Chapter 148
YHAGK 147
Chapter
147
घर में एकदम से अचानक इतना कुछ हो गया था कि सभी सदमे में थे। किसी को भी यकीन नहीं हो रहा था कि राहुल ने ऐसा कुछ किया था। इतनी छोटी सी उम्र में उसके मन में इतना जहर कहां से आया? यह सोचकर ही सभी परेशान थे। ऊपर से राहुल ने जब अपने हॉस्टल जाने की बात सुनी तो वह और भी ज्यादा रोने लगा। लावण्या ने कहा, "अगर तुम्हें हॉस्टल नहीं जाना है तो जाकर अभी के अभी मौली से माफी मांगो। वह तुम्हारी बड़ी बहन है और बड़ी बहन की इज्जत करना हर छोटे भाई का फर्ज होता है। अगर मौली तुम्हें माफ करती है तो ही तुम इस घर में रहोगे। अगर नहीं तो तुम सीधे हॉस्टल जाओगे।"
राहुल बुरी तरह से डर गया और उसी वक्त मौली के कमरे की तरफ भागा। मौली उस वक्त शरण्या के गोद में लेटी थी और शरण्या उसे किताब पढ़कर सुना रही थी। राहुल को अचानक से आया देख मौली उठ कर बैठ गई और बोली, "राहुल! तुम यहां मेरे कमरे में? क्या हुआ कुछ बात करनी थी?"
मौली को इस तरह नॉर्मल देख राहुल को थोड़ी हिम्मत मिली और वह धीमी कदमों से कमरे के अंदर आया। शरण्या ने मौली को अपनी तरफ खींच लिया और पीछे से उसे कसकर पकड़ लिया। उसे डर था कि जिस तरह मौली को राहुल ने नुकसान पहुंचाया था, दोबारा वह ऐसी कोई हरकत ना कर बैठे।
राहुल धीरे से बोला, "मौली! मुझे माफ कर दो। मैं जानता हूं मैंने तुम्हारे साथ बहुत गलत किया है, हमेशा से! सिर्फ कल रात की बात नहीं है यह। मेरा यकीन करो, मैं तुम्हें इतना ज्यादा हर्ट नहीं करना चाहता था। मुझे बिल्कुल भी नहीं लगा था कि तुम इस कंडीशन में पहुंच जाओगी कि तुम्हें हॉस्पिटल ले जाना पड़े। मानव तुम्हारे साथ कुछ ज्यादा ही फ्रेंडली हो रहा था। वह मेरा फ्रेंड है जो मुझे छोड़ कर तुम्हारे साथ घूम रहा था। मुझे अच्छा नहीं लगा। उन लड़कों ने कहा मुझे यह सब करने को। मैंने उन्हें मना भी किया था लेकिन उन लोगों ने कहा कि किसी को पता नहीं चलेगा और फिर बेसमेंट में बंद कर देने से किसी को कुछ होता थोड़ी है! यही सोच कर मैंने भी वह सब कर दिया। मुझे माफ कर दो। आइंदा ऐसी कोई हरकत नहीं करूंगा। सॉरी!! मम्मी कहती है तुम मेरी बड़ी बहन हो। इसका मतलब मैं तुम्हारा छोटा भाई हुआ ना! तो क्या तुम अपने छोटे भाई को माफ नहीं करोगी? मम्मी मुझे हॉस्टल भेजने की तैयारी कर रही है। मुझे नहीं जाना वहां। बहुत गंदे बच्चे होते हैं वहां पर। वो लोग अगर मुझे बुली करेंगे तो वहां मैं कुछ नहीं कर पाऊंगा। मैं खुद को डिफ़ेंड नहीं कर पाऊंगा। और अगर उन लोगों ने मेरे साथ वही किया जो मैंने तुम्हारे साथ किया तो फिर वहां मुझे कौन बचाने आएगा? तुम्हारे पापा स्मार्ट है। वह सुपर हीरो है। जब तुम्हें कोई नहीं ढूंढ पाया तो सिर्फ अकेले वही थे जिन्होंने तुम्हें आते ही ढूंढ लिया। वहाँ मेरे पास कोई नहीं होगा।"
मौली को उसकी बात सुनकर हंसी भी आई और उसे अच्छा भी लगा। उसने इठलाते हुए कहा, "मेरे डैड सुपर हीरो है। वाकई में वो एक सुपरमैन है। वो कुछ भी कर सकते हैं। मुझे कहीं से भी ढूंढ सकते हैं। चाहे कोई मुझे कहीं भी छुपा दे। रही बात तुम्हारे हॉस्टल जाने की तो घबराओ मत! चाची से मैं बात करूंगी। वह तुम्हें नहीं भेजेंगी। तु मेरा छोटा भाई है ना! छोटे भाई के लिए मैं इतना तो कर ही सकती हूं। लेकिन आइंदा अगर तूने मुझे परेशान करने की कोशिश की या फिर मानव के साथ तूने ऐसी वैसी कोई भी उल्टी-सीधी हरकत करने की कोशिश की तो तेरी मम्मी नहीं मैं खुद तुझे उठाकर हॉस्टल में फेंक आऊंगी, वह भी यहां से बहुत दूर..........! पता है कहां?"
राहुल ने मासूमियत से पूछा, "कहां?"
मौली आराम से शरण्या के गोद में लेटते हुए बोली, "सीधा नैनीताल भेजूंगी तुझे। वहां की ठंड में किकुड़ भी जाएगा और थोड़ा सा सिकुड़ भी जाएगा, तू भी और तेरी अकल भी। अब जा और मुझे सोने दे, बहुत नींद आ रही है मुझे।" कहते हुए मौली ने आंखे बंद कर ली।
राहुल वहां रुका नहीं और वहां से जाने को मुड़ा तो मौली ने उसे आवाज देते हुए कहा, "अबे ओ चंगू!"
राहुल रुक गया और पलट कर बोला, "क्या है?"
मौली मुस्कुरा कर बोली, "हैप्पी न्यू ईयर!"
राहुल ने भी मुस्कुरा कर कहा, "हैप्पी न्यू ईयर!" और वहां से चला गया। शरण्या बस अपनी बेटी के तेवर देखते रह गई। उसने कहा, "रूद्र बिल्कुल सही कहता है। तुम छोटी शाकाल हो। बिल्कुल कार्बन कॉपी।"
मौली ने भी मुस्कुरा कर कहा, "और आप बड़ी शाकाल!" और दोनों खिलखिला कर हंस पड़ी।
शाम हो चुकी थी और रूद्र अपने काम में लगा था। ऑफिस के कुछ जरूरी काम थे जिन्हें निपटाना जरूरी था। उसे अचानक से ध्यान आया कि मौली की ब्लड रिपोर्ट आज शाम तक आ जाने थे। लेकिन डॉ स्मिता ने अभी तक उसे फोन नहीं किया था। उसने अपना फोन उठाया और बालकनी के साइड आकर खड़ा हो गया। डॉ स्मिता का नंबर उसके कॉल लॉग में ही था तो उसने डायल कर दिया। कुछ देर रिंग जाने के बाद डॉ स्मिता ने फोन उठाया तो रूद्र ने पूछा, "डॉक्टर! मौली के ब्लड रिपोर्ट आने थे। अगर आ गए हो तो मैं उसे कलेक्ट कर के आपसे मिल लेता।"
डॉ स्मिता बोली, "मैं भी आपसे इसी बारे में बात करना चाहती थी। उसके ब्लड रिपोर्ट मेरे पास है। अगर आप अभी आ सकते हैं तो आ कर मिल लीजिए, बेहतर होगा।"
रूद्र को थोड़ा शक हुआ। उसने पूछा, "सब ठीक तो है ना डॉक्टर! रिपोर्ट में कहीं किसी तरह की कोई गड़बड़ तो नहीं है ना? मेरी बेटी ठीक तो है?"
डॉ स्मिता बोली, "रूद्र! बेहतर होगा आप यहां आकर सीधे-सीधे मुझ से मिले। मैं इस तरह फोन पर कुछ नहीं बता सकती।" कहकर उन्होंने फोन काट दिया।
रूद्र का दिल धक से रह गया। उसने मन ही मन सोचा, "अगर कुछ गड़बड़ नहीं है तो फिर डॉक्टर मुझसे इस तरह बात नहीं करती। मतलब जरूर कोई बात है! हे भगवान! मेरी बच्ची ठीक हो। वह मेरी जिंदगी है। ना मैं शरण्या के बिना रह सकता हूं, और ना ही मौली के बिना। उन दोनों की हिफाजत मेरे लिए सबसे ज्यादा जरूरी है।" रूद्र ने अपना फोन पॉकेट में रखा और लैपटॉप बंद करके बिना किसी से कुछ भी कहे घर से निकल गया।
घर में शरण्या ने माहौल हल्का-फुल्का करना चाहा लेकिन इस वक्त सभी का मन भारी था। मौली ने भी राहुल से नार्मल होकर बात की और इस तरह जताया जैसे कुछ हुआ ही नहीं। रात के खाने के वक्त घर में सभी मौजूद थे लेकिन रूद्र नहीं था। शरण्या को रूद्र के बिना खाने का बिल्कुल भी मन नहीं था लेकिन मौली ने कहा, "मॉम! खाना खा लीजिए वरना डैड मेरी बैंड बजा देंगे। आप चाहती हैं कि आपकी फूल सी बेटी पर जुल्म हो?"
शरण्या की हंसी छूट गई। सब के कहने पर शरण्या ने इन सबके साथ खाना खाया लेकिन इस बीच वह बार-बार रूद्र का नंबर ट्राई करती रही। रूद्र का फोन साइलेंट पर था इसलिए उसे कुछ पता ही नहीं चला। रात ज्यादा हो गई थी लेकिन घर में अभी तक उसका कुछ अता पता नहीं था। मौली भी उसके लिए परेशान हो गई। उसे परेशान देख शरण्या ने उसे अपने पास बुलाया और एक कहानी सुनाने लगी।
देर रात रूद्र घर लौटा, थका हारा। थके कदमों से वह अपने कमरे की तरफ जाने को हुआ तो मौली के कमरे की तरफ उसकी नजर गई जहां शरण्या मौली को कोई कहानी सुना रही थी और वह दोनों एक दूसरे को गुदगुदी कर रहे थे। उन दोनों को खुश देख रूद्र की आंखें नम हो गई। उससे वहां रुका नहीं गया। इस वक्त उसे किसी की जरूरत थी। कुछ तो ऐसी बात थी जो रूद्र को तकलीफ दे रही थी और वही तकलीफ आंसू बनकर उसकी आंखों से बहने को बेचैन थे।
शिखा जी रूद्र को देखने के लिए ऊपर आई तो देखा रूद्र मौली के कमरे के बाहर खड़ा था। उसे इस तरह खामोश थे उन्होंने रूद्र के कंधे पर हाथ रखा। रूद्र ने पलट कर देखा तो सामने अपनी मां को खड़ा पाया। उन्हें देखते ही उसकी आंखों में ठहरे आंसू बह गए और वह अपनी मां से लिपट कर रो पड़ा।
शिखा जी बेचैन हो उठी। इस सबसे बेखबर कमरे के अंदर शरण्या और मौली हंसी ठिठोली कर रहे थे। शिखा जी ने एक नजर उन दोनों को देखा और रूद्र को लेकर वहां से दूर हट गई ताकि उन दोनों तक आवाज न पहुंचे। रूद्र को एक तरफ ले जाकर शिखा जी ने उसके आंसू पोंछते हुए कहा, "क्या हुआ है रूद्र! तू इस तरह रो क्यों रहा है? देख, बता मुझे मेरा दिल बहुत घबरा रहा है। वैसे ही इस घर में इतना कुछ हो गया है कि अब जरा जरा सी बात पर मन डरता है। बता दे मेरा बच्चा क्या हुआ है तुझे? किसको क्या हुआ जो तू इस तरह..........! शरण्या को कुछ हुआ है या फिर मौली को लेकर.....? जल्दी से बता तुझे मेरी कसम है!"
रूद्र से कुछ कहा नहीं जा रहा था। उससे कुछ कहते बन ही नहीं रहा था। लाख कोशिशों के बाद भी जब उसके गले से आवाज नहीं निकली तब रूद्र ने मौली का ब्लड रिपोर्ट शिखा जी की तरफ बढ़ा दिया। शिखा जी ने कांपते हाथों से उस रिपोर्ट को पकड़ा और खोलकर देखा। उस रिपोर्ट को पढ़ते हुए शिखा जी का दिल बुरी तरह से धड़क रहा था। उसकी सारी लिखावट उनके दिल पर हजारों सुई चुभा रहे थे। सारी रिपोर्ट देखते हुए शिखा जी की आंखों से आंसू गिरने लगे। उन्होंने रूद्र की तरफ देखा और पूछा, "क्या है यह सब रूद्र? ये तु किसकी रिपोर्ट उठा लाया है? तु मौली रिपोर्ट लेने गया था ना फिर यह किसकी रिपोर्ट है? अगर यह कोई मजाक है तो मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं आया! अपनी बच्ची को लेकर इस तरह का कोई मजाक करता है क्या? तु चुपचाप जा और मौली की असली रिपोर्ट लेकर आ।"
अपनी मां को इस तरह बेचैन देखा रूद्र उनके गले लग गया और फिर से रो पड़ा। कोई उन दोनों की बातें सुन ना ले या उन्हें ऐसे इस हाल में देख ना ले यह सोचकर रूद्र शिखा जी को लेकर अपने दूसरे कमरे में चला गया और दरवाजा बंद कर लिया। शिखा जी से खुद को संभालना मुश्किल हो रहा था। ऐसे में वह रूद्र को कैसे संभालती? उन्हें लगा जैसे वह अभी गिर जाएंगी। उनके पैर काप् रहे थे।
रूद्र ने देखा तो जल्दी से उन्हें बिस्तर पर बैठाया और उनका हाथ अपने हाथ में लेकर कहा, "मां! घबराइए मत! डॉक्टर ने कहा है कि यह पहला स्टेज है। ट्रीटमेंट शुरू हो सकता है। यह तो शुक्र की बात है कि हमें अर्ली स्टेज में ही पता चल गया। प्रॉपर ट्रीटमेंट से वो ठीक हो जाएगी। डॉक्टर से मेरी बात हुई है, कुछ नहीं होगा मौली को!"
शिखा जी को अपनी तकलीफ से ज्यादा रूद्र की तकलीफ परेशान कर रही थी। उन्होंने खुद को संभाला और रुद्र से कहा, "रूद्र! तुम्हें वाकई लगता है कि मौली पूरी तरह से ठीक हो जाएगी? ल्यूकेमिया है उसे!!! मतलब समझ रहे हो ना तुम! इसका इलाज...........!"
रूद्र उन्हें रोकते हुए बोला, "इसका इलाज पॉसिबल है मां! मेडिकल साइंस ने अब तक कितनी तरक्की तो कर ही ली है कि वह मेरी बच्ची को बचा सके। बस मुझे इशिता को यह सब बताना होगा। उसे यहां बुलाना होगा। डॉक्टर ने कहा है कि अभी बहुत टाइम है हमारे पास। मैं सोचता हूं इशिता को किस तरह यहां बुलाऊ! उससे पहले कुछ और टेस्ट करवा कर मौली को कीमोथेरेपी के लिए ले जाना होगा। पहला सेशन जरूरी है। उसके बाद जैसे ही बोन मैरो मिल जाता है, डॉक्टर ने कहा है कि वह ठीक हो जाएगी।"
शिखा जी बेचैन होकर बोली, "तु मुझे डॉक्टर के पास ले चल। दख अगर मेरा खून मेरे मेरे बच्चे से मेल खाता हो!"
रूद्र उन्हें समझाते हुए बोला, "माँ! बोन मैरो हर किसी से मैच नहीं करता! मां बाप भाई बहन से ही मेल खाता है। रेहान से मैं इस सब की उम्मीद नहीं करने वाला और ना ही उसे इस बारे में कुछ बताऊंगा। जिस इंसान ने मेरी बच्ची को अपनाने से इंकार कर दिया वो क्या अपना खून देगा! इशिता को फोन करना होगा मुझे। आप रोईये मत सब ठीक हो जाएगा!" कहते हुए रूद्र ने शिखा जी को उनके कमरे तक छोड़ा और खुद अपने दूसरे कमरे में वापस चला आया।
उसने शिखा जी को सारी बातें समझा तो दी थी लेकिन वह खुद को नहीं समझा पा रहा था। उसका फोन उसके हाथ में था लेकिन वह इशिता से यह सब कहे कैसे, उसे यही समझ नहीं आ रहा था!