सिया उन दोनो का ही इंतज़ार कर रही थी। सारांश और अवनि साथ मे पहुँचे और सिया को जॉइन किया। सिया सारांश को बिजनेस से रिलेटेड कुछ बात करना चाह रही थी लेकिन सारांश ने मना कर दिया ये कह कर की अभी वो अवनि को लेकर बाहर जा रहा है और आने मे देर हो सकती है। अवनि को अभी भी समझ नही आया की आखिर वो दोनो ऐसी कौन सी जगह जा रहे है की आने मे देर लग जायेगी।
क्रमश: